डाइंग प्रोसेसिंग यूनिटो में बारिश में हो रही कोयले की समस्या हल होगी!


सूरत: गुजरात माइनिंग डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जीएमडीसी) के प्रबंध निदेशक रूपवंत सिंह ने सोमवार को सूरत में साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक में एसजीटीपीए ने भावनगर से लिग्नाइट लाने पर विचार किया।

दक्षिण गुजरात में जीएमडीसी की लिग्नाइट खदानें मानसून के दौरान बंद रहती हैं। इससे उद्यमी परेशान है।एसजीटीपीए के अध्यक्ष जितेंद्र वखारिया ने कहा कि डाइंग यूनिट इकाइयों को हर मानसून के मौसम में लिग्नाइट की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में आज एमडीडीसी के एमडी से गुहार लगाई। एमडी ने मानसून में औद्योगिक कोयले की उपलब्धता की योजना बनाने का आश्वासन दिया. मानसून में आयातित कोयला महंगा होता है।

ऐसे में भावनगर से समुद्र के रास्ते कोयले के कंटेनरों को बार्ज या फेरी सेवाओं के लिए लाया जा सकता है और अगर समुद्र के रास्ते भावनगर से मगदल्ला बंदरगाह तक कोयला लाया जाता है, तो परिवहन लागत में 50 प्रतिशत की कमी आ सकती है। बैठक में कमल विजय तुलस्यान, प्रमोद चौधरी, बिनय अग्रवाल सहित एसजीटीपीए के अग्रणियों ने लिग्नाइट की डिलीवरी के ऑर्डर के लिए अन्य बैंकों को भुगतान के बजाय, आरटीजीएस या एनईएफटी के माध्यम से जीएमटी खातों के माध्यम से भुगतान करने की व्यवस्था करने का भी प्रस्ताव किया गया था।

इसके अलावा, छोटी और मध्यम पंक्ति इकाइयों के लिए बड़ी इकाइयों के रूप में मानकर उच्च शुल्क लिया जाता है इसके लिए भी एक नीति तैयार की जानी चाहिए। कई बार लिग्नाइट अक्सर खराब गुणवत्ता का होता है, इससे एमिशन ट्रेडिंग स्कीम में शामिल इकाइयो को कार्बन ट्रेडिंग में कठिनाइयों का सामना करती हैं और दंड का सामना करती हैं।


एसजीटीपीए के अध्यक्ष जितेंद्र वखारिया ने जीएमडीसी के एमडी रूपवंत सिंह को कहा कि नए रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदनों के निपटारे में तेजी लायी जाए। इसके अलावा, यदि समय पर खदानों के लिए लीज एग्रीमेंट का नवीनीकरण किया जाता है, तो माल की आपूर्ति बनी रहेगी। रूपवंत सिंह ने लिग्नाइट की समस्या का शीघ्र समाधान करने के लिए समिति गठित करने की घोषणा की।

सूरत डायमंड एसोसिएशन के सर्वे में 270 हीराश्रमिको की मौत की जानकारी आई

प्रतिकात्मक तस्वीर

हीरा उद्योग से जुड़े हीरा श्रमिको और हीरा दलालों के परिवारों पर कोरोना की पहली और दूसरी लहर का गहरा असर पड़ा है। सूरत डायमंड एसोसिएशन ने कोरोना से मरने वाले हीरा श्रमिकों, हीरा दलालों की आर्थिक मदद देने के लिए सर्वे किया । इस सर्वे के माध्यम से मृतक हीरा श्रमिक के परिवारो को आर्थिक मदद जी जाएगी।

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डायमंड एसोसिसएशन के सर्वे मे सिर्फ 7 दिनों में 249 हीराश्रमिको के परिवारों ने एसोसिएशन में अपने परिवार के मुखिया की मृत्यु की जानकारी दी है. इसी तरह 21 हीरादलालों के परिवारों ने भी डायमंड एसोसिएशन को जानकारी दी है। हीरा उद्योग के जानकारों का कहना है कि डायमंड एसोसिएशन की अपील अभी तक सभी हीराश्रमिक के परिवारो तक नहीं पहुंची है. यह जानकारी सही फोरम के माध्यम से भेजी जाए तो आंकडे बढ सकते है। कई हीरा श्रमिक और दलाल परिवार घर छोड़कर पलायन गए हैं। उन परिवारों के बारे में अभी जानकारी नहीं मिल पाई है।

