गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वाटरजेट सहित विभिन्न कपड़ा मशीनरी की इन्स्टालेशन को मंजूरी नहीं दे रहा। क्योंकि जीपीसीबी का मानना है कि इनसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। इस कारण वर्ष 2018 से कैपिटल सब्सिडी और बिजली दरों के तहत सब्सिडी के 2500 आवेदन लंबित हैं, जिससे करोड़ों के प्रोजेक्ट रूक गए गए है।इस मुद्दे को सुलझाने के लिए चैंबर ऑफ कॉमर्स और फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एसोसिएशन (एफआईए) द्वारा गांधीनगर के अधिकारियों से शुक्रवार को मीटिंग थी।
मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार की ओर से जनवरी 2019 में कपड़ा नीति की घोषणा की गई थी. इसके तहत नई इकाइयां शुरू करने वाले कपड़ा उद्योगपतियों को एलटी और एचटी कनेक्शन पर 2 रुपये और 3 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी देने की घोषणा की गई। इस बीच, जीपीसीबी ने उद्योगपती लिक्विड वेस्ट के मामले में नियम का पालन नहीं कर रहे ऐसी शिकायतों के बाद वाटरजेट मशीनरी की स्थापना को मंजूरी देना बंद कर दिया कि वेस्टेज कचरे के निर्वहन के दौरान नियम का पालन नहीं किया जा रहा है।
मल्टीपल इलेक्ट्रिक इवोपरेट( एमईई)लगाने वाले यूनिट को ही मंज़ूरी देने का नियम बनाया। इससे करोड़ों का निवेश कर नई इकाइयां शुरू करने वाले उद्यमियों पर एमईई का अतिरिक्त बोझ पड़ा, जिसका विरोध किया गया।उद्योगपतियों के मुताबिक, अगर उन्हें जीपीसीबी से अनुमति नहीं मिली तो वे राज्य सरकार की अन्य सब्सिडी जैसे कैपिटल सब्सिडी और ब्याज सब्सिडी योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे। 2018 से 2500 आवेदन लंबित हैं।
इस बारे में चैम्बर ऑफ कॉमर्स और फिआ ने उद्योग और खान विभाग के मुख्य सचिव डॉ. राजीव कुमार गुप्ता, जीपीसीबी के अध्यक्ष संजीव कुमार, उद्योग आयुक्त डॉ. राहुल गुप्ता,जीआईडीसी के वाइस चेयरमैन और एमडी थैन्नाराशन को समाधान निकालने की माँग की है।चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष दिनेश नावडिया ने कहा कि जीपीसीबी की मंजूरी के अलावा जीआईडीसी ने प्लॉट ट्रांसफर फीस और फायर सेफ्टी इक्विपमेंट रेगुलेशन में बढ़ोतरी पर भी ध्यान दिलाया है। चार घंटे चली बैठक के बाद अधिकारियों ने सकारात्मक समाधान का आश्वासन दिया।
सचिन इन्डस्टियल एसोसिएशन के पूर्व सेक्रेटरी मयूर गोलवाला ने बताया कि कोरोना में उद्यमी परेशान है ऐसे में यदि 2500 उद्यमियों की करोड़ों की सब्सिडी मिले तो राहत होगी। जीपीसीबी को कोई वैकल्पिक रास्ता बनाना चाहिए।
राज्य सरकार की ओर से जीआईडीसी के उद्यमियों के लिए बड़ी खबर आई है।राज्य सरकार ने गुजरात औद्योगिक विकास निगम की ओर से नोटिफाइड क्षेत्रों में प्रॉपर्टी टैक्स के लंबित पेमेंट के ब्याज पर 50% माफ करने के लिए वन टाइम सेटेलमेंट योजना जारी की है। इस योजना के तहत नोटिफाइड जीआईडीसी के 15315 उद्यमियों को 95 करोड़ की राहत मिलेगी।
सचिन इंडस्ट्रियल को ऑपरेटिव सोसाइटी के पूर्व सेक्रेटरी मयूर गोल वाला ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से 4 जून 2020 के रोज आत्मनिर्भर पैकेज में गुजरात के औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगों को आर्थिक प्रोत्साहन देने के लिए और प्रशासनिक सरलता के लिए गुजरात की लगभग 204 जीआईडीसी को 458 करोड का पैकेज घोषित किया गया था।
इसमें 95 करोड का आबंटन नोटिफाइड जीआईडीसी के लिए किया गया है। इस पैकेज के अनुसार जीआईडीसी के क्षेत्रों में उद्यमियों को उनके तमाम लंबित पेमेंट के ब्याज पर 50 फ़ीसदी ब्याज माफ किया जाएगा। हालांकि इस योजना का लाभ जो लोग 31 दिसंबर 2020 तक पेमेंट कर देंगे उन्हीं को मिलेगा।
इस योजना में 15315 करोड़ का लाभ मिलेगा।सचिन जीआईडीसी के जिन उद्यमियों के संकलित टैक्स के पेमेंट पिछले लंबे समय से बाकी थे। उन्हें नोटिफाइड द्वारा 6 महीने पहले जब्ती की नोटिस और उसके बाद परिपत्र जारी करने के 18% के साथ अतिरिक्त ब्याज लगाकर उद्यमियों को भेजा गया था और वसूली की गई हाल में मंदी होने के बावजूद उद्यमियों को यह रकम भरनी पड़ी थी।
नोटिफाइड में वह रकम उद्यमियों को वापस दे देना चाहिए। इस सिलसिले में सचिन जीआईडीसी के पूर्व प्रशासकों ने 20 अप्रैल 2020 को नोटिफाइड को ज्ञापन देकर सात मुद्दे की राहत मांगी है इसमें कुछ रहते मान भी ली गई है।
बताया जा रहा है कि इस योजना के तहत वापी नोटिफाइड एरिया स्थित उद्यमियों को भी बड़ी राहत मिलेगी वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम के तहत 50% बिल पर माफ कर देने से उद्यमियों को मंदी में राहत मिलेगी।
चेंबर ऑफ कॉमर्स ने राज्य सरकार के इस कदम की प्रशंसा की है।चैंबर ऑफ कॉमर्स ने इसके लिए 23 जून 2020 के रोज जीआईडीसी के चेयरमैन तथा वीसी और एमडी से गुहार भी लगाई थी।
जीआईडीसी के नोटिफाइड बोर्ड के चेयरमैन महेंद्र रामोलिया ने बताया कि ब्याज में 50% राहत देने से उद्यमियों को बड़ी राहत होगी सरकार का यह कदम सराहनीय है।