लॉकडाउनके कारण बंद व्यापार-उद्योग को सरकार ने अनलॉक-1 के दौरान कई शर्तो के साथ छूटछाट दी है। इन शर्तो में रात नौ बजे से सबेरे सात बजे तक कर्फ्यू रखा गया है। इस कारण श्रमिकों को सात बजे ही छोड़ देना पड़ता है। इस कारण उत्पादन पर बुरा असर पड़ने की बात कपड़ा उद्यमी कह रहे हैं।
कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि अनलॉक-1 के दौरान भले ही कारखाने खुल गए हैं लेकिन इन दिनों कपड़ा उद्यमिय को कोई लाभ नही मिल रहा। उद्यमियों का कहना है कि श्रमिकों की कमी के कारण अब जो श्रमिक आ रहे हैं उन्हें प्रतिदिन का फिक्स वेतन दिया जा रहा है। ज्यादातर श्रमिक गांव चले गए होने के कारण कई लूम्स कारखाने सिर्फ एक ही शिफ्ट में चल रहे हैं। इससे कपड़े की लागत कीमत बढी है।
फोगवा के अशोक जीरावाला ने मीडिया को बताया कि कारखाने सिर्फ एक ही शिफ्ट में चलने के कारण और श्रमिकों की संख्या कम होने से प्रतिमीटर कपड़े की लागत डेढ रुपए बढ गई है।
साउथ गुजरात टैक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिसएश के प्रमुख जीतू वखारिया ने बताया कि बीते दिनों मे कलर-केमिकल, डाइ तथा लिग्नाइट की कीमत बढी है। इसके अलावा श्रमिको को प्रतिदिन वेतन देना पड़ रहा है। साथ ही सिर्फ एक शिफ्ट में काम चलने से लागत बढी है। प्रति मीटर ढाई रुपए की लागत बढी है।
कपड़ा उद्यमियों का कहना था कि एक तो कोरोना के भय के समय में कारखाने खोलने से ज्यादा लोग डर के मारे नहीं आ रहे। दूसरी ओर हमें भी कोई लाभ नहीं। परिस्थिति यही रही को कारखाने बंद करने की नौबत आ सकती है