ऑनलाइन पैसा दोगुना करने का लालच देकर बैंगलोर, दिल्ली, उत्तराखंड और पूरे भारत में लोगों से पावर बैंक और ईज़ी प्लान नामक एक चीनी एप्लिकेशन के माध्यम से रूपए मंगाकर यह रूपए फर्जी कंपनी में जमा करने के मामले में सूरत के दो पकड़े गए। यह मामला पहले दिल्ली में दर्ज किया गया था। उस समय पुलिस ने 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

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सूरत में पिछले कुछ समय से कुछ लोगों द्वारा फर्जी कंपनियां बनाई गई हैं और उसमें निवेश करवाना के लिए चीटरो ने लोगों को लालच देकर भुगतान के लिए ROZOR PAY में एक खाता रजिस्ट्रेशन करवाया। प्रतिदिन के आधार पर निवेश पर ब्याज देने के बहाने ग्राहक को ठगा गया, जिसमें करीब पांच लाख ग्राहकों के साथ करोड़ों रुपये की ठगी की गई। इस अपराध में शामिल 11 लोगो पहले ही पकड़े जा चुके है। अन्य आरोपी विजयभाई छगनभाई वंजारा तथा जय अशोकभाई पारेख को साइबर क्राइम थाने के बेंग्लूरू की साआईडी ब्रांच के पुलिस अधिकारियों को सौंप दिया गया है।


इस संबंध में दिल्ली साइबर सेल में भी मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में कुल 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया हैं।दिल्ली साइबर सेल में पकड़े गए आरोपियों ने बतया कि उन्होंने लोगों से पेमेन्ट मंगवाने लिए के लिए दो ऐप बनाया, लोगों से इसके माध्यम से रूपए ट्रांसफर किए जाते थे। जिसमें पैसे ट्रांसफर कर वह पैसे निवेश के लिए फर्जी कंपनियां बनाई गईं। इसके लिए कंपनी के अकाउंट बनाए गए और उन खातों से मुख्य आरोपी को पैसा भेजा गया। हालांकि, सूरत साइबर क्राइम टीम को बड़ी सफलता मिली देश में यह भी सामने आया है कि 500 ​​करोड़ रुपये से अधिक की चपत लगाई है।


कर्नाटक के एक लाइटिंग के व्यापारी को सूरत के दलाल के माध्यम से शादी करना महंगा पड़ गया। शादी के कुछ घंटों बाद ही दुल्हन 1.96 लाख रूपए की नकद और ज्वैलरी लेकर फरार हो गई। व्यापारी ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है।पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार मूलतः मुंबई के भायंदर निवासी और कर्नाटक के चिकमगलूर में नकुल लाइट्स के नाम से लाइटिंग का व्यवसाय चलाने वाले और वर्षीय अंकित जैन की शादी नहीं हुई।

उन्होंने करण सावंत के माध्यम से शादी करने के लिए सतीश संपर्क किया । इसके बाद अंकित ने सूरत आकर सतीश पटेल के साथ वराछा के मनीबा पार्क सोसायटी में रहने वाली एक लड़की से मिलने गया लेकिन वहां कोई बात नहीं बनी। इसके बाद सतीश ने अन्य लड़कियों की तस्वीरें सोशल मीडिया के जरिए अंकित को भेजीं। अंकित ने उन सब में से बिलिमोरा में रहने वाली स्वाति भट्ट नाम की लड़की को चुना।

बातचीत में शादी के लिए सतीष ने लड़की के भाई हितेष को 2.20 लाख रुपये और 20,000 रुपये की दलाली देने की बात कही। अंत में सतीश और व्यापारी के बीच 1.70 लाख लड़की के भाई और 20,000 दलाली की बात तय हुई। इसके बाद चार जून को व्यापारी अपनी मां के साथ शादी करने के लिए सूरत आया था।

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कापोदरा में तापी के तट पर स्थित एक मंदिर में शादी के दौरान अंकित की मां ने स्वाति को सोने का अंगूठी, जंजीर और बिछिया दी। शादी के बाद पंडित के घर जाते समय रास्ते में स्वाति ने वॉशरूम जाने की बात की और फिर वहां से स्वाति और उसका गिरोह 1.96 लाख रुपये के जेवरात और नकदी लेकर फरार हो गए. इस मामले में ठगी की जानकारी होने पर व्यापारी ने वराछा दंपत्ति समेत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पुलिस ने मामले में एक को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की कार्यवाही शुरू की है।


दुनिया में हर प्रकार के ठग आपने देखे होंगे लेकिन इस तरह का ठग पहली बार देखेंगे जिसमें कि अपने मरने का सर्टिफिकेट बनवाने के लिए पीपीई किट पहनाकर पुतले का अंतिम संस्कार कर दिया। हालाकि सूरत के इस ठग की धोखाध़डी सब के सामने आ गई है।


पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार वेसु के केपिटल ग्रीन में रहने वाले संजय खैराडी ने कमलेश उर्फ कमल चंदवाई के खिलाफ रुपए की लेनदेन में धोखाधडी का मामला दर्ज करवाया था। कमलेश ने कोर्ट में से अग्रिम जमानत ले ली थी। जिसके तहत कोर्ट ने दिनांक 12 नवंबर-20 तक 2 लाख रुपए जमा करने के लिए कहा था। कमलेश चंदवानी को यह पैसे भी ना देने पड़े, उन्हें सभी केसों में से छुटकारा भी मिल जाएँ, बै और इसी के साथ लाखों की विमा पॉलिसी भी मिले।

इस तरह के सभी लाभ लेने के लिए पिता-पुत्र को एक कुविचार आया। जिसके अनुसार, पुत्र वरुण के साथ मिलकर कमलेश चंदवानी को एक जाली डेथ सर्टिफिकेट बनवाया। जिसके आधार पर कमलेश के ऊपर लगे सारे केस डिस्पोज़ हो गए। अपना जाली सर्टिफिकेट बनवाने के बाद कमलेश सूरत छोड़ कर महाराष्ट्र के पनवेल में रहने चला गया था। यहाँ से वह बार बार पुणे के एक बार में आता रहता। इसी बीच धोखे का शिकार हुये व्यापारी संजय खैराडी ने पुलिस को फिर से शिकायत दर्ज कारवाई थी।

इसके बाद पुलिस ने चार दिन के बाद पुणे में कमलेश को एक बार में पकड़ा और पूछताछ शुरू की। पुलिस ने स्मशानभूमि में जाकर पूछताछ पर पता चला कि कोरोना चल रहा था तो उसकी नकली लाश बनाकर एक डमी लाश को पूर्ण तरह से पीपीई किट पहनाकर तैयार किया गया था। जिसके बाद गॅस चैंबर में उसकी नकली लाश जला दी गई थी।


कोरोना की गाइडलाइन की आड़ में इस तरह का काम करके पिता-पुत्र ने नकली मृत्यु का प्रमाण पत्र बनवाया था। फिलहाल पुलिस ने आरोपी के रिमांड मंजूर करवा लिए है, हालांकि आरोपी का पुत्र अभी भी फरार चल रहा है। नकली प्रमाणपत्र बनवाने के अलावा पुलिस इस बात की भी जानकारी हासिल कर रही है की इसके लिए उन्होंने डॉक्टर का लेटरपेड़ कहाँ से लाया। उसकी कितनी लोन बाकी है और विमा पॉलिसी कितने की है। इसके साथ अन्य जांच के लिए तीन दिनों का रिमान्ड लिया है। पुलिस इस मामलें में कौन कौन शामिल है उन सबसे पूछताछ करेगी।


एक शातिर महिला ने नकली डिप्टी कलक्टर बनकर और एक रिटायर सरकारी अधिकारी को साथ में लेकर सूरत के जमीन दलाल( बिल्डर) को ठग लिया। नवसारी की सरकारी जमीन दिलाने के बहाने एक करोड रुपए प्रोसेसिंग के लिए वसूल लिए। बिल्डर को जब पता चला तो बिल्डर ने नकली डिप्टी कलक्टर और रिटायर अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार कतारगाम सिंगणपोर रोड पर अशोक नगर सोसायटी में रहने वाले गुणवंत वल्लभभाई आंबलिया कानूनी कामकाज के लिए वह अपने दोस्त निलेश पिपलिया से आए दिन मिलते जुलते रहते थे। यहां पर उनका परिचय 2016 के अगस्त महीने में रामदेव सिंह उमट के साथ हुई थी।


रामदेव उमट ने अपना परिचय गांधीनगर के रेवेन्यू डिपार्टमेंट में सेक्शन ऑफिसर के तौर पर दिया था और जमीन संबंधित कोई काम हो तो बताना ऐसा कहा था। इसके बाद रामदेव सिंह ने गुणवंत भाई को कहा कि नवसारी में तालाब की सरकारी जमीन पड़ी है। यह जमीन सरकार से लेकर उन्हें दे दी जाएगी। ऐसा कहकर 3 करोड रुपए पर सौदा तय किया था। इनमें से एक करोड रुपए प्रोसेस के लिए अभी देना होगा ऐसी बात भी कही थी।

