नई दिशाः अब सूरत के हीरा उद्यमी कर रहे लैबग्रान रफ हीरो का निर्यात


सूरत
मंदी के दौर से गुज़र रहे सूरत के हीरा उद्यमी नए विकल्प की तलाश में है। कई उद्यमियों ने व्यापार के नए रस्ते ढूंढना शुरू कर दिया है। इन प्रयासों के चलते नैचरल हीरों का गढ़ माने जाने वाला सूरत अब लैबग्रान डायमंड में भी नए क्षितिज को छू रहा है। लैबग्रान डायमंड के क्षेत्र मे हीरा उद्यमियों ने अपना वर्चस्व बनाना शुरू कर दिया है। बीते कुछ वर्षो से सूरत से बड़े पैमाने पर लैबग्रान रफ डायमंड विदेशों में भेजा जा रहा है।सूरत अब लैबग्रान रफ डायमंड के लिए भी केन्द्र बन रहा है।
वर्तमान वित्तीय वर्ष की बात करें तो बीते 4 महीने में 21 मिलियन यूएस डॉलर का लैबग्रान रफ डायमंड का निर्यात किया जा चुका है।

——9 हज़ार लैबग्रान डायमंड रिएक्टर
हीरा उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सूरत नेचरल हीरों का केंद्र माना जाता है।90 प्रतिशत से अधिक हीरा सूरत में तराशे जाते हैं ।सूरत में तैयार होने वाले नेचरल हीरे ज़्यादातर रूस, ऑस्ट्रेलिया, ज़िम्बाब्वे, दक्षिण अफ़्रीका में से आयात किए जाते हैं लेकिन अब सूरत में हीरा उद्योग ने करवट बदली है और सूरत में बड़े पैमाने पर लैबग्रान डायमंड का काम होता है।सूरत के कई उद्यमी लैबग्रान डायमंड का उत्पादन भी कर रहे हैं।एक अंदाज़ के अनुसार सूरत में 9 हज़ार के क़रीब डायमंड रिएक्टर रहा है जिनमें की लेबग्रॉन डायमंड बनाया जाता है।लेबग्रॉन डायमंड की डिमांड दुनिया में लगातार बढ़ते जा रही है जिसके चलते इस सेक्टर काम बढ़ा है।
——-नेचरल हीरो का विकल्प बना लैबग्रान हीरा

सूरत में लेबग्रॉन डायमंड का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने के कारण दुनिया के कई देशों में यहाँ से निर्यात किया जा रहा है।हालाँकि वर्तमान समय में लेबग्रॉन डायमंड में भी मंदी का दौर है लेकिन उद्यमियों का मानना है कि आने वाले दिनों में लेबग्रॉन डायमंड हीरा पसंद करने वाले लोगों के लिए एक नया विकल्प बनकर उभरेगा। बीते दो साल से नेचरल हीरा उद्योग में मंदी का दौर है ऐसे में कई हीरा उद्यमी अब लैबग्रान का भी काम कर रहे है। इसके चलते बड़ी संख्या में हीरा श्रमिको को रोज़गार मिल रही है।

रफ लैबग्रॉन डायमंड का एक्सपोर्ट
महीना———निर्यात ( मिलियन)
अप्रेल —3.22
मई—-6.28
जून——7.09
जुलाई—-4.32

-मोटी साईज़ के हीरो का निर्यात
चीन मे पतली साइज़ के लैबग्रान रफ डायमंड( एचपीएचटी) एक्सपोर्ट किए जाते हैं जबकि सूरत में बड़ी साइज़ के लैबग्रान डायमंड तैयार होते हैं। विदेश के जिन उद्यमियों को बड़ी साइज़ के लैबग्रान रफ डायमंड की ज़रूरत है वह सूरत से इंपोर्ट कर रहे हैं। सूरत के हीरा उद्योग के लिए अच्छी संभावना है।
विजय माँगुकिया, रीजनल चेयरमैन, जीजेईपीसी

देशभर में जन्माष्टमी पर हुआ 25 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार!

आज देश भर में जन्माष्टमी का त्यौहार बेहद धूम धाम से मनाया गया और देश भर के मंदिरों में कहाँ सजावट हुई वहीं दूसरी ओर लोगों ने भी अपने घरों के मंदिरों एवं पूजा स्थलों को सुंदर तरीक़े से सजाया । कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के मुताबिक़ देश भर में जन्माष्टमी के मौक़े पर लगभग 25 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार हुआ ।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री तथा चाँदनी चौक से सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि इस बेहद महत्वपूर्ण त्यौहार पर हुए बड़े व्यापार में ख़ास तौर पर फूल, फल, मिठाई, भगवान की पोशाक, शृंगार का सामान, व्रत की मिठाइयाँ, दूध दही, माखन तथा ड्राई फ्रूट की बड़े पैमाने पर बिक्री हुई । श्री खंडेलवाल ने कहा कि जन्माष्टमी जैसे त्यौहार देश में सनातन अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिससे देश की अर्थव्यवस्था मज़बूत होती है ।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया ने बताया कि देश भर में जन्माष्टमी का त्यौहार बेहद उत्साह से मनाया गया । ख़ास तौर पर उत्तर एवं पश्चिम भारत में यह त्यौहार खूब उल्लास से मना। मंदिरों में खूब आकर्षक सजावट की गई तथा लोगों में दर्शन करने की भारी भीड़ हर तरफ़ दिखाई दे। उन्होंने बताया कि जन्माष्टमी त्यौहार का विशेष आकर्षण डिजिटल झांकियाँ, भगवान कृष्ण के साथ सेल्फ़ी पॉइंट,अन्य अनेक प्रकार की मनोरम झांकियाँ रहीं। बड़ी मात्रा में शहरों में भजन, धार्मिक नृत्य तथा संतों एवं महात्माओं के प्रवचनों का सिलसिला जारी रहा। बड़ी मात्रा में सामाजिक संगठनों ने बड़े स्तर पर जन्माष्टमी समारोह का आयोजन किया

शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी भाद्रपदा की अमावस्या के आठवें दिन मनाई जाती है । इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था ।

इस राखी पर 12 हज़ार करोड़ रुपये के व्यापार होने का अनुमान!

देश भर के व्यापारियों के शीर्ष संगठन कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने कहा है कि इस वर्ष राखी के त्यौहार पर देश भर में 12 हज़ार करोड़ और सूरत सहित साउथ गुजरात में 100 से 150 करोड़ रुपये से अधिक का त्यौहारी व्यापार होने की उम्मीद है बाज़ारों में राखी की ख़रीददारी की ज़बरदस्त भीड़ है और लोगों में त्यौहार के प्रति बहुत उत्साह भी है।पिछले कई वर्षों से देश में स्वदेशी राखियों ही बिक रही हैं और इस वर्ष भी चीन की बनी राखियों की न तो कोई माँग थी एवं बाज़ार में चीनी राखियाँ दिखाई ही नहीं दी।


श्री खंडेलवाल एवं कैट के गुजरात चेरमेन श्री प्रमोद भगत ने बताया की इस वर्ष राखियों की एक विशेषता यह भी है कि इनमें देश के विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों से विशेष प्रकार की राखियाँ भी बनाई गईं है जिनमें नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी, पुणे में बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी, आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी,असम में चाय पत्ती राखी, कोलकाता में जूट राखी, मुंबई में रेशम राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, बिहार में मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी में सॉफ्ट पत्थर की राखी, बैंगलोर में फूल राखी आदि शामिल हैं वहीं देश का गर्व प्रदर्शित करने वाली तिरंगा राखी, वसुधैव कुटुंबकम की राखी, भारत माता की राखी आदि शामिल हैं जिनकी माँग बहुत अधिक है । इसके अलावा डिज़ाइनर राखियों तथा चाँदी की राखियाँ भी बाज़ार में खूब बिक रही है

श्री प्रमोद भगत एवं श्री खंडेलवाल ने बताया की उम्मीद है कि 19 अगस्त, रक्षा बंधन से शुरू होकर 15 नवंबर को तुलसी विवाह के दिन तक त्योहारी अवधि के दौरान, सामानों की बिक्री के माध्यम से देश के बाज़ारों में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की त्यौहारों बिक्री होने की उम्मीद है जो मूल रूप से भारतीय वस्तुओं की ख़रीदी से ही होगी। इस वर्ष की त्यौहार श्रृंखला रक्षा बंधन से शुरू होकर जन्माष्टमी, 10 दिवसीय गणेश उत्सव, नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा, करवा चौथ, धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा सहित अन्य त्यौहारों के साथ तुलसी विवाह के दिन सम्पन्न होगी ।

इस त्यौहारों श्रृंखला की अवधि के दौरान उपभोक्ताओं की मांगों को पूरा करने के लिए देश का व्यापारिक समुदाय पूरी तरह तैयार है और पर्याप्त मात्रा में सभी उत्पादों का स्टॉक व्यापारियों ने कर लिया है ।देश के सभी राज्यों में व्यापारी भारतीय सामान को ही बेचेंगे क्योंकि उपभोक्ता भी अब भारतीय सामान की मांग कर रहे हैं। कैट पिछले चार वर्षों से देश में ख़ास तौर पर त्यौहारों के समय भारतीय उत्पाद ख़रीदने के साथ चीनी सामान के बहिष्कार की सफल मुहिम चलाये हुए है ।

AMNS इंटरनेशनल स्कूल के छात्रोंने ‘लर्निंग कॉन्फ्लुएंस’ में नवीन प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन किया

सूरत-हजीरा, अगस्त 16, 2024: AMNS इंटरनेशनल स्कूल ने बहु-विषयक शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति का जश्न मनाने वाली एक प्रदर्शनी ‘लर्निंग कॉन्फ्लुएंस’ की मेजबानी की। अगस्त 15, 2024, स्वतंत्रता दिन के अवसर पर आयोजित यह कार्यक्रम विद्यालय की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार, और वैश्विक दृष्टिकोण वाले छात्रों का विकास करना शामिल है।

