पिछले फरवरी माह में धोखेबाजों द्वारा दूसरे के आधार कार्ड में मोबाइल नंबर बदलकर फर्जी फर्म बनाने के घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद अब एसजीएसटी विभाग ने आधार कार्ड में मोबाइल नंबर बदलने वालों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। सूरत एसजीएसटी विभाग ने 21 हजार आधार कार्डों में बदले गए मोबाइल नंबरों की जांच शुरू कर दी है। 21 हजार नंबरों में से जिन नंबरों पर रजिस्ट्रेशन हुआ है, उनकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फरवरी महीने में एसजीएसटी विभाग को जांच के दौरान कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आईं. जिसमें धोखेबाज गरीब और अशिक्षित लोगों को लालच देकर आधार कार्ड केंद्र पर ले जाते थे और उनके मोबाइल नंबर की जगह नया मोबाइल नंबर लगवा लेते थे। नया नंबर बदलने के बाद धोखेबाजों के मोबाइल पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए ओटीपी आता था। जिसके आधार पर वे फर्जी फर्में खोलकर करोड़ों की कमाई कर रहे थे।

इस तथ्य के बाद, भावनगर में जीएसटी विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर जांच शुरू की गई। जिसमें कुछ फर्मों को इस तरह से पंजीकृत किया गया था। भावनगर में जांच पूरी होने के बाद अब एसजीएसटी की ओर से सूरत में जांच शुरू कर दी गई है। जीएसटी विभाग के अधिकारियों ने शहर और जिले के करीब 30 आधार केंद्रों से आधार कार्ड में बदले गए मोबाइल नंबरों का डेटा मंगाया है। खुलासा हुआ है कि कुल 21 हजार आधार कार्ड में मोबाइल नंबर बदले गए हैं. हालांकि कुछ लोगों ने निजी कारणों से भी अपने नंबर बदले हैं, लेकिन जीएसटी विभाग को डर है कि 21,000 में से बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं जिनमें धोखेबाजों ने लोगों को अपने नंबर बदलने का लालच दिया है. जिसका उपयोग वे फर्जी पीढि़यों के लिए कर रहे हैं।

बदले हुए नंबर पर पंजीकृत फर्मों की जांच

21 हजार बदले गए मोबाइल नंबरों के आधार पर कितनी कंपनियां पंजीकृत हैं, इसकी जांच के लिए एसजीएसटी विभाग द्वारा सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है। सॉफ़्टवेयर अभी जांच कर रहा है. फर्मों की सूची मिलने के बाद सभी के खिलाफ जांच शुरू की जाएगी। जीएसटी विभाग को आशंका है कि बड़े पैमाने पर लोगों को इस तरह से ठगने के लिए धोखेबाजों ने उनके आधार कार्ड के आधार पर कंपनियां शुरू की हैं.

सूरत

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने देश भर में बढ़ रही फर्जी फर्मों के संदूषण को रोकने के लिए नई फर्मों को पंजीकरण प्रदान करते समय कुछ चीजों को कड़ा कर दिया है। अधिकारियों को सभी दस्तावेजों की सत्यता या असत्यता की जांच के साथ-साथ स्थल सत्यापन और अन्य संबंधित जांच में ढील दी गई है। इसलिए व्यापारियों को आने वाले दिनों में नई फर्म का पंजीकरण लेने के लिए कुछ जांच का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।

जीएसटी विभाग के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जीएसटी कानून लागू होने के बाद से कुछ धोखेबाज आधार कार्ड, पैन कार्ड सहित अन्य लोगों के दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर फर्जी कंपनियां बना रहे हैं और जीएसटी पंजीकरण करा रहे हैं और लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. लाखों रुपये के फर्जी बिलिंग घोटाले चलाकर सरकार जांच में भी जिनके पास दस्तावेज हैं वही सामने आते हैं लेकिन मास्टरमाइंड सामने नहीं आता. इस प्रकार जीएसटी विभाग भी ऐसे धोखेबाजों के खिलाफ कार्रवाई करने में असमर्थ हो जाता है।

