देश में जीएसटी का कानून जब से लागू हुआ है तब से कपडा उद्योग में अलग-अलग स्टेज पर जीएसटी की दरें अलग होने से कपड़ा उद्यमी परेशान हैं। बार बार इसे लेकर कपड़ा मंत्रालय में गुहार लगाई जाती है। कई संगठने जीसएटी की दरें एक समान रहने की तो कई संगठन यथावत रखने की मांग करते है। बीते दिनों यार्न उद्यमियों की ओर से जीएसटी की दर एक समान करने की मांग की गई थी। इसके खिलाफ फिआस्वी सहित कई संगठनो ने जीएसटी की दरें यथावत रखने की मांग की है।
केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल और राज्य मंत्री दर्शन जरदोश से उद्यिमयों ने गुहार लगाई है। कपडा संगठनों का कहना है कि अगर जीएसटी दर में बदलाव होता है, तो पूरे देश में बुनाई उद्योग से जुड़े 12 लाख लोग बेरोजगार हो जाएंगे।जीएसटी परिषद की 43वीं बैठक में कपड़ा उद्योग पर लागू असमान जीएसटी की दर को एक समान दर में बदलने के मुद्दे पर चर्चा होनी थी। यह चर्चा स्पिनरों द्वारा एक समान दर की मांग के मद्देनजर होनी थी। स्पिनरों ने तर्क दिया कि असमान दर से अनुमानित 2,000 करोड़ रुपये का क्रेडिट ब्लॉक हो जाएगा, लेकिन इसके खिलाफ बुनकरों सहित अन्य संगठनो ने जीएसटी की दरें यथावत रखने की मांग की।
आगामी जीएसटी परिषद में फिर से यह मुद्दा आने के डर से देश भर के बुनकरो ने नए केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल और राज्य मंत्री दर्शन जरदोश से कर की दर में बदलाव नहीं करने की मांग की है। फिआस्वी (फेडरेशन ऑफ इंडियन आर्ट सिल्क वीविंग इंडस्ट्री), भिवंडी टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन, हलारी पावरलूम एसोसिएशन, पांडेसरा वीवर्स सोसाइटी द्वारा मानव निर्मित कपड़ों (एमएमएफ) पर जीएसटी की दर में आज कोई बदलाव नहीं करने की गुहार की है।
बुनकरों का तर्क है कि जीएसटी दर में बदलाव से सरकारी राजस्व प्रभावित नहीं होगा, लेकिन जीएसटी के मद्देनजर स्पिनरों द्वारा यार्न की कीमत में वृद्धि होगी और एकाधिकार का भय है। लूम्स कारखाने बंद होने से 12 लाख श्रमिकों की रोजगारी प्रभावित होगी।
फिआस्वी के चेयरमैन भरत गांधी और कपड़ा उद्यमी मयूर गोलवाला ने बताया कि जीएसटी की दरों में अब कोई बदलाव होता है तो कपड़ा उद्योग प्रभावित होगा और 12 लाख श्रमिकों की रोजगारी को खतरा होगा। फ़िलहाल यार्न के कच्चे माल पर 18, यार्न पर 12 और कपड़े पर 5 प्रतिशत जीएसटी है।