लर्निंग कॉन्फ्लुएंसने छात्रों को कई प्रोजेक्ट्स के माध्यम से अपनी बौद्धिक जिज्ञासा और रचनात्मकता को प्रदर्शित करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान किया, जो वैश्विक और स्थानीय दृष्टिकोण के समृद्ध मिश्रण को दर्शाता है।

11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों ने विभिन्न विषयों के ज्ञान का संयोजन करते हुए बहुआयामी प्रोजेक्ट्स पर काम किया। उन्होंने कई प्रोजेक्ट्स प्रस्तुत किए, जैसे कि सांस्कृतिक अर्थशास्त्र, जिसमें आर्थिक प्रणालियों पर संस्कृति के प्रभाव का पता लगाया गया, महिला उद्यमियों, जिसने महिला नेताओं की अभिनव भावना को प्रदर्शित किया, और मेगा किचन, जिसने बड़े पैमाने पर खाद्य उत्पादन की रसद और अर्थशास्त्र की जांच की। अन्य उल्लेखनीय प्रोजेक्ट्स में वैश्विक मुद्रा के रूप में रुपया, ब्रिक्स अर्थव्यवस्था, भारत की सफलता की कहानी, मूनलाइटिंग, तनाव और माता-पिता-बच्चे के रिश्ते, रोबोट मॉडल और बहुत कुछ शामिल हैं।

दसवीं कक्षा के छात्रों ने एथलेटिकवाद और प्रतिस्पर्धा की जटिलताओं का विश्लेषण करते हुए “एक आवर्धक कांच के माध्यम से खेल” विषय की खोज की। उनके प्रोजेक्ट्स में स्वदेशी खेलों की खोज की गई, जिसमें उनके इतिहास, स्थलाकृति, तकनीक, वैज्ञानिक सिद्धांतों और सामाजिक प्रभाव को शामिल किया गया।

सुनीता मटू, प्रधानाचार्य, AMNS इंटरनेशनल स्कूल ने कहा, “लर्निंग कॉन्फ्लुएंस प्रदर्शनी हमारे छात्रों की क्षमता को पूरी तरह से प्रदर्शित करती है। उनके प्रोजेक्ट्स सिर्फ अकादमिक अभ्यास नहीं हैं, बल्कि आलोचनात्मक और रचनात्मक रूप से सोचने और उनके आसपास की दुनिया के साथ जुड़ने की उनकी क्षमता का प्रतिबिंब हैं। शिक्षक के रूप में, हमें उनकी प्रतिभा का पोषण करने और उन्हें उज्ज्वल भविष्य की राह दिखाने में मदद करने पर गर्व है।”

कक्षा 9 के छात्रों ने “युद्ध और शांति” विषय का गहन अध्ययन किया, जिसमें संघर्ष और समाधान की कहानियों पर गहराई से विचार किया। उन्होंने इतिहास में हुए युद्धों के कारणों, युद्ध में उपयोग होने वाले उपकरणों और वैज्ञानिक तंत्रों का विश्लेषण किया, और आज की दुनिया में शांति की प्रासंगिकता पर विचार प्रस्तृत किया।

कक्षा 8 के छात्रों ने एक डिपार्टमेंटल स्टोर की दुनिया का गहराई से अध्ययन किया, जहां उन्होंने डैशबोर्ड इन्वेंट्री तैयार की और विज्ञापन व जिंगल बनाए। उन्होंने प्रवास के जटिल पहलुओं की भी पड़ताल की, सांख्यिकी डेटा का उपयोग करके ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के भीतर और भारत व अन्य देशों के बीच प्रवासन पैटर्न को समझाया।

छोटे छात्रों ने भी प्रदर्शनी में उत्साहपूर्वक भाग लिया। कक्षा 7 के छात्रों ने मिलेट्स के स्वास्थ्य लाभ, आयुर्वेद में उनकी भूमिका और भारत में उनकी खेती का अध्ययन किया। उन्होंने “नाइल नदी: जीवनरेखा” थीम पर एक परियोजना भी की, जिसमें उन्होंने विभिन्न देशों से होकर गुजरने वाली इस नदी की यात्रा को समझा।

कक्षा 6 के छात्रों ने रंगों और स्मारकों की खोज के साथ दर्शकों को आकर्षित किया। उनके प्रोजेक्ट्स में रंगों के महत्व पर टेड-एड टॉक्स, एक कविता कार्यशाला में भागीदारी, और हिंदी में मुहावरों के खेल शामिल थे। छात्रों ने भारत और रोम की वास्तुकला के चमत्कारों के रूप में रंग प्रणालियों का अध्ययन किया, और इन संरचनाओं के पीछे के विज्ञान और गणित का विश्लेषण किया।

कक्षा 5 के छात्रों ने “सुन लो मेरी कहानी” प्रस्तुत किया, जिससे दर्शकों को कल्पनाशील कथाओं की दुनिया में ले जाया गया। इन कहानीकारों ने सूर्य, प्रवास, माउंट एवरेस्ट और आइसक्रीम जैसे विविध विषयों पर आकर्षक कहानियाँ बनाई। उनकी रचनात्मकता और जिज्ञासा ने इन विषयों को जीवंत किया, और उनके कल्पनाशील अभिव्यक्तियों के लिए एक रंगीन मंच प्रस्तुत किया।

