सूरत एंब्रॉयडरी थ्रेड एंड जरी एसोसिएशन के 20 सदस्यों ने चेक रिटर्न के कानून में परिवर्तन करने के विरोध में गुरूवार को सूरत के कलेक्टर धवल पटेल को एक अर्जी दी, जिसमें एसोसिएशन के सदस्यों ने मांग की है कि चेक के क़ानून मे परिवर्तन कर सजा हटाने की बात चल रही है। वह नहीं होना चाहिए।
चेक रिटर्न पर उस नियम को और कड़ाई से लागू किया जाए ताकि भविष्य में कोई भी व्यापारी के साथ धोखाधड़ी करने से पहले धोखेबाज या बईमान लोग डरें। अगर यह नियम में परिवर्तन कर दिया गया तो सूरत के उद्योग के लिए बहुत बड़ी हानि का विषय हो सकता है।
अध्यक्ष जितेन्द्र सुराणा ने बताया कि सूरत का कपड़ा उद्योग ज़्यादातर उधारों और विश्वास के भरोसे ही टिका है यहाँ पर माल ख़रीदने के महीनों बाद पेमेन्ट देने की प्रथा है इसके चलते कई बार कुछ चीटर धोखाधड़ी करने में भी सफल हो जाते है।
ऐसे समय में नियम के कारण ही व्यापारियों को उनका पेमेन्ट मिल पाता है।इसलिए वह यह चाहते है कि इस नियम के कारण जो ढाल बनी है वह बनी रहे। इसके चलते व्यापार में ठगी कम है और चीटर्स पर नियंत्रण बना हुआ है।
इसके पहले फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन इस बारे में गुहार लगा चुका है।
कक्षा 1 से 8वी तक के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण से मुक्ति की मांग
कॉन्फिडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को पत्र लिखकर कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण में शामिल नहीं करने की मांग की है।
कैट के गुजरात रीजन के प्रमुख प्रमोद भगत ने राज्य सरकार को लिखे पत्र में बताया है कि छोटे बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण के कारण उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पडने की आशँका है। जैस कि उनकी गरदन, आंख आदि पर असर पड़ेगा।
इसके अलावा कैट ने यह भी मांग की है कि सरकार की ओर से ऑनलाइन एज्युकेशन की घोषणा किए जाने के बाद से स्कूलों ने फीस की वसूली शुरू कर दी है। पाठ्यपुस्तक के बहाने अभिभावकों से यूनिफॉर्म और अन्य तमाम वस्तुओं को खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है। कई हॉस्टल जो कि महीनों से बंद है|
उसकी फीस भी स्कूल मांग रहे हैं। ऐसे स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही सरकार की ओर से बनाई गई एफआरसी किस ढंग से स्कूलो का फीस तय करती है। यह जानकारी देने का भी आग्रह किया है। लॉकडाउन के कारण रोजगार बंद होने से अभिभावक परेशान है ऐसे मं उनसे 30 अगस्त तक कोई फीस के लिए दबाव नहीं किया जाए।