सूरतः पाँच ज्वैलर्स के 2300 करोड़ के दस्तावेज जब्त

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सूरत

सूरत आयकर विभाग की डीआई विंग द्वारा शहर के पांच ज्वैलर्स और आभूषण निर्माताओं के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई में 2300 करोड़ रुपये के दस्तावेज जब्त किए है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पांच ज्वेलरी फर्म के 35 स्थानों पर की गई कार्रवाई रविवार तक 32 स्थानों पर पूरी हो गई।जांच के दौरान आयकर विभाग ने पिछले छह वर्षों के लेखांकन दस्तावेज, स्टॉक शीट और कर्मचारियों की जानकारी सहित दस्तावेज जब्त किए।इसके अलावा ज्वैलर्स ने अपने मोबाइल और कंप्यूटर में भी कुछ जानकारी विशेष सॉफ्टवेयर में छिपा रखी थी, उसे डी-कोड करने के लिए कंप्यूटर और मोबाइल भी जब्त कर लिए गए। जिसे डिकोड करने की प्रक्रिया चल रही है. इस जांच की खास बात यह है कि सूरत में पहली बार वहां आभूषण निर्माताओं पर जाँच की गई।सभी ज्वैलर्स ने नकद में खरीदारी की और नकद में ही आभूषण बेचे होने को भी कई सबूत मिले।

विभाग ने अब तक 2300 करोड़ रुपये के हिसाब-किताब के दस्तावेज जब्त किए हैं. इसके अलावा 25 से ज्यादा लॉकर और करोड़ों की नकदी और आभूषण भी जब्त किए गए हैं. इसके अलावा, मिली जानकारी के अनुसार, ज्वैलर्स ने अपने दस्तावेजों में बताया कि रु. विभाग को 90 करोड़ से ज्यादा के सोने के स्टॉक का हिसाब भी मिला. आने वाले दिनों में दस्तावेजों की जांच और लॉकर ऑपरेट होने पर टैक्स चोरी के आंकड़े सामने आ जाएंगे। गौरतलब है कि आने वाले दिनों में पांचों ज्वैलर्स से बड़ी संख्या में आभूषण खरीदने वाले लोगों को भी समन भेजा जाएगा. आने वाले दिनों में जांच शुरू की जाएगी. विभाग का मानना ​​है कि जांच के बाद बड़ी रकम की टैक्स चोरी सामने आ सकती है.

-कांतिलाल एंड ब्रदर्स

-पार्थ ओर्नामेन्ट

-अक्षर ज्वेल

-तीर्थ गोल्ड

हरिकला गोल्ड

आपने की है ऐसी गलती तो आयकर की नोटिस के लिए रहिए तैयार!

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करदाताओं द्वारा किए गए सभी बड़े वित्तीय लेन-देन की जानकारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आयकर विभाग की खुफिया इकाई तक पहुंच रही है। इसके आधार पर सूरत इनकम टैक्स ने लाखों करोड़ के आर्थिक सौदे करने के बावजूद रिटर्न नहीं भरने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. विभाग के पास जानकारी है कि वित्त वर्ष 2020-21 में करीब 900 लोगों ने बड़ा वित्तीय लेनदेन किया है, लेकिन आयकर रिटर्न नहीं भरा है. अब उन्हें नोटिस भेजकर विभाग से जवाब मांगा जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के दिल्ली स्थित इंटेलिजेंस डिविजन की ओर से नॉन रिटर्न फाइलर्स और बड़ी इनकम के छुपाने वालों की जानकारी संबंधित आयुक्तालय को अग्रेषित किया जाता है, जिसके आधार पर संबंधित आयुक्तालय करदाताओं को नोटिस भेजकर आगे की कार्रवाई करता है। फिलहाल आयकर विभाग को ऐसी जानकारी मिली है कि

वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुछ लोगों ने करोड़ों रुपए की जमीनें बेच दीं, लेकिन रिटर्न नहीं भरा। इसी तरह शेयर बाजार में भारी निवेश, फिक्स्ड डिपॉजिट में ब्याज पर लाखों रुपये

