सागबारा के पास एक गांव में रहने वाली 15 वर्षीय किशोरी को श्रमिक माता पिता ने वहाँ रहने वाले युवक से शादी करवाने के लिए परिवारजनों के साथ ज़बरदस्ती महाराष्ट्र भेजा दिया। यहाँ पर युवक के परिवारजनों ने सब आयोजन किया और नाबालिक की शादी करवाई।

इसके बाद ससुराल में दस दिनों तक बहू की तरह रखा गया। इस दौरान सगीरा ने माता पिता से फोन करके कहा की उसके साथ जबरदस्ती की जा रही है तो सामने से मातापिता ने जवाब दिया की तुम्हे अब वहा पर ही रहना है। किशोरी ने मौसी को कॉल करके सारी हकीकत कहने पर मासी ने अभयम 181 महिला हेल्पलाईन में नाबालिक को जबरदस्ती से रखा होने की बात कहकर उसे छुडाने की मदद मांगी।

अभयम 181 महिला हेल्पलाईन का कार्यक्षेत्र मात्र गुजरात राज्य की सीमा तक सिमित है महाराष्ट्र में नही जा सकती। अभयम की टीम ने मुश्किल में आयी नाबालिक और मौसी से फोन पर सांत्वना देकर उनकी हिम्मत बांधते हुए कहा की आप जैसे तैसे करके गुजरात की सीमा तक प्रवेश कर लो उसके बाद हम आपकी मदद के लिए तैयार है।

नाबालिक गुजरात राज्य की सीमा तक पहुचने पर उसके बाद अभयम की टीम ने रेस्क्यु करके उसे सागबारा पुलिस थाने ले गयी और अपराध की गंभीरता के बारे में अभयम टीम ने सागबारा पुलिस को सुचित करके योग्य कार्यवाही करने को कहा।फिलहाल किशोरी घर पर है।

वलसाड जिले में पारड़ी में कोरोना के एक मरीज़ को लाख प्रयास के बाद भी हॉस्पिटल में बेड नहीं मिला तो परेशान होकर युवक ने ट्रेन से कट कर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। युवक की पत्नी ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है।

मिली जानकारी के अनुसार पारडी में रहने वाले गणेश ठाकुर पटेल नाम के शख्स को कोरोना संक्रमण के बाद उसने हॉस्पिटल में एडमिट होने के लिए प्रयास करना शुरू किया लेकिन बेड नहीं मिलने के कारण धोलिया में स्थित बगीचे के मकान में उसे क्वारंटाइन कर दिया गया था।


इस दौरान मंगलवार को उसने अपने भाई से बाइक ली और कहा कि मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं और वापस नहीं आया। परिवार वालों ने उसे ढूंढने का प्रयास किया लेकिन नहीं मिला इस दौरान उसकी लाश रेलवे से मिली थी। बताया जा रहा है कि उसने आत्महत्या कर ली है।

मृतक का पहचान गणेश के तौर पर की गई। घटना के बारे मेपुलिस शिकायत दर्ज करवाई गई है जिसमें लिखा है कि हॉस्पिटल में बेड नहीं मिलने के कारण परेशान होकर गणेश ने आत्महत्या की थी। इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल कर रख दी है।

सूरत शहर और जिले में कोरोना के मरीज तेजी से बढते जा रहे हैं। सरकार अस्पतालो में वेन्टिलेटर का इंतजाम करती है तो ऑक्सीजन कम पड़ रहा है और ऑक्सीजन का इंतजाम करे तो इंजेक्शन की कमी पड़ रही है। इस तरह से परिस्थिति ऐसी बनी है कि मरीजों की हालत दयनीय है। सूरत शहर की सिविल और स्मीमेर में ऑक्सीजन वाले मरीजों को दाखिल नहीं करने का निर्देश दे दिया गया है। ऐसे में ग्राम्य क्षेत्रों में भी हालत बिगड़ते जा रही है। निजी हॉस्पिटल और कोविड केयर सेंटरों में सिर्फ 50% ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सकी थी।बारडोली के कॉविड सेंटर में 14 मरीजों को पोर्टेबल ऑक्सीजन मशीन के सहारे उपचार दिया जा रहा है। बारडोली के कॉविड सेंटर में 14 मरीजों को पोर्टेबल ऑक्सीजन मशीन के सहारे उपचार दिया जा रहा है।


