राजनीतिक पार्टियों की आड़ में काले धन को सफेद करने का मामला आयकर विभाग ने पर्दाफाश किया है। अहमदाबाद आयकर विभाग ने 2 दिन पहले गुजरात में अहमदाबाद,सूरत और राजकोट सहित अन्य स्थानों पर छापा मारकर 2000 करोड रुपए का घोटाला पर्दाफाश किया है।

इस मामले में कई अकाउन्टन्ट और सीए की मिलीभगत भी सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार गुजरात में महानगर पालिका,जिला पंचायत और तहसील पंचायत के चुनाव नजदीक आ गए हैं। ऐसे में कई छोटी-छोटी राजनीतिक पार्टियां और ट्रस्ट काला धन चेक के रूप में लेकर तीन प्रतिशत कमिशन काटकर उसे व्हाइट में परिवर्तित कर नकद के तौर पर लौटा दे रही है। ऐसी जानकारी आयकर विभाग को मिली थी। जिसके आधार पर आयकर विभाग ने 2 दिन पहले सूरत,अहमदाबाद और राजकोट में छापेमारी की कार्यवाही की थी।

सूरत में सूरत रेलवे स्टेशन के पास दो स्थानों पर कार्यवाही की गई थी। जिसमें कि आयकर विभाग को कई दस्तावेज मिले हैं जो कि जप्त कर कर आयकर विभाग आगे की जांच शुरू की है। अहमदाबाद में जांच के दौरान 25 स्थानों पर अधिकारियों ने छान बीन की थी।

उल्लेखनीय है कि राजनीतिक पार्टियों के माध्यम से कालाधन सफेद किए जाने के आशंका पहले भी आयकर विभाग व्यक्त कर चुका है। इसमें पहले दा नदाता चेक के माध्यम से पार्टी को रूपए देता है बाद में वही रकम तीन प्रतिशत काटकर उसे वापिस लौटा दी जाती है।



सोमवार को केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने पेश किए बजट में जहां एक ओर व्यापार उद्योग को की गति बनाए रखने की कोशिश की है वहीं पर दूसरी और डायरेक्ट टैक्स में भी कई परिवर्तन किए हैं। इससे करदाताओं को बड़ी सरलता होगी।

वित्त मंत्री ने बताया कि अब तक के मामलों में आयकर विभाग छह साल तक के केस री-ओपन कर सकता था। जिन मामलों में बड़े टैक्स चोरी की संभावना हो या आयकर विभाग के पास सबूत हो ऐसे 10 साल पुराने मामले भी खोले जा सकते थे लेकिन अब से आयकर विभाग एसेसेमेन्ट वर्ष से पिछले 3 साल तक ही पुराने केसों को ओपन कर पाएगा और यदि 50 लाख से अधिक की टैक्स चोरी के सबूत हो तभी आयकर विभाग 10 साल पुराने मामलों को री-ओपन कर सकेगा। बजटे में इस घोषणा के बाद अब करदाताओ को लंबे समय तक रिकॉर्ड मेंटेन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

सेक्शन 147 के तहत के मामलों को सेक्शन 148 में नोटिस जारी करने के लिए राज्य के मुख्य प्रिंसिपल कमिश्नर, प्रिन्सिपल चीफ कमिशनर, प्रिन्सिपल डायरेक्टर जनरल, प्रिन्सिपल कमिश्नर, के आदेश पर केस खोले जा सकेंगे। अर्थात कि यह कहा जा सकता है कि वित्तमंत्री की इस घोषणा से रीओपन होने वाले मामलों में भारी कमी आएगी।


सीए प्रदीप सिंघी ने बताया कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की इस घोषणा से करदाताओं को सुविधा होगी। अब तक केस की री-ओपनिंग के बाद करदाताओं को डोक्यूमेन्ट को फिर से ढूंढने या जमा करने के लिए परेशान होना पड़ता था। छह साल तक करदाता डोक्यूमेन्ट संभालते थे, लेकिन इस घोषणा के बाद करदाताओं को अवश्य बड़ी राहत होगी।

इसके अलावा एक और बड़ी घोषणा इस बजट में की गई है जिसमें कि आयकर के जिन मामलों में करदाता और विभाग के बीच विवाद चल रहा है। ऐसे मामलों को सुलझाने के लिए सरकार की ओर से शुरू की गई विवाद से विश्वास स्कीम जो कि जनवरी में समाप्त हो रही थी। उसे फरवरी तक बढ़ा दिया गया है।

 द सदर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा बुधवार को सरसाना के प्लैटिनम हॉल में विवाद से विश्वास' पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान आयकर विभाग, गुजरात के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर, अमित जैन ने कहा कि आयकर आयुक्त पर लगभग 21,000 मुकदमे हैं। इसमें से 20% यानी लगभग 4000 मामले विवाद से विश्वास योजना में आए हैं।