आय, कमीशन आय समेत अन्य स्रोतों से मोटी कमाई की, लेकिन वे रिटर्न फाइल नहीं करते। आयकर विभाग को ऐसे 900 लोगों की जानकारी मिली है। इसके आधार पर विभाग उन्हें नोटिस भेजकर जवाब मांगेगा। अगर वे सही जवाब नहीं देते हैं तो उन पर टैक्स और ब्याज के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जाएगा।गौरतलब है कि कुछ लोग उचित जानकारी के अभाव में रिटर्न फाइल नहीं करते हैं। वहीं कुछ लोग टैक्स चुकाने से बचने के लिए रिटर्न फाइल करने से बचते हैं। हालाँकि, सभी प्रमुख आर्थिक सौदे

पैन कार्ड नंबर उस वक्त देना होता है। जिसके आधार पर करदाताओं की सारी जानकारी आसानी से विभाग तक पहुंच जाती है।

सूरतःआयकर विभाग का स्टेनोग्राफर 2500 रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया

सूरत एसीबी ने आयकर कार्यालय के एक स्टेनोग्राफर तेजवीर सिंह गेंदासिंह को गिरफ्तार किया, जिसने करदाता से टीडीएस की राशि की ज़्यादा चुका दी गई रक़म की वापसी के लिए आवेदन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए 2500 रुपये की रिश्वत की मांग की थी।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की एक टीम ने अडाजण स्थित आयकर कार्यालय की चौथी मंजिल पर ट्रेप बिछाया था। आयकर रिटर्न और टीडीएस दाखिल करना दावा करने के काम से गलती से एजेंट से 17,750 ज्यादा टीडीएस कट गया। इस राशि की वापसी के लिए ऑनलाइन फार्म-62 क्यूडब्ल्यू भरा था।

तेजवीर सिंह गेंदा सिंह के पास यह आवेदन यहां स्टेनोग्राफर के तौर पर काम करने के दौरान आया था। इस आवेदन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए 2500 रुपए रिश्वत की मांग की गई थी। रिश्वत की राशि नहीं देने पर आवेदन पर कार्रवाई में देरी कर रहे थे। अंतत: सहायक निदेशक ए.सी.बी.आर.आर. चौधरी के पास शिकायत पहुँची।टीम ने जाल बिछाया और भ्रष्ट स्टेनो को रंगेहाथ पकड़ लिया।

टैक्स रिटर्न फाइल करने की समय सीमा बढ़ी, लेकिन ग़लतफ़हमी में मत रहना!!

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सरकार ने रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई से बढ़ा दी है, लेकिन देर से रिटर्न दाखिल करने वालों को ब्याज देना होगा।
इस दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए, करदाताओं को 31 जुलाई से पहले कर दे देना होगा, और बाद में सितंबर तक रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।

देश में कोरोना महामारी को देखते हुए आयकर विभाग ने रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 30 सितंबर 2021 तक बढ़ा दी है, लेकिन देर से रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं को जुर्माना के तौर पर ब्याज देना होगा।

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आयकर अधिनियम के अनुसार, यदि कोई करदाता आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 234A, 234B और 234C के तहत कर रिटर्न दाखिल करने में देरी करता है, तो करदाता को बकाया कर पर ब्याज का भुगतान करना होता है। आयकर की धारा 234A के अनुसार, ब्याज तब भी लागू होता है जब करदाता रिटर्न दाखिल करने में देरी करता है। फ़िलहाल कोरोना के कारण सरकार ने रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी है, लेकिन जुलाई की समय सीमा के बाद रिटर्न दाखिल करने वालों को एक फीसदी प्रति माह की दर से ब्याज देना होगा।

अगर आप 31 जुलाई के बजाय 7 अगस्त को रिटर्न दाखिल करते हैं, तब भी आपको पूरे महीने का टैक्स देना होगा। 7-दिन की देरी पूरे महीने के लिए गिना जाएगा। हालांकि, धारा 234ए के तहत कानून केवल उन करदाताओं पर लागू होता है जिनका टैक्स 1 लाख रुपये तक है। इसका मतलब है कि टैक्स रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी गई है, लेकिन 31 जुलाई के बाद रिटर्न फाइल करने वाले टैक्सपेयर की टैक्स देनदारी अगर 1 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसे 1 फीसदी की दर से मासिक ब्याज देना होगा।


