राष्ट्रीयकृत बैंकों में सोमवार से दो दिवसीय हड़ताल


राष्ट्रीयकृत बैंको के निजीकरण के विरोध में सोमवार और मंगलवार को बैंकों में हडताल है। सोमवार को हडताल के पहले दिन राष्ट्रीयकृत बैंको के कर्मचारी काम से दूर रहे। इसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

सूरत तथा दक्षिण गुजरात में 10 से अधिक राष्ट्रीयकृत बैंको के 300 से अधिक शाखाओं के 25 हजार कर्मचारी हडताल में जुडे। बैंक यूनियन से जुड़े बैंक कर्मचारियों ने घोडदोड रोड पर बैंक ऑफ इन्डिया के सामने विरोध व्यक्त करते हुए सरकार की बैंक विरोधी नितियों के खिलाफ नारेबाजी की।


गुजरात बैंक वर्कर यूनियन के संगठन मंत्री वसंत बारोट ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीयकृत बैंको का निजीकरण के विरोध के साथ सरकार की अन्य कई नीतियों के कारण बैंको तथा सामान्य लोगों को बड़ा नुकशान होने की आशंका है। इससे बैंक के खातेधारको के लिए मुसीबत खडी होगी।

सरकार के फैसले से146 लाख करोड की लोगो की संपत्ति निजी हाथो में जाने का भय है। न्यूनतम बैंक की सीमा बढाई जाएगी।इसका सीधा बोझ ग्राहको पर आएगा। बैंकों में रोजगार के नए अवसर कम आएगे। गाव में शाखाएं कम होगी और नई शाखाएं भी कम खुलेंगी। 6 लाख करोड़ रूपए की वसूली कौन करेगा? यह भी एक सवाल है। सस्ते दर पर मिलने वाले लोन की दरें बढेगी और बचत पर ब्याज कम हो जाएगा। कृषि ऋण उपलब्ध नहीं होगा और मौजूदा दरों में भी बढोतरी होने का भय है।

गुजरात बैंक वर्कर यूनियन के ज्वाइन्ट सेक्रेटरी संजीव दलाल ने बताया कि दो दिवसीय हडताल कर के बैंक कर्मचारी सरकार की नीतियों के खिलाफ अपना विरोध प्रकट कर रहे है। सोमवार को राष्ट्रीयकृत बैंक के कर्मचारी हड़ताल में जुडे। उल्लेखनीय है कि इसके पहले शनिवार और रविवार को भी बैंक बंद रहे थे। अब लोगों को कुल चार दिनो तक बैंक बंद का सामना करना पडेगा।इस बंद के कारण,सूरत में दो हजार करोड रुपए की क्लीयरिंग बाधित होगी।