पूरा दिन चलने वाला यह कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा, जिससे छात्रों, माता-पिता, और शिक्षकों को प्रदर्शित की गई नवाचार की भावना और बौद्धिक जिज्ञासा से प्रेरणा मिली।

એક્ષ્પોર્ટ કરવા માટે સૌપ્રથમ પ્રોડકટ અંગે એનાલિસિસ કરવું જ પડશે

SGCCI દ્વારા યાર્ન એક્ષ્પો દરમ્યાન ‘Unlock Global Markets for Textile Materials’ વિષય પર સેમિનાર યોજાયો

વકતા શ્રી અમિત મુલાણીએ ઉદ્યોગ સાહસિકો અને યુવાઓને પ્રોડકટ અંગેનું નોલેજ મેળવી તેના વિષે એનાલાઇઝ કર્યા બાદ પ્રોડકટને એક્ષ્પોર્ટ કરવાની સલાહ આપી

સુરતઃ ધી સધર્ન ગુજરાત ચેમ્બર ઓફ કોમર્સ એન્ડ ઈન્ડસ્ટ્રીના જીએફઆરઆરસી દ્વારા રવિવાર, તા. ૧૧ ઓગષ્ટ ર૦ર૪ના રોજ સવારે ૧૧:૩૦ કલાકે, સેમિનાર હોલ–એ, સરસાણા, સુરત ખાતે ‘Unlock Global Markets for Textile Materials’ વિષય પર સેમિનાર યોજાયો હતો, જેમાં નિષ્ણાંત વકતા તરીકે શ્રી અમિત મુલાણીએ ઉદ્યોગ સાહસિકોને વૈશ્વિક બજારમાં ટેક્ષ્ટાઇલ પ્રોડકટની એક્ષ્પોર્ટ માટે રહેલી તકો વિષે માર્ગદર્શન આપ્યું હતું.

SGCCIના માનદ્‌ ખજાનચી શ્રી મૃણાલ શુકલએ સેમિનારમાં સર્વેને આવકાર્યા હતા અને સ્વાગત પ્રવચન કર્યું હતું. તેમણે જણાવ્યું હતું કે, યુએસએ, યુરોપ અને આફ્રિકા સહિતના ઘણા દેશોમાં, સુરતનું કાપડ એક્ષ્પોર્ટ થાય છે. સુરતમાંથી કાપડનું એક્ષ્પોર્ટ વાર્ષિક ધોરણે આશરે પ બિલિયન યુએસ ડોલર છે, જે ભારતના કુલ કાપડના એક્ષ્પોર્ટમાં નોંધપાત્ર યોગદાન આપે છે. સુરતનું ટેક્ષ્ટાઇલ સેકટર વાર્ષિક ૧રથી ૧પ ટકાના દરે વૃદ્ધિ પામી રહ્યું છે, જે સિન્થેટિક કાપડની વૈશ્વિક માંગમાં વધારો થવાને કારણે છે. આંતરરાષ્ટ્રીય બજારોમાં વધતી માંગ સાથે, સુરતના ટેક્ષ્ટાઇલ એક્ષ્પોર્ટમાં તાજેતરના વર્ષોમાં ૧૦થી ૧ર ટકાનો વૃદ્ધિદર જોવા મળ્યો છે. સુરત શહેર સિન્થેટિક સાડીઓ, ડ્રેસ મટિરિયલ્સ અને હોમ ટેક્ષ્ટાઇલનું નોંધપાત્ર એક્ષ્પોર્ટર છે, જેની વૈશ્વિક સ્તરે ખૂબ જ માંગ છે. સુરતમાંથી ટેકનિકલ ટેક્ષ્ટાઇલની માંગ વર્ષ ર૦૩૦ સુધીમાં ર૦ ટકા વધવાની સંભાવના છે.

શ્રી અમિત મુલાણીએ જણાવ્યું હતું કે, ભારતમાંથી ટેક્ષ્ટાઇલ પ્રોડકટનું એક્ષ્પોર્ટ વર્ષ ર૦રર–ર૩માં રૂપિયા ર૮૬૦૮૯ કરોડ રહયું હતું, જે વર્ષ ર૦ર૩–ર૪માં રૂપિયા ર૬૯ર૧૧ કરોડ નોંધાયું હતું. ભારતના કુલ એક્ષ્પોર્ટમાં ટેક્ષ્ટાઇલ મટિરિયલ્સ તેમજ પ્રોડકટનું યોગદાન ૬ ટકા જેટલું છે. હવે તો વિશ્વની ઘણી કંપનીઓ ભારતથી ટેક્ષ્ટાઇલ પ્રોડકટ લેવા માટે આવી રહી છે. તેમણે એક્ષ્પોર્ટરો અને ઉદ્યોગ સાહસિકોને જણાવ્યું હતું કે, ગ્લોબલ માર્કેટમાં જવું હશે તો એક્ષ્પોર્ટ કરવા માટે સૌપ્રથમ પ્રોડકટ અંગે એનાલિસિસ કરવું જ પડશે. વિશ્વને હવે ચાઇના પાસેથી કોઇ પણ પ્રોડકટ ખરીદવી નથી, આથી ભારતના ટેક્ષ્ટાઇલ ઉદ્યોગકારોને વૈશ્વિક માર્કેટમાં એક્ષ્પોર્ટ માટે જબરજસ્ત તકો છે.