सीए बिरजू शाह और सीए दीपक सक्सेना ने कहा कि कोरोना की गंभीर स्थिति को देखते हुए सीबीडीटी ने रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा बढ़ा दी है. लेकिन जिन टैक्सपेयर्स पर 1 लाख रुपये से ज्यादा टैक्स देनदारी है, उन्हें टैक्स लेट करने पर कानून के मुताबिक ब्याज देना होगा। इस दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए करदाताओं को 31 जुलाई से पहले कर दाखिल करना होगा, बाद में रिटर्न जमा किया जा सकता है।

आयकर विभाग ने कहा जिन के हीरे हैं उन्हें देना होगा सबूत!

सूरत आयकर विभाग के डीआई विंग ने गुरुवार की शाम से सोमवार की देर रात तक वराछा के हीरा बाग में दियोरा एंड भांडेरी कॉर्पोरेशन में जांच की थी। जांच के दौरान विभाग को यहां से डेढ़ करोड रुपए नगद, 1200 मशीनें और 10 लाख नग हीरे मिले थे। इन सब के हिसाब- किताब अभी तक कंपनी संचालक नहीं दे पाए हैं।

आयकर विभाग ने यहां पर मिले 1000000 नग से अधिक हीरे वहीं पर जप्त कर दिए हैं। जिसके चलते हीरा उद्यमियों को दिक्कत आ रही है। चेंबर ऑफ कॉमर्स ने इस बारे में आयकर विभाग से गुहार लगाई थी कि यह हीरा छोटे-छोटे हीरा उद्यमियों के हैं जो कि जप्त कर लेने से उनकी समस्या बढ़ सकती है। साथ ही 2 लाख से 300000 लोग बेरोजगार हो जाएंगे। यदि यह समय पर नहीं छोड़े गए तो हीरा उद्योग के समक्ष बड़ी दिक्कत आ सकती है।

इस बात को ध्यान में रखते हुए गुरुवार को गुजरात के पूर्व मंत्री तथा चैम्बर के मैनेजिंग कमेटी के सदस्य नानुभाई वानाणी, सूरत डायमंड एसोसिएशन के उप प्रमुख सवजी भरोडिया, सेक्रेटरी दामजी मावाणी तथा इन्कम टैक्स चीफ़ कमिश्नर श्याम कुमार तथा प्रिंसिपल डायरेक्टर ऑफ इन्वेस्टिगेशन जयंत कुमार से मुलाकात कर हीरा उद्यमियों के 1000000 नग हीरे छोड़ने की मांग की।

इस पर आयकर विभाग ने कहा कि हीरा उद्यमी अपना पहचान पत्र, पैन कार्ड देकर और हीरे जॉब वर्क के लिए दिए हैं ऐसे सबूत दे कर हीरे ले जा सकते है। बताया जा रहा है कि यहां पर यहां पर 800 से अधिक कंपनियों जॉब वर्क के लिए आए थे।

आयकर विभाग की इस कार्यवाही के बाद हीरा उद्योग में हड़कंप मच गया है। आयकर विभाग को यहां से बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी पकड़ाने की आशंका लग रही है।

हीरा उद्यमी नहीं दे सके 1200 मशीनों का हिसाब, जब्त हो गई


सूरत आयकर विभाग की डीआई विंग ने गुरूवार को वराछा क्षेत्र के हीराबाग में दियोरा एन्ड भंडेरी कोर्पोरेशन पर की कार्रवाई सोमवार की देर रात समाप्त हो गई। पांच दिनो तक चली कार्रवाई के दौरान विभाग ने यहां पर से 1200 मशीनें और 56 लाख रुपए के हीरों के साथ अन्य 10 लाख नंग हीरे तथा डेढ करोड रुपए नकद जब्त कर लिए। कंपनी के संचालक इन सभी का कोई हिसाब नहीं दे सके।