देश भर में लगातार बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए, सीबीआईसी ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी नई पीढ़ी को पंजीकरण प्रदान करते समय कुछ दिशानिर्देशों का पालन करें। जिसमें से किसी भी आधार कार्ड या पैन कार्ड की जानकारी को ऑनलाइन सत्यापित करना होगा कि जानकारी सही है या नहीं, अगर किसी ने लाइट बिल दिया है तो उसका मिलान संबंधित बिजली कंपनी के रिकॉर्ड से भी किया जाएगा। अब तक कुछ मामलों में यह पाया गया है कि दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जीएसटी नंबर लिया गया है और सीबीआईसी ने ऑनलाइन जांच के आदेश दिए हैं. इसके अलावा, जिस स्थान के लिए व्यवसाय शुरू किया जाना है, उसकी प्रामाणिकता के लिए स्थान सत्यापन का भी सुझाव दिया गया है, जिसमें यह भी शामिल है कि क्षेत्र व्यवसाय के लिए उपयुक्त है या नहीं। यदि पैन कार्ड पर पहले पंजीकरण दिया गया है, तो उस फर्म की स्थिति क्या है, यह सारी जानकारी अधिकारियों द्वारा जांची जानी है।

बोगस पीढि़यों पर लगाम लगेगी

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स ने नए रजिस्ट्रेशन के दौरान कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है। जिसमें दस्तावेजों की ऑनलाइन जांच के साथ ही स्पॉट वेरिफिकेशन के साथ ही पैन कार्ड पर कितनी फर्म पंजीकृत हैं, इसकी जांच करने के निर्देश दिए हैं. इन सावधानियों से नियंत्रित होगी फर्जी पीढ़ी

सेंट्रल बोर्ड आफ इनडायरेक्ट टैक्स ने व्यापार को सरल बढ़ाने बनाने के लिए,कर चोरी को रोकने के लिए और व्यापारियों की सुविधा के लिए एक अप्रेल से 50 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को माल सामान भेजने के लिए ई- इनवॉइस अनिवार्य कर दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम की ओर से जीएसटी के नियमों को सरल बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके चलते ई-वे बिल तथा इनवॉइस को लेकर अब तक कई बार परिवर्तन किया जा चुका है। पिछले साल के अंत में सरकार ने 500 करोड रुपए से अधिक वाले व्यापारियों को माल भेजने के लिए अनिवार्य किया था।

इसके बाद अब 1 जनवरी से 100 करोड से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए अनिवार्य किया गया और अब सरकार 1 अप्रैल  50 करोड़ से अधिक के टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए अनिवार्य करने जा रही है। सरकार के इस फैसले से कई कपड़ा व्यापारी और ज्यादातर यान व्यापारी इस दायरे में आ जाएंगे।

आगामी दिनों में सभी को अपने जीएसटी सॉफ्टवेयर को अपडेट करना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि जीएसटी के नियमों में लगातार परिवर्तन आने के कारण व्यापारी और टैक्स कंसलटेंट सभी परेशान हैं। इस बारे में कॉन्फिडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने सरकार से गुहार भी लगाई है।

सीए राजेश भाउवाला ने बताया कि व्यापार को सरल बनाने के लिए सरकार की ओर से 1 अप्रैल से जिन व्यापारियों का टर्नओवर 50 करो़ड़ रुपए से अधिक है उनके लिए ई-इनवॉइस जनरेट करना अनिवार्य कर दिया गया है।


स्टेट जीएसटी विभाग की ओर से कुछ दिनो पहले ही छोटे व्यापारियों को एसेसमेन्ट वर्ष 2016-17 की स्क्रुटीनि में से छूट देने की घोषणा की गई थी। इसके बाद फिर से हाल में विभाग की ओर से दक्षिण गुजरात में सैकड़ों व्यापारियों को एसेसमेन्ट के लिए नोटिस दिया गया है। इसका जवाब देने की अंतिम तिथि 31 मार्च है। एक बार ना कहने के बाद फिर से नोटिस देने का सिलसिला शुरू होने के कारण व्यापारियों और टैक्स कन्सल्टन्ट में नाराजगी का माहौल है। 


जीएसटी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एसजीएसटी विभाग की ओर से कुछ दिनों पहले ही घोषणा की गई थी कि जिन व्यापारियों का टर्न ओवर 10 करोड से कम हो उन्हें एसेससमेन्ट वर्ष 2016-17 के लिए नोटिस नहीं दिया जाएगा। साथ ही साथ इसके बाद वर्ष 2017-18 के दौरान तीन महीने में जिनका टर्न ओवर ढाई करोड़ से कम होगा उन्हें भी नोटिस नही दी जाएगी। इसके बाद व्यापारी बेफिक्र हो गए थे।

ऐसे में एक बार फिर से एसजीएसटी की ओर से नोटिस देने का सिलिसला शुरू किया गया है। एसजीएसटी की ओर से अंदाजन तीन हजार व्यापारियों को नोटिस दिया जा चुका है। इस नोटिस का जवाब देने की अंतिम तिथि 31 मार्च है। अब अंतिम समय में व्यापारियों से जवाब मांगा जा रहा है। इसे लेकार व्यापारी नाराज है। 


