સતત વધતી મોંઘવારીને લઇ સરકાર સામે કોંગ્રેસનો હલ્લાબોલ!!!

પેટ્રોલ – ડિઝલ – ગેસ ના ભાવમાં દિન-પ્રતિદિન બેફામ ભાવ વધારાને પગલે તમામ આવશ્યક જીવન જરૂરી ચીજવસ્તુઓમાં ભીષણ મોંઘવારી ને લઇ સરકાર સામે વિરોધ વ્યક્ત કરવા કોંગ્રેસ પક્ષ દ્વારા સમગ્ર ભારતમાં ત્રણ તબક્કામાં “મહંગાઈ મુક્ત ભારત અભિયાન” નું આયોજન કરવામાં આવ્યું છે.

સુરત શહેર-જીલ્લા કોંગ્રેસ સમિતિ દ્વારા વનિતા વિશ્રામ ગેટ પાસે રિંગરોડ ખાતે “વિરોધ પ્રદર્શન” કાર્યક્રમ યોજાયો હતો જેમાં માજી કેન્દ્રીય મંત્રી ડો. તુષારભાઈ ચૌધરી, શહેર પ્રમુખ નૈષધભાઈ દેસાઈ, જીલ્લા પ્રમુખ અને ધારાસભ્ય આનંદભાઈ ચૌધરી, શહેર ઉપપ્રમુખ હરીશભાઈ સૂર્યવંશી, જલ્પા ભરૂચી, નિકુંજ પારનેરીયા, જીગ્નેશ મિશ્રા, શશી દુબે, સુનાલ શેખ, રજનીકાંત જાની સહિત આશરે કોંગ્રેસનાં ૧૨૦ જેટલા અગ્રણી આગેવાન, કાર્યકરોને પોલીસ દ્વારા ડિટેન કરી કરવામા આવ્યા હતા

कोंग्रेस कार्यालय को 2.89 लाख रूपए टैक्स चुकाने का मनपा का नोटिस


सूरत में कोंग्रेस पार्टी के दिन-मान खराब चल रहे हैं। पहले को स्थानीय निकाय के चुनाव में खाता नहीं खुला और अब सूरत महानगर पालिका ने उसे 289000 रूपए का टैक्स चुकाने का नोटिस दिया है। यदि समय पर टैक्स नहीं चुकाया गया तो इस कार्यालय को सील लगा दिया जाएगा ऐसी चेतावनी भी दी है।


 सूरत महानगर पालिका ने टैक्स वसूलने के लिए सख्त कार्यवाही शुरू की है और जो लोग टैक्स नहीं चुका रहे हैं उन्हें नोटिस भेजकर उनकी संपत्ति जब्त की जा रही है। सूरत शहर कांग्रेस की मकाईपुल के पास स्थित ऑफिस का कई वर्षों से टैक्स नहीं भरा गया है। ब्याज- पेनल्टी के साथ यह रकम लाखों तक पहुंच गई है।

सूरत में मतदाताओं का विश्वास खो चुकी कोंग्रस पार्टी की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो गई हो ऐसा नजर आ रहा है।  सूरत महानगर पालिका ने कांग्रेस के कार्यालय के गेट पर नोटिस चिपका दिया है। जिसमें लिखा है कि यदि समय पर टैक्स नहीं चुकाया गया तो पालिका कार्यालय को सील कर देगा।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी के कई कार्यकर्ता अब तक  कॉर्पोरेटर के तौर पर चुने गए थे और सुशासन की तथा नियम कानून की बात कर रहे थे लेकिन,यहां पर खुद कांग्रेस पार्टी ही उल्लंघन कर रही है। ऐसे में लोग कांग्रेस की नीति का विरोध कर रहे हैं। आप को बता दें कि सूरत महानगर पालिका के चुनाव में सूरत में इस बार कांग्रेस का कोई प्रत्याशी नहीं जीतने के कारण कार्यकर्ताओ मे शीर्ष के नेतृत्व के खिलाफ शिकायतें हैं।

कांग्रेस को झटका, पूर्व कोर्पोरेटर ने थामा‘आप’का हाथ

सूरत में महानगर पालिका के चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली सफलता के बाद कांग्रेस के कई कार्यकर्ता और पूर्व कॉरपोरेटर आप का दामन थामने की सोच रहे हैं। इस दिशा में आज पहल भी हो गई। कांग्रेस की ओर से वार्ड नंबर 5 के उम्मीदवार दिनेश काछडिया ने सोमवार को कांग्रेस का दामन छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया।

दिनेश काछडिया कांग्रेस पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं में से एक हैं। वह कांग्रेस की ओर से पांच बार चुनाव लड़ चुके हैं। सोमवार की दोपहर इसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी में जुड़ने की घोषणा की थी। आपको बता दें कि चुनाव के बाद कांग्रेस को कांग्रेस पार्टी छोड़ आप ज्वाइन करने वाले दिनेश काछडिया पहले कांग्रेस के सदस्य हैं।

