सूरतः राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाने वाले जज की जीभ काटने की धमकी

सूरत। मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता आक्रामक हो गए हैं। मोदी सरनेम मामले में दोषी पाए जाने के बाद राहुल की सांसद सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी। उन्हें सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी जारी किया गया था। अब कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने राहुल गांधी को सजा सुनाने वाले जज को धमकी दी है जिससे कांग्रेस फिर से विवादों में आ गई है। 

मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस के एक नेता ने राहुल गांधी के सजा काट रहे वकील एचएच वर्मा को धमकी दी है। ऐसे समय में जब पार्टी तमिलनाडु के काडिंडीगुल में राहुल के समर्थन में धरना दे रही थी, तभी जिलाध्यक्ष मणिकंदन ने कहा, ”सूरत की अदालत ने 23 मार्च को हमारे नेता राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई। सुनिए एचएच वर्मा, जब कांग्रेस सत्ता में आएगी, हम आपकी जुबान काट देंगे” मणिकंदन का यह बयान चर्चा में आ गया हैं। साथ ही यह बयान देने के कुछ ही समय में तमिलनाडु पुलिस ने 3 धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

राहुल गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में कहा कि नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी के उपनाम एक जैसे क्यों हैं? सारे चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों है? राहुल के बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया हैं। इस मामले में कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा सुनाई है।

सूरतः राहुल गांधी गुरूवार को मानहानी मामले में कोर्ट में पेश होने की संभावना

मानहानि के केस के सिलसिले में सुनवाई के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज गुरुवार को सूरत आ सकते हैं। सूरत की कोर्ट में गुरुवार को राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला चल रहा है।

बात ऐसी है कि राहुल गांधी ने लोकसभा में एक चुनावी रैली के दौरान कहा था कि “सभी चोर की सरनेम मोदी ही क्यों होती है?” सूरत से भाजपा के विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के ऐसे बयान कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए सूरत की कोर्ट में उनके खिलाफ मानहानि का केस किया था।

चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट बी एच कापडिया ने पूर्णेश मोदी की शिकायत स्वीकार करते हुए राहुल गांधी के खिलाफ समन जारी किया था। इस मामले में गुरूवार को सूरत कोर्ट में पेशी है। आप को बता दें कि कि वर्ष तीन साल पहले 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में एक सभा को संबोधित किया था। सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि “निरव मोदी, ललित मोदी, नरेन्द्र मोदी सभी की सरनेम मोदी क्यों है?

सभी चोर की मोदी सरनेम क्यों होती है?” राहुल गांधी के इस बयान पर भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था कि राहुल गांधी ने मोदी जाती का अपमान किया है| बाद में उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट में मानहानि का केस कर दिया। इसी केस में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी उपस्थित होने की संभावना बताई जा रही है। राहुल गांधी के आने की खबर से कांग्रेस के कार्यकर्ता सक्रिय हो गए है।

85 साल की माता को बेटे के खिलाफ करना पड़ा केस


सगरामपुरा इलाके की रहने वाली 85 साल की सेजलबेन ने अपनी बेटे के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। 37 साल की खुशहाल शादी के दौरान दंपति की तीन बेटियां और एक बेटा था। बच्चों के प्रति सभी दायित्वों को पूरा करने के बाद 1988 में पति गुलाबभाई की मृत्यु हो गई। किन्ही कारणो से बेटों और माता के बीच मनमुटाव था। यहां तक कि बूढ़ी मां को अपने पोते की शादी में भी आमंत्रित नहीं किया गया था थे।

बेटे के व्यवहार से दुखी माता अपनी बेटे के यहां रहती थी। साथ ही माता ने बेटे राजेशभाई और उनके पत्नी ने खिलाफ वृद्धावस्था में उनकी देखभाल करने में उपेक्षा करने के लिए फैमिली कोर्ट में मुकदमा दायर किया जिसमें बेटे राजेशभाई को 4500 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया।

दूसरी ओर अदालत ने समझौता करने की कोशिश के लिए मध्यस्थता के माध्यम से मामले को सुलझाने की कोशिश की। प्रीतिबेन जोशी और मनीष चालिया वाला ने एक छोटी सी बात पर पक्षों के बीच विवाद की जड़ तक पहुंचकर सुलहकर्ता की भूमिका निभाई। राजेश भाई ने भी अपनी माता से सारी शिकायत छोड़कर उन्हें अपने साथ रखने के लिए तैयारी दिखाई। बुजुर्ग मां भी अपने बेटे के खिलाफ छेड़ी गई कानूनी लड़ाई की याचिका वापस ले ली। इस तरह से अलग हो चुके मां और बेटे को सालों बाद एक सुखद सुलह के साथ मिला दिया गया।

20 साल पुराने बहुचर्चित सीमी केस में 124 आरोपी निर्दोष छूटे!