साउथ गुजरात कोमर्शियल टैक्स बार एसोसिसएशन के प्रमुख प्रशात शाह ने बताया कि एसजीएसटी की ओर से जिन व्यापारियों का टर्न ओवर एसेसमेन्चट वर्ष 2016-17 के दौरान 10 करोड़ से कम हो उन्हें नोटिस नहीं देने की बात कही गई थी लेकिन इसके बाद भी नोटिस दी जा रही है। इसके चलते व्यापारियों की हालत पतली हो गई है।


केंद्रीय जीएसटी विभाग ने शुक्रवार को रामपुरा निवासी अंसारी अरशद मोहम्मद निजाम को 9.90 करोड़ रुपये के फर्जी आईटीसी मामले में गिरफ्तार किया और अदालत में पेश किया।


जीएसटी विभाग के सूत्रों के मुताबिक, सेंट्रल बोर्ड ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलिजेंस यूनिट से मिले इनपुट के बाद सीजीएसटी, एसजीएसटी, डीजीजीआई सहित सभी एजेंसियों ने सभी संदिग्ध मामलों की जांच शुरू कर दी है। जिसमें बड़े पैमाने पर सूरत में फर्जी आईटीसी के मामले सामने आ रहे हैं।

दो दिन पहले, केंद्रीय जीएसटी विभाग ने रामपुरा में सवेरा अपार्टमेंट के पास रहने वाले अंसारी अरशद मोहम्मद निजाम के ए.के. ट्रेडर्स से जुड़ी नाज ट्रेडर्स, राम ट्रेडर्स, अल कुदुर ट्रेडर्स और विशाल ट्रेडर्स की जांच की।

नाज़ ट्रेडर्स, राम ट्रेडर्स, अल कुदुर ट्रेडर्स नाम की फर्में उनके पते पर नहीं थीं जबकि विशाल व्यापारियों के पते पर कोई व्यापार नहीं चल रहा था। अंसारी अरशद मोहम्मद निज़ाम ने इन फर्मों के नाम पर स्क्रैप और लोहे की खरीद और बिक्री के लिए 61.47 करोड़ रुपये के झूठे बिल बेचकर क्रेडिट पास ऑन कर लिया। जांच के दौरान कुछ अन्य अनियमितताएं पाए जाने पर अंसारी अरशद मोहम्मद निजाम को केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था।

जीएसटी विभाग ने अंसारी अरशद मोहम्मद निजाम से सामान खरीद बिल लेने वालों की भी जांच शुरू कर दी है। अंसारी को अरशद मोहम्मद निजाम की गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को अदालत में पेश किया गया था। जीएसटी की कार्रवाई से घोटालेबाज़ों में भय फैल गया है।

उल्लेखनीय है कि गुरूवार को डायरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलिजेंस द्वारा एक घोडदोड रोड व्यापारी की गिरफ्तारी के बाद


सूरत
सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स डिपाटर्मेन्ट ने बीत दिनों में बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार सिविल अस्पताल में कोरोना की जांच करवाई। प्राथमिक जांच में यह मामला 15.50 करो़ड़ रुपए की टैक्सचोरी का पता चला है। आगे की जांच जारी है।

मिली जानकारी के अनुसार सेन्ट्रल जीएसटी की टीम ने गत दिनों जांच के आधार पर पाया कि राजेश मुंदड़ा और कमल किशोर मुंदडा ने दूसरों के नाम पर 16 बोगस पेढियां बनाकर इनका इस्तेमाल बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट का बेजालाभ उठाने के लिए कर रही है।जांच में पता चला कि दोनो ने अब तक 15.50 करोड़ रुपए की बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल की है।

अभी तक इसमें से ज्यादातर क्रेडिट का इस्तेमाल कर चुके है। पांच करोड क्रेडिट बाकी है। बीते दिनों यह दोनो डीआरआई की जांच में भी पकड़े गए थे। फरवरी में स्टेट जीएसटी ने भी इन्हें बोगस आइटीसी मामले में गिरफ्तार किया था। सेन्ट्रल जीएसटी ने इन्हें गिरफ्तार कर सिविल अस्पताल मं कोरोना की जांच करवाई। जांच के बाद इन्हें कोर्ट मे पेश किया जाएगा।

चीन ने शुरू किया भारतीयों को गुमराह करना

रोज नए-नए पैतरौ देश दुनिया को परेशान करने वाले चीन ने अब भारत के लोगों को गुमराह करने के लिए नई तरकीब आजमाई है।भारत में चीनी वस्तुओं का बहिष्कार देखते हुए घबरा गए चीन ने अब अपने प्रोडक्ट पर मेड इन इन चाइना लिखने की बजाए मेड इन पीसीआर लिखना शुरू कर दिया है।

