कोरोना के संक्रमण के बाद से 14 महीनों में, दक्षिण गुजरात में 500 से अधिक छोटे और बड़े टूर ऑपरेटरों को 1,500 करोड़ रुपये से 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (TAI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल और पर्यटन सचिव को एक आवेदन भेजकर पर्यटन क्षेत्र के लिए राहत की मांग की है।

टूर आयोजक टीना मैल्कम पंडोल ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र के 50 प्रतिशत से अधिक ऑपरेटरों को पिछले 14 महीनों में व्यापार बंद करना पड़ा है। कुल व्यापार बमुश्किल 5 फीसदी रहा है। दक्षिण गुजरात और गुजरात में 60 फीसदी अंतरराष्ट्रीय और 40 फीसदी घरेलू पर्यटन की मांग रही है। दोनों को जोड़ दें तो पिछले 14 महीनों में 1,500 करोड़ रुपये से 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस बीच जब मॉरीशस एक महीने के लिए खुला रहा तो एक महीने में 600 से 700 पर्यटक दक्षिण गुजरात से गए। उद्योग अब दो साल के ऋण स्थगन, जीएसटी में राहत और आयकर में पांच साल तक इन्कमटैक्स में राहत चाहिए ताकि इसे पटरी पर लाया जा सके।

ऑपरेटरों पर कर्मचारियों के बकाया वेतन का बोझ है। बड़ी संख्या में टूर ऑपरेटर दूसरे ट्रेडों में चले गए हैं, जबकि कर्मचारियों को छोटी से बड़ी नौकरी ढूंढनी पड़ रही है। कई टूर ऑपरेटर वर्तमान में अपने कार्यालय बंद कर रहे हैं और घर से काम कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास कार्यालय का किराया या बिलों का भुगतान करने की क्षमता नहीं है।

टूर ऑपरेटर, होटल व्यवसायी और कर्मचारी आर्थिक संकट में हैं प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि देश की 11 फीसदी आबादी यात्रा और पर्यटन उद्योग में कार्यरत है। यह उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद में 10 प्रतिशत का योगदान देता है। पिछले 14 महीने से मुश्किल में है। कोरोना के डर और लॉकडाउन की वजह से पर्यटन राजस्व में 95 फीसदी की गिरावट आई है। टूर ऑपरेटर, ट्रैवल एजेंट, कर्मचारी भी दैनिक खर्चों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।


साउथ गुजरात टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मिनेश नाइक ने संवाददाताओं से कहा कि बैंकों ने पर्यटन उद्योग को ब्लैकलिस्ट कर दिया है और क्रेडिट कार्ड भी जारी नहीं करते हैं, ऋण स्थगन की तो बात ही छोड़ दीजिए। अगर सरकार राहत नहीं देती है तो उद्योग को उबरने में सालों लग जाएंगे।

ट्रैविस एजेंट ने की थी ये मांगें