20 साल पहले सूरत के सगरामपुरा क्षेत्र में राजेश्वरी हॉल में मायनोरिटी एज्युकेशन के अंतर्गत 124 लोगो को अठवा पुलिस ने अनलॉफुल एक्टिविटीज के बंद के तहत पकड़ लिया था। इस मामले में कोर्ट की कार्रवाई चल रही थी। जिसमें की शनिवार को सूरत की सीजीएम कोर्ट ने 124 आरोपियों को सबूत के अभाव में छोड़ने का फ़ैसला दिया।


मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन अठवा पी आई एम जे पंचोली को 27 दिसंबर 2001 से लेकर 30 दिसंबर 2001 के रोज राज्य के एडिशनल डीजीपी का फ़ैक्स मिला था कि सूरत के राजा श्री हॉल में लघुमति ओके अधिकार के अंतर्गत देशभर में से सिमी कार्यकर्ताओं का सम्मेलन मिल रहा है।

पुलिस ने इस कार्यक्रम पर छापा मारकर सिमी के प्रतिबंधित संस्था के फॉर्म तथा साहित्य के साथ अन लॉ फूल एक्टिविटी के कारण गिरफ्तार कर लिया। सूरत के सगरामपुरा क्षेत्र में रहने वाले अलिफ माजिद मंसूरी ए आर कुरेशी ने यह हॉल बुक कराया था। 20 साल से चल रहा था।

सरकारी पक्ष की ओर से केस नयन सुखडवाला तथा बचाव पक्ष की ओर से मुफ्तिया शेख अब्दुल वहाब शेख दलील दे रहे थे। आज इस केस का फैसला आया जिसमें कि कोर्ट ने सभी आरोपियों को सबूत के अभाव में छोड़ दिया।

कोरोना कहर के बाद गुजरात में इस दिन से खुलेंगे फिजिकली कोर्ट

गुजरात में धीरे-धीरे कोरोना संक्रमितों की संख्या कम होने के कारण और बार काउन्सिल की ओर से गुहार के बाद हाइकोर्ट ने 1 मार्च से सभी नीचली अदालतों को फिजिकली शुरू करने का आदेश दे दिया है। इसके कारण अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट की सभी कोर्ट 1 मार्च से फिजिकली खुल जाएंगे।

हालाकि माइक्रो कन्टेन्टमेन्ट जोन में स्थित तमाम कोर्ट के अलावा अन्य कोर्ट सबेरे 10.45 बजे से 6.10 बजे तक खुली रहेगी। जबकि माइक्रो कन्टेन्टमेन्ट वाले कोर्ट गुजराक हाइकोर्ट के 26 जून 2020 के सर्क्युलर के अनुसार वर्च्युअली चलेंगे। आप को बता दें कि कोरोना के कारण लॉकडाउन के कारण बीते 10 महीने से बंद कोर्ट को शुरू करने के लिए वकील संगठनों की ओर से सूरत, राजकोट आदि शहरो में कोर्ट के बाहर धरना और उपवास कर कोर्ट शुरू करने की मांग की गई थी।

मिली जानकारी के अनुसार अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट जिले में कोरोना की गाइडलाइन के पालन के साथ कोर्ट खुलेंगे। गाइडलाइन के अनुसार कोर्ट बिल्डिंग, एन्ट्रीगेट तथा कोर्ट प्रांगण में सिर्फ एक को मंजूरी मिलेगी। हालाकि ज्युडिशियल अधिकारियों को इसमे छूट मिलेगी। उल्लेखनीय है कि कोर्ट बंद रहने के कारण कई वकीलो की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। कुछ वकीलों ने तो व्यवसाय बदल लिया है।

इस बारे में बारबार प्रशासन से वकील गुहार लगा रहे थे। सिर्फ गुजरात ही नहीं राज्य के तमाम शहरों में वकील इस तरह से आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। इस बारे में 31 जनवरी को अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, और वडोदरा और अहमदाबाद के बार एसोसिएशन के प्रमुखो ने फिजिकल कोर्ट शुरू करने की गुहार लगाई थी।

उन्होंने यह भी कहा था कि स्कूल, सिनेमाहॉल,स्वीमिंग पुल आदि खुल गए है। इसलिए कोर्ट भी खुलने चाहिए। यदि 11 फरवरी से कोर्ट नहीं खुले तो गांधीमार्ग से कोर्ट परिसर में विरोध करेंगे।

( फोटो: फाइल)