कपड़ा उद्यमियों के लिए खुशखबरी: पीपीई किट कर सकेंगे निर्यात!

केंद्र सरकार ने देशभर में पीपीई बनाने वालों की गुहार सुन ली है। अब से पीपीई किट के विदेशों में निर्यात की जा सकेगी।


डायरेक्टरेट जनरल आफ फॉरेन ट्रेड की ओर से जारी किए गए नोटिस में बताया गया है कि कोरोना के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले सभी प्रकार के पीपीके को मर्यादित मंजूरी दी गई है।सूरत में भी बड़े पैमाने पर क्रिकेट का उत्पादन होता है।इसलिए सूरत से कपड़ा उद्यमियों को भी बड़ी राहत मिलेगी।

मिली जानकारी के अनुसार कोरोना के दौरान जब कपड़ा उद्यमियों के व्यापार उद्योग बंद हो गए थे।साड़ी और ड्रेस मटेरियल का व्यापार नहीं चल रहा था। उस दौरान सूरत के कई उद्यमियों ने पीपीई का उत्पादन करना शुरू कर दिया था और अब उत्पादन का बड़ा केंद्र बन गया है।देशभर में कई उत्पादक का उत्पादन कर रहे थे लेकिन इसके निर्यात को मंजूरी नहीं होने के कारण उसके पास बड़े पैमाने पर हो गया था।

इसलिए उन्होंने सरकार से निर्यात की मंजूरी मांगी थी।सरकार ने उनकी बात मान ली है और फिट करने की छूट दे दी है।सूरत से मिली जानकारी के अनुसार पीपीई किट का समावेश प्रोहिबिटेड लिस्ट में था। लेकिन अब रिस्ट्रिकडेड लिस्ट में हो गया है।मतलब कि कई शर्तों के अधीन इसका निर्यात किया जा सकेगा।

कपड़ा उद्यमियों के अनुसार स्थानीय बाजार में बड़े पैमाने पर पीपीई किट का उत्पादन हो रहा है।इसके चलते यहां पर उद्यमियों के पास स्टॉक हो गया है।परिस्थिति को देखते हुए स्थानिक उद्यमियों ने सरकार से पीपीई किट के निर्यात की छूट मांगी थी।जो कि सरकार ने मान ली है।सूरत में 2 दर्जन से अधिक उत्पादक प्रतिमास 20 लाख से ज्यादा पीट का उत्पादन कर रहे हैं।

सूरत के लक्ष्मीपति ग्रुप सहित कई उद्यमियों ने कोरोना के दौरान शुरू में ही पीपीई किट का उत्पादन शुरू कर दिया था। यहाँ के उद्यमियों ने एंटीवायरल का उत्पादन भी शुरू कर दिया है निर्यात करने के लिए उसे भी शुरू कर दी हैं

साड़ी से साथ पहनने लायक पीपीई किट, दुनिया में पहली बार सूरत में बनी!

सूरत

सिल्क नगरी सूरत के फैशन के डिजाइन डेवलपमेंट के साथ हमेशा कुछ मानवतावादी कार्यो के जाना जाता है। ऐसे ही प्रकल्प में फैशन नगरी सूरत के फैशन डिजानर सेंटर ने दुनिया की पहली साड़ी पहनने योग्य पीपीई किट बनाई है।


जिसे मेडिकल लैब सिट्रा ने भी किट को मंजूरी दी, जिसे कोविड़ नारी कवच को अप्रूव कर दिया है।
सूरत एक सिल्क सिटी के रूप में दुनिया भर में जाना जाता है, सूरत शहर हमेशा कुछ नया करने के साथ-साथ आपदा को अवसर में बदलने में भी सबसे आगे रहता है। कोरोना महामारी के बीच भी सूरत ने अपने आपको सिद्ध किया है। सूरत के एक फैशन डिजाइन विकास केंद्र फैशननोवा ने आत्म निर्भर भारत के तहत दुनिया की पहली पीपीई किट डिजाइन की है जिसे भारतीय संस्कृति की प्रतिक साड़ी पर पहना जा सकता है। संचालकों का दावा है कि किट को सिट्रा से भी मंजूरी मिली है। किट का नाम कोविड़ नारी कवच रखा गया है।


इस संबंध में, फ़ैशननोवा के निदेशक, अंकिता गोयल ने कहा कि कोरोना वारियर्स को वर्तमान में पेश की जाने वाली पीपीई किट को साड़ी पर नहीं पहना जा सकता है, जबकि हमारी अधिकांश महिलाएँ अभी भी चिकित्सा क्षेत्र में शामिल होने के बावजूद साड़ी पहनना पसंद करती हैं। हाल ही में ही केरल सरकार ने कोविड की देखभाल करने वाले कर्मचारियों के लिए पीपीई किट पहनना अनिवार्य कर दिया था, लेकिन साड़ी पहनने वाली महिला कोविड स्टाफ को परेशानी हुई।

