नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुजरात (Gujarat) के 68 जजों ( judges) के प्रमोशन को अवैध ठहरा दिया है। इनमें जस्टिस हरीश हसमुखभाई वर्मा (Justice Harish Hasmukhbhai Verma) भी शामिल हैं , जिन्होंने मोदी सरनेम केस (Modi surname case) में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को सजा सुनाई था। शीर्ष अदालत ने इन जजों का जिला जज कैडर में प्रमोशन अवैध करार दिया है। जस्टिस वर्मा समेत इन सभी जजों को इनके मूल पद पर वापस भेजने का आदेश दिया गया है। अब इस मामले की सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़ करेंगे।
कुछ दिन पहले ही विभिन्न जिलों में सेवारत न्यायाधीशों को राज्य के कानून विभाग द्वारा स्थानांतरित किया गया था। जिसमें सूरत में राहुल गांधी के मामले की सुनवाई की करने वाले वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश को राजकोट में 16वें अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया था। सूरत मुख्य न्यायालय के न्यायाधीश हरेश हसमुख वर्मा के साथ गुजरात के कुल 68 जजों की बदली की गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए इस अवैध ठहरा दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी जजों को उनके मूल पद पर वापस भेजने का हुक्म सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों के त्वरित निपटान के लिए एक समिति का गठन किया है। सरकार के साथ सहमति के बाद सुप्रिम कोर्ट ने यह फैसला किया है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के अनुसार, विभिन्न अदालतों में लंबित कुल मामलों में से लगभग 60 प्रतिशत मामले निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट से संबंधित हैं।
इसके सीजेआई बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत आपराधिक मामलों के शीघ्र निवारण के लिए एक समिति का गठन किया है। यह समिति राज्य सरकारों सहित अन्य भागीदारों के साथ सुझावों पर गौर करेगी और 3 महीने में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वित्त विभाग के अलावा, विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारी भी समिति में शामिल होंगे। सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरसी चौहान समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं। इसमें गवर्नर द्वारा नामित सदस्य भी शामिल होगा। आप को बता दें कि
वर्तमान में, चेक बाउंस से जुड़े मामलों की संख्या 35 लाख को पार कर गई है।मौजूदा नियम के अनुसारआप का चेक बाउंस हो जाए तो आप पर सामने वाली पार्टी मुकदमा दायर कर सकते है। ऐसे में सेक्शन 138 के अनुसार आपके खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज की जा सकती है।
अगर इस केस में व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो व्यक्ति को चेक अमाउंट का दोगुना पैसा या 2 साल की सजा का प्रावधान है। हालांकि, शिकायत करने के लिए चेक बाउंस होने के 30 दिन के अंदर लीगल नोटिस देना पड़ता है। चेक के पैसे नहीं दिए जाते हैं तो 16वें दिन से 30 दिन के अंदर शिकायत कोर्ट में देनी होती है। साथ ही चेक देने के बाद स्टॉप पेमेंट करवाने पर आप पर कार्रवाई हो सकती है।
डेस्क
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका कर्ता नें याचिका दायर कर कोरोना वायरस के कथित प्रसार पर भारत में नुक़सान के बदले चीन से 600 अरब डॉलर की मांग की है। इसने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को चीन से हर्जाने की वसूली के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में आवेदन करने का निर्देश दे।
याचिका में कहा गया कि इस बात के सबूत हैं कि कोरोना वायरस, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया था और भारत में हजारों लोगों का दावा किया था, चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से फैला था।
यह याचिका तमिलनाडु के मदुरै में रहने वाले एक व्यक्ति ने दायर की थी। इसमें कहा गया कि चीन ने जानबूझकर कोरोना वायरस को भारत के खिलाफ जैविक हथियार के रूप में विकसित किया। इस संबंध में एक आवेदन दायर किया जाए ताकि कोई भी व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में न जा सके इसलिए केन्द्र सरकार इस सिलसिले में अर्ज़ी दाखिल करने का आदेश देने की माँग की गइ है।
तो इस तरह बढ़ा सूरत में कोरोना से जीतने वालो का दर
जहां कुछ गुजरात सहित देश के कई शहरों में कोरोना के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं, वहीं सूरत में कोरोना से रिकवरी 52.9फीसदी तक पहुंच गई है। नगर निगम आयुक्त ने कहा कि नगर निगम द्वारा शुरू की गई डोर-टू-डोर सर्वे और तमाम सावधानियों के कारण रिकवरी रेट बढ़ा है।
इस बारे में जानकारी देते हुए सूरत के नगर निगम आयुक्त बंछानिधि पाणि ने कहा कि शनिवार शाम तक सूरत में 841 कोरोना के मरीज दर्ज हुए थे, इनमे से 37 मरीजों की मौत हो चुकी है। सूरत में, कोरोना के कारण मृत्यु दर 4.4 प्रतिशत है जबकि कुल 445 ठीक हो चुके है। सूरत में, कोरोना से ठीक होने वालों का रिकवरी रेट 52.9 प्रतिशत है। जो कि कल तक 49.5 प्रतिशत थी
कमिश्नर ने कहा कि पालिका की टीम डोर टु डोर सर्वे के माध्यम से एआरआई के मरीजों के लगातार नजर बनाए हुए है। आज तक, कुल 25,000 मामलों का विश्लेषण किया गया है। ऐसे मामलों में लगातार फॉलो-अप किया जाता है। ऐसे मामलों में जो संदिग्ध दिखाई देते हैं, आरबीएक्सए डॉक्टर मरीज के घर-घर जाकर उसके लक्षणों के आधार पर परीक्षण शुरू करते हैं। नतीजतन, उनका इलाज जल्द से जल्द शुरू हो जाता है जैसे ही मामले मिलते हैं। जिससे रोगी के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।