તેમણે આંકડાકીય માહિતી આપતા જણાવ્યું હતું કે, વર્ષ ર૦ર૩માં આખા વિશ્વએ રૂપિયા ૧પર૭.ર૦ કરોડનું મેટાલિક યાર્ન અને રૂપિયા ૧પ૦પ૩૦.૮૪ કરોડનું સિન્થેટિક ફિલામેન્ટ યાર્નનું ઇમ્પોર્ટ કર્યુ હતું. આ વર્ષમાં ભારતે રૂપિયા પ૧.૯૯ કરોડનું મેટાલિક યાર્ન અને રૂપિયા ૬પ૦૭.૪૬ કરોડનું સિન્થેટિક ફિલામેન્ટ યાર્નનું એક્ષ્પોર્ટ કર્યું હતું, આથી આખા વિશ્વમાં મેટાલિક યાર્ન માટે ૯૬ ટકા અને સિન્થેટિક ફિલામેન્ટ યાર્ન માટે ૯પ ટકા એક્ષ્પોર્ટની વિપુલ તકો રહેલી છે.

તેમણે કહયું હતું કે, ભારત સરકારે પણ સુરતના ઇન્ફ્રાસ્ટ્રકચર ડેવલપમેન્ટ ઉપર ધ્યાન કેન્દ્રિત કર્યું છે. જેથી કરીને સુરતમાં બુલેટ ટ્રેન અને હજીરા પોર્ટનું ડેવલપમેન્ટ થઇ રહયું છે. મુંબઇમાં હવે પોર્ટનું એકસપાન્શન શકય નથી. કારણ કે મુંબઇમાં હવે એકસપાન્શન માટે જમીન રહી જ નથી, આથી સુરતમાં હજીરા પોર્ટના એકસપાન્શન માટે વિપુલ સંભાવનાઓ છે. સુરતના ઉદ્યોગ સાહસિકોને તેમણે ટેક્ષ્ટાઇલ મટિરિયલ્સના એક્ષ્પોર્ટ માટેની તકોને ઝડપી લેવા માટે તેના વિષેનું નોલેજ મેળવવા, એનાલાઇઝ કરવા અને એક્ષ્પોર્ટની દિશામાં આગળ વધવા માટે હાંકલ કરી હતી. તેમણે એક્ષ્પોર્ટ માટે સરકાર દ્વારા આપવામાં આવતી સુવિધાઓ અને વિવિધ યોજનાઓની પણ વિસ્તૃત માહિતી આપી હતી.

ચેમ્બરના ગૃપ ચેરમેન શ્રી કિરણ ઠુમ્મરે સેમિનારમાં ઉપસ્થિત સર્વેનો આભાર માન્યો હતો. ચેમ્બરની જરી કમિટીના ચેરમેન શ્રી મહેન્દ્ર ઝડફીયાએ સેમિનારનું સંચાલન કર્યું હતું. SGCCI એજ્યુકેશન એન્ડ સ્કીલ ડેવલપમેન્ટ સેન્ટરના ચેરમેન શ્રી મહેશ પમનાનીએ વકતાનો પરિચય આપ્યો હતો. ચેમ્બરના સીનિયર મેનેજર શ્રીમતી સેજલબેન પંડયાએ ચેમ્બરના જીએફઆરઆરસી દ્વારા શરૂ કરાયેલા વિવિધ કોર્સની માહિતી આપી હતી. વક્તાશ્રીએ ઉદ્યોગ સાહસિકો અને એક્ષ્પોર્ટરોને મુંઝવતા વિવિધ પ્રશ્નોના સંતોષકારક જવાબો આપ્યા હતા અને ત્યારબાદ સેમિનારનું સમાપન થયું હતું.

हीरा उद्योग पर संकटः हीराश्रमिको की हालत तंग


सूरत
हीरा उद्योग की मंदी ने हीरा श्रमिकों को विवश कर दिया है। बीते चार महीने से कम वेतन या नौकरी छूट जाने के कारण कई श्रमिको ने बच्चों की स्कूल की फ़ीस भी नहीं चुका सके।
बीते दिनों में डायमंड वर्क यूनियन के सर्वे में यह दर्दनाक दास्तां सामने आई। डायमंड वर्कर यूनियन ने शुरू किए हेल्पलाइन में 2 हज़ार लोगों के कॉल आए।इनमें से कई लोगों ने आत्महत्या के विचार आने लगे हैं ऐसा दर्द बताया तो कई लोगों ने बच्चों की फ़ीस नहीं भर तक ने के कारण पढ़ाई छूटने की लाचारी बताई।
डायमंड वर्कर यूनियन की ओर से किए गए सर्वे के बाद अब कई बड़े हीरा उद्यमियों ने लाचार हीरा श्रमिकों का हाथ थामा है।धर्मनंदन डायमंड के संचालकों ने है 40 से अधिक बच्चों की बाक़ी स्कूल की फ़ीस चुकाई। इसी तरह से कई हीरा उद्यमी अब हीरा श्रमिकों के परिवारों को अनाज की कीट भी बाँटने के लिए सोच रहे हैं।