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हीरा कारोबार से जुड़े जो लोग कोरोना के कारण नहीं रहे उनके परिवारों को ज्वैलरी जेम एंड ज्वैलरी नेशनल रिलीफ फाउंडेशन की ओर से आर्थिक मदद की जाएगी।कोरोना ने हीरा उद्योग से जुड़े कई लोगों की जान ले ली है, जिससे कई परिवार बेसहारा हो गए हैं और आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। जेम एंड ज्वैलरी नेशनल रिलीफ फंड ने उनकी मदद करने के लिए उनकी आर्थिक मदद करने का फैसला किया है। जिसके लिए सर्वे का काम शुरू किया गया था।

डायमंड एसोसिएशन को सूरत में सर्वे के लिए कहा गया था। सूरत में रहने वाले और हीरे के कारोबार में शामिल कोई भी व्यक्ति जैसे हीराश्रमिक, मैनेजर, दलाल, किसी भी जाति के व्यक्ति जिनकी कोरोना से मृत्यु हो गई है और मृतक के परिवार में कोई कमाने वाला नहीं हो उनको सहायता दी जाएगी। डायमंड एसोसिएशन के मंत्री दामजी मवानी ने कहा, ‘फिलहाल सर्वे किया जा रहा है। सूरत में 270 हीराश्रमिको की मौत हो चुकी है। सूची तैयार कर मुंबई भेजी जाएगी, जिसके बाद तय किया जाएगा कि किसको कितनी मदद मिलेगी। ‘

कोरोनाग्रस्त माँ ने दिया बच्चे को जन्म, देखे बिना चल बसी!

मांगरोल के कोरोना पॉजिटिव 28 साल की गर्भवती महिला रूची पंचाल ने गुरूवार को प्रि मेच्योर बच्चे को जन्म दिया और 4 घंटे बाद उसकी मृत्यु हो गई। ऐसी परिस्थिति देख अस्पताल के कर्मचारियों की आँखों में पानी आ गया क्योंकि माँ अपने बच्चे का मुँह देखे बिना ही दुनिया से चली गई। डॉक्टर शिशु को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

क्योंकि बच्चा समय से पहले होने के कारण फेफड़ों की समस्याओं के साथ पैदा हुआ था। सिविल के डॉ सुजीत चौधरी ने कहा, “मैंने कई मामले देखे हैं लेकिन इस बच्चे की हालत देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए।सूरत शहर और ज़िले में कोरोना के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी है रही है।ऐसे में कई मामलों में छोटे छोटे बच्चों के सिर से माता पिता की छाया हट जा रही है।

कोरोना से माता पिता गंवाने वाले बच्चों की देखरेख करेगी राज्य सरकार

कोरोना के कारण सभी लोगों ने अपने किसी ने किसी को खोया है। किसी ने अपने दोस्त तो, किसी ने अपने माता पिता, किसी ने बेटा तो किसी ने बेटी से हाथ धो लिया। कई मामले तो ऐसे भी सामने आए हैं कि जिन बच्चों को ठीक से बोलना भी नहीं आता उन बच्चों से भी कोरोना ने माता-पिता का साया छीन लिया। ऐसे में कोई परिवारजन भी ऐसे बच्चों की देखरेख के लिए आगे नहीं आए। सिर्फ सूरत ही नहीं बल्कि पूरे गुजरात और देशभर में ऐसे कई मामले सामने आए है।

ऐसे मामलों की गंभीरता को समझते हुए गुजरात में राज्य सरकार ने बालसुरक्षा विभाग को 1 से 18 साल के बच्चों की जिम्मेदारी दी है। बच्चों को भोजन से लेकर खेलकूद तक की व्यवस्था निशुल्क दी जाएगी।राज्य सरकार ने कोरोना के कारण माता-पिता में से किसी की मृत्यु हो गई हो या दोनों की मृत्यु हो गई हो अथवा माता-पिता दोनों ही कोरोनावायरस उपचाराधीन हो ऐसे समय में बच्चों की देखरेख के लिए कोई नहीं हो तो बाल सुरक्षा विभाग को बच्चों की जिम्मेदारी दी गई है। कोरोना दूसरी की सेकंड लहर बहुत ही घातक है जिसमें कि कई परिवारों में सभी संक्रमित हो गए हैं।

