हम माने या ना माने लेकिन एक बात तो यह है कि कोरोनाकाल में यदि अपना अस्तित्व टिकाए रखना है तो हमें अपना रहन-सहन और खान-पीने के तौर तरीके के साथ व्यापार करने के तौर तरीके भी बदलने पड़ेगें। जिस तरह से कोरोना के नए-नए स्ट्रेन सामने आ रहे है उसे देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि कोरोना कब जाएगा। मान लेतें है कि कोरोना चले भी गया लेकिन तब तक कई ऐसी चींजे शुरू हो जाएगी जो कि शायद ही समाप्त हो।
बात ऐसी है कि कोरोना के कारण रिटेल मार्केट बंद होने के कारण और खरीद के लिए जाने से लोगों को डर लगने लगता है। इसलिए वह घर के बाहर निकले बिना ऑनलाइन ऑर्डर देकर साडी, ड्रेस मटीरियल्स या गारमेन्ट मंगा रहे हैं। तेजी से बढ रही इस परंपरा ने नई ट्रेडिंग पद्धति को जन्म दिया है। हालाकि यह प्रणाली पहले भी थी, लेकिन पिछले डेढ साल में कोरोना के दौरान ऑनलाइन ट्रेडिंग तेजी से बढी है। कई व्यापारियों ने इस परिस्थिति को समझा और अपने पोर्टल शुरू कर ऑनलाइन ट्रेडिंग में हाथ अजमाना शुरू कर दिया है।
हालाकि शुरूआत धीमी है लेकिन इसका परिणाम सुखद होगा। क्योंकि जिस तरह से नई जनरेशन अपने 90 प्रतिशत काम ऑनलाइन निपटा लेना पसंद करने लगी है। वह देखते हुए अंदाजा आ जाता है कि भविष्य में कोरोना रहे ना रहे लेकिन ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए भी व्यापारियों को अपने आप को तैयार रखना होगा। सूरत के पांडेसरा की एक साडी बनाने वाली कंपनी जो ऑनलाइन ट्रेडिंग में देशभर में बहुत अच्छ् प्रदर्शन कर रही है।
समय के साथ बदलाव नहीं लाने वाली कंपनियों और प्रोडक्ट के परिणाम हमारे सामने ही है। इसलिए व्यापारियों को पहल करनी चाहिए। कई व्यापारी इस पर यह तर्क देते हैं कि ऑनलाइन माल बिकने के बाद 20 प्रतिशत वापिस आ जाता है, लेकिन ऑफलाइन माल बिकने के बाद भी को माल वापिस आ जाता है और दूसरी बात यह है कि ना करे नारायण, लेकिन आज कोरोना के कारण मंडी बंद है लेकिन बाद में किसी और कारण से मंडियों में माल नही भेज सके तो…
इसी तरह रोड पर चलने में भी एक्सिडेंट का खतरा है लेकिन हम रोड पर चलने तो नहीं छो़ड़ देते, इसी तरह यदि हम ऑफलाइन व्यापार के साथ विकल्प के तौरा पर ऑनलाइन व्यापार का सिस्टम नहीं डेवलप करेंगे तो पीछे रह जाएगें। कपड़ा व्यापारी मुकुंद साबु ने बताया कि इन दिनो ऑनलाइन व्यापार अच्छा है। कई राज्यो में लॉकडाउन के कारण मंडी बंद होने से माल नहीं भेज पा रहे। इसलिए ऑनलाइन ट्रेडिंग ही विकल्प के तौर पर चल रहा है।