हीरा उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सूरत का हीरा उद्योग दो साल से विदेशों में हीरो की माँग घटने से मंदी के भँवर में फँसता जा रहा है। दो साल से हीरों का निर्यात लगातार घटता जा रहा है। परिस्थिति इतनी नाज़ुक हो गयी है कि कई हीरा कारखानों में छुट्टी दे दी गई है ।बड़ी संख्या में हीरा श्रमिकों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ा है। कई कारख़ाने मे हीरा उद्यमियों ने में जब काम आएगा तब बुलाया जाएगा ऐसा कह कर नौकरी से छुट्टी दे दी है। जो हीराश्रमिक काम कर रहे हैं उनका भी वेतन 50 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है।इस परिस्थिति में हीरा श्रमिकों के लिए जीवन ज़रूरी ख़र्च निकालना भी मुश्किल हो गया है। नेचरल हीरो के साथ लैबग्रान डायमंड मे भी गंभीर मंदी का माहौल है। डायमंड वर्कर यूनियन ने हीरा श्रमिकों की समस्या जानने के लिए सर्वे किया था।इस सर्वे मे अब तक 2 हज़ार लोगों ने कॉल किया। कुछ लोगों ने पेमेंट नई फँसने के चलते आत्महत्या करने की लाचारी बतायी।

कुछ लोगों का कहना था कि अब उनके पास बच्चों की पढ़ाई छुड़ाने के लिए सिवाय कोई विकल्प नहीं है। क्योंकि बीते 3 महीने से बच्चों की फ़ीस नहीं चुकाई। कई लोगों ने नौकरी के लिए गुहार लगायी थी। कुछ बड़े हीरा उद्यमी सामने और 40 स्कूल के बच्चों की फीस चुका दी। यह रक़म लगभग पाँच लाख रुपए की है।

डायमंड वर्कर यूनियन के उपप्रमुख भावेश टांक ने बताया कि नौकरी छूट जाने के बाद बड़ी संख्या में लोगों की आर्थिक हालत ख़राब हो चुकी है।वह आर्थिक संकट के दौर से गुज़र रहे हैं। इस बारे में राज्य सरकार से भी गुहार लगायी गई है लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं मिला है। यदि राज्य सरकार कि यदि इराक़ श्रमिकों की मदद करती है तो उन्हें राहत मिलेगी।

सूरत डायमंड बूर्स को लगे पंखः हीरो के आयात- निर्यात के लिए कस्टम ने दी मंज़ूरी

सूरत
सूरत के हीरा उद्योग के लिए ख़ुशी के समाचार हैं।हीरा उद्यमियों के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सूरत डायमंड बूर्स में कस्टम क्लीयरेंस हाऊस शुरू करने की अनुमति मिल गई है।अर्थात कि सूरत के हीरा उद्यमी अब सूरत डायमंड बूर्स से हीरों का एक्सपोर्ट और इंपोर्ट कर सकेंगे।

डायमंड बूर्स के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खजोद में तैयार सूरत डायमंड बूर्स में 4200 से अधिक कार्यालय हैं जिनमें 500से अधिक कार्यालय शुरू हो चुके हैं।हीरा कारोबारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हीरो का सौदा कर किया जा सके इस प्रकार की सारी सुविधाएँ हैं लेकिन यहाँ पर कस्टम ऑफिस नहीं होने के कारण हीरों का आयात निर्यात नहीं हो सकता था।

डायमंड बूर्स के पदाधिकारी इस बारे में बीते कई दिनों से कस्टम अधिकारियों से और सरकार से गुहार लगा रहे थे उनकी मेहनत रंग लायी है और 30 जुलाई से सूरत डायमंड बुक्स में कस्टम ऑफ़िसर शुरू करने की अनुमति मिल गई है।अभी तक सूरत एयरपोर्ट पर इंटरनेशनल कार्गो की व्यवस्था नहीं होने के कारण सूरत डायमंड बूर्स ने मुंबई एयरपोर्ट पर स्ट्रांग रूम बनाकर ट्रांसमिशन के लिए अनुमति ली थी।

अब मुंबई कस्टम विभाग की ओर से भी सूरत डायमंड बूर्स को कस्टोडियन के तौर पर अनुमति मिल गई है। सूरत डायमंड बूर्स में हीरों के आयात निर्यात की अनुमति मिलने के बाद से सूरत के हीरा उद्योग को पंख लग जाएंगे। अर्थात के सूरत के हीरा उद्यमियों को अब हीरो की ख़रीदी या कट-पॉलिश्ड हीरो रोके व्यापार के लिए विदेश नहीं जाना पड़ेगा।हीरा उद्यमी इसे एक बड़ा फ़ैसला मान रहे हैं।सूरत डायमंड बूर्स के वाईस चेयरमैन लालजी पटेल ने सूरत डायमंड वर्षों में कस्टम की सेवा शुरू हो जाने पर वित् मंत्री का आभार व्यक्त किया।

