वस्तु एवं सेवा कर महानिदेशालय की सूरत इकाई ने गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली में फर्जी फर्म बनाकर 643 करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग के मामले में एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। इससे पहले भी दो को गिरफ्तार किया गया था।अब तक कुल 3 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डीजीजीआई के अधिकारियों को सूचना मिली थी कि गुजरात और महाराष्ट्र की कुछ कंपनियां फर्जी बिलिंग में शामिल हैं। ये कंपनियां दिल्ली कीफर्जी फर्मों से बिल खरीदकर आईटीसी ले लेती है। इसके आधार पर दिल्ली, मुंबई और गुजरात में 11 फर्मों की जांच की गई। जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि कंपनियां सरकार को जीएसटी रिटर्न में खरीद-बिक्री के गलत आंकड़े भी दिखा रही हैं। बिना किसी खरीद-फरोख्त के 11 कंपनियों ने 643 करोड़ रुपये के बिल बेचकर घोटाला किया।
फ़र्ज़ी बिल के सहारे इन्हें 115 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट मिला आगे की जांच के दौरान, डीजीजीआई ने 57 करोड़ रुपये के दो आईटीसी प्राप्तकर्ताओं, मतीन कादरी और अनंत चतुवेर्दी को गिरफ्तार कर लिया गया था। फिर शुक्रवार को इस मामले में एक और आरोपी रवि कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया गया।गौरतलब है कि सभी फर्जी कंपनियों में बिक्री और खरीद का आंकड़ा काफी कम था. विभाग को आशंका थी कि बिक्री रिटर्न में खरीद रिटर्न की तुलना में अधिक आंकड़े दिखाए गए हैं, इसके अलावा कुछ अन्य विवरणों के संबंध में जीएसटी रिटर्न में भी विसंगति है।
आने वाले दिनों में उनसे बिल खरीदने वाले अन्य लोगों के खिलाफ भी जांच की जाएगी। जीएसटी विभाग की इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा अनियमित और बेमेल रिटर्न की लगातार निगरानी की जाती है और रिटर्न में किसी भी असामान्य प्रविष्टि की जानकारी संबंधित शहर की एजेंसी को भेज दी जाती है। इसके आधार पर कई मामलों में कार्रवाई की गयी है.
डीजीजीआई, सूरत ने सलमान मंज़ूर अहमद खान को फ़र्ज़ी बिलों की लेन देन के आधार पर 5.55 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने के घोटाले में गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया।कोर्ट ने सलमान को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है।
जुलाई 2017 में जीएसटी कानून लागू होने के बाद से जीएसटी घोटालेबाज सक्रिय हो गए हैं। फर्जी बिलों के आधार पर सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के कई मामले सामने आए हैं। DGGI ने इस तरह के एक घोटाले का पर्दाफाश किया है। DGGI (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ GST इन्वेस्टिगेशन) ने उन पाटिया में नवाब रेजिडेंसी निवासी 25 वर्षीय सलमान मंज़ूर अहमद खान को गिरफ्तार किया है।
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आरोपी सलमान ने 29.32 करोड़ रुपये का फर्जी बिल के आधार पर 5.55 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल किया था। इस मामले की जांच 2019 के अंत में शुरू हुई। DGGI 15 मार्च 2019 को एक मामले की जांच कर रहा था।
इसमे मंजूर अहमद अली खान की फर्म को बिना बिल के स्क्रैप की आपूर्ति करने का पता चला था। जब मंजूर अहमद अली खान का स्टेटमेण्ट लिया तो पता चला कि सलमान घोटाले के मास्टरमाइंड है।सलमान ने जीएसटी भरे बिना अपने यहाँ से माल लेने वाले व्यापारी और सरकार को भी ठगा ।
