शहर की बैंको ने शुक्रवार को अपने सभी खातेदारों को मैसेज भेजकर 23 तारीख को एनईएफटी सर्विस रात 1 बजे से दोपहर दो बजे तक बंद रहने का मैसेज किया है। मतलब कि खातेदारो को इस दिन एनईएफटी ट्रान्सफर नहीं करने की सलाह दी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल लेनदेन को लेकर एक अलर्ट जारी किया है। सूरत सहित देशभर में बैंको ने खातेदारों को इस दौरान एनईएफटी से ट्रांसफर नहीं करने की सूचना दे दी है। इसलिए बेहतर है कि यदि आप को एनईएफटी के माध्यम से कोई ट्रांसफर करना है तो इसके पहले ही कर लें।
आरबीआई ने कहा कि 23 मई को ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करने की सिस्टम में लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि इस दौरान बैंक द्वारा दी जाने वाली एनईएफटी सेवा काम नहीं करेगी। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि सभी ग्राहक जो ऑनलाइन लेनदेन करते है हैं, वे 23 मई को बताई गई अवधि के दौरान कोई ऑनलाइन लेनदेन नहीं करें।
आरबीआई ने इस बारे में ट्वीटर पर पोस्ट साझा करते हुए जानकारी दी है कि 22 मई को बैंकिंग कार्य पूर्ण होने के बाद बैंकों में टेक्निकल अपग्रेडेशन का काम किया जाएगा। इस वजह से 23 मई को दोपहर 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक एनईएफटी सेवा काम नहीं करेगी। इस समय के दौरान ऑनलाइन लेनदेन की सेवा मुश्किल हो सकती है। यह एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम है। जिससे की एक बैंक से दूसरी बैंक में ऑनलाइन भुगतान किया जाता है।
एक दिन में एनईएफटी द्वारा कितनी रकम भेजी जा सकेगी वह बैंक निश्चित करती है। हर बैंक के लिए यह अलग-अलग होती है। इसके अलावा, आरटीजीएस और आईएमपीएस का उपयोग करके भी ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर किए जा सकते है। फिलहाल कोरोना के कारण लोग ज्यादातर डिजिटल पेमेन्ट कर रहे हैं। ऐसे में इस असुविधा के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
यदि आप का सहकारी या राष्ट्रीयकृत बैंक में लॉकर है और आप ने बीते एक साल से लॉकर ओपरेट नही किया तो सावधान हो जाइए। रिजर्व बैंक ऑफ इन्डिया के नए नियमो के अनुसार ग्राहको के एक साल में कम से कम बार लॉकर ओपरेट करना चाहिए। यदि ग्राहक ऐसा नहीं करता है तो बैंक आप का लॉकर खोल सकता है।
बैंकों को किसी व्यक्ति को लॉकर आवंटित करने से पहले कुछ प्रक्रिया को फॉलो करने की आवश्यकता होती है। बैंक ने अपने ग्राहकों को विभिन्ना मापदंडों के आधार पर लो, मीडियम और हाई रिस्क में कैटेगराइज किया है। यह कैटेगराइजेशन फाइनेंशियल या सोशल स्टेटस, व्यावसायिक गतिविधि की प्रकृति,ग्राहकों के लोकेशन और ग्राहकों के आधार पर किया गया है।
रिजर्व बैंक ऑफ इन्डिया के नए नियमों के अनुसार लो-रिस्क कैटेगरी में आने वाले ग्राहको को अधिक समय मिल सकता है। जो लोग मीडियम रिस्क कैटेगरी में आते हैं बैंक उनको केवल नोटिस भेजेंगे। यदि लॉकर तीन साल से ज्यादा समय तक ऑपरेट नहीं किया गया है।
अगर बैंक लॉकर लंबे समय तक निष्क्रिय रहता है तो बैंक लॉकर धारक को नोटिस भेजकर बताएगा कि क्या आपर लॉकर सुविधा को ऑपरेट करेंगे या फिर सरेंडर करेंगे. लॉकर ऑपरेट न करने की स्थिति में बैंक आपको लिखित में जवाब देने के लिए कह सकता है.