सूरतः बजेट ने हीरा उद्योग की चमक और बढ़ा दी


सूरत
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने मंगलवार को पेश किए केंद्रीय बजट में हीरा उद्योग को कई राहत दी है। बजेट में गोल्ड पर इम्पोर्ट घटा दी गई है। वहीं रफ हीरो की ऑनलाइन खरीदी करने पर लगने वाले ड्यूटी भी हटाने का फ़ैसला किया गया है।इस बदलाव के चलते हैं सूरत के हीरा उद्यमियों में खुशी देखी जा रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बजट में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी साढ़े 15 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत कर दिया गया है।इससे ज्वैलर को बड़ा लाभ मिलेगा। अब तक गोल्ड पर 15 ड्यूटी होने के कारण उद्यमियों की बड़ी पूंजी फँस जाती थी। साथ ही ज्वैलरी की लागत क़ीमत भी बढ़ जाने के कारण महँगी हो जाती थी। इसके चलते विदेशों मे कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था। इस बारे में काउंसिल ने कई बार गुहार भी लगाई। जो कि बजेट अब मान ली गई।इसके अलावा इक्वेलाइजेशन ड्यूटी अर्थात के हीरा उद्यमियों को ऑनलाइन रफ हीरा ख़रीदने पर 2% ड्यूटी चुकाने पड़ रही थी।इस कारण हीरा उद्यमियों को बाहर जाकर रफ हीरा ख़रीदना पड़ता था। इसे भी नाबूद कर दिया गया है। इसके चलते हीरा उद्यमियों को सीधा लाभ मिलेगा। बजट की तीसरी बड़ी बात यह रही कि अन्य पॉलिसी में भी बदलाव किया गया है।अब तक इस पॉलिसी के कारण विदेशी कम्पनियां भारत में रफ हीरे लाकर नहीं बेच पा रहे थे। इस पॉलिसी में भी बदलाव किया गया है। अब से विदेशी माइनर्स एग्जिबिशन ने लाए हीरे बेच सकेंगे।जिसके चलते हीरा उद्यमियों को बड़ा लाभ मिलेगा।उल्लेखनीय है कि सोने पर गोल्ड इंपोर्ट ड्यूटी घटाने से बड़ा लाभ होगा क्योंकि इम्पोर्ट ड्यूटी ज़्यादा होने के कारण निर्यात घट रहा था।इसके अलावा प्लेटिनम पर भी ड्यूटी घटा दी गई है।जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन विपुल शाह ने बताया कि केंद्रीय बजट में हीरा उद्यमियों के बड़े माँगो को स्वीकार कर लेने से इंडस्ट्री में सकारात्मक माहौल खड़ा हुआ है।

छोटे उद्यमों को बहुत फायदा होगा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 2024-2025 का बजट पेश किया। इस बजट में कृषि क्षेत्र में बड़ी राशि आवंटित की गई है और उद्यमिता में महिलाओं के लिए 3 लाख करोड़ का प्रावधान स्वागत योग्य है। मुद्रा लोन में 10 लाख की सीमा बढ़ाकर 20 लाख करना भी स्वागत योग्य है, इससे छोटे उद्यमों को बहुत फायदा होगा।यह बहुत स्वागत योग्य है कि उद्योगों के लिए भी अच्छा प्रावधान किया गया है जिससे युवाओं के लिए रोजगार के अच्छे अवसर पैदा होंगे। इनकम टैक्स में बदलाव स्वागतयोग्य है.
व्यापारियों की पेंशन और जीएसटी कानून में संशोधन की कोई मांग नहीं मानी गयी.
प्रमोद भगत
CAIT अध्यक्ष गुजरात

CAIT ગુજરાત પ્રદેશના ચેરમેન પ્રમોદ ભગતે કેન્દ્રીય બજેટમાં વેપારીઓને રાહત આપવા માટે નાણામંત્રીને પત્ર મોકલ્યો


ગુજરાત રાજ્યના ચેરમેન પ્રમોદ ભગતએ જણાવ્યું હતું કે દેશના નાણામંત્રી નિર્મલા સીતારમણ દ્વારા 23મી જુલાઈએ સંસદમાં રજૂ થનારા બજેટમાં દેશના વેપારીઓને રાહત આપવા માટે ઈમેલ દ્વારા પત્ર મોકલવામાં આવ્યો છે.

આવકવેરામાં મુક્તિ, તેમણે કલમ 80C હેઠળ આપવામાં આવેલી મુક્તિ ચાલુ રાખવી જોઈએ અને GSTને સરળ બનાવીને, 45 દિવસની ચુકવણીના નિયમને નાબૂદ કરીને અને GSTના 28%ના ટેક્સ સ્લેબને સમાપ્ત કરીને દરેક પ્રકારના ખાદ્ય પદાર્થો અને તેમાં વાપરતી વસ્તુઓ 5% લાવવી જોઈએ મોંઘવારી પર અંકુશ લાવવા પેટ્રોલ અને ડીઝલ GSTના દાયરામાં લાવો જોઈએ અને GSTને સરળ બનાવવા માટે રિવ્યુ કમિટી બનાવીને જેમાં વેપારી પ્રતિનિધિઓનો સમાવેશ કરી તેને સરળ બનાવવો જોઈએ જેથી કરીને વેપારીઓને થતી હેરાનગતિ અટકાવી શકાય, એમ તેમણે કહ્યું હતું કે, તેઓ કોરોનાના સમયમાં નાના વ્યાપારીઓ તૂટી ગયા છે અને તેમનો ધંધો પડી ભાંગ્યો છે તેમ છતાં તે સંપૂર્ણ જીએસટી જમા કરાવીને સરકારને અમીર બનાવી રહી છે, આવી સ્થિતિમાં કેન્દ્ર સરકારે વેપારીઓને રાહત આપવી જોઈએ કારણ કે વેપારીઓ એ દેશની અર્થવ્યવસ્થાની મજબૂતી છે.