ऐसे समय में कई मासूम बच्चों ने तो अपनी माता या पिता में से किसी को गवां दिया है। कुछ तो ऐसे हैं जिन्होंने की दोनों की छाया गवा दी है। इसके अलावा कई मामलों में माता-पिता दोनो दाखिल होने से बच्चों की देखरेख का सवाल उठता है। इस समस्या को देखते हुए सरकार ने ऐसे बच्चों की देखरेख करने का जिम्मा उठाया है।

माता-पिता दोनों में से किसी एक की मृत्यु हुई हो और उनकी देखरेख के लिए कोई उपलब्ध ना हो उन्हें बाल सुरक्षा विभाग की निगरानी में रखा जाएगा। बच्चों को बाल गृह में भेजते समय यह सावधानियां बरतनी होगी कि उनका कोरोना की जांच का रिपोर्ट होना चाहिए, उन्हें वहां रखने के पहले चाइल्ड वेलफेयर कमिटी की स्वीकृति लेनी होगी। 1 दिन से 6 वर्ष तक के बच्चों को कतारगाम पोपावाला चिल्ड्रन होम में रखा जाएगा जबकि 6 से 18 वर्ष के बच्चों को कतारगाम में रखा जाएगा। बच्चियों को रामनगर के चिल्ड्रन होम में रखा जाएगा।

कोरोना ग्रस्त युवक की धड़कनों ने छोड़ दिया साथ, फिर भी डॉक्टर ने नहीं मानी हार और..


कोरोना के कारण होस्पिटल में दाखिल अडाजण के युवक का दिल धड़कना बंद हो गया था, लेकिन डॉक्टर्स ने अपनी सूझबूझ से फिर से कुछ मीनिट तक मसाज और ट्रीटमेंट देकर धड़कन दे दी। फिलहाल युवक को एयर एम्बुलेंस कर चेन्नाई की अस्पताल ले ज़ाया गया है।अडाजण के शिवम नगर में रहने वाले महेंद्र भाई तथा उनकी पत्नी गीताबेन और बेटे बंटी को कुछ दिन पहले कोरोना हो गया था। जिसके कारण पूरा परिवार ही आइसोलेट हो गया।

इसके बावजूद उनकी तबीयत नहीं सुधरी तो निजी हॉस्पिटल में दाखिल किया गया। कुछ दिनों बाद गीताबेन की मौत हो गई और बेटे बंटी को इंफेक्शन 60% तक पहुंच जाने के कारण उसकी भी तबीयत गंभीर हो गई। जिसे की वेंटीलेटर पर उपचार दिया जा रहा था। उपचार के दौरान बंटी का दिल एक दिन अचानक धड़कना बंद कर दिया।

डॉक्टरों ने 25 मिनट तक मसाज देकर उसे फिर से धड़कन दी। लेकिन इसके बाद भी तबीयत बिगड़ने के कारण मरीज को एंबुलेंस के माध्यम से चेन्नई की एमजीएम हॉस्पिटल ले जाया गया। बँटी की दिल की धड़कन बंद हो जाने के कारण चेन्नई के डॉक्टर एडमीट करने से आनाकानी कर रहे थे लेकिन स्थानिक डॉक्टर की गुहार के बाद उन्होंने मरीज को स्वीकार किया।

चेन्नई से सूरत आने के पहले  एयर एंबुलेंस एक बार बिगड़ गया था। ऐसी जानकारी सामने आ रही है। इसके पहले सूरत से एयर एंबुलेंस कर एक डॉक्टर और हीरा उद्यमी को चेन्नाई की होस्पिटल ले ज़ाया गया।

सूरत: कोरोना संक्रमित 56 माताओं कीं गोंद में किलकारी गुंजी


एक ओर जहां कोरोना के कोरोना में लोग अपने किसी परिवारजन को कोरोना हो जाए तो उससे भी पीछा छुड़ाने लगते हैं और दूरी बना लेते है। वहीं डॉक्टर्स के मानवता भरे कार्यों ने उनके प्रोफ़ेशन की गरिमा बढ़ा दी है।


कोरोना के दौरान कई मामलों में गर्भवती महिलाओं को भी कोरोना संक्रमण लगा था। ऐसे में बिना किसी भेदभाव के सिविल होस्पिटल की डॉक्टर ने उनकी सफल डिलिवरी करवाई।