आयकर विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डीआई विंग के 40 से अधिक इन्सपेक्टर और अधिकारियों की टीम ने गुरूवार की शाम से वराछा में हीरा बाग के पास दियोरा एन्ड भंडेरी कोर्पोरेशन की दो यूनिटों पर जांच की थी।

विभाग को शक है कि वह हीरा उद्योग से जुडी मशीने बनाते है लेकिन आयकर विभाग से यह जानकारी छुपाते हुए सिर्फ जॉबवर्क बताते है। इस शक पर की कार्रवाई में विभाग को यहां से दोनो प्रिमाइस पर 900 गैलेक्सी और 300 प्लानर मशीने मिली। इन मशीनों का मालिक कौन है यह भी बताने में संचालक नाकामयाब रहे।

इसलिए विभाग ने इन मशीनों को जब्त कर लिया। इसके अलावा यहा पर 10 लाख नंग हीरे मिले। जांच शुरू होते ही वहां के कर्मचारियों ने कम्प्युटर तोड डाले इसलिए इन हीरों का भी हिसाब किताब नही मिल पा रहा। इसके अलावा इस फर्म के संचालको ने दूसरो के नाम से 56 लाख रुपए की संपत्ति भी खरीदी होने के दस्तावेज हाथ लगे होने की चर्चा है।

बताया जा रहा है कि पांच दिनों की जांच के दौरान आयकर विभाग को डेढ करोड नकद, 10 लाख नंग हीरे, 56 लाख रुपए, 1200 मशीन और 56 लाख रुपए की संपत्ति के दस्तावेज मिले है। बताया जा रहा है कि हीरों के मालिक कौन है यह जानने के लिए विभाग ने तीन अन्य हीरा उदयमियों पर सर्वे किया लेकिन वहां कुछ नहीं मिला।

हीरा उद्यमी के यहाँ जाँच में मिली 600 गैलेक्सी मशीन, सर्वे को सर्च में बदला

सूरत के वराछा के हीरा उद्योगपति के यहाँ गुरुवार को सूरत आयकर विभाग की डीआई विंग द्वारा किए गए सर्वे में दोनों परिसरों से 1.5 करोड़ रुपये नकद मिला। इसके अलावा, शहर के कुछ हीरा उद्योगपतियों द्वारा जॉबवर्क के लिए भेजे गए हीरे भी मिले।


आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार, डीआई विंग के लगभग 40 निरीक्षकों और अधिकारियों ने वराछा हीराबाग में दियोरा-भंडेरी कोर्पोरेशन की जांच शुरू की। जिसमें विभाग ने फर्म के दो भवनों में सर्वे का काम शुरू किया।जांच के दूसरे दिन, विभाग को उम्मीद से अधिक संपत्ति और जानकारी मिली और जांच को सर्च में बदल दिया। सूत्रों ने कहा कि दोनों परिसरों से लगभग 600 मशीनें मिली।

इसकी कीमत 1,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है। अब विभाग जांच कर रहा है कि मशीनों का मालिक कौन है। इसके अलावा, जॉबवर्क के काम के लिए 10 लाख हीरे भी मिले। इनकी जांच भी शुरू की गई है कि इनका मालिक कौन हैं। दोनों परिसरों में जांच के दौरान, एक इमारत में 1.25 करोड़ रुपये और 25 लाख रुपये की नकदी मिली।

इसके अलावा, आयकर अधिकारियों ने वराछा के सेफ़ डिपोजिट वोल्ट में देवरा-भंडारी निगम के हीरे रखे गए हीरों की भी जाँच करवाई वॉल्ट में एक जगह से हीरे भी मिले थे। आयकर अधिकारियों को संदेह है कि फर्म के प्रबंधक मशीनों का निर्माण और बिक्री कर रहे थे। विभाग इस दिशा में भी जांच कर रहा है।


