मंदी के दौर से गुज़र रहे सूरत के हीरा उद्योग के लिए एक बुरी ख़बर है। बात ऐसी है कि जी- ७ देशों के समूह ने रूस से इंपोर्ट किए जाने वाले रफ हीरो पर प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला किया है।यह फ़ैसला 1 जनवरी से अमल में आ जाएगा। रूस से आने वाले रफ हीरो पर प्रतिबंध लगने के कारण सूरत के हीरा उद्योग को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार सूरत कट और पॉलिश्ड हीरे के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है।सूरत के हीरा उद्यमी रूस, ज़िम्बाब्वे, दक्षिण अफ़्रीका सहित अन्य देशों में से इंपोर्ट करते हैं और उसे तराश कर विदेश में भेज देते हैं। सूरत के हीरा उद्यमी बड़े पैमाने पर रफ़ हीरा रूस से इंपोर्ट करते हैं। कई महीनों से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद से दुनिया के कई देश नहीं चाहते है कि रूस में उत्पादित हीरे भारत ख़रीदें। इसलिए वह कई बार बारे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से वहाँ के हीरे पर रोक लगाने का प्रयास कर चुके हैं। कुछ दिनों पहले जी- सेवन देशो का एक प्रतिनिधिमंडल सूरत के हीरा उद्योग की विज़िट पर आया था। जहाँ कि सूरत के हीरा उद्यमियों ने उन्हें सूरत के हीरा उद्योग में किस तरह काम किया जाता है तथा रूस के हीरा यहाँ उद्यमियों के लिए बहुत ज़रूरी है इसके बारे में जानकारी दी थी। इसके बाद यह प्रतिनिधिमंडल लौट गया था।
प्रतिनिधिमंडल लौटने के एक महीने बाद अब यह समाचार सामने आ रहे हैं कि उन्होंने रूस ल उत्पादित हीरे ख़रीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है। एक जनवरी से रूस के हीरे नहीं ख़रीदे जा सकेंगे। जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने इस बारे में जी- 7 देशो के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत शुरू की है साथ ही केंद्र सरकार से भी इस बारे में गुज़ारिश की है। उल्लेखनीय है कि वैश्विक मंदी के चलते हीरा उद्योग पहले से ही बुरे दौर से गुज़र रहा है। यदि रूस के हीरो पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो इससे रफ हीरो की कमी होगी और रोज़गार पर भी संकट का साया मंडराने लगा है।
हीरा उद्यमियों का कहना है कि वह विकल्पों पर विचार करेंगे। जी-७ देशो की ओर से प्रतिबंध के बाद अब हीरा उद्यमी दक्षिण अफ़्रीका, केनेडा, ऑस्ट्रेलिया से मिलने वाली रफ हीरो की ख़रीदी ज़्यादा करेंगे। रूस से ३५ प्रतिशत हीरा आयात होते है। अब उसका विकल्प ढूंढना पड़ेगा। रूस से आने वाले हीरों पर रोक लगने के बाद स्थानीय हीरा उद्यमियों को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। हालाँकि इसके बदले अब हीरा उद्यमियों को लैबग्रान डायमंड का विकल्प चुनना होगा।
हीरा उद्योग में मंदी के कारण अधिकांश उद्योगपतियों के यहां ओवरस्टॉक की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसे कम करने के लिए जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) समेत प्रमुख संगठनों ने प्रयास शुरू कर दिए हैं।
जीजेईपीसी ने हाल ही में दुनिया की सभी कच्चे हीरे की खनन कंपनियों से दो महीने के लिए कच्चे हीरों की आपूर्ति निलंबित करने की अपील की, जिसे रूसी खनन कंपनी ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद प्रमुख संगठनों ने सूरत और मुंबई के सभी प्रमुख हीरा उद्योग को पत्र लिखकर 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक कच्चे हीरों की खरीद स्थगित करने का आग्रह किया है। पत्र में हीरा उद्योग की मौजूदा स्थिति की जिम्मेदारी ली गई है और कहा गया है कि विदेशों में मांग घटने के कारण निर्यात में भारी गिरावट आई है। उद्योगपतियों के पास बड़ा स्टॉक है।
मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर हो गया है. इन सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए सूरत और मुंबई के 100 से ज्यादा प्रमुख हीरा उद्योगपतियों की बैठक हुई. जिसमें अधिकांश उद्योगपतियों ने यह विचार व्यक्त किया कि कच्चे हीरों की खरीदी 15 अक्टूबर से 15 दिसम्बर तक स्थगित रखी जाये। इसके बाद दिसंबर के पहले सप्ताह में बैठक कर समीक्षा की जायेगी. जीजेईपीसी के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष दिनेश नवादिया ने बताया कि जीजेईपीसी समेत प्रमुख संगठनों की बैठक हुई, जिसमें हीरा उद्योग से 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक हीरा खरीदी बंद रखने की अपील करने का निर्णय लिया गया.