गुजरात में औसतन 20% मामले हैं।  सूरत  बड़ा शहर है, तो 30 से 40 प्रतिशत मामलों में विवाद के कारण विश्वास योजना में जाने की उम्मीद  थी। उन्होंने करदाताओं को फॉर्म नं 1 और 2 फाइल करने को कहा। साथ ही फॉर्म नं 1 और 2 फाइलिंग के समय सावधानी बरतने को कहा। क्योंकि फॉर्म नंबर 1 और 2 को संशोधित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने करदाताओं से आग्रह किया कि वे फेसलेस एसेसमेन्ट का नोटिस का 15 दिनों के भीतर जवाब देने का प्रयास करें।


उन्होंने आगे कहा कि विवाद से विश्वास योजना टैक्स माफी योजना नहीं है बल्कि लंबित मामलों के समाधान के लिए एक योजना है। उन्होंने कर चिकित्सकों, चार्टर्ड एकाउंटेंट और उद्यमियों से योजना का लाभ उठाने के साथ-साथ विभिन्न विवादों को सुलझाने के लिए आगे आने का आग्रह किया। उन्होने कहा कि "आयकर विभाग विन्डो खोल रहा है। जिसमें मुद्दों, सुझावों और प्रश्नों को अपलोड किया जा सकता है।  सूरत शहर में डायमंड बूर्स कुछ महीनों में चालू हो जाएगा। जब बुलेट ट्रेन सूरत से भी गुजरेगी। सूरत एक दिन मुंबई से आगे निकल जाएगी।

सत्र के दौरान चैंबर द्वारा प्रधान मुख्य आयुक्त को एक लिखित गुहार की गई है। इसमे कहा गया था कि 31 जनवरी 2020 तक के मामलों को विवाद योजना के तहत कवर किया गया है। इस योजना के तहत 31 मार्च, 2020 तक के मामलों को कवर किया जाना चाहिए।

इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2020 थी, जिसे चैंबर द्वारा प्रधान मुख्य आयुक्त को 31 मार्च, 2021 तक बढ़ा दिया गया था। इस योजना में रुपये के भुगतान की अंतिम तिथि वर्तमान में 31 जनवरी 2020 है, इसलिए इसे भी 31 मार्च 2021 तक कर दी जाए। चैंबर की प्रस्तुति के बारे में, प्रधान मुख्य आयुक्त अमित जैन नेआश्वासन दिया कि उनकी ओर से भारत के वित्त मंत्री को यह जानकारी दी जाएगी।

चैम्बर के अध्यक्ष दिनेश नवाडिया ने कहा, "गुजरात प्रत्यक्ष कर संग्रह में भारत में पांचवें स्थान पर है।" वर्ष 2019-19के लिए पूरे राज्य का प्रत्यक्ष कर संग्रह 49021 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के आंकड़े कोविड -19 के कारण अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। सूरत आयकर विभाग को 2018-19 में 3737 करोड़ रुपये का कर संग्रह मिला है। 2018-19 के लिए आयकर वापसी के आंकड़े भी सूचक हैं 1152 करोड रूपए रिफंड दिया गया है। विवाद से विश्वास योजना के तहत  17 नवंबर तक 31.7 करोड़ रुपये की विवादित कर मांग के संबंध में कुल 45855 घोषित की गई। 


शहर के पूर्व भाजपा उपाध्यक्ष और निगम पार्षद पीवीएस शर्मा की 2.70 करोड़ रुपये की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जब्त कर ली है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिवाली से पहले ता 22 अक्टूबर को, पीवीएस शर्मा और उनके सहयोगियों के घर और व्यापार परिसर पर सूरत के आयकर निदेशालय ने छापा मारा था और 2.07 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे।

कार्यवाही के दौरान, पीवीएस शर्मा के अखबार Sanket Media Pvt Ltd की अनियमितताएं भी पाई गईं। विवरण से पता चला है कि उन्होंने मुद्रण के झूठे आंकड़े दिखाते हुए सरकारी विज्ञापनों को लेकर सरकार को धोखा दिया था।

आईटी ने उमरा पुलिस स्टेशन में पीवीएस शर्मा के खिलाफ सरकारी एजेंसियों और डीएवीपी से 2.50 करोड़ रुपये के विज्ञापन प्राप्त कर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था। पीवीएस इस मामले में फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।

इस बीच, मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पीवीएस के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। जांच के बाद, ED ने आज फ्लैट, दुकानों, भूखंडों, सावधि जमाओं और शेष राशि सहित PVS Sanket Media Pvt Ltd से संबंधित 2.70 करोड़ रुपये जब्त किए।

