कपड़ा उद्योगपति ने महिधरपुरा क्षेत्र के हीरा बाजार में मिले हीरों के पैकेट को मूल मालिक को लौटाकर ईमानदारी की मिसाल पेश की. सूरत डायमंड एसोसिएशन की ओर से कपड़ा व्यवसायी का सम्मान किया गया।
कपड़ा उद्योग से जुड़े विपिन दियाभाई गोयानी पिछले बुधवार को महिधरपुरा के हीराबाजार से गुजर रहे थे, तभी अचानक उन्हें सड़क पर कच्चे हीरों का एक पैकेट मिला. जिसमें करीब 15 लाख रुपए के कच्चे हीरे थे। पैकेट में हीरे के असली मालिक का नाम और मोबाइल नंबर भी था।विपिनभाई ने अपने दोस्त रमेश वाघसिया से हीरे का पैकेट मिलने की बात कही। रमेशभाई ने विपिनभाई को सूरत डायमंड एसोसिएशन कार्यालय से हीरे का पैकेट मूल मालिक को वापस करने के बारे में बताया। तब विपिनभाई रमेशभाई के साथ सूरत डायमंड एसोसिएशन के कार्यालय में आए और पूरी बात बताई।
एसोसिएशन द्वारा पैकेट में मिले मोबाइल नंबर के आधार पर हीरे के मालिक अनिलभाई को सूचना दी गई और कार्यालय बुलाया गया। जब अनिलभाई कार्यालय पहुंचे तो उनसे लापता हीरे के बारे में सारी जानकारी लेने के बाद इसकी पुष्टि की गई. पुष्टि के बाद, हीरे का पैकेट मूल मालिक अनिलभाई को सौंप दिया गया। 15 लाख रुपये का हीरा मिलने के बाद भी कपड़ा उद्योगपति विपिनभाई गोयानी लालची नहीं थे और इसे उसके मालिक को लौटाने में उनकी ईमानदारी के लिए सूरत डायमंड एसोसिएशन द्वारा सम्मानित किया गया था। इस दौरान डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष नानू वेकारिया, उपाध्यक्ष जगदीश खुंट समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
वराछा के हीराबाग इलाके में मिलेनियम डायमंड मार्केट में हीराश्रमिको ने आज वेतन वृद्धि की मांग के साथ कारख़ाना से बाहर निकल हड़ताल की। मीरा जेम्स फैक्ट्री के ज्वैलर्स पर पिछले सात साल से वेतन नहीं बढ़ाने का आरोप है। 1 हजार से ज्यादा हीराश्रमिक काम बंद कर कँपनी मालिक के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सड़कों पर उतर आए.
मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना और लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को छुट्टी का भुगतान नहीं किया गया।
इसके अलावा, महामारी के मद्देनजर कई मालिको ने श्रमिको के वेतन में कटौती की थी।उधर, कोरोना महामारी के बीच भी हीरा उद्योग में तेज उछाल देखने को मिला है। विदेशी बाजारों में डिमान्ड होने से स्थानिक हीरों उद्यमियों के पास का स्टॉक खत्म है और लगातार अच्छे ऑर्डर मिल रहे हैं। कई फैक्ट्रियों में चौबीसों घंटे हीराश्रमिको से काम लिए जा रहा हैं, लेकिन वेतन वृद्धि की कोई बात नहीं हो रही है। वेतन को लेकर ज्वैलर्स में नाराजगी है।
पेट्रोल-डीजल, दूध समेत रोजमर्रा की जरूरत की सभी चीजों के दाम बढ़ गए हैं। महंगाई ने घरेलू खर्चों का बोझ बढ़ा दिया है, इसलिए हीराश्रमिक की मांग थी कि वेतन बढ़ाया जाए।इस संबंध में डायमंड वर्कर्स यूनियन के प्रमुख रमेश जिलरिया और उपप्रमुख भावेश टांक ने कहा कि कोरोना में तेजी के बावजूद कई निर्माताओं ने वेतन में वृद्धि नहीं की है।
काटे गए वेतन से ही काम हो रहा है। इस मुद्दे को आने वाले दिनों में जिला कलेक्टर और श्रमायुक्त के समक्ष उठाया जाएगा। हमने कंपनी संचालक से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने नहीं की!
सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष नानू वेकारिया ने बताया कि फैक्ट्री में समस्या थी। शेष अधिकांश फैक्ट्रियों में ज्वैलर्स की स्थिति अच्छी है।
कोरोना काल के बाद जैसे तैसे हीरा उद्योग की गाड़ी पटरी पर चढ रही है कि ऐसे में एक बार फिर से नेचुरल हीरे के साथ सिन्थेटिक हीरे मिलाकर बेचे जाने की घटना सामने आ रही है। बात ऐसी है कि हांगकांग के एक प्रख्यात जेमोलॉजिकल लैबोरेट्री में ग्रेडिंग के लिए भेजे गए नेचुरल डायमंड के लोट में सिंथेटिक हीरे भी मिले। इसकी जानकारी लेबोरेटरी ने नेचरल डायमंड कमेटी को दे दी है।
हीरा उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक कंपनी ने कुछ हीरे टेस्टिंग के लिए लेबोरेटरी में भेजे थे जिसकी जांच के दौरान वहां पर छेद हम 6.18 साइज के हीरे नेचुरल हीरो में सिन्थेटिक हीरे मिले थे। आपको बता दें कि यह हीरे सर्टिफिकेट के साथ भेजे गए थे। जिसमें की तमाम हीरे नेचुरल होने का बताया गया था। इसके अलावा साथ में लेजर नंबर भी लिखा गया था जिससे कि कोई भी भ्रमित हो सकता था।
लेकिन होंगकोंग की लेबोरेटरी को आशंका हुई और उन्होंने पूरे मामले की जांच शुरू की। उन्होंने सभी हीरो की जांच पड़ताल करना शुरू कर दिया जिसमें कि यह मामला सामने आया। हालांकि यह घोषित नहीं किया गया कि यह हीरा कंपनी कौन सी थी लेकिन यह तो तय है कि हीरा उद्योग में इसे लेकर फिर से भारी चिंता का माहौल फैल गया है।
नेचुरल हीरो में सिंथेटिक हीरे मिलाए जाने की बात कोई नई बात नहीं है लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से कड़क व्यवस्था की गई थी उसके चलते यह सब रुक गया था, लेकिन कोरोनावायरस हीरा उद्योग जैसे ही शुरू हुआ वैसे ही फिर से नेचुरल हीरो में सिंथेटिक मिलाकर बेचने की घटना ने हीरा उद्योग के लिए चिंता खड़ी कर दी है।
कुछ दिनों पहले ही महिधरपुरा के हीरा दलाल ने वीडियों जारी कर पलायन करने की घटना के बाद गुरूवार को महिधरपुरा के एक हीरादलाल ने पलायन किए होने की जानकारी सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि इस हीरा दलाल ने 10 करोड रूपए में पलायन किया है। एक के बाद हीरा उद्योग में बढ रही पलायन की घटनाओं के कारण हीरा उद्यमी चिंतित हो गए है।
हीरा उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महिधरपुरा हीरा बाजार में पिछले लंबे समय से हीरों का कारोबार करनेहै वाले मूलत: सौराष्ट्र का निवासी दो हैदिनों से गायब होने के कारण उसने पलायन किए होने की चर्चा चल रही है। बताया जा रहा है कि उसका मोबाइल भी स्वीच ऑफ आ रहा है।
उसके घर पर भी ताला लगा होने के कारण लेनदारों की चिंता बढ गई केवह सूरत और मुंबई के छोटे हीरा उद्यमियों से हीरा खरीदकर बड़े हीरा उद्यमियों को बेचता था। उसके पलायन करन के कारण वराछा और महिधरपुरा दोनों हीरा बाजार में हीरा व्यापारियों में चिंता फैल गई है। हीरा उद्यमियों के अनुसार एक को पहले से ही हीरा उद्योग आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में एक के बाद एक कर हीरा उद्योग में बढ रही पार्टी पलायन की घटनाओं ने हीरा उद्यमियों को झकझोर कर रख दिया है।t
आईआईजेएस के शो को कोरोना का ग्रहण
जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल की ओर से घरेलू ज्वैलर्स और हीरा उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के आशय से आयोजित किए जाने वाला इन्डियन इन्टरनेशनल ज्वैलरी शॉ को स्थगित कर दिया गया है। यह शो अगस्त महीने में होने वाला था जो कि अब जनवरी-21 में करने पर विचार किया जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार भारत सहित दुनियाभर मे कोरोना ने महामारा फैला रखी है। संक्रमण से फैलने वाली इस बिमारी से बचने के लिए बारबार सरकार की ओर से सोशल डिस्टैंस का पालन करने, मास्क पहनने तथा बार बार हाथ धोने की अपील की जा रही है। कोरोना की गंभीरता को समझते हुए जीजेईपीसी ने आईआईजेएस के शो को स्थगित करने का फैसला किया है। जीजेइपीसी के चेयरमैन कोलिन शाह ने बताया कि हम आने वाले दिनों में सबकी सुरक्षा के साथ शो का आयोजन करेंगे। हम कोरोना के कारण किसी की सुरक्षा के समझौता नहीं करना चाहते।
कतारगाम जोन में हीरा उद्योग में बड़ी तेजी से बढ रहे कोरोना के मरीजो की संख्या को देखते हुए मनपा कमिश्नर ने हीरा श्रमिकों को सारी सावधानिया बरतने को कहा है। मनपा कमिश्नर ने बताया कि बीते दिनों में यह ध्यान पर आया है कि कुछ लोगे बु्खार होने के बावजूद दवाइयां खाकर काम पर आ रहे हैं। ऐसे लोग संक्रमण को बढावा देते हैं। क्योंकि वह जिस ऑफिस में काम करते हैं वहां पर ए.सी रहने से कोरोना का भय बढ सकता है।
कमिश्नर ने ऐसी जगह पर वेन्टिलेशन की व्यवस्था की बात कही। उन्होंने कहा कि हीरा श्रमिकों को मास्क पहनना चाहिए। सोशल डिस्टैंस का पालन करना चाहिए। साथ ही फिलहाल कोरोना के जो मामले सामने आ रहे हैं उसमें चालीस से पचास प्रतिशत हीरा श्रमिक है। इसलिए हीरा श्रमिकों को तमाम सावधानियां रखनी चाहिए। कमिश्नर ने यह भी कहा कि हीरा श्रमिकों को एक साथ हीरा की घंटी पर काम करने के बजाय बारी बारी काम करना चाहिए।
कोरोना: क्या फिर से बंद होगा हीरा उद्योग: सोमवार को फैसला
अनलॉक-1 में हीराउद्योग खुलने के साथ ही वहां पर बड़ी तेजी से कोरोना के केस सामने आ रहे है। लॉकडाउन के बाद से अब तक 135 से अधिक हीरा श्रमिकों का कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आ चुका है। इसके चलते चिंतित प्रशासन फिर से हीरा उद्योग को सात दिनों के लिए बंद करने का विचार कर रहा है। मिली जानकारी के अनुसार अनमलॉक-1 में हीरा के कारखाने खुलने के बाद कतारगाम जोन में से ज्यादा कोरोना के मरीज दर्ज हो रहे है। इनमें भी सबसे ज्यादा हीरा श्रमिक और हीरा की कंपनी में काम करने वाले हैं।
इसे देखते हुए प्रशासन ने सात दिनो तक हीरा कारखाने बंद करने पर विचार करना शुरू कर दिया है। मनपा कमिश्नर ने इस बारे में सूरत डायमंड एसोसिएशन और जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल(जीजेईपीसी) से गुहार लगाई है। इसके चले रविवार को जीजेइपीसी और सूरत डायमंड एसोसिसएशन के पदाधिकारियों की मीटिंग हुई। मीटिंग में कई लोगों ने इसका विरोध किया। इस कारण कोई फैसला नहीं हो सका। अब फिर से सोमवार को इस बारे में सूरत डायमंड एसोसिसएशन और जीजेई्पीसी के अधिकाारियों की मीटिंग होगी।
चैम्बर ऑफ कॉमर्स के वाइस प्रेसिडेन्ट दिनेश नावडिया ने भी एक सप्ताह तक हीरा उद्यमियों से कारखाने बंद रखने की अपील की है। उन्होने कहा कि हीरा श्रमिकों में कोरोना का संक्रमण बढ रहा है। उनके कारण उनके परिवारजनों को भी संक्रमण लग रहा है। इसिलए हीरा उद्यमियों से अपील है कि वह स्वयंभू एक सप्ताह तक कारखाने बंद रखें.
