सूरत: चुनाव में विजेता कोर्पोरेटर क्यों माँग रहे हैं किताबों की रद्दी?


गुजरात में स्थानिय निकायों के चुनाव पूर्ण हो चुके हैं। विजेताओं को अब प्रशंसको की ओर से शुभकामनाओं का दौर जारी है। कोई पुष्पगुच्छ देकर तो कोई गिफ्ट और कोई मौखिक ही शुभकामनाएं दे रहे हैं, लेकिन हाल में ही चुने गए एक कोर्पोरेटर ऐसे भी हैं जो कि शुभकामना देने के लिए आने वालों से किताबों की रद्दी मांग रहे हैं। भाजपा के नवनिर्वाचित नगरसेवक ने उनसे मिलने आए लोगों से किताबों की पुरानी किताबों की मांग की है ताकि वे गरीब बच्चों की मदद कर सकें।


 सूरत के वार्ड नंबर 21 के उम्मीदवार व्रजेश उनडकट ने उनसे मिलने आने वालों से अपील की है कि वे किसी भी तरह का कीमती सामान या महंगी किताबें उपहार के रूप में न लाएं। भाजपा पार्षद व्रजेश ने उनसे मिलने आने वाले सभी लोगों को किताबों की पस्ती( रद्दी) लाने का सुझाव दिया है। उन्होंने लोगों के घर पर आने वाले अखबारों या किताबें जो कि काम की नही हो उसे उपहार के तौर पर देने पर जोर दिया है।

व्रजेश उनडकट नगरसेवक नहीं थे, तब भी वह पूरे शहर से रद्दी इकट्ठा करते थे उसे बेचकर गरीब बच्चों के लिए पुस्तक लाते थे। व्रजेश पिछले पांच सालों से इस तरह से उपयोगी काम कर रहे हैं। जिसमें उन्हें काफी सफलता भी मिली है। अब तक, उन्होंने सरकारी स्कूल के छात्रों के बीच लाखों रुपये की नोटबुक वितरित की है।

इसमें उनके दोस्त शहर के विभिन्न क्षेत्रों में टीम बनाकर काम कर रहे हैं।  रद्दी बेचकर, जो भी पैसा कमाया जाता है इससे वह स्कूल के गरीब सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए नोटबुक खरीदते हैं, और स्कूलों में जाकर उन्हें वितरित करते हैं। ताकि बच्चों को नोटबंदी का खर्च न उठाना पड़े। आगामी दिनों में भी वह इस सेवाकार्य में जुटे रहेंगे।