दरअसल बात ऐसी है कि देशभर में चीन के खिलाफ नाराजगी है और भारत के लोग चीन की वस्तुओं का बहिष्कार कर रहे हैं। भारत के व्यापारियों की संस्था कैट ने भी 10 जून से भारत भर में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार करने का अभियान चलाया है।

ऐसे में चीन के उद्यमी घबरा गए हैं और उन्होंने मेड इन इंडिया चाइना लिखने के बजाय अपने प्रोडक्ट पर मेड इन पीसीआर लिखना शुरू कर दिया है। मेड इन पीसीआर का मतलब होता है मेड इन पीपल रिपब्लिक ऑफ चाइना जोकि चाइना का ही नाम है। मेड इन चाइना की नेगेटिव से छुटकारा पाने के लिए चीन के उत्पादकों ने यह तरकीब शुरू कर दी है।

मात्र भारत ही नहीं दुनियाभर के लोगों को अब इस तरह से चीन की कंपनियां बेवकूफ बना रही है हालांकि चीन के इस चालबाजी को समझ चुकी है और आने वाले दिनों में चीन को इसका करारा जवाब देने के लिए दुनिया के लोग तैयार बैठे हैं।

स्टेट जीएसटी विभाग ने बीते दिनो सूरत के दो सहित राज्य में कुल 37 तंबाकू के व्यापारियों पर छापा मारा था। जांच के दौरान कुल 1.96 करोड रुपए की टैक्सचोरी मिली। 


मिली जानकारी के अनुसार लॉकडाउन के दौरान तंबाकू की बिक्री पर रोक होने के बावजूद कई लोगों ने ज्यादा कीमत लेकर तंबाकू बेचा। स्टेट जीएसटी ने आशंका के आधार पर गुजरात में 37 व्यापारियों के यहां छापा मारा। छापे में विभाग ने सबके यहां से लॉकडाउन पहले और बाद के स्टाक का विवरण लिया।

प्राथमिक जांच में सूरत के व्यापारी कमलेश एन्टर प्राइज और कंचनलाल लल्लुभाई एंड संस के यहां 40 लाख सहित तमाम व्यापारियों से 1.96 करोड रुपए की टैक्स चोरी पकडी गई। जीएसटी विभाग ने इनसे माल लेने वालों के यहाँ भी जाँच शुरू की है। आगामी दिनों में टैक्स चोरी की रक़म और बढ़ने की संभावना बताई जा रही है।

लॉकडाउन के दौरान पाँच रूपए की तंबाकू का पैकेट लोगों को पचास रूपये में ख़रीदना पड़ा था। बताया जा रहा है कि विभाग ने इन सब जानकारी के आधार पर ही कई स्थानों पर छापा मारा है। संभवत: गुजरात में लॉकडाउन के दौरान किसी विभाग का यह पहला छापा है।

अनलॉक-1 में छुटछाट के बाद तेजी से बढ़ा कोरोना, सूरतमें आज 85 केस
सूरत में कोरोना के मामले में बहुत तेजी से उछाल आया है। अनलॉक-1 में औधोगिक गतिविधियों को तेज करने के लिए सरकार ने कई शर्तो के साथ व्यापारिक इकाइया और उधोगो को खोलने की छूट देने के साथ ही कोरोना के केस में बढोतरी हो रही है।

बुधवार को सूरत में कोरोना के 85 नए मामले दर्द हुए है। इतनी बड़ीं संख्या में कोरोना के मरीजो के कारण प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। अब तक सूरत में कुल पॉजिटिव केस की संख्या 1781 है। इनमें मृतकों की संख्या 76 है। डिस्चार्ज होने वालों की संख्या 1168 है।

कोरोना से ठीक होने वालों का रेशियो 66.8 है। पालिका के कमिश्नर ने बताया कि सूरत के लिंबायत, कतारगाम और उधना क्षेत्र में अभी भी बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज बढ रहे हैं। एक ओर सरकार ने अनलॉक-1 में कई शर्तो के साथ व्यापारिक इकाइयों को खोलने की छूट दी है और दूसरी ओर कोरोना के केस तेजी से बढ रहे है। यह चिंता का विषय है। मनपा ने बारबार लोगों से सोशियल डिस्टेंस का पालन करने और जरूरी एहतियात बरतने को कहा है इसके बावजूद कई क्षेत्रों में लोगों की लापरवाही के कारण केस बढ रहे हैं।