आयकर विभाग द्वारा शुरू की गई जांच में बड़े हीरा उद्योगपतियों के पहुंचने की संभावना है। विभाग की जांच में कुछ वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा किया गया है, जिसमें कुछ बड़े हीरा व्यापारियों के नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने दियोरा-भंडारी निगम के साथ कारोबार किया।

इसके सत्यापन के लिए कई अन्य हीरा उद्योगपतियों ने भी देर रात वहां विभाग द्वारा जांच की। अब तक, Diora-Gajera Corporation के पांच भागीदारों में से एक, प्रवीण लखानी, आयकर विभाग द्वारा शुरू की गई जांच में उपस्थित थे। हालांकि, अन्य चार घनश्याम भंडेरी, आशीष देवड़ा, धवल देवड़ा और रादडिया अनुपस्थित हैं।

सूरत: वराछा के हीरा कारोबारी पर आयकर की जांच!


सूरत आयकर विभाग की डीआई विंग ने गुरूवार की शाम को शहर में वराछा क्षेत्र के एक हीरा कारोबारी के यहां छापा मारा। आयकर विभाग की जांच देर रात तक चलते रही। जांच में विभाग ने बड़े पैमाने पर खरीद-बिक्री के दस्तावेज जब्त किए। विभाग को यहां से बड़े पैमाने पर टैक्सचोरी की संभावन नजर आ रही है।


आयकर विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते डीआई विंग के 40 से अधिक इन्सपेक्टर्स और अधिकारियों की टीम ने चार बजे से वराछा के हीराबाग के पास स्थित देवरा भंडारी कोर्पोरेशन पर जांच शुरू की थी। बताया जा रहा है कि इस फर्म के संचालक अपने रिटर्न में खुद को हीरों का जॉबवर्कर बताते थे और अपना टर्न ओवर भी 19 करोड़ बताते थे। इन्होंने अपनी प्रिमाइस के तौर पर एक छोटी सी ऑफिस बताई थी।

आयकर विभाग के अधिकारियों पहले से ही अध्यन कर जांच शुरू की थी। अधिकारी जब रिटर्न में बताए गए कार्यालय पर पहुंचे तो वहां विशेष कुछ नहीं था। इसके बाद अधिकारियों ने हीराबाग के पास ही दो ईमारतो में जांच शुरू की। यह दोनो बिल्डिंग रिटर्नफाइल में नहीं दर्शाई गई थी। दोनो चार मंजिल की है।

अधिकारियों ने अंदर जाकर देखा तो यहां पर बडे पैमाने गैलेक्सी मशीने थी। यह मशीन रफ हीरों मे से कितने छोटे छोटे हीरे बनाए जा सकते हैं। इसके लिए इस्तेमाल की जाती है। चर्चा है कि देवरा भंडारी कोर्पोरेशन के संचालक मशीनें बनाकर बेचते थे लेकिन रिटर्न में खुद को जॉबवर्कर बताते थे। डिपार्टमेन्ट भी यह जानकर दंग रह गया।

विभाग ने अब इस फर्म के संचालको ने यह मशीनें किसे बेची और कितना टैक्स चोरी की है। इस बारे में जांच शुरू कर दी है। देर रात तक जारी कार्रवाई में ‌विभाग ने बड़े पैमाने पर दस्तावेज जब्त किए है।

चार ज्वेलर्स के यहाँ आयकर का छापा, कुबेर जी बिल्डर की जाँच की आँच पहुँची

बीते दिनों आयकर विभाग ने शहर के कुबेर जी डेवलपर के यहां की कार्यवाही के अनुसंधान में 3 दिन पहले से शहर के चार ज्वेलर्स के यहां जांच शुरू की गई है। चारों ज्वेलर्स के यहां से विभाग ने बड़े पैमाने पर दस्तावेज जप्त किए हैं। जिनकी जांच आगामी दिनों में की जाएगी।

4 में से एक ज्वेलर के यहां विभाग ने सर्वे की कार्यवाही को सर्च में बदल दिया था। मिली जानकारी के अनुसार शहर के कुबेर जी डेवलपर्स पर फरवरी महीने में आयकर विभाग ने सर्च कार्रवाई की थी।