सलमान ने कुल चार से पांच पीढ़ियों के नाम पर 29.32 करोड़ रुपये के आभासी सौदे कर नक़ली बिलों के आधार पर 5.55 करोड़ रुपये का घोटाला किया। सलमान को आज डीजीजीआई ने अदालत में पेश किया। अदालत ने आरोपी सलमान को यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है।
डीजीजीआई के खिलाफ व्यापारियों की शिकायत के सिलसिले में मंगलवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। मुख्य केस भूमि एसोसिएट के संचालक द्वारा दायर मामले के अलावा, तीन अन्य मामलों की भी सुनवाई की गई। सभी चार मामलों में, व्यापारियों ने DGGI अधिकारियों पर जबरन टैक्स वसूली का आरोप लगाया था। मामले की सुनवाई के अंत में उच्च न्यायालय द्वारा एक अंतरिम आदेश जारी किया गया था। जिसमें चार बिंदु सुझाए गए थे।
-सर्वे या सर्च की प्रक्रिया के दौरान डिपार्टमेन्ट की ओर से आईटीसी, नकद, चेक या किसी अन्य ढंग से वसूली नहीं की जा सकती है।
-करदाता चाहे तो सर्च के एक दिन बाद टैक्स भर सकता है।
-अगर कोई करदाता सर्च ऑपरेशन से असंतुष्ट है या टैक्स भरने के लिए मजबूर किया है, तो शिकायत के लिए शिकायत शाखा स्थापित की जानी चाहिए।
-किसी भी अधिकारी के दोषी पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट की वीआईपी रोड पर व्हाइट हाउस स्थित चौथे मंज़िलें पर से एक व्यापारी ने कूदकर जान देने की कोशिश की। उसे उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया।
मिली जानकारी के अनुसार डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ़ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस यूनिट के अधिकारियों ने बिल्लीमोरा में रहने वाले व्यापारी मुकेश मारू को स्टेटमेंट के लिए बुलाया था। उसका स्टेटमेंट चल रहा था उस दौरान व्यापारी ने कहा कि उसके सिर में दर्द हो रहा है और इस बहाने से बाहर निकला और नीचे कूद पड़ा।
हालाँकि जहाँ वह कूदा वहाँ पर पतरे के शेड लगे होने के कारण गंभीर चोट नहीं आयी। लेकिन शरीर के कई हिस्सो पर चोट लगी होने से उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। बताया जा रहा है कि GST विभाग के अधिकारियों के रवैये से व्यापारी परेशान था। हालाँकि GST विभाग का कहना है कि व्यापारिक व इसी प्रकार से परेशान नहीं किया गया।
अधिकारियों का कहना है कि देश व्यापी 20 हज़ार करोड़ के बोगस ITC घोटाले के लिए बीते दिनों व्यापारिक सम्मन दिया गया था। जिस के सिलसिले में वह जवाब लिखवाने आया था।उसका जवाब भी लिखा जा चुका था। इसके बाद उसने यह हरकत की।
अभी तक 20, हज़ार करोड़ रुपये के घोटाले में देश भर में ढाई सौ से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि डीजीजीआई की ओर से इन दिनों बोगस आईटीसी मामले में प्रतिदिन कार्रवाई की जा रही है। डीजीजीआई की जाँच के दौरान व्यापारी के आत्महत्या के प्रयास को लेकर शहर में कई प्रकार की चर्चाएँ चल रही है।
वराछा के हीरा उद्यमी दियोरा एंड भंडेरी कोर्पोरेशन पर पाँच दिनों तक आयकर विभाग की जांच के बाद अब जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने जांच शुरू की है।
बुधवार की शाम को दियोरा एंड भांडेरी कॉरपोरेशन पर डीजीजीआई की टीम ने जांच शुरू की। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वापी डीजीजीआई के अधिकारियों ने वराछा के हीरा बाग में दिओरा एंड भंडेरी कॉर्पोरेशन के तीनों प्रिमाइस पर जांच की थी।
