आज यूपी के लिए 22 और ओड़िशा से लिए छह ट्रेन दौड़ेंगी


सूरत
यात्रियों के पलायन का दौर अभी भी जारी है।मंगलवार को बिहार के लिए अंतिम 10 ट्रेनें भेजने के बाद बिहार की ट्रेन नहीं भेजी जाएगी। अब सूरत में बसने वाले यूपी वासियों के लिए ज्यादा से ज्यादा ट्रेन दौड़ाई जाने का प्रशासन का प्रयास है। बुधवार को सूरत से यूपी के लिए 22 और उड़ीसा के लिए छह ट्रेन दौड़ेगी। इसके पहले मंगलवार को उत्तर प्रदेश के लिए 14 बिहार की दस और ओड़िशा क लिए सात ट्रेन रवाना हुई थी। कल तक बिहार की कुल ट्रेन में 1.75 लाख को गांव भेज दिया गया। इसके बाद बिहार की ट्रेन नहीं जाएगी।

बताया जा रहा है कि सूरत में बसने वाले अन्य राज्यों के श्रमिकों को गांव भेजने के लिए रेल प्रशासन ने अब तक सूरत से 400 से अधिक ट्रेन दौडाई है जो कि, राज्य में सबसे अधिक है। अब तक सूरत से 11 लाख से ज्यादा श्रमिक अपने गांव जा चुके हैं। अभी दो लाख से अधिक श्रमिक इंतजार कर रहे हैं। रेल प्रशासन 31 मई से पहले ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाना चाहता है। ताकि श्रमिकों को उनके भेजा जा सके। इसके अलावा 31 मई के बाद भी कम हो जाएगी।


उल्लेखनीय है कि यूपी और बिहार की टिकट निशुल्क होने के बावजूद प्रशासन को टिकट की कालाबाजारी की जानकारी मिल रही है। इसके चलते प्रशासन ने कई जगह पर छापेमारी कर लोगों को गिरफ्तार भी किया है।

श्रमिकों की कमी की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी उद्योगों को
सूरत से अब तक 12 लाख से ज्यादा श्रमिक अपने गांव लौट चुके हैं और दो-चार दिन में बड़ी संख्या में श्रमिक वापस लौट जाएंगे। ऐसे में प्रशासन की ओर से औद्योगिक इकाइयों और बाजार को शर्तों के साथ खोले जाने की छूट भी बिना किसी मायने की साबित होगी।


सूरत के लूम्स, प्रोसेसिंग मिल, एम्ब्रॉयडरी व इनसे जुड़े घटकों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से 10 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं इसी तरह रिंग रोड के कपड़ा बाजार में भी 700000 से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से रोजगार पाते हैं। दो महीने से लॉकडाउन के कारण व्यापार धंधा बंद होने से बेरोजगार श्रमिकों के पास फूटी कौड़ी नहीं बची थी।

ऐसे में वह अपना जीवन यापन करने के लिए गांव जाने को मजबूर थे। अब तक सूरत से अन्य राज्यों के लिए लगभग 400 ट्रेन जा चुकी है। जिसमें की सबसे ज्यादा ट्रेन यूपी की है। इसके बाद बिहार और उड़ीसा के श्रमिकों का नंबर आता है। कुल मिलाकर सूरत में काम करने वाले ज्यादातर श्रमिक उत्तर प्रदेश, बिहार,उड़ीसा आदि राज्यों के हैं जो कि अब तक 60 फ़ीसदी तक अपने गांव चले गए हैं। इन श्रमिकों के बिना उद्योगों को चल पाना एक कल्पना करने के बराबर है।

सरकार की ओर से लोग गांव में कुछ शर्तों के साथ कंटेंटमेंट जोन के बाहर व्यापार उद्योग खोलने की छूट दी गई है। संभवत 1 तारीख के बाद कपड़ा बाजार भी खुलने की संभावना है। यदि ऐसा ही कुछ रास्ता पहले भी हो जाता तो इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों को पलायन करने का नौबत नहीं आती। जो श्रमिक गांव जा रहे हैं। एक अंदाज के अनुसार इसमें से पांच से 10 प्रतिशत श्रमिक सूरत ही छोड़ देंगे।

अन्य श्रमिकों की बात करें तो कुछ श्रमिक तो दिवाली तक सूरत में दर्शन नहीं देंगे। इसके बाद शादी ब्याह का सीजन शुरू हो जाएगा। तब भी वह सूरत आएंगे कि नहीं कोई भरोसा नहीं। हालांकि जिन लोगों के सामने शहरों के अलावा और कोई रास्ता नहीं है उन्हें तो आना ही पड़ेगा। लेकिन यह मान के चलिए की सूरत के व्यापार उद्योग को फिर से पहले जैसा होने में समय लग जाएगा। कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि उन्होंने श्रमिकों को रोकने का प्रयास तो किया लेकिन श्रमिक इस कदर व्याकुल थे कि उन्हें सिर्फ अपने गांव जाने की ही सूझ रहा थी।