अगर आप स्पष्ट जवाब नहीं दे पाते हैं तो बैंक आपके आवंटन को रद्द कर सकता है और इसे किसी और को आवंटित कर सकता है, भले ही आप नियमित रूप से किराया दे रहे हों, लेकिन निर्धारित समय सीमा में खाते को ऑपरेट नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि ज्यादातर सिनियर सिटिजन सुरक्षा कारणोसर ज्वैलरी आदि की सुरक्षा के लिए लॉकर में रखते हैं। इसके अलावा लोग डोक्यूमेन्ट आदि भी रखते हैं अब उन्हें समय समय पर लॉकर ओपरेट करना होगा।
बैंको के एसोसिएशन के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने बजट में सार्वजिक क्षेत्र के दो बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में मंगलवार को 15 मार्च से दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है।
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयज एसोसएिशन (एआईबीईए) के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने मीडिया से कहा कि यूएफबीयू की मंगलवार को हुई बैठक में बैंकों के निजीकरण के सरकार के निर्णय का विरोध करने का फैसला किया गया है।
यूएफबीयू के सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयज एसोसिशन (एआईबीईए), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (एआईबीओसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लॉयज (एनसीबीई), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए) और बैंक एम्प्लॉयज कॉन्फेडरेश्न ऑफ इंडिया (बीईएफआई) जुडे हैं। इसके अलावा इंडियन नेशनल बैंक एम्प्लॉयज फेडरेश्न (आईएनबीईएफ), इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी), नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) और नेशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (एनओबीओ) शामिल हैं।
इसके पहले आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर उसका निजीकरण कर चुकी है। अब तक 14 बैंकों का मर्जर किया गया है।इसके बाद भी सरकार और बैंको का विलयकरण कर रही है। उनका कहना था कि आईडीबीआई बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों का निजीकरण, बैड बैंक की स्थापना, एलआईसी में विनिवेश, एक साधारण बीमा कंपनी का निजीकरण, बीमा क्षेत्र में 74 प्रतिशत तक एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की मंजूरी और सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी सहित कई मुद्दो पर सरकार के साथ मीटिंग मे चर्चा हुई।
गुजरात बैंक वर्कर यूनियन के संगठन मंत्री वसंत बारोट ने बताया कि दो राष्ट्रीयकृत बैंको के निजीकरण के विरोध में 15 और 16 मार्च को बैंक बंद रहेंगे। इसके पहले 12 तारीख को महाशिवरात्रि 13 को चौथा शनिवार 14 को रविवार तथा 15 और 16 को हडताल होने के कारण पांच दिन लगातार बैंक बंद रहेंगे।
RBI गवर्नर शशिकांत दास ने सहकारी बैंकों और कॉमर्शियलबैंकों को आदेश दिया है कि वे संक्रमण काल के दौरान बैंक की वित्तीय सध्धरता बनाए रखने के लिए शेयरधारकों को वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 15 प्रतिशत तक डिविडन्ड का भुगतान नहीं करें।
कोरोना अवधि के दौरान, रिज़र्व बैंक ने बैंकों को एक अधिसूचना भेजी जिसमें उन्हें आरबीआई की पूर्व स्वीकृति के बिना डिविडन्ड का भुगतान नहीं करने का निर्देश दिया गया था। आरबीआई ने कहा कि वह डिविडन्ड पर निर्णय लेने के लिए सितंबर में एक समीक्षा बैठक आयोजित करेगा। इसके बाद बैंकों ने डिविडन्ड बाँटना रोक दिए था।
सूरत सहित दक्षिण गुजरात में सहकारी बैंकों ने अलग से 50 करोड़ रूपए शेयरधारकों को डिविडन्ड का भुगतान करने के लिए रिजर्व रखा था। इस प्रकार, वाणिज्यिक बैंकों में 50 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा था। लेकिन आरबीआई ने अब कहा है कि कोरोनाकाल में बैंकों की आर्थिक स्थिति स्थिर रहे। यह सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया।क्योंकि ज़्यादातर MSME को मोरेटोरियम पीरयड दिए जाने के बावजूद बैंक ऋण किस्तों को चुकाने में सक्षम नहीं हैं।
व्यापार अभी अच्छा नहीं चल रहा है जितना पहले हुआ करता था। उस स्थिति में, बैंक लाभांश का भुगतान नहीं करेंगे। बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉ.जतिन नायक ने कहा मीडिया से कहा कि कोरोना अवधि के दौरान बैंकों की वित्तीय सध्धरता बनाए रखने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा यह निर्णय लिया गया था।
दक्षिण गुजरात के सहकारी बैंक 12 से 15 प्रतिशत लाभांश का भुगतान करते रहे हैं। जिसका अब वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए भुगतान नहीं किया जाएगा। बैंकों में कम ब्याज दरों के कारण, वरिष्ठ नागरिकों सहित वर्ग, विभिन्न सहकारी और वाणिज्यिक बैंकों में शेयरहोल्डिंग प्राप्त करके 15 प्रतिशत तक लाभांश प्राप्त करते थे।
मुंबई
देश भर में कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था बिगड़ रही है। इससे चिंतित सरकार ने अर्थ व्यवस्था को तेज करने के लिए कुछ बड़े कदम उठाए है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रेपोरेट में 0.75% की कमी की घोषणा की है। रेपो रेट अब 5.15 प्रतिशत से घटाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे सभी प्रकार के लोन सस्ते हो जाएंगे।
गवर्नर का कहना था कि कोरोना से बचने के लिए साझा प्रयास होना चाहिए। यदि आप सभी नियमों और सलाह का पालन करते हैं, तो आप कोरोना के खिलाफ लड सकेंगे।सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना के प्रभाव से बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं।लॉकडाउन के दौरान आरबीआई लोगों को नक़दी मिलने की कमी न हो इस पर ध्यान रखेगा।
कॉन्फ़्रेन्स के के दौरान सबसे बड़ी घोषणा सीआरआर भी घटाने के सिलसिले में रही। इस फ़ैसले से बैंकों में बढ़ेगी नकदी सीआरआर) को 1 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया है। सीआरआर गिरने से बैंकों के पास अधिक नकदी होगी। बताया जा रहा है कि
RBI द्वारा उठाए गए कदमों से प्रणाली में 3.74 लाख करोड़ रुपये का नकदी प्रवाह बढ़ेगा।
आर.बी.आई ने सभी बैंकों को टर्म लोन की EMI पर 3 महीने की छूट की घोषणा की है।बताया जा रहा है कि कोरोना क कारण सभी उधोग आदि बंद हैं ऐसे में देश की अर्थ व्यवस्था पर बुरा असर पड रहा है। आज आर.बी.आई की घोषणा के बाद उधमियों को राहत होगी।साथ ही एनपीए भी घटेगा साथ ही जिनके लोन चल रहे हैं उन्हें भी राहत होगी।