पहले आयकर विभाग ने गत गुरुवार की शाम से जांच शुरू की थी जो कि 5 दिनों तक चली थी। आयकर विभाग की जांच में यहां से 12 सौ गैलेक्सी और डायमंड प्लानर मशीन मिले थे। इसके अलावा डेढ करोड रुपए नकद तथा 10 लाख से अधिक हीरे मिले थे। जिसकी जांच आयकर विभाग कर रहा है।
इसी दौरान डीजीजीआई की जांच से इस संचालकों की मुसीबत और बढ़ गई है। दरअसल डीजीजीआई यह जानना चाहता है कि यहां पर जो मशीनें बनाई जाती और बेची जाती थी उस पर कंपनी संचालकों ने जीएसटी भरा था या नहीं? डीजीजीआई ने बुधवार को जांच शुरू की जो कि गुरुवार सवेरे तक चली थी। बताया जा रहा है कि डीजीजीआई के अधिकारियों ने यहां पर जीएसटी चोरी की आशंका व्यक्त की है।
आयकर विभाग के बाद अब डीजीजीआई की जांच के कारण कंपनी संचालकों की समस्या बढ़ सकती है। आयकर विभाग आगामी दिनों में इस कंपनी से डआर्थिक संबंध रखने वाले अन्य कंपनी संचालकों को भी नोटिस देकर जवाब देने के लिए बुलाया है। इस बीच आयकर विभाग ने अन्य 3 हीरा कंपनियों पर भी जांच की थी।
सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट ने शनिवार को अलथान रोड पर मारवेला प्रोजेक्ट छापा मारा था।जांच की कार्यवाही के दौरान डिपार्टमेंट को यहां पर से ढाई करोड़ रुपए की टैक्स चोरी वसूलने में सफलता मिली।
बताया जा रहा है कि सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट में जानकारी के आधार पर अलथान रोड पर निर्माणाधीन कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट मारवेला पर सर्च की कार्यवाही की थी।
बताया जा रहा है कि बिल्डर की ओर से यहां पर फ्लैट की कीमत ₹4500000 से कम बता कर 1% जीएसटी चुकाया जा रहा था।यहां पर फ्लैट की कीमत 45 लाख रुपए से अधिक है। नियम के अनुसार 5% जीएसटी चुकाना होता है। बिल्डर डिपार्टमेंट की आंखों में धूल झोंक रहे थे।
जांच के दौरान यह खुलासा हो जाने पर डिपार्टमेंट ने ढाई करोड़ रुपए का टैक्स वसूला दूसरी ओर डायरेक्टरेट जनरल आफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट में शुक्रवार को शहर के तीन नमकीन विक्रेताओं पर जांच की थी।
यहां से विभाग में 70 लाख रुपए का टैक्स वसूला बताया जा रहा है कि नियम के अनुसार नमकीन पर 12% जीएसटी होती है लेकिन यह लोग किसी कारणों से 5% जीएसटी ही वसूल रहे थे।जिसके चलते डिपार्टमेंट में 7% अंतर के साथ टैक्स और ब्याज वसूल किया
डायरेक्टरेट जनरल आफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट में बुधवार को भागातलाव क्षेत्र में से 30 करोड रुपए से अधिक के जीएसटी के घोटाल में एक सुफियान नाम के शख्स को गिरफ्तार किया था। इस मामले में डीजीजीआई ने गुरूवार को उसे कोर्ट पेश किया था। जिसे की जुडिशल कस्टडी में भेज दिया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार डीजीजीआई की ओर से बीते 1 महीने से जीएसटी घोटाले बाजों के खिलाफ तेजी से कार्यवाही की जा रही है। डीजीजीआई ने बुधवार को चौक बाजार से सुफियान नाम के शख्स को पकड़ा था। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय से सूरत डीजीजीआई विभाग को यह सूचना मिली थी कि सूरत में एक निजी और दो सरकारी बैंकों में पाकिस्तान के माध्यम से वाया दुबई होकर विदेशी फंड आ रहा है। इसकी जांच के लिए भी निर्देश दिए गए थे। जिसके बाद डीजीजीआई ने जांच करते हुए जिन बैंक के खातों में रुपए आ रहे थे। उसकी ट्रान्जेक्शन डिटैल और केवाईसी मांगी थी। केवाईसी के अनुसार यह सारे बैंक अकाउंट सुफियान नाम के शख्स के थे।