आपको बता दें कि सूरत महानगर पालिका के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जबरदस्त ढंग से प्रवेश करते हुए पहले चुनाव में ही 27 सीटें हासिल की है। जिसके चलते आम आदमी पार्टी का वर्चस्व सूरत में बढ़ गया है। बीते दिनों सूरत आए अरविंद केजरीवाल ने भी कांग्रेस के अच्छे नेताओं को आप पार्टी ज्वाइन करने के लिए खुले मंच पर से निमंत्रण दिया था।

आप पार्टी ज्वाइन करने के बारे में दिनेश काछडिया ने कहा कि ‘मैं पार्टी के किसी भी नेता से नाराज नहीं हूं अभी तक मैंने कांग्रेस पार्टी के साथ वफादारी पूर्वक रहकर तमाम पदों पर सेवा की है मेरे क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की भावना थी कि मैं लोगों की सेवा कर सकूं इसलिए मैंने आम आदमी पार्टी पसंद की है। लोगों की सेवा करने के उद्देश्य से आम आदमी पार्टी ज्वाइन की है’

सूरत मनपा चुनाव में कांग्रेस को शून्य क्यों मिला?

सूरत महानगर पालिका के आज घोषित परिणामों ने बीजेपी के खेमे में खुशी, आप के खेमे में उम्मीद की लहर और कांग्रेस के खेमे में सन्नाटा फैला दिया है। बीजेपी को मनपा के चुनाव में 93 सीट मिली हैं जबकि आम आदमी पार्टी को पहले ही चुनाव में 27 सीटों की सफलता मिली है। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी अपना खाता खोलने में भी असफल हो गई है। कांग्रेस के लिए बहुत ही शर्मजनक परिस्थिति बनी है।

पिछले चुनाव में भाजप की 80 सीटें आई थी जबकि कांग्रेस की 36 सीट थी और कांग्रेस ने विपक्ष की भूमिका निभाई थी लेकिन इस बार कांग्रेस को संतोष के लिए एक सीट भी नहीं मिली है। आपको बता दें कि कांग्रेस की हार के लिए तीन-चार बातें जिम्मेदार मानी जा सकती हैं। शहर का नया सीमांकन भी नुकसानदायक साबित हुआ। इससे कांग्रेस के समर्पित मतदाता कई क्षेत्रों में बंट गए। जहां कांग्रेस की जीत थी। वहां भी मुश्किल हो गई। हालांकि भाजप के लिए भी बहुत खुश होने जैसा नहीं है क्योंकि जहां कांग्रेस गई वहां दूसरी और उसके स्थान पर आप पार्टी आ गई।

1995 में भी कांग्रेस को सूरत महानगर पालिका में एक भी बैठक नहीं मिली थी। इसके 26 साल बाद फिर से भाजप का रोड रोलर चला और कांग्रेस शुन्य पर सिमट गई। इसके अलावा कांग्रेस ने टिकट बांटने में पाटीदार फैक्टर की अवगणना की यह भी उसे भारी पड़ा।

पाटीदारों ने कांग्रेस से जितनी सीटें मांगी थी उतनी नहीं मिलने के कारण भी चुनाव के अंतिम दिनों में कांग्रेस की बाजी पलट गई। पाटीदारों ने पहले से ही कांग्रेस को कह दिया था कि इस बार कांग्रेस को चुनाव जीतना मुश्किल होगा जो कि उन्होंने साबित कर बताया। हर बार की तरह आप एक बार फिर से कांग्रेस अपनी हार पर मनो मंथन करेगा और हो सकता है कि इस्तीफे की झड़ी भी लगनी शुरू हो जाए।

जानकारो का कहना है कि परप्रांतिय क्षेत्रों में भी कांग्रेस के आला कमान प्रत्याशियों के चयन में थाप खा गए। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कई स्थानों पर तो कार्यकर्ताओ की बात की अवगणना की गई। चुनाव अभियान में कोई बड़े नेता नहीं दिखे। और ना ही कई क्षेत्रों में प्रत्याशी ही मतदाताओं तक पहुंच पाए।

कांग्रेस को मनपा चुनाव जीतना है तो यह जरूर करना होगा

कांग्रेस को पास के साथ मनमुटाव के कारण वराछा, कतारगाम आदि क्षेत्रों में अभी से दिक्कत नजर आने लगी है। इतना ही नहीं वहां पर उन्हें अपनी सीटें बचाए रखने में भी मुसीबत हो सकती2015 में पाटीदार आंदोलन के कारण वराछा,पुणा, कापोद्रा, सरथाना और फुलपाड़ा में कांग्रेस की पैनल जीत गई थी।

कांग्रेस के 36 में से 23 कॉरपोरेटर सौराष्ट्रवासी क्षेत्र में चुने गए थे। कतारगाम में अनेक पैनल कांग्रेस ने बहुत कम वोट से गवांई थी। इस बार कांग्रेस को कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना भी करना पड़ सकता है।