ऐसे में उद्यमियों ने की व्यवस्थाएं भी नाकाफी साबित हो रही थी।
सूरत के लूम्स , एंब्रॉयडरी प्रोसेसिंग यूनिट सहित कपड़ा उद्योग के तमाम घटकों में अन्य राज्यों के श्रमिकों का महत्वपूर्ण योगदान है। अब इनकी चमक तभी लौटेगी एक बार दोबारा फिर से सूरत की ओर रुख करेंगे।

मुफ्त टिकिट का 1500 ऐंठने वाला एक गिरफ़्तार!


सूरत
लॉकडाउन डाउन में भी कुछ ठग श्रमिकों की लाचारी उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं। सरकार की ओर से श्रमिक स्पेशल ट्रेन का किराया माफ कर दिए जाने के बावजूद लोगों से पन्द्रह सौ रुपए टिकट वसूल करने वाले एक शख्स को पुलिस ने धर दबोचा!


मिली जानकारी के अनुसार लॉकडाउन में बेरोजगार हो चुके श्रमिक अपने गांव जाने के लिए व्याकुल है। ऐसे में उनकी इस लाचारी का फायदा उठाकर बिहार और झारखंड के श्रमिकों से एक टिकट का पंद्रह ₹100 लेने वाले एजाज मिस्त्री नाम के शख्स को कल उधना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

बताया जा रहा है कि डिंडोली के साईं पॉइंट पर गांव जाने के लिए एकत्रित श्रमिकों के पास बिहार झारखंड समाज के अग्रणी गए थे। उन्होंने लोगों को बताया कि टिकट के लिए पैसे नहीं देने हैं। ऐसे में 9 श्रमिकों ने उन्हें बताया कि एजाज मिस्त्री नाम के शख्स ने उनसे एक टिकट पन्द्रह सौ रुपया लिया है।

बिहार झारखंड समाज के अग्रणी लोगों की जागृति के कारण यह मामला उधना पुलिस स्टेशन तक पहुंचा। पुलिस ने जांच की तो कॉलोनी में रहने वाले एजाज़ मिस्त्री ने इन लोगों से कुल ₹13500 लिया था। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी कर ली है। बताया जा रहा है कि गांव जाने वाले श्रमिकों की लाचारी का लाभ उठाते हुए अब तक कई लोगों को ठगा था।

ऐसे ही अनेक मामले में अजय दास नाम के एक श्रमिक ने भाटेना में रहने वाले नासिर सैयद के खिलाफ उधना पुलिस में शिकायत की थी। अजय ने अपने दोस्तों के माध्यम से नासिर का संपर्क किया था। नासिर ने बिहार जाने के लिए 104 4 लोगों से 1000 के हिसाब से एक लाख से अधिक रकम वसूल लिए थे।

जबकि ट्रेन की टिकट देने के नाम पर उन्हें बेवकूफ बना रहा था। जब लोगों ने रुपए मांगा तो उनको धमकी देने लगा अंत में उधना के पीने नासिर को बुलाया और जब कानून का पाठ पढ़ा तो नासिर ने आधी रकम का चेक दे दिया।

अन्य राज्यों की श्रमिक ट्रेनें फ़्री, लाखो श्रमिकों को राहत!


सूरत
सूरत के अन्य राज्यों के श्रमिकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने तमाम राज्यों के श्रमिकों को निशुल्क वतन भेजने का निर्णय लिया है। अब से श्रमिकों को सिर्फ टिकट लेना रहेगा।

सूरत से अब तक अंदाजन सात लाख से अधिक यूपी और बिहार के श्रमिक गाँव जा चुके है। 80000 उड़ीसा वासी श्रमिक चले गए हैं जबकि 1.5 लाख उड़ीसा वासी श्रमिक अभी भी गांव जाने का इंतजार कर रहे हैं। ओडिशा सरकार की ओर से ज्यादा ट्रेन नहीं दौड़ाई जाने की मंजूरी मिलने से अभी तक उड़ीसा के लाखों श्रमिक सूरत नहीं फंसे हैं। अब तक सूरत से कुल 404 ट्रेन दौडाई। गई है इसमें से 382 ट्रेन सूरत और 22 ट्रेन उधना रेलवे स्टेशन से रवाना की गई हैं।