जिसने कि बैंकों में अलग अलग नाम से जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेकर फर्म के बैंक अकाउंट खुलवाए थे। इन बैंक अकाउंट के माध्यम से फर्जी बिलो के आधार पर वह विदेशों में से रुपए हासिल करने का काम करता था। सुफियान विदेश में टेक्सटाइल एक्सपोर्ट करने का और कलर केमिकल तथा डाई भेजने का फर्जीवाडा करता। इस सिलसिले में विभाग ने कुछ महीनों पहले भी सुफियान को नोटिस दिया था, तब से वह भाग गया था।
सूत्रों का कहना है कि सुफियान ने कई गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के पैन कार्ड और आधार कार्ड आदि हासिल करके उनके नाम से भी लगभग 12 कंपनियां खोली थी। सुफियान ने बताया कि वह सिगरेट टेलीफोन तथा फुटवियर आदि भी खरीद कर बिना बिल के बेच देता था।
इस तरह से उसने 21करोड रुपए की जीएसटी भी चोरी की थी इसके अलावा अन्य लोगों के नाम से पैन कार्ड और आधार कार्ड लेकर झूठे बिलों के आधार पर खरीद बिक्री दिखाते हुए 12 करोड रुपए की बोगस आईटी से भी हासिल की थी। उल्लेखनीय है कि सुफियान को पकड़ने गए अधिकारियों के साथ सुफियान ने धक्का मुक्की की और वहां से भागन को कोशिश में एक अधिकारी को काट लिया था।
सूरत शहर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। छापा मारने गए डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इन्टेलिजन्स के अधिकारी को एक व्यापारी ने काट लिया। अधिकारी को तत्काल उपचार के लिए सिविल अस्पताल ले जाया गया। जहां उनका उपचार शुरू किया गया।
सिविल अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, अमित शर्मा नाम के डीजीजीआई अधिकारी चोकबाजार इलाके में छापा मारने गए थे। जहां व्यापारी ने अधिकारी को हाथ पर काट लिया था। बताया जा रहा है कि काटने वाले का नाम सूफियान है।
अधिकारी अमित शर्मा को इलाज के लिए सिविल अस्पताल ले जाया गया। हालांकि, अमित शर्मा ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। जब उसके दाहिने हाथ की कलाई पर काटने का निशान है। अमित शर्मा का सिविल अस्पताल में एमएलसी केस में इलाज हुआ।
उल्लेखनीय है कि डीजीआई अधिकारियों की ओर से बीते दिनो भी भी बोगस इनपुट टैक्स क्रे़डिट के मामले में एक फैज नामके शख्स को गिरफ्तार किया था। इसने फर्जी बिलों के आधार पर सरकार से करोड़ो रुपए की आईटीसी ली थी। इसके बाद विभाग ने फैज से जुडे अन्य लोगों पर भी वॉच रखी थी।
विभाग ने इससे बिल खरीदने वालों को नोटिस देकर बुलाया था। लेकिन कुछ लोग उपस्थित नहीं हो रहे थे। कई लोग सूरत छोड़कर चले गए थे। इसके बाद विभाग ने बुधवार को छापा मारक सुफियान नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी के दौरान सु्फियान ने जमकर हंगामा किया। इसने भी बोगस आइटीसी घोटाला किए होने की आशंका है।
डीजीजीआई ने घोटालेबाजो के खिलाफ ब़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की है। चर्चा है कि सूफियान दो साल से बोगस आइटीसी मामले में आरोपी है। इसने दूसरों के नाम पर रजिस्ट्रेशन ले रखा था। डिपार्टमेन्ट को बड़े दिनो से इसकी गिरफ्तारी का इंतजार था।
डायरेक्क्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एन्ड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट ने अडाजण पाटिया के मोहम्मद जायेद चक्कीवाला को फर्जी बिलों के आधार पर 6.54 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया।