पैकेजिंग मैटेरियल पर जीएसटी दर में कमी कपड़ा बाजार को बूस्टअप करेगा : एसजीटीटीए


कपड़ा व्यापार में इंश्योरेंस को लेकर व्यापारियों को सचेत करेगा एसोसिएशन

सूरत. साउथ गुजरात टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन (एसजीटीटीए) की बोर्ड मीटिंग शनिवार को रिंग रोड कोहिनूर हाउस स्थित एसोसिएशन के कार्यालय में की गई। मीटिंग में मई-जून में कपड़े की मांग पर संतोष जताया गया, वहीं जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में पैकेजिंग मैटेरियल पर जीएसटी 18 फीसदी से कम होने की सम्भावना का स्वागत किया गया। बोर्ड मीटिंग में डायरेक्टर्स ने इस पर खुशी जताते हुए कहा कि इससे कपड़ा बाजार को बूस्ट अप मिलेगा। एसोसिएशन देशावर समेत सूरत के कपड़ा व्यापारियों को उत्पादित कपड़ा का इंश्योरेंस करने को लेकर जागरूक भी करेगा।

बोर्ड मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील कुमार जैन ने कहा कि इस वर्ष मई-जून में कपड़ा बाजार में ग्राहकी अपेक्षा से कहीं अधिक नजर आई। पिछले वर्षों की तुलना में इस साल कपड़ा व्यापार बढ़िया रहा जिससे बाजार में पॉजिटिविटी देखने को मिली। तीज-त्योहारों पर ग्राहकी अच्छे रहने के संकेत हैं, किन्तु इस बार चिंता की बात है कि जून में ही ग्रे की कीमत में जिस प्रकार से उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। शेयर मार्केट की तरह ग्रे का बाजार जिस प्रकार चल पड़ा है, उसे देखते हुए हम सभी को आगे की तैयारियां संभल-संभल कर खरीदी करने की आवश्यकता है। एक समय के अंतराल में ग्रे बाजार वापस नीचे आता ही है। आपने कहा कि जीएसटी के वर्ष 2017, 2018, 2019 और 2020 के समय के नोटिस जो भी आए हैं, उसकी पेनाल्टी जीएसटी काउंसिल की ओर से निरस्त कर दी गई है।

ट्रेडर्स की जमा जीएसटी का इनपुट मिलना शुरू हो गया है। यह सभी व्यापारियों के लिए राहत भरी खबर है। जैन ने कहा कि पैकिंग मटेरियल पर जीएसटी 18 फीसदी से घटाकर सम्भावित 12 फीसदी होने के समाचार के नोटिफिकेशन का सभी को इंतजार है। सूरत के कपड़ा बाजार पर पैकिंग मटेरियल पर 18 फीसदी का जीएसटी बहुत बड़ा बोझ है, जिसके अब कम होने की उम्मीद जगी है। बोर्ड मीटिंग में डायरेक्टर्स ने सुझाव देते हुए चिटिंग की घटनाओं को लेकर चिंता जताई। डायरेक्टर्स ने विचार व्यक्ति किया कि आज के दौर में व्यापार बेहद सावधानी से करने की जरूरत है। कपड़ा बनाते और बेचते दोनों समय व्यापार करने वाले व्यक्ति की पूरी पुख्ता जानकारी यानी पैन कार्ड, आधार कार्ड के अलावा स्थायी अड्रेस आदि सभी लेना बेहद जरूरी हो गया है।

मीटिंग में सभी डायरेक्टर एक बात पर सहमत हुए कि देशावर के सभी व्यापारियों को सचेत करने की जरूरत है कि उनका गोदाम, शॉप और जिस ट्रांसपोर्टेशन से कपड़ा भेजते हैं, इन्स्योरेंस लेने की जरूरत है। आग की चपेट में आने पर पॉलिसी होने पर बहुत बड़ा सपोर्ट मिलता है। पॉलिसी लेते समय इसकी बारीकी से समझने की जरूरत है, कि कौन-कौन से रिस्क कवर हो रहे हैं। बोर्ड मीटिंग का संचालन एसजीटीटीए के महामंत्री सचिन अग्रवाल, संकलन उपाध्यक्ष सुनील मित्तल और आभार संतोष माखरिया ने जताया साथ ही नितिन गर्ग, प्रहलाद गर्ग, सुरेन्द्र जैन, विनोद अग्रवाल ने भी मीटिंग को सम्बोधित किया।