अन्य एक मामले में आयकर विभाग ने फ़रवरी महीने में कुबेर जी बिल्डर के यहाँ की कार्रवाई में एक बिल्डर राजेश पोद्दार के यहाँ ज़ब्त किये लॉकर ऑपरेट करने पर वहाँ से लगभग तीन करोड़ रूपए की ज्वैलरी और ज़ब्त की।

पिछले डेढ़ वर्षों में, सूरत सहित दक्षिण गुजरात में लगभग 2,000 करोड़ रुपये के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट स्कैम का राज्य जीएसटी, सेंट्रल जीएसटी, डीजीजीआई सहित एजेंसियों ने पर्दाफ़ाश किया है।अगर घोटालों के मास्टरमाइंड पकड़ा जा सके तो आयकर विभाग को भी 100 करोड़ रुपये मिलेंगे।


मिली जानकारी के अनुसार जीएसटी कानून लागू होने के बाद से बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाले बढ़ गए हैं।पिछले डेढ़ वर्षों में, सूरत, वापी, अंकलेश्वर, वलसाड और तापी सहित दक्षिण गुजरात में फर्जी फर्म खोलने वाले 100 से अधिक फर्जी व्यापारियों के खिलाफ सरकारी विभागों द्वारा 2,000 करोड़ रुपये के फर्जी बिलिंग मामले दर्ज किए गए हैं।

हालांकि ज्यादातर मामलों में मास्टरमाइंड के विभाग की पहुँच से दूर है।क्योंकि मास्टर माइंड उनके यहाँ काम करने वाले या परीचित अथवा अन्य लोगों के नाम पर पेढी का जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाने के साथ-साथ दूसरों के नाम पर ही बैंक खाता खुलवाते हैं। कुछ मामलों में तो अधिकारियों धोखेबाज़ को पहचानते भी है, लेकिन वे सबूत की कमी के कारण कार्रवाई नहीं करते हैं।

विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने बोगस आईटीसी का मामला तो दर्ज किया है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि कितनी वसूली हो सकेगी क्योंकि जिन लोगों के नाम पर फर्म पंजीकृत है। वे साधारण मजदूर या पांच से दस हजार रूपए के श्रमिक हैं। यहां तक ​​कि ऐसे लोगों को गिरफ्तार करके भी कर की वसूली नहीं की जा सकती है।

अगर असली मास्टरमाइंड पकड़ा जाता है, तो जीएसटी कर संग्रह के साथ, सूरत में आयकर विभाग को भी 50 से 100 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। इसलिए आयकर विभाग भी आगामी दिनों में संबंधित विभागों से जानकारी लेकर इन मामलों में जाँच करेगा।

सूरत आयकर विभाग की डी आई विंग ने फरवरी महीने में शहर के कुबेर जी बिल्डर और उससे जुड़े 10 अन्य बिल्डरों के यहां जांच की कार्यवाही शुरू की थी। पांच दिन तक चली सर्च की इस कार्यवाही में विभाग को बड़े पैमाने पर जमीन खरीद बिक्री एवं प्रॉपर्टी के दस्तावेज तथा बैंक अकाउंट और बैंक लॉकर मिले थे।


 इस मामले में आयकर विभाग ने कुबेर जी बिल्डर तथा उनसे जुडे बिल्डर्स से पूछताछ शुरू की थी लेकिन इस दौरान कोरोना के कारण डिपार्टमेंट की जांच की कार्यवाही रुक गई थीष अब धीरे-धीरे पर स्थित सरल हो रही है तब विभाग ने अपनी जांच कार्यवाही फिर शुरू करने का फैसला किया है।

 बताया जा रहा है कि आयकर विभाग इस सप्ताह कुबेर जी बिल्डर और उनसे जुड़े अन्य 10 भागीदारों को नोटिस दे पूछताछ के लिए बुला सकता है। आपको बता दें कि इस मामले में आयकर विभाग ने अभी तक कुछ बिल्डर्स के तीन प्रॉपर्टी अटैच कर दी है।

आने वाले दिनों में भी विभाद को यदि दस्तावेज मिलते हैं तो अन्य प्रॉपर्टी भी अटैच कर सकता है। जांच की इस कार्यवाही में आयकर विभाग बेनामी संपत्ति और ब्लैक मनी के नजरिए से भी जांच करेगा। उल्लेखनीय है कि कुबेरजी बिल्डर के प्रोजेक्ट सारोली, सहारा दरवाजा तथा पूणागाम आदि क्षेत्रों में हैं। 


अभी तक कोरोना के कारण आयकर विभाग लोगों को नोटिस देकर नहीं बुला रहा था, लेकिन अब धीरे धीरे परिस्थितित कुछ सामान्य होने के कारण आयकर विभाग आने वाले दिनों में अन्य मामलों में भी नोटिस देकर जांच शुरू करेगा।