प्राप्त जानकारी के डायरेक्क्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एन्ड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट ने वेडरोड रोड पर डायमंड पार्क इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स में वेडन इम्पेक्स लिमिटेड पर छापा मारा, लेकिन पार्टी कागज में बताए गए पते पर नहीं थी। विभाग की जांच के दौरान, यह पाया गया कि विडेन इम्पेक्स के निदेशक मोहम्मद जायद चकीवाला ने बिना किसी खरीद-फरोख्त के 13 फर्जी कंपनियों से फर्जी बिल लिए थे।
इस आधार पर उन्हें सरकार से 6.54 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट क्रेडिट मिला था। जब विभाग ने इन 13 स्थानों का निरीक्षण किया, तो भी इन 13 कंपनियों को GST विभाग द्वारा दिए गए पते पर नहीं मिला। उसके आधार पर, विभाग ने पूरे मामले को उजागर किया। मामले में, विभाग ने विडेन कंपनी के एक निदेशक मोहम्मद जायद चक्कीवाला को गिरफ्तार किया। मामले में आने वाले दिनों में अन्य लोगों की गिरफ्तारी की आशंका व्यक्त की जा रही है।
DGGI ने गत दिनों रामपुरा निवासी अंसारी अरशद मोहम्मद निजाम को गिरफ्तार किया। केंद्रीय जीएसटी विभाग ने दो दिन पहले वराछा क्षेत्र में भी छापा मारा था और फर्जी बिलिंग के मामले को उजागर किया था और 35 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का खुलासा किया था।
डायरेक्टे्ट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस ने पिछले कुछ दिनों में फर्जी फर्मों की शुरुआत की जाँच शुरू की है। जांच के दौरान, विभाग ने घोडदोड रोड पर लवली पार्क, डिवाइन चाइल्ड स्कूल के पास रहने वाले उद्योगपति नजीर बरकत अली विरानी (43) को गिरफ्तार कर लिया औरअदालत में पेश किया कोर्ट ने उसे 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
सूत्रों के मुताबिक, DGGI ने नजीर विरानी को 27 फर्जी फर्मों के नाम पर फर्जी बिल बनाने और 13.88 करोड़ इनपुट टैक्स क्रेडिट पास ऑन करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। विभाग को शक है कि नज़ीर ने फ़र्ज़ी फ़र्म खोलकर बिना किसी ख़रीद बिक्री के बिल बेचे थे।
डीजीजीआई के अधिकारियों नज़ीर को गिरफ्तार कर अदालत ले गए । वहाँ से 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया।उल्लेखनीय है कि नजीर विरानी के खिलाफ विभाग ने सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 132 (1) के तहत 13.88 करोड़ रुपये की फर्जी आईटीसी के लिए कार्रवाई की है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड इंटेलिजेंस ने पिछले एक साल में 1000 से अधिक संदिग्ध व्यापारियों की सूची GST विभाग और DGGI को सूचना भेजी है।
इनमें ऐसे व्यापारी शामिल हैं जिन्होंने कि अचानक बड़ी राशि की आईटीसी का दावा किया था। उसके अलावा जिन्होंने समय पर अपने रिटर्न का भुगतान नहीं किया है। उन्हें भी नोटिस दिया गया है।वर्तमान में कई ऐसे व्यापारियों की जांच की जा रही है। आने वाले दिनों में अन्य जगहों पर भी कार्रवाई होने की संभावना है।
DGGI विभाग ने नजीर विरानी ने अपने फर्जी बिल जिन व्यापारियों को बेचे। उनकी भी खोज शुरू की है। ऐसे व्यापारियों को भी समन भेजकर आने वाले दिनों में बयान के लिए बुलाया जाएगा और अगर विभाग को संदेह है, तो उन्हें लिए गए क्रेडिट पेनल्टी को और ब्याज के साथ रिटर्न करना होगा।