स्मीमेर के डॉ. अश्विन वाछाणी ने कहा कि मार्च-अप्रैल के महीने में, स्मीमेर अस्पताल में 716 गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी हुई। जिसमें 16 कोविड पॉज़िटिव गर्भवती महिलाओं में से 12 का सफलतापूर्वक प्रसूति किया गया। कोई भी बच्चा पॉजीटिव नहीं आया। इसी तरह से निजी अस्पतालों में भी कई केसों में कोरोना पॉज़िटिव माताओं की डिलिवरी हुई। जन्म के बाद माता और बच्चे दोनों का विशेष ख़्याल रखा जाता है। बच्चे को कोरोना नहीं हो इसलिए भी कई कदम उठाए जाते है।


न्यू सिविल अस्पताल, सूरत, की प्रोफेसर डॉ. अंजनी श्रीवास्तव,प्रसूति विभाग और स्त्री रोग विभाग, ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के बीच मार्च-अप्रैल और अब तक लगभग 600 गर्भवती महिलाओं का डिलीवरी करवाई गई । जिसमें से 44 कोरोना पॉजीटिव महिलाओं का प्रसूति किया गया। हालांकि जन्म लेने वाला कोई भी बच्चा पॉज़िटिव नहीं था। लेकिन एक निजी अस्पताल से तीन माताओं और बच्चों को पॉज़िटिव आने के बाद इलाज के लिए सिविल में भर्ती कराया गया। जिसमें से दो बच्चे स्वस्थ हुए हैं। जब एक बच्चे की खेंच, दिमांग में सूजन जैसे जन्मजात बीमारी से मृत्यु हो गई।


सिविल के बाल रोग विभाग के प्रमुख विजयभाई शाह ने कहा कि माँ पॉजीटिव हो और बालक निगेटिव हो तो मां अपने बच्चे को स्तनपान करा सकती है। स्तनपान बच्चे के लिए अमृत के समान है और बच्चे को कई बीमारियों से बचाता है। यदि माँ ऑक्सीजन पर है, तो माँ के दूध को निकालकर बच्चे को चम्मच से पिलाया जा सकता है या अन्य माँ का दूध भी दिया जा सकता है। चम्मच और कटोरे को उबलते पानी में 10 मिनट तक रखने के बाद ही उपयोग में लिया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में, शिशु को डॉक्टर की सलाह के अनुसार डेरी का पाश्चुराइज दूध भी दिया जा सकता है।

माँ के स्तनपान से शिशु के लिए कोरोना का जोखिम नगण्य है। लेकिन इसके लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। मां को स्तनपान कराते समय अपने हाथों को साबुन से धोना चाहिए, साफ करना चाहिए और मुंह और नाक पर मास्क लगाना चाहिए।

सूरत: वैक्सिन लगवाने गए लोगों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज!


एक ओर राज्य और केन्द्र सरकार वैक्सिन के लिए प्रयास कर रही है। जगह जगह पर वैक्सिन के लिए कैम्प चल रहा है। ऐसे में सूरत महानगरपालिका द्वारा वेसू प्राथमिक स्कूल में कोरना टीकाकरण सेन्टर की व्यवस्था की गई है। जहां कि कुछ कारण ले मामला बिगड़ने के कारण पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।


मिली जानकारी के अनुसार यहाँ पर सुबह से लोग वैक्सीन लगाने के लिए लंबी लाईन में खडे थे। वैक्सीन सेन्टर के कर्मचारीओं ने मात्र 80 लोगों को वैक्सीन लगेगी ऐसा कहने पर लाईन में लोगों ने आक्रोषित होकर हंगामा मचाना शुरू कर दिया। स्कूल में चल रहे टीकाकरण को लेकर लोगों में आशंका थी की मात्र 80 लोगों को टीका लगेने की जानकारी देने के बावजुद सरकारी कर्मचारी अन्य लोगों को पिछले दरवाजे से वैक्सीन दे रहे है।

कोर्पोरेशन के एक व्यक्ति द्वारा बाहर से लोगों को बुलाकर चोरी छुपी से बिना लाईन में खडे पिछले रस्ते से वैक्सीन लगाई जाने के आरोप के साथ लोग नाराज़ हो गए। स्थानिक लोग अधिक संख्या में एकत्रित हो कर वेक्सीन सेन्टर के अंदर पहुचकर वैक्सिन के लिए आए अधिकारियों से झगड़ने लगे।