इसके बाद फैशनोवा द्वारा इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया गया और फैशन डिजाइनर सौरव मंडल जो केंद्र से जुड़े हैं, कोरोला पीपीई किट डिज़ाइन किया है जिसे साड़ी पर पहना जा सकता है। प्रतिदिन 5 हजार किट का उत्पादन किया जा रहा है।

सूरत में पहली गारमेंट कटिंग मशीन की सुविधा उपलब्ध!

सूरत

FASHIONOVA, जिसे इसी साल भारत सरकार द्वारा स्टार्टअप इंडिया की मान्यता प्राप्त हुई, अपने अथक प्रयासों से भारत के टेक्सटाइल क्षेत्र सूरत में पहली गारमेंट कटिंग मशीन की सुविधा उपलब्ध कराई है।सर्वव्यापी महामारी के दौरान यह मशीन प्रतिदिन 3000 PPE Kit का उत्पादन करने में सहयोग प्रदान कर रही है।तथा यह मशीन PPE Kit के उत्पादन के लिए एक वरदान साबित हुई है।

डॉक्टर, नर्स, पुलिस कर्मचारी, SMC कर्मचारी व अन्य कई ऐसे विभाग जहां PPE Kit की जरूरत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।ऐसे समय में FASHIONOVA के संचालक अनुपम गोयल का कहना है कि उनकी पूरी टीम इस मशीन की क्षमता को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं जिससे यह जरूरत और जल्द पूरी की जा सके।


इस मशीन के माध्यम से, आज के समय की पहली प्राथमिकता सोशल डिस्टेंसिंग, का भी पूर्ण रूप से पालन किया जा रहा है। जो कर्मचारी इस मशीन को चला रहे हैं।वह दूर-दूर रहकर मशीन पर कार्यरत है।यह मशीन फेस मास्क के लिए कपड़ा काटने में भी पूर्ण रूप से सक्षम है।
इस मशीन के माध्यम से किसी भी तरीके का कपड़ा कम से कम wastage से काटा जा सकता है व शीघ्र उपलब्ध कराया जा सकता है ।

कपड़ा उधमियों के लिए खुली नई राह!!!!

कहते है कि आवश्यक अविष्कार की जननी है। देशभर के कपड़ा उधोग के लिए यह कहावत बिल्कुल सही साबित हो रही है। देशभर के कई सक्षम कपड़ा उत्पादकों ने साड़ी, ड्रेस और गारमेन्ट्स आदि का उत्पादन छोड़कर पीपीई किट और मास्क के उत्पादन में जुट गए है।

देश-दुनिया में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेज़ी से बढ़ने के कारण वैश्विक स्तर पर पीपीई किट और मास्क की डिमांड है। एक ओर जहां साड़ी, ड्रेस मटीरियल्स आदि की डिमांड कम हो गई है वहीं दूसरी ओर पीपीई किट और मास्क का उत्पादन करने वालों के लिए कमाई का रास्ता खोल दिया है।सूरत, अहमदाबाद, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल दिल्ली, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों में कपड़ा उधमियों ने मास्क और पीपीई किट बनाना शुरू कर दिया है।
देशभर में १२५ से अधिक कंपनियों ने पीपीई किट का उत्पादन शुरू कर दिया है। पीपीई किट सफल है या नहीं यह प्रमाणित करने के लिए केन्द्र सरकार की मान्य लैबोरेटरी से सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। कई कंपनियाँ इसके लिए कगार में है। बताया जा रहा है कि ५० से ज़्यादा कंपनियों मे पीपीई किट के लिए प्रस्ताव भेजा है।
पीपीई किट और मास्क बनाने के बाद उत्पादक इसे केन्द्र सरकार को बेचते है। सरकार इसका आवश्यकतानुसार उपयोग करती है। आनेवाले दिनों में इसकी बड़े पैमाने पर डिमांड होने की संभावना है।
सूरत के उधमियों ने किया वायरस और बैक्टीरिया प्रूफ़ सुट का अविष्कार !
हमेशा कुछ नया करने वाले सूरत के कपड़ा उद्यमियों ने कोरोना के मुसीबत के समय को मौके में बदल दिया है। सूरत के कपड़ा उद्यमी अब कोरोना से लड़ने के लिए काम करने वाले फ़्रंट लाइन वारियर्स के उपयोग में आने वाली पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन किट )का उत्पादन करने में जुट गए हैं।

कोरोना में देशभर के कपड़ा उधमियों के लिए नई राह!!!


