सूरत सहित पूरे भारत साथियों के लिए यह ख़बर गौरवपूर्ण है जिसमें कि सूरत के दो वैज्ञानिकों ने भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छा गया है। अपनी खोज के माध्यम से इन दोनों वैज्ञानिक का नाम दुनिया के श्रेष्ठ वैज्ञानिकों में शामिल हो गया है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने विज्ञान के सभी क्षेत्रों में दुनिया के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची जारी की है।  सूची में सूरत के 2 वैज्ञानिक भी शामिल हैं।  इसमें नर्मद विश्वविद्यालय में सेवानिवृत्त प्रोफेसरों डॉ. शांतिलाल ओसवाल और डॉ.प्रताप बहादुर के नाम शामिल हैं।

भाभारत के अलावा विश्व के कई देशों के वैज्ञानिकों को स्थान मिला है।हालाँकि भारत के लिए गर्व की बात यह है कि भारत के वैज्ञानिकों ने किये हॉज आज दुनिया के लिए वरदान साबित हो रहे हैं।


शांतिलाल ओसवाल
 शांतिलाल ओसवाल का वर्ल्ड रैंक -634 है।   रिसर्च पेपर -130  उन्होंने 1989 से 2016 तक केमिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 93 अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्र लिखे हैं।सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक खोज टायर से जुड़ी है।हेवी अर्थ मूवर्स और मालवाहक विमान ऐसे टायर बन रहे हैं जो अधिक मजबूत, कम खराब और कम गर्म होते हैं।  इन टायरों के निर्माण में उनके द्वारा आविष्कार की गई बहुलक तकनीक का उपयोग   किया जाता है।  उन्होंने जमीन से पेट्रोलियम को शुद्धि करण करने के लिए थर्मोडायनामिक विधियों पर एक शोध पत्र प्रकाशित किया।

डॉ. प्रताप बहादुर
 डॉ. प्रताप बहादुर, वर्ल्ड रैंक -2019, रिसर्च पेपर -300 1980 से 2014 तक, उन्होंने VNSGU के रसायन विज्ञान विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। बताया जा रहा है कि 34 वर्षों में उन्होंने 300 अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। इन सभी खोजो में एक महत्वपूर्ण खोज दवा से जुड़ी है।  आमतौर पर कई दवाएं पानी में नहीं घुलती हैं जो कम प्रभाव का कारण बनती हैं।  तो एक पॉलिमर में घोलकर देने से दवा का प्रभाव लंबे समय तक रह सके ऐसी ब्लैक पॉलिमर नाम की टेक्नोलॉजी ढूँढी।

देश के एक मात्र शिक्षक जिन्हें मिला ग्लोबल टीचर प्राइज
महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के शिक्षक रणजीत सिंह दिशाले ने ग्लोबल टीचर प्राइज का सम्मान हासिल किया है। शिक्षण क्षेत्र में यह सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड है। जिसे की रणजीत सिंह ने हासिल किया है। वह भारत के पहले शिक्षक हैं।उन्हें इनामी राशि के तौर पर 7 करोड़ रुपए की धनराशि मिलेगी। चाणक्य का यह वाक्य की शिक्षक कभी सामान्य नहीं होता यह वाक्य रणजीत सिंह दिशाले ने वैश्विक स्तर पर सार्थक कर दिया है।

 वह वर्ष 2020 के लिए ग्लोबल टीचर्स अवॉर्ड के लिए चयनित किए गए हैं। महाराष्ट्र कोल्हापुर जिले में परितवादी गांव के जिला परिषद स्कूल में उन्होंने 2009 से पढ़ाना शुरू किया तब वह मात्र एक कमरा था। बच्चों की उपस्थिति भी बहुत कम थी और लड़कियां तो बहुत ही कम थी। यहां तक की मात्र अगुंलियों पर गिनी जा सकती थी।

इसके बाद रणजीत सिंह ने निजी उत्साह लेते हुए आदिवासी बच्चों को शिक्षण मिले इसका प्रयास शुरू किया। किशोरावस्था में मां-बाप बच्चियों की शादी कर देते थे इससे उनकी पढाई  रूक जाती थी। इसके लिए रंजीत सिंह ने मां-बाप को समझाया। उनके प्रयासो के बादबच्चियों की उपस्थिति 100% हो गई।