सूरत से श्रमिकों का पलायन रोकने के लिए सरकार से गुहार

सूरत में कोरोना के कारण दिन प्रितिदिन परिस्थिति बिगड रही है। ऐसे में कपड़ा उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के साथ हीरा उद्योग से जुडे श्रमिको ने भी वतन जाना शुरू कर दिया है। चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने इस बारे में कलक्टर और राज्य सरकार से श्रमिकों को रोकने के लिए कार्रवाई की मांग की है।


सूरत में मनपा के चुनाव के बाद कोरोना तेजी से बढ रहा है। एक ओर कोरोना टेस्ट और वेक्सिनेशन चल रहाहै लेकिन दूसरी ओर कोरोना भी तेजी से बढ रहा है। सूरत में प्रतिदिन 600-650 के करीब मरीज दर्ज हो रहे हैं। इसके अलावा रात्रि कर्फ्यू भी लगा दिया गया है। इस कारण अन्य राज्यो के श्रमिकों को फिर से लॉकडाउन का भय सता रहा है। उन्हें भय है कि एक बार फिर से कोरोना लग गया तो यहीं फंस जाएगे।

इसलिए उत्तर भारत के श्रमिक वतन जाना शुरू कर दिए हैं। हालाकि सिर्फ कोरोना ही इसके लिए कारण नहीं है। गांव में पंचायतों के चुनाव के कारण और लग्नसरा के कारण भी लोग जाना चाह रहे है। वह सूरत में कोरोना के वातावरण में रहने की अपेक्षा वहां रहना मुनासिब मान रहे हैं।

इसी तरह से हीरा श्रमिको ने भी वतन जाना शुरू कर दिया है। डायमंड वर्कर यूनियन के भावेश टांक ने बताया कि कोरोना को कारण लोकडाउन के भय और काम कम मिलने के कारण किराए के घरो में रहने वाले हीरा श्रमिक वतन जा रहे है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में हीरा श्रमिकों का जाना शुरू हो गया है।

चेम्बर ऑफ कामर्स ने पलायन रोकने के लिए यह सुझाव दिए
सुरत में कोरोना के कारण यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा के श्रमिकों के पलायन का भय होने से यहां से जाने वाली बसों की बैठक केपिसिटी घटा दी जाए।
– सूरत के औद्योगिक क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा वैक्सिनेशन और टेस्टिंग सेन्टर शुरू किए जाए।
-सूरत में लेबर कोलोनी में सेनेटाइजेशन होना चाहिए।
-जिन औद्योगिक इकाइयों में सोश्यल डिस्टन्स, मास्क तथा अन्य तमाम कोरोना की गाइडलाइन का पालन होता हो उन्हें रात्रि करफ्यू के समय रात के 8 से सबेरे 6 बजे तक चालू रखने की छूट मिलनी चाहिए।
-औद्योगिक क्षेत्रों मे जीवन आवश्यक वस्तुए कम न हों।