जिसमें की कुल 10 बिल्डर्स के यहां 30 स्थानों पर सर्च किया गया था। उस दौरान विभाग ने सभी कुबेर से जुड़े सभी भागीदार, एजेंट, आदि को समन्स भेजकर जवाब देने के लिए बुलाया था लेकिन कोरोना के कारण आगे की कार्यवाही रुक गई थी।

कोरोना की परिस्थिति सामान्य हो रही है तब विभाग सब से पूछताछ शुरू कर रहा है। इस दौरान कुबेर जी डेवलपर के यहां भी जांच पड़ताल में जिनके लॉकर में जो ज्वेलरी मिली थी वह अकाउंटेड है या नहीं इसकी जानकारी के लिए विभाग ने नोटिस भेजा था। इसी में राजेश पोद्दार को भी नोटिस भेजा था उनकी ओर से पेश किए गए बिल की वेरिफिकेशन डिपार्टमेंट ने चार ज्वेलर्स के यहां भी जांच की थी।

जिसमें राजवी एक्सपोर्ट, जय आशापुरी एबी फाइन ज्वेलरी तथा घोडदोड रोड के चारू ज्वेलर्स के यहां भी जांच की गई। जांच में ज्वेलर के पार्टनर के लॉकर में से ₹45 लाख रूपए की नक़द ज़ब्त की गई है। सभी ज्वेलर्स के यहाँ जो खरीद और बिक्री के दस्तावेज मिले हैं वह भी स्टॉक से विसंगत होने की जानकारी सामने आ रही है।

सूरत आयकर विभाग ने कोरोना काल में बांट दिए 800 करोड से अधिक का रिफंड, आप का मिला?

कोरोना के कारण व्यापार उद्योग पर बुरा असर पडा है। बड़ीं संख्या में लोग बेरोजगार हो गए है और कई उद्योग तो नुकसानी कर रहे हैं।सूरत आयकर विभाग की आय पर भी विपरीत असर हुआ है। सूरत कमिश्नर ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 4510 करोड़ रुपये के कुल लक्ष्य के मुकाबले केवल 506 करोड़ रुपये की वसूली की है और टीडीएस के रूप में 833 करोड़ रुपये का रिफंड दिया है।


कोरोना के कारण मार्च के आखिरी दिनों में व्यापार उद्योग बंद हो गए थे। जिसका आयकर विभाग की आय पर असर पड़ा। कोरोना की स्थिति को देखते हुए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने करदाताओं को अनावश्यक कॉल करने या नोटिस भेजने नहीं भेजने का भी निर्देश दिया था। जिसका असर आय पर भी पड़ा है।

सूरत कमिश्नरेट को चालू वित्त वर्ष 2020-21 में 4510 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया है। विभाग ने अगस्त तक उसके खिलाफ 1340 करोड़ रुपये की वसूली की है। जिसमें से 833 करोड़ रुपये करदाताओं को वापस कर दिए गए हैं और 506 करोड़ रुपये विभाग ने लक्ष्य के रूप में वसूल किए हैं। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में विभाग ने 1,476 करोड़ रुपये एकत्र किए थे।


लॉकडाउन के समय में लोगों का व्यापार, उद्योग बंद हो गया और बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए थे। इस स्थिति को देखते हुए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को करदाताओं की टीडीएस रिफंड प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सभी कमिश्नरेट को कहा था। नतीजतन, टीडीएस रिफंड जल्दी दिया जा रहा है।

कपड़ा उद्योग, हीरा उद्योग और रियल एस्टेट सहित तमाम उद्योग में मंदी के कारण इस साल रिकवरी का असर पड़ा। सूरत आयुक्तालय में चार सीआईटी हैं। जिसमें से सीआईटी -1 में 167 करोड़ रुपये, सीआईटी -2 में -22 करोड़ रुपये, सीआईटी -3 में 8 करोड़ रुपये और सीआईटी वलसाड में 307 करोड़ रुपये की वसूली की गई है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने देश भर के सभी आयुक्तों में आयकर अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे डिफॉल्टरों के खिलाफ वसूली के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करें।