खटोदरा पुलिस की टीम वेसु प्राथमिक स्कूल में पहुचकर पुलिस ने लोगों वहा से हटाने का प्रयास किया। वैक्सीन सेन्टर में लोगों और महानगरपालिका के कर्मचारीओं के बिच घर्षण रोकने के लिए लोगों को भगाने लाठीचार्ज का सहारा लिया। थानिय लोगों ने ऐसा भी आरोप लगाया की इस सेन्टर में वैक्सीन लगानेवाले लोग अपने जान पहचान के एजन्टो को फोन करके रूपये लेकर चोरी छुपी से वैक्सीन लगाते है।

पिता को अग्निदाह देने पीपीई किट पहुंचकर पहुंची बेटी, बेहोश हो कर गिर पड़ी


कोरोना के कारण सामाजिक रीत-रस्म भी बदलते जा रहे है। सामाजिक और धार्मिक प्रसंगों में भी लोगों की संख्या घटा दी गई है। लोग खुद भी इतना डर गए हैं कि वह बुहत जरूरी हो तभी बाहर निकलते हैं। कोरोनाग्रस्त पिता की मौत के बाद जहांगीरपुरा कुरूक्षेत्र स्मशान भूमि में बेटी पीपीई किट पहनकर अग्निदाह देने पहुंची।

अग्निदाह देने के बाद बेटी भी बेहोश हो कर गिर गई। इसके चलते कुछ देर तक स्मशान घाट में भय का माहौल फैल गया था। हालाकि बाद हमें पीपीई किट में गर्मी बरदाश्त नहीं होने से वह बेहोश हो गई होने की जानकारी सामने आई। मृतक भूपेश भाई 56 साल के थे। उनकी तबियत 20 तारीख को खराब हो जाने के कारण उन्हे निजी होस्पिटल में दाखिल किया गया था।उनके रिपोर्ट में 9 प्रतिशत इन्फेक्शन आया था। उनके बाये पांव में तकलीफ थी। खुन भी कम था।

डॉक्टर्स ने उन्हे 22 तारीख को वेन्टिलेटर वाली होस्पिटल में जे जाने की सलाह दी। सोमवार को अचानक उन्हें श्वास में तकलीफ होने के कारण वेन्टिलेटर वाली अस्पताल ले जाया गया।जहां कि पौने चार बजे उनकी मौत हो गई। जिससे के उनकी बेटी नैन्सी ने पीपीई किट पहनकर अग्निदाह किया। नैन्सी ने मीडिया को बताया कि वह जीएनएम पास है।कोविड के बारे में बहुत कुछ जानती है। वह इकलौटी बेटी है। पिता के दुख में वह स्मशान घाट में गिर पड़ी थी।

सूरत में कोरोना के केस में कमी आई, रविवार को मृतांक घटा


सूरत शहर में रविवार का दिन कोरोना के नजरिए से थोडा ठीक रहा। शहर मे कोरोना के मरीजों में थोडी कमी आई नए 1494 केस दर्ज हुए। शहर और जिले में कुल मिलाकर 1883 कोरोना संक्रमित मरीजों का रिपोर्ट पॉजिटिव आया और 2918 मरीज डिस्चार्ज हुए।

वहीं शहर में 09 और ग्रामीण क्षेत्र से 04 सहित 13 कोरोना मरीजों की मौत हुई।  शहर तथा ग्रामीण क्षेत्र से कुल 1,19,164 मरीज कोरोना संक्रमित हुए।  अब तक शहर जिले में कुल 1798 की मौत हुई और 96,997 मरीज डिस्चार्ज हुए शहर जिले में 20,369 कोरोना मरीज उपचाराधिन है। 


रविवार को नए 1494 कोरोना संक्रमित मरीजों में से शहर में सबसे अधिक मरीज रांदेर जोन से 409, अठवा जोन से 398,  कतारगाम जोन से 205, वराछा-बी जोन से 101, उधना जोन से 137, वराछा-ए जोन से 54 सेन्ट्रल जोन से 65 और लिंबायत जोन से 125 नए मरीजों का समावेश है। रविवार तक सबसे अधिक मरीज अठवा जोन में 18515  कोरोना संक्रमित मरीज है।

रांदेर जोन में 16168 कतारगाम जोन में 13265, लिंबायत जोन में 9392, वराछा-ए जोन में 9597, सेन्ट्रल जोन में 9115, वराछा बी जोन में 8834और सबसे कम उधना जोन में 8848 कोरोना संक्रमित मरीज है। इसी के साथ अब तक शहर में 1444 लोगों की और ग्रामीण क्षेत्र से 354 लोगों की मौत हुई है। सूरत शहर में रविवार को मास्क नहीं पहनने वाले 159 लोगों से कोविड गाईडलाईन का उल्लंघन करने पर महानगरपालिका के स्वास्थ विभाग द्वारा 1,59,000 का दंड वसूला गया।

