सूरत: जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

देशभर में रविवार को श्रावण सूद पूनम के दिन आज पूरे देश में रक्षाबंधन मनाया जा रहा है। भाई बहन के पवित्र प्रेम रक्षाबंधन का त्यौहार सुबह 7.58 बजे से देर 11.18 बजे रात तक मनाया जा सकता है। राखी,मिठाई और कपड़े खरीदने के लिए शनिवार को दुकानों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सूरत में साढ़े पाँच लाख रूपए की राखी भी इस पर्व पर बिकी.

ज्योतिषी आशीष रावल ने बताया कि इस शुभ दिन पर शिवलिंग पर शुद्ध जल के साथ कच्चे दूध में काले तिल डालकर महादेव को अर्पित करने से व्यक्ति को भौतिक सुख के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। समान संख्या में ‘महामृत्युंजय जप’ करने से आयु, स्वास्थ्य और कल्याण में वृद्धि होने के साथ-साथ भविष्य में आने वाली परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है।


शास्त्रों के अनुसार मां, गुरु और बहन रक्षासूत्र बांध सकते हैं। इसके अलावा भूदेव अपने मेजबान राजपुरोहित राजा को भी रक्षा सूत्र बांधते हैं। रक्षासूत्र सामान्य नहीं है। ईमानदारी से पहना जाने वाला रक्षासूत्र व्यक्ति को कई परेशानियों से बचाता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण हमारे शास्त्रों के अनुसार महाभारत में मिलता है। जिसके तहत कुंती मां ने अपने पोते अभिमन्यु को रक्षासूत्र बांधा।

राख बांधने का शुभ मुहूर्त

चल
सुबह 07.58 से 09.28

लाभ
09.28 से 11.04 अपराह्न

अमृत
11.04 से 12.41 बजे

शुभ
14.18 से 15.55 बजे

शुभ
19.07 से 20.31 बजे

अमृत
20.30 से 21.55 बजे

चल
21.55 से 23.18 बजे

अभिजीत मुहूर्त 12.35

भूलकर भी इतने बजे से पहले भाई को नहीं बांधे राखी, जानिए सही समय

भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन सोमवार को मनाया जाएगा। हिंदू परंपरा के अनुसार इस त्यौहार का विशेष महत्व है। सोमवार को बहनें इसे 9.30 के बाद मनाए। क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के आधार पर हर कार्य के लिए कुछ शुभ समय होता है, उस समय करने से कार्य सिध्द होता है और अच्छे परिणाम देता है। अन्यथा वह अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए सभी बहनें अपने भाई की शुभ मनोकामना के साथ 9.30 बजे के बाद राखी बांधे तो शुभ होगा।

इस दिन के अन्य महत्वपूर्ण पर्वों नारियाली पूर्णिमा एवं श्रावणी उपाकर्म के बारे में भी जानने जैसी कई महत्वपूर्ण बातें है। जो कि हमें जान लेना चाहिए।

देश में प्रचलित सभी पर्वों में रक्षा बंधन अपेक्षाकृत अधिक प्राचीन पर्व है ।यह पर्व भाई बहन के प्रेम के पर्व के रूप में तो विख्यात है ही , साथ ही साथ इस दिन तपस्वी ब्राह्मण अपने यजमान की रक्षा हेतु रक्षासूत्र का बंधन करते हैं ।रक्षाबंधन में भद्रा का अत्यंत विचार किया जाता है क्योंकि भद्रा में बंधन करने पर राजा व प्रजा दोनों की हानी होती है ।

सोमवार को रक्षाबंधन प्रातः 9.30 के बाद से मनाना शुभ होगा
यह पर्व वस्तुतः संकल्प दान शुभ तथा विजय की कामना का पर्व है । इस दिन अत्यंत आदर पूर्वक ब्राह्मण देवता का पूजन कर उनसे अपने धन धान्य व्यापार विजय व सर्व विध उत्थान हेतु आशीर्वाद वा रक्षा हेतु रक्षासूत्र बंधवाना चाहिए ।

श्रावणी उपकर्म – यह ब्राह्मणों का विशेष पर्व है । आज के दिन से ही वेद पारायण का आरंभ किया जाता है । नया यज्ञोपवीत पहना जाता है । यह उत्सव द्विजों के वेदाध्ययन एवं आश्रमों के पवित्र जीवन का स्मारक है ।


इस दिन पाप के क्षय हेतु तथा नवीन पुण्य कार्यों के उदय हेतु तीर्थों का पूजन । दशविध स्नान । ऋषि पूजन ,सूर्य पूजन गायत्री पूजन नवीन यज्ञोपवित पूजन का विधान है ।

नारियली पूर्णिमा
यह लोकप्रचलित पर्व है जिसे समुद्र के किनारे व उसके सहारे जीवन व्यतीत करने वाली जनता । सागर देवता की कृपा प्राप्ति हेतु मनाती है। आज के दिन समुद्र देवता का पूजन कर के उन्हें आदर है साथ नारियल दिया जाता है । जिससे वे शांत हों व नाविक जनों एवं किनारे पर रहने वाली जनता को सुख समृद्धि प्रदान करें ।

सभी जनों की स्वाति कामना के साथ

स्वस्ति न इंद्रो विद्धश्रवा
स्वस्ति न पुषा विश्व वेदा,
स्वस्ति नष्तार्यो आरिष्टनेमी ,
स्वाति नो बृहस्पति दाधातु ।

पंडित
शरद चंद्र मिश्र
9272445900