लोक डाउन के दिनों का वेतन नहीं मिलने के कारण के गिरधरलाल कंपनी के हीरा श्रमिकों ने शनिवार को श्रम विभाग के कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन दिया।
मिली जानकारी के अनुसार वराछा क्षेत्र की के गिरधरलाल डायमंड कंपनी ने बीते दिनों 62 हीरा श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिया था। कंपनी की ओर से हीरा श्रमिकों को लॉकडाउन के दिनों का वेतन नहीं चुकाए जाने का आरोप है।
इसके चलते उन्होंने डायमंड वर्कर यूनियन में भी गुहार लगाई थी डायमंड वर्कर यूनियन ने इस बारे में कलेक्टर और श्रम विभाग को सूचित किया था। इस बीच शनिवार को श्रम विभाग की कंपनी संचालकों के साथ मीटिंग थी कंपनी संचालकों ने हीरा श्रमिकों को ग्रेच्युटी, बोनस और इन्सेन्टिव देने के लिए बात कही है। इसी बीच हीरा श्रमिकों ने उन्हे लॉकडाउन के दौरान का वेतन नहीं मिलने के कारण श्रम विभाग के बाहर ही धरना दिया।
श्रमिकों को दो महीने का वेतन चुकाने के लिए कंपनी संचालकों ने 2 दिन का समय मांगा है। सोमवार को के गिरधरलाल कंपनी पर इस सिलसिले में मीटिंग होनी है। डायमंड वर्कर यूनियन की ओर से डायमंड वर्कर यूनियन के उप प्रमुख भावेश भाई टाक उपस्थित रहे थे। सहायक श्रमिक कमिश्नर की उपस्थिति में के गिरधरलाल कंपनी की ओर से आकाश भाई और मितेश भाई शनिवार की मीटिंग में उपस्थित रहे।
सूरत
कोरोना के कारण दुनियाभर में व्यापार उधोग बंद होने के कारण मंदी का माहौल है। अब धीरे-धीरे व्यापार उधोग खुल रहे हैं तब सभी उधमी अपने हिसाब से तालमेल बिठाने का प्रयास कर रहे हैं। कोरोना के कारण सर्जित परिस्थति में हीरा उधमियों ने जून में रफ हीरों की खरीद नहीं करने का फैसला किया है।
हीरा उधमियों का कहना है कि कोरोना के कारण दो महीने से हीरा उधोग बंद है ऐेसे में कई हीरा उधमियों के पास पॉलिश्ड की स्टोक प़ड़ा है। कुछ के पास रफ हीरों की स्टॉक पड़ा है।
ऐसे में एक बार हीरा उधोग में सबके पास बैलेंस सही हो जाए और व्यापार सुचारू ढंग से व्यापार शुरू हो जाए तब नए रफ हीरों की खरीद होगी। इसलिए जून की रफ हीरों की खरीद पर रोक लगाई गई है। कई हीरा संगठनों ने मिलकर स्वैच्छिक तौर पर रफ हीरे नहीं लेने का फैसला किया है।
हीरा उधमी निलेश बोडकी ने बताया कि इससे लाभ और नुकसान दोनो की संभावना है। उन्होंने कहा कि रफ हीरों की खरीद रोकने से हीरों का ओवर प्रोडक्शन घटेगा। इससे पॉलिश्ड हीरों की कीमत बनी रहेगी। हीरे पर्याप्त मांत्रा में रहने से हीरा श्रमिकों का उचित काम मिलेगा और सोशल डिस्टेंस का पालन हो सकेगा।