कांग्रेस ने अंतिम समय में पास के साथ सहकार करने को इन्कार कर दिया था जिसके चलते पास के नेताओं ने कांग्रेस को वराछा में सभा नहीं करने देने की धमकी भी दी थी। पास का कहना है कि आगामी दिनों में कई कांग्रेस के नेता अपना नामांकन वापस ले लेंगे। 2015 में आयोजित चुनाव में कोसाड, अमरोली,मोटा वराछा, तथा फुलपाड़ा और पुणा में कांग्रेस जीत गई थी।

इसके अलावा वार्ड नंबर 2 में से कांग्रेस के प्रत्याशी का फॉर्म रद्द होने से बीजेपी के प्रत्याशी चुन लिए गए थे लेकिन, इस चुनाव में पास का आंदोलन कमजोर है साथ ही कांग्रेस के साथ भी उसका विवाद चल रहा है। पास के नेता धार्मिक मालविया ने फॉर्म भरने से इनकार कर दिया है।

शनिवार की शाम को मीटिंग में कांग्रेस के खिलाफ नारेबाजी की गई थी। जिसके चलते आगामी दिनों में कांग्रेस और पास के बीच होने की संभावना है। इसके अलावा अन्य कुछ वॉर्ड में भी कार्यकर्ताओं की नाराजगी के चलते कांग्रेस के लिए डैमेज कन्ट्रोल करना जरूरी हो गया है। हालाकि मात्र कांग्रेस ही नहीं भाजपा में भी टिकिट बंटवारे को लेकर कहीं खुशी कहीं गम का माहौल है।

सूरत: मनपा चुनाव में कोंग्रेस ने पहले दांव से ही भाजप को कर दिया दंग

सूरत महानगर पालिका के चुनाव घोषित होते ही प्रत्याशियों ने विजय के लिए प्रयास करना शुरू कर दिए है। इसी क्रम में आज प्रत्याशियों ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए नामांकन के अंतिम दिन अलग-अलग ढंग से कार्यालय पर जाकर नामांकन भरे।

कांग्रेस के प्रत्याशियों ने तो आज सबको आश्चर्यचकित कर दिया।कांग्रेस के वार्ड नंबर 17 के उम्मीदवार निलेश कुम्भानी कार्यकर्ताओं के साथ ट्रैक्टर में गए थे और कृषि आंदोलन का प्रतीकात्मक ढंग से समर्थन भी किया था। ट्रैक्टर में झंडे और ढोल नगाड़े के साथ पहुंचे कांग्रेस के उम्मीदवार ने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था।

इन दिनों कृषि आंदोलन बड़ा मुद्दा है। किसानों की ओर से सरकार के कृषि कानून का विरोध किया जा रहा है। ऐसे में कोंग्रेस के दोनों प्रत्याशियों ने ट्रैक्टर पर जाकर नामांकन भरा यह भी सूचक माना जा रहा है।

सूरत महानगर पालिका के चुनाव के लिए आज प्रत्याशियों को नामांकन भरने का अंतिम दिन है। चुनाव पंच की ओर से कोरोना की गाइडलाइन का पालन करने की नसीहत दी गई थी लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा।

सुरत: कांग्रेस में वॉर्ड नंबर के 17 के प्रत्याशी के खिलाफ विरोध


सूरत महानगर पालिका के चुनावी तैयारी में सभी पार्टियां एड़ी चोटी का जोर लगा रही है वहीं दूसरी ओर पार्टी के कार्यकर्ताओं में टिकट के बंटवारे को लेकर कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल है। सोमवार को कोंग्रेस की ओर टिकिट घोषित किए जाने के बाद मंगलवार को सूरत के वार्ड नंबर 17 में धीरुभाई लाठिया को टिकट दिया गया है जिसके विरोध में कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की और अपना विरोध व्यक्त किया।

इस बारे में वीडियो भी वायरल हो रहा है हालांकि प्रत्याशी धीरुभाई ने मीडिया को बताया कि यह पार्टी की आंतरिक बातें हैं और यदि किसी को नाराजगी है तो हम आपस में सहमति बना लेंगे। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जैसे ही नाम घोषित हुआ वैसे ही विरोध करना शुरू कर दिया था। उनका कहना था कि उन्हें यह प्रत्याशी नहीं चाहिए। नहीं तो, पार्टी को गंभीर परिणाम भोगना पड़ सकता है।

दूसरी ओर भाजप में भी नई फार्मूला के कारण कार्यकर्ताओं में और कॉरपोरेटर ओ में असमंजस का माहौल है। 55 वर्ष से अधिक आयु वाले कार्यकर्ता और पूर्व कॉर्पोरेटर यह नहीं समझ पा रहे कि वह टिकट मांगे भी या नहीं? हालांकि उन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से यह बात आलाकमान तक पहुंचा दी है कि यदि उन्हें नहीं तो उनकी पत्नी या उनके घर में किसी को टिकट मिल जाए।

अब देखना यह है कि भाजपा अपने नए फार्मूला में कितना सफल रहती है। एक बात तो तय है कि इस बार चुनाव में कई पुराने नेताओं को घर बैठना पड़ सकता है। भाजपा और कांग्रेस दोनो ही पार्टिया इस बार कुछ नए चेहरों को उतार सकती हैं।