राज्य भर के स्कूलों में अभिभावकों और स्कूलों के बीच चल रहे खेत के विवाद को लेकर गुजरात हाई कोर्ट ने स्पष्ट कह दिया है कि यह फैसला राज्य सरकार को करना चाहिए। इस दौरान अभिभावक मंडल द्वारा शनिवार को जिला शिक्षण अधिकारी को एक ज्ञापन दिया गया और निजी स्कूलों द्वारा 50% तक फीस माफ करने की माँग की गई है।
अभिभावक मंडल द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को दिए ज्ञापन में यह मांग की गई है कि गुजरात हाई कोर्ट के निर्णय के बाद गुजरात सरकार को तुरंत फैसला करना चाहिए और निजी स्कूलों को 50% माफी का निर्देश देना चाहिए। अभिभावक मंडल की मांग है कि स्कूल बंद होने के दौरान वर्ष 2020 -2021 के दौरानकोरोना के कारण स्कूलों में शैक्षणिक कार्य बंद रहा है।
विद्यार्थी भी स्कूल नहीं गए हैं। स्कूलों का मेंटेनेंस खर्च भी नहीं हुआ है। बिजली बिल भी नहीं खर्च हुआ है और कई स्कूलों ने तो शिक्षकों का पगार भी देना आधा कर दिया है। कई खर्चे स्कूल के कम हो गए हैं दूसरी और अभिभावकों की आवक पर भी बुरा असर पड़ा है।
ऐसे में निजी स्कूलों को बच्चों की फीस 50% कम कर देनी चाहिए। साथ ही यह भी मांग की गई है कि प्रत्येक निजी स्कूलों को अपना ऑडिट रिपोर्ट वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर लगा कर पारदर्शिता रखनी चाहिए।
जिससे कि किसी स्कूल को नुकसान हो रहा हो तो वाली मंडल स्वैच्छिक ढंग से आगे बढ़े और अभिभावकों को भी समझाने का प्रयास करें। उल्लेखनीय है कि कोरोना काल के दौरान व्यापार उद्योग बंद हो जाने के कारण कई अभिभावक बेरोजगार हो गए हैं और कई लोगों की आय में बहुत बुरा असर पड़ा है।
ऐसे में वह बच्चों की फीस देने में असमर्थ हैं। जिसके चलते कई अभिभावक फीस माफ करने की गुहार लगा रहे हैं। यह मामला बीते तीन चार महीने से अभिभावकों और स्कूलों के बीच चल रहा है। इस बीच हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 2 दिन पहले ही साफ कर दिया था कि यह मामला राज्य सरकार को हल करना चाहिए।
सूरत
लॉकडाउन के कारण परेशान अभिभावकों की चिंता में और बढ़ोतरी हो गई है। स्कूलों की ओर से अब स्कूल खुलने के पहले ही अभिभावकों को नए नए शैक्षणिक वर्ष के लिए टर्म फीस और शैक्षणिक फीस भरने का नोटिस दिया जा रहा है। इसके चलते अभिभावक दुखी भी हैं और नाराज भी हैं। स्कूलों की ओर से भेजे जाने वाली यह नोटिस आने वाले दिनों में विवाद का कारण बन सकते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार बीते दिनों कई निजी स्कूलों ने लोन के दौरान अभिभावकों की समस्या समझते हुए नए शैक्षणिक वर्ष में फीस नहीं बढ़ाने का फैसला किया था। लेकिन इसके बाद अभी स्कूल खुलने के पहले ही कई स्कूलों ने अभिभावकों को नोटिस भेजकर पिछली बाक़ी फीस, नए शैक्षणिक वर्ष में टर्म फीस और शैक्षणिक फ़ीस चुका देने को कहा है।
कुछ स्कूलों ने तो यह भी धमकी दी है कि यदि अभिभावक फीस नहीं चुकाएंगे तो उनके बच्चों को पास नहीं किया जाएगा। आपको बता दें कि मार्च महीने में जब लॉक डाउनलोड दौरान कई स्कूले अपने सालाना फीस की चौथी किस्त लेती हैं लेकिन, लॉकडाउन के कारण वह फीस भी स्कूल नहीं ले पाई थी।
इस कारण स्कूलों के लिए भी शिक्षकों का पगार करना और अन्य खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। फिलहाल लॉकडाउन के कारण कई लोगों की नौकरी छूट गई है। कई लोग घर पर बेरोजगार बैठे हैं, व्यापार धंधे बंद हैं। ऐसे में अभिभावकों इच्छा है कि स्कूल में भी उनकी लाचारी को समझें।
उल्लेखनीय कि नानपुरा क्षेत्र के एक स्कूल ने तो 9 से 12वीं तक के छात्रों को फीस भरने के लिए अलग अलग एक मास से तीन मास के स्ट्रक्चर भी बना कर भेज दिए हैं। साथ ही बैंक का अकाउंट नंबर भी भेजा है जिससे कि स्कूल के छात्रों और अभिभावकों दोनों में ही चिंता और नाराजगी है। आने वाले दिनों में स्कूलों के इस रवैए के खिलाफ अभिभावक विरोध व्यक्त कर सकते हैं।