इसके अलावा इसका नुकसान बताते हुए उन्होंने कहा कि जहां बड़ी संख्या में लोग हीरा नहीं खरीद रहे। ऐसे में कुछ लोगो ने हीरे खरीद लिए तो वह अपने मनमानी दिनों से आने वाले दिनों में हीरों का उत्पादन कर बेंचेगे। जबकि छोटे हीरा उधमियों को रफ हीरे नहीं मिलने से उनके लिए खराब परिस्थिति खड़ हो सकती है।
सूरत डायमंड एसोसिएशन के प्रमुख दिनेश नावडिया ने बताया कि फ़िलहाल हीरा उद्यमियों के पास एक महीने चल सके इतना रफ हीरों का स्टॉक है यदि वह हीरा नहीं ख़रीदे तो रफ़ हीरों की क़ीमत नियंत्रण में रहेगी। साथ ही पॉलिश्ड हीरों की उचित क़ीमत मिलेगी।
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
बिजली कंपनी के ख़िलाफ़ मनमानी बिल भेजने का आरोप
सूरत में लॉकडाउन के कारण पहले से ही परेशान कपड़ा उद्यमियों ने बिजली कंपनी पर बहुत अजीबोगरीब आरोप लगाया है और शहर के कई क्षेत्रों के वीवर बिजली कंपनी के खिलाफ विरोध में उतर गए हैं।कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान दो महीने तक उनके यूनिट नहीं चालू थे। ऐसे में सरकार को बिल की राशि माफ कर देनी चाहिए। जबकि बिजली कंपनी ऐसा नहीं कर रही है। बिजली कंपनी ने सिर्फ 1 महीने का एक फिक्स्ड बिल माफ किया है।
दूसरी और कुछ वीवर्स तो कहना है कि चालू दिनों की अपेक्षा उनका बिल बंद के दौरान ज्यादा आ रहा है ऐसा क्यों हो गया वह खुद नहीं जान रहे हैं। कई वीवर्स को बंद के दौरान एक लाख से चार लाख रूपए का बिल दिया है।
इस तरह के तमाम आरोपों के साथ वीवर्स ने कई क्षेत्रों में बैनर और बोर्ड लगाकर बिजली कंपनी के बिल का बहिष्कार किया है।
मिली जानकारी के अनुसार अंजनी इंडस्ट्रियल स्टेट के विजय मांगूकिया नाम के विवर्स ने बताया कि सरकार की ओर से हमें 3 महीने का बिजली बिल में फिक्स्ड चार्ज माफ करने को कहा गया था लेकिन हमें सिर्फ 1 महीने का ही फिक्सड चार्ज माफ किया गया है।
दूसरी ओर उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब लॉकडाउन में यूनिट बंद थे तब भी कई लोगों के बिल ज्यादा आ जाए ऐसे कई लोग उनके पास शिकायत करने आए हैं। इस सिलसिले में विरोध करने वाले वीवर्स की संख्या 1000 से अधिक है डायमंड नगर तथा आसपास के कई क्षेत्रों में बिजली कंपनी के विरोध में लग गए हैं।विजय मांगूकिया ने बताया कि बिजली कंपनियां हित में नहीं है।
इसलिए उन्होंने कलेक्टर को आवेदन देकर बिजली कंपनी से माफ करने और यूनिट में जो गड़बड़ी हुई है उसे सुधारने के लिए मांग की है। उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के बाद व्यापार जैसे - तैसे शुरू हो रहा है। ऐसे में इस तरह की घटनाओं के कारण उद्यमियों का मनोबल टूटता है हालांकि अभी यह जांच का विषय है कि इसमें गड़बड़ी हुई भी या नहीं फिलहाल विवश ने अपना विरोध जारी रखा है।