सूरत
कहते है कि आवश्यक अविष्कार की जननी है। देशभर के कपड़ा उधोग के लिए यह कहावत बिल्कुल सही साबित हो रही है। देशभर के कई सक्षम कपड़ा उत्पादकों ने साड़ी, ड्रेस और गारमेन्ट्स आदि का उत्पादन इन दिनों छोड़कर पीपीई किट और मास्क के उत्पादन में जुट गए है।

देश-दुनिया में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेज़ी से बढ़ने के कारण वैश्विक स्तर पर पीपीई किट और मास्क की डिमांड है। एक ओर जहां साड़ी, ड्रेस मटीरियल्स आदि की डिमांड कम हो गई है वहीं दूसरी ओर पीपीई किट और मास्क का उत्पादन करने वालों के लिए कमाई का रास्ता खोल दिया है।सूरत, अहमदाबाद, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल दिल्ली, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों में कपड़ा उधमियों ने मास्क और पीपीई किट बनाना शुरू कर दिया है।

देशभर में १२५ से अधिक कंपनियों ने पीपीई किट का उत्पादन शुरू कर दिया है। पीपीई किट सफल है या नहीं यह प्रमाणित करने के लिए केन्द्र सरकार की मान्य लैबोरेटरी से सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। कई कंपनियाँ इसके लिए कगार में है। बताया जा रहा है कि ५० से ज़्यादा कंपनियों मे पीपीई किट के लिए प्रस्ताव भेजा है।


पीपीई किट और मास्क बनाने के बाद उत्पादक इसे केन्द्र सरकार को बेचते है। सरकार इसका आवश्यकतानुसार उपयोग करती है। आनेवाले दिनों में इसकी बड़े पैमाने पर डिमांड होने की संभावना है।


सूरत के उधमियों ने किया वायरस और बैक्टीरिया प्रूफ़ सुट का अविष्कार !
हमेशा कुछ नया करने वाले सूरत के कपड़ा उद्यमियों ने कोरोना के मुसीबत के समय को मौके में बदल दिया है। सूरत के कपड़ा उद्यमी अब कोरोना से लड़ने के लिए काम करने वाले फ़्रंट लाइन वारियर्स के उपयोग में आने वाली पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन किट )का उत्पादन करने में जुट गए हैं।


सूरत में यश फैशन, लक्ष्मीपति ग्रुप और नोबेल टैक्स में पीपी सूट का उत्पादन शुरू किया है।बताया जा रहा है कि यह सूट 30 बार री यूज़ कर सकते हैं। साउथ इंडिया टैक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन ने इसे प्रमाणित किया है।


सूट बिल्कुल कारगर साबित है इसलिए इसको सर्टिफिकेट भी दिया गया है।सर्टिफिकेट मिलने के बाद लक्ष्मीपति ग्रुप में पांडेसरा जीआईडीसी क्षेत्र में पीपई सूट का उत्पादन भी शुरू कर दिया है। कोरोना के वायरस से बचने के लिए उपयोगी पीपीई सूट नॉन-वुवन यानी कि बिना बुने कपड़ों में से बनाया जाता है।


सूरत का कपड़ा उद्योग हमेशा से कुछ नया करने के लिए पहचाना जाता है नॉन-वुवन के बदले वूवन फैब्रिक में से पीपीई सुट तैयार कर टेक्सटाइल उद्योग को नई दिशा दी है। सूरत के पांडेसरा जीआईडीसी में यश फैशन ने भारत सरकार के मंत्रालय से मंजूरी लेकर प्रतिदिन 20000 पीपी सूट का उत्पादन शुरू कर दिया है। लक्ष्मीपति ग्रुप में भी प्रतिदिन 10000 सूट बनाना शुरू कर दिया है।

लक्ष्मीपति ग्रुप के संजय सरावगी ने बताया कि नॉन-वुमन एक ही बार उपयोग में लिया जा सकता है जबकि, वॉवन फैब्रिक से तैयार किया गया सुट कम से कम 30 बार पहन सकते हैं यह सूट 70 बार यूज हो सकता है। इस सूट के बारे में दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि नॉन वुवन सुट सिर्फ 4 घंटे ही पहन सकते हैं जबकि, वॉवन सुट 8 घंटे तक पहन सकते हैं। यह सिर से लेकर पांव तक होने के कारण पूरे शरीर को कवर करता है।