मार्केट के व्यापारियों को बंद के पहले समय नहीं मिलने से नाराज़गी थी, एक घंटे का समय दिया

राज्य सरकार द्वारा एक सप्ताह के लिए व्यापार बंद करने की घोषणा के बाद कपडा व्यापारियों में नाराज़गी थी। व्यापारियों की शिकायत थी कि मार्केट को सात दिन बंद करने से बैंकिंग सहित अन्य कार्य लटक जाएँगे। मार्केट बंद रखने का फ़ैसला अचानक से नहीं लिया जा सकता है। इसलिए आज सुबह, व्यापारियों को एक घंटे के लिए अपनी दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है।

राज्य सरकार की घोषणा के अनुसार, आज से एक सप्ताह के लिए पूरा कारोबार बंद कर दिया गया है।लेकिन आज सुबह रिंगरोड कपड़ा बाजार क्षेत्र में व्यापारियों और मजदूरों की आवाजाही पहले जैसी ही थी। व्यापारियों ने सुबह दुकान खोली और अपने शेष कार्यों को निपटाना शुरू किया। थोड़ी देर में काम पूरा करने के बाद वह फिर से दुकानें बंद कर लौट गए।


राज्य सरकार द्वारा कल देर शाम एक सप्ताह के लिए तालाबंदी की घोषणा के बाद व्यापारियों में आक्रोश था। व्यापारियों ने कहा कि बैंक और अन्य लंबित कार्यों को निपटाने के लिए व्यापारियों को समय दिया जाना चाहिए था।


कपड़ा व्यापार बंद रखने के कारण व्यापारियों में निराशा है। एक साल से लगातार व्यापार गंवा रहे कपड़ा व्यापारियों को इस साल लग्नसरा में व्यापार कर लेंगे लेकिन इस साल लग्नसरा के दिनों में ही फिर से कोरोना संकट आने के कारण बार-बार व्यापार डिस्टर्ब्ड हो रहा है। कई राज्यों में भी कोरोना की हालत गंभीर होने के कारण वहाँ रिटेल मार्केट में व्यापार ठप्प होने से सूरत के कपड़ा व्यापारियों के भी करोड़ों रूपए के ऑर्डर्स रद हो गए।

सूरत: कोरोना हुआ बेकाबू, शनिवार को 28 की मौत, 2726 नए मरीज

शनिवार को सूरत शहर में 2361 और जिले में 365 मरीज मिलाकर कुल 2726 मरीज दर्ज हुए। सूरत में अब तक 102526 कोरोना केस दर्ज हो चुके है। जिसमें कि शहर के 80088 और ग्राम्य के 22438 है। मौत की बात करें तो सूरत सिटी में आज 25 और ग्राम्य में 3 मिलाकर कुल 28 केस दर्ज हुए।

अब तक सूरत शहर में 1295 और ग्राम्य में 323 मिलाकर 1618 लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार को सूरत शहर में 950 और जिले में 296 लोगों को डिस्चार्ज किया गया है। कुल डिस्चार्ज में 79572 लोग शामिल है। इसमें शहर के 61876 और जिले के 17696 शामिल हैं।
शनिवार को सूरत शहर के सेन्ट्रल जोन में 253,वराछा ए में 260, वराछा बी में 224,रांदेर में 450,कतारगाम में 296,लिंबायत में 228,उधना में 236 और अठवा मं सबसे अधिक 414 मरीज दर्ज हुए।

सूरत में कोरोना से ठीक होने वालों का रिकवरी रेट 77.26 प्रतिशत माना जा रहा है। उल्लेखनीय है सूरत सहित गुजरात में कोरोना के केस तेजी से बढते जा रहे हैं। प्रशासन की ओर से कोरोना के बढते मामलों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी तक कोई असर नहीं दिख रहा।

सूरत शहर के साथ ग्राम्य क्षेत्रों मे भी कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढती जा रही है। प्रशासन की सारी व्यवस्थाएं नाकाफी साबित हो रही है। शनिवार को सूरत में एक्टिव केसों की संख्या 21336 पर पहुंची है। पूरे गुजरात की बात करें तो शनिवार को कुल 14097 नए केस दर्ज हुए और 152 लोगों की मौत हो गई। जबकि 6479 लोगों को डिस्चार्ज किया गया।