कुछ दिनों के बाद रामदेव सिंह ने अडाजन के स्टार बाजार पर गुणवंत आंबलिया की मुलाकात नेह वाढेर नाम की महिला के साथ कराई थी। नेहा ने अपना परिचय डिप्टी कलेक्टर के तौर पर दिया था। और फिलहाल वह नौकरी पर नहीं होने की बात कही थी उसने अपना आई कार्ड दिखाकर गुणवंत भाई को विश्वास में कर लिया। इसके बाद नेहा वाढेर ने सरकारी जमीन देने के नाम पर टुकड़े टुकड़े में एक करोड रूपए लेकर प्रोसेस चालू हो गई है। ऐसा कहा साथ ही अगर जमीन नहीं मिली तो 1 करोड रुपए ब्याज के साथ देने का भी विश्वास दिलाया।

कुछ दिनों के बाद तक जब जंत्री के आर्डर नहीं मिले तब नेहा ने लिए रुपए में से 36 लाख रूपए का चेक वापस दे दिया। जोकि रिटर्न हो गया इसके बाद जब गुणवंत भाई ने पैसे वसूलने के लिए फोन पर बात कही तो नेहा वाढेर ने फोन बंद कर दिया। इस पर गुणवंत भाई को शक होने लगा और उन्होंने कतारगाम पुलिस में नकली नायब कलेक्टर और रामदेव के खिलाफ ठगी की शिकायत दर्ज करवाई है। पुलिस ने रामदेव सिंह को गिरफ्तार कर लिया है।

बताया जा रहा है कि नेहा बहुत ही चालाक है। उसने वडोदरा शहरी विकास प्राधिकरण में खुद को डिप्टी कलेक्टर होने का नकली कार्ड बनाकर लोगों को ठगा था और अपना रहन-सहन भी कलक्टर के ढंग से कर लिया। लोगों को इसे पहचानना मुश्किल था। डेढ़ साल पहले भी झींगा तलाव के मामले में इसने लोगों से रुपए लिए थे। रूपए लेने के बाद नेहा ने कई अधिकारियों से मीटिंग भी करवाई थी।

बताया जा रहा है कि नेहा बहुत ही चालाक है। उसने वडोदरा शहरी विकास प्राधिकरण में खुद को डिप्टी कलेक्टर होने का नकली कार्ड बनाकर लोगों को ठगा था और अपना रहन-सहन भी कलक्टर के ढंग से कर लिया। लोगों को इसे पहचानना मुश्किल था। डेढ़ साल पहले भी झींगा तलाव के मामले में इसने लोगों से रुपए लिए थे। रूपए लेने के बाद नेहा ने कई अधिकारियों से मीटिंग भी करवाई थी।

लोगों को ऑनलाइन खरीद- बिक्री में चीटिंग का सामना करना पड़ रहा है। यह तो पहले से ही होता है लेकिन इन दिनों यह मामले बढ़ गए हैं। सूरत घोड़दोड रोड क्षेत्र में कोटक महिन्द्रा बैंक के पास पूजा अपार्टमेंट में रहने वाले विद्यार्थी को ओएलएक्स पर ₹95000 का मोबाइल भेजना महंगा पड़ गया।

घोडदौड रोड पर रहने वाले दिवांग यज्ञेश व्यास ने गत जून 4 जून के रोज ओएलएक्स एप्लीकेशन पर ऑनलाइन मोबाइल बेचने के लिए प्रचार किया था। 95000 रूपए की कीमत का एप्पल मोबाइल बेचने के लिए दिगंत ने सारी जानकारियां भी दी थी।

यह प्रचार देखने के बाद मोटा वराछा क्षेत्र में रहने वाले अमित कुमार भरत हिरपारा नाम के शख्स ने को फोन करके मोबाइल खरीदने की बात कही और मोहन मिठाई की दुकान के पास बुलाया।

इसके बाद निर्धारित समय पर इकट्ठा हुए। बातचीत के दौरान अमित ने दिगंत को मोबाइल के रुपए उसके बैंक के अकाउंट में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए होने का बताते हुए मोबाइल ले लिया। अमित ने दिगंत को विश्वास दिलाने के लिए एक स्क्रीनशॉट भी दिखाया। जिसमें की पेमेंट सक्सेसफुल होने की जानकारी थी ।हालाकि आपके बैंक अकाउंट में जमा नहीं हुए थे।

जिससे कि कुछ दिनों बाद अमित से पैसे मांगे तब अमित ने कहा कि ऑनलाइन ट्रांजैक्शन होने से थोड़ी देर में रुपए आएंगे। इसके बाद बार बार वादा करने लगा, लेकिन जब को दिगंत को ठगे जाने का एहसास हुआ तब उसने अमित के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उल्लेखनीय है कि अमित इस तरह की धोखाधड़ी के मामले में पहले भी पकड़ा जा चुका है।