हीरा उद्योग में भी इन दिनों बुरा दौर चल रहा है। एक के बाद एक पार्टी पलायन की घटनाएँ सामने आ रही है। क्षेत्र के एक हीरा उद्यमी ने दो महीने से मेरा प्रेमी को का वेतन चुकाए बिना पलायन कर जाने की घटना पर सामने आ रही है। इस बारे में पीड़ित हीरा श्रमिकों को ने रत्न कलाकार विकास संघ में शिकायत की है।
हीरा श्रमिकों का कहना है कि वराछा हीरा बाज़ार क्षेत्र के माधव बिल्डिंग में आए कारख़ाने का मालिक बीते 3 दिनों से फ़रार है। उसके वहाँ काम करने वाले 25 से अधिक हीरा श्रमिकों का वेतन भी नहीं चुकाया है। उसके घर पर ताला मारा हुआ है और उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ़ आ रहा है। इसलिए उसने पलायन किए होने की आशंका लग रही है। कंपनी का मैनेजर भीसही जवाब नहीं दे रहा है।
आखिरकार कंटाल कर हीरा श्रमिकों ने ने रत्न कलाकार विकास संघ में शिकायत दर्ज करवाई है। रत्न कलाकार विकास संघ के प्रमुख जयसुख गजेरा ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हीरा श्रमिकों ने वेतन नहीं मिलने की शिकायत की है। इस बारे में रत् कलाकार विकास संघ सूरत डायमंड एसोसिएशन में शिकायत करेगा।
साथ ही लेबर डिपार्टमेंट में भी इस बारे में शिकायत दर्ज कराई जाएगी। उल्लेखनीय हैहीरा उद्योग में इन दिनों बुरी परिस्थिति यह घरेलु बाज़ार और विदेशों में माँग नहीं होने के कारण हीरा उद्यमियों के पास बड़े पैमाने पर स्टॉक हो गया है। इतना ही नहीं उन्होंने बीते दिनों में जो हीरे बेचे थे उसका पेमेंट भी नहीं मिल पा रहा है।
इसके चलते हीरा उद्यमी आर्थिक संकट में फँस गए हैं। बड़े हीरा उद्यमी पर ज़्यादातर ऐसे करके काम चला रहे हैं लेकिन छोटेउद्यमी लाचार हो गए हैं। बीते दिनों में सूरत महिधरपुरा पूरा और वराछा में 4-5 हीरा उद्यमी और दलाल पलायन कर गए हैं। उनके पास लेनदारों के करोड़ों रुपया फंसा हैं। इस तरह के पलायन की घटनाओं के कारण हीरा बाज़ार का माहौल ख़राब हो गया है। कई हीरा उद्यमियों नेताओं अब नक़द में व्यापार करना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि यह भी व्यापार भी परिस्थिति नहीं सुधरी तोआने वाले दिनों में पलायन की घटना और बढ़ेगी।
(प्रतिकात्मक फ़ोटो)