डाइरेक्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विट टैक्स इन्टेलिजन्स यूनिट ने छापा मारकर कोलकाता की ट्रांसपोर्ट कंपनी केसाथ मिलीभगत में सूरत के कपडा व्यापारियों का150 करोड रुपए के बोगस बिलिग के मामले का पर्दाफाश किया है।
मिली जानकारी के अनुसार डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इन्टेलिजन्स यूनिट को कुछ व्यापारी जीएसटी चोरी में लिप्त होने की जानकारी मिली थी। इसके आधार पर कार्रवाई करते हुए विभाग ने कई स्थानो पर जांच की। इसमें पता चला कि कुछ व्यापारी जो कि वास्तव मे बिना कोई माल खरीदे यह बताते थे कि उन्होंने कोलकाता से माल खरीदा है और टांसपोर्ट कंपनी की मदद से उन्हें ट्रांसपोर्ट की नकली एल.आर और नकली ऑर्डर की कॉपी मिल जाती थी।
इसके बाद सूरत के कपड़ा व्यापारी नकद में या आरटीजीएस के माध्यम से ऑर्डर की रकम जितना पेमेन्ट केश में नकद मे कर देते थे, जो कि ट्रांसपोर्ट से ही जुडा कोई एजन्ट डेढ से दो प्रतिशत कमिशन लेकर वापिस कर देता था। इस बिल के आधार पर कपड़ा व्यापारी सरकार से बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल कर लेते थे। प्राथमिक जांच में यह बोगस बिलींग का घोटाला 150 करोड़ रुपए का होने की आशंका है।
ऐसे ही अन्य एक जांच में एक टैक्सटाइल मशीन उत्पादक अपने मशीनों की कीमत कम बताकर आधी कीमत चेक से लेता था। जबकि वास्तव में मशीन की कीमत ज्यादा था। यह बढी हुई कीमत वह नकद में लेता था। विभाग की जांच मे 80 लाख रुपए की टैक्सचोरी पकड़ाई है जिसमें से 68 लाख रुपए वसूल हुए हैं।
डीजीजाआई ने तीसरी जांच में खेडा के एक पानी की टंकी बनाने वाले कंपनी संचालको को बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट मामले में पक़ड़ा। वह राज्य के अलग-अलग हिस्सो में से कई कंपनियों से बोगस बिल खरीदते थे और इसके आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल कर रहे थे। प्राथमिक जांच में अभी तक 10 करोड़ रुपए का घोटाला संचालको ने स्वीकार किया है।