सूरत जिले में सोमवार तक 4000 से अधिक कोरोना संक्रमित थे। आधिकारिक तौर पर 80 से अधिक कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है लेकिन बारडोली और मांडवी में ही 50 से अधिक मरीज ऑक्सीजन पर है,जबकि मालिबा में बड़ी संख्या में मरीज ऑक्सीजन पर हैं। चर्चा है कि प्रशासन ऑक्सीजन के जरूरतमंद मरीजों के आंकड़े छुपा रहा है। सूरत जिले में हॉस्पिटल में सिर्फ 25% ऑक्सीजन मिल रहा है। नया फीलिंग कब होगा यह भी पता नहीं है। ऐसे में मंगलवार से इन अस्पतालों में स्थिति गंभीर बन सकती है।


बताया जा रहा है कि जिले में प्रतिदिन 1500 इंजेक्शन की आवश्यकता है लेकिन फिलहाल सिर्फ 350 लोगों को इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। सोमवार को तो मरीजों को एक भी इंजेक्शन नहीं मिला। जिला के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ हसमुख चौधरी ने बताया कि ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने के कारण जिले की हॉस्पिटल में नए मरीज नहीं दाखिल करने का निर्देश है।


उच्च अधिकारियों के अनुसार सूरत जिला में जोलवा,पलसाना,हजीरा,जामनगर और दहेज से ऑक्सीजन की आपूर्ति होती थी लेकिन फिलहाल एक भी स्थान से ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण मुसीबत खड़ी हो गई है। यहां जो ऑक्सीजन उत्पादित किया जाता था वह देश के अन्य राज्यों में भेजा जा रहा है। थोड़ा बहुत ऑक्सीजन अंकलेश्वर से मिलता था उसकी कमी के कारण मरीजों की हालत दयनीय हो गई है। एक और पूरा सूरत शहर ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहा है।

ऐसे में सिविल हॉस्पिटल में से 20 वेंटीलेटर जिले के अस्पतालों में भेज दिए गए जबकि ऑक्सीजन नहीं मिल रहा तो वेंटिलेटर क्या होंगे यह भी लोग चर्चा कर रहे हैं। सूरज जिले की कोविड सेन्टर में वेंटिलेटर ऑपरेट कर सके ऐसे मेडिकल ऑफिसर नहीं है। ऐसे में बारडोली की पांच निजी हॉस्पिटल अस्पतालों में 2-2 वेंटीलेटर दिए गए हैं लेकिन यह वेन्टिलेटर सिर्फ निजी अस्पतालों में काम आ रहे हैं। सूरत ग्राम्य क्षेत्रों में आवश्यक साधनों की कमी को लेकर हाल में ही राज्य सरकार को गुहार लगाई गई थी।


गुजरात में प्रशासन की लाख सावधानियों के बाद भी लोगों की शिकायतें कायम बनी है। और आखिर क्यों शिकायत नही हों, आज दो घटना हुई है वह जानकर आप भी चौंक उठेंगे। आठ दिन पहले  अस्पताल से एक मरीज गायह हो गया था।

प्रतिकात्मक फोटो

उस समय परिवारजनों ने बहुत ढूंढा तब उसकी लाश नहीं मिली और आठ दिन बाद उसकी लाश मिली। मिली जानकारी के अनुसार वांसदा तहसील के रंगपुर गाँव के धीरुभाई नानाभाई पटेल ( 65 वर्ष ) की तबीयत खराब होने के चलते उन्हें 8 तारीख को वांसदा के सरकारी कॉटेज अस्पताल लाया गया था। जहां उनका कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव आया था। इसके अलावा उन्हें सिकलसेल की बीमारी भी थी।

जिसके कारण उन्हें अस्पताल में एडमिट किया था। तब वह बाथरूम जाने के लिए निकले और नहीं आए। तब पुलिस और अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मरीज के परिवार वालों को भी सूचित किया गया। जिन्होंने उनको काफी ढूंढा, पर अंत में कोई उन्हें ढूंढ नहीं पाया था। जिसके चलते परिवार द्वारा उनकी गुमशुदा होने की शिकायत दर्ज करवाई गई थी।

इस दौरान अस्पताल के कम्पाउण्ड में एक झाड़ी में एक लाश नजर आई थी। जिसके चलते वहाँ काफी भीड़ जमा हो गई थी। गुम हुये मरीज के पुत्र और अन्य रिश्तेदार को भी वहाँ बुलाया गया, जहां वह अपने परिजन को पहचान गए। मृतक की पहचान हो जाने के बाद पुलिस ने आगे की कार्यवाही शुरू की थी।