बताया जा रहा है कि फिलहाल बिहार और उत्तर प्रदेश की ट्रेनिंग है यह सारी पेंटिंग जल्दी ही पूरी कर देने के लिए प्रयास किया जा रहा है यूपी के लिए फिलहाल रोज लगभग पड़ रही है आगामी 2 दिनों के बाद बिहार की ट्रेन का जाने के बाद यूपी की ट्रेन और बड़ी संख्या में दौड़ेगी 31 मई के पहले ज्यादा संख्या में ट्रेन रवाना करने के मूड में है 31 मई के बाद श्रमिक ट्रेन के लिए ट्रेनों की संख्या कम हो जाने से दिक्कत आ सकती है।

इसलिए रेलवे प्रशासन 31 मई के पहले अधिक से अधिक पहुंचा देना चाहता है रविवार को यूपी के लिए ट्रेन और बिहार के लिए ट्रेन गई थी हालांकि झारखंड के लिए 16 से 1658 पाने के कारण वहां की ट्रेन

सूरत से आज यूपी के लिए 14 बिहार के लिए 8 ट्रेन


सूरत
कोरोना वायरस के कारण सूरत से अन्य राज्यों के श्रमिकों का पलायन जारी है। सोमवार को सूरत से कुल 30 ट्रेन जाएगी। इसमें से यूपी के लिए 14 बिहार के लिए 8 ओड़िशा के लिए 6 और झारखंड के लिए दो ट्रेन हैं। 


मिली जानकारी के अनुसार सूरत में अलग-अलग व्यापार उधोग में काम करने वाले यूपी, बिहार, ओडिशा, झारखंड आदि राज्यों के श्रमिकों का पलायन जारी है। सूरत से यूपी के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में ट्रेन जा रही है। शुरू में यूपी की ट्रेन का किराया वसूला जा रहा था, लेकिन अब वहां की सरकार ने रेलवे को श्रमिकों का किराया चकाने के कारण यहां से श्रमिक निशुल्क जा रहे हैं।


इसके पहले रविवार को सूरत से अन्य राज्यों के लिए 30 ट्रेन गई थी। इनमें उत्तर प्रदेश के लिए 13, बिहार के लिए 10 ओडिशा के लिए छह और झराखंड के लिए एक ट्रेन थी। अब तक सूरत से श्रमिक स्पेशल ट्रेन के माध्यम से पांच लाख से अधिक अन्य राज्यों के श्रमिक अपने वतन जा चुके हैं। सूरत के बसने वाले अन्य राज्यों के श्रमिक ज्यादातर कपडा उधोग में काम करते हैं।

इनके जाने के बाद कपड़ा उधोग में श्रमिकों की गंभीर समस्या होगी। एक ओर राज्य सरकार की ओर से नोन क्टेनमेंट जोन में व्यापार शुरू करने की छूट दी जा रही है और दूसरी ओर श्रमिक वतन जा रहे है ऐसे में आने वाले दिनों में सूरत के व्यापार उधोग में श्रमिकों की कमी के कारण बड़ा नुकसान होने की आशंका है।

रेलवे 27 मई से लॉकडाउन में रद्द ट्रेनों का रिफंड देगा

रेल मंत्रालय ने आखिरकार लोगों की शिकायतों को सुना और लॉकडाउन के कारण रद्द हुइ ट्रेनो का रिफंड  27 मई से देने का  निर्णय किया है। रेलवे विभाग यह रिफंड 28 जून तक पश्चिम रेलवे के पांच स्टेशनों से करेगा।


रेलवे विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देशभर में फैले कोरोना के भय के कारण सावधानी के तौर पर कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए 22 मार्च को भारतीय रेलवे द्वारा कुछ ट्रेनों को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद दो दिन में देशभर में सारी गाडियां रद्द कर दी गई थी। इसके कारण कई लोगों के टिकिट अपने आप ही रद्द हो गए। सामान्य तौर पर मार्च अप्रेल में स्कूल में छुट्टी होने से लोग घूमने या अपने गांव जाते है इस बार भी लोगों ने इस तैयारी के कारण पहले से टिकिट का आरक्षण कराया था। लेकिन कोरोना के कारण ट्रेन रद्द होने से यह टिकिट भी अपने आप रद्द हो गई थी।  जिन लोगों ने ऑनलाइन बुकिंग की थी, उनके खाते में रुपए वापस कर दिए गए थे, जबकि काउंटर पर बुकिंग करने वालों को दो महीने तक रिफंड नहीं मिला था और वे रिफंड का इंतजार कर रहे थे।

जब लोग कोरोना के कारण खराब वित्तीय स्थिति में हैं, ऐसे में  रिफंड मिलने पर एक बड़ी राहत होगी। 27 मई से रिफंड शुरू हो जाएगा। पश्चिम रेलवे से सूरत, वलसाड, नंदुरबार, मुंबई सेंट्रल और वसई स्टेशन पर सुबह 8 से रात 8 बजे तक रिफंड का भुगतान किया जाएगा।

ट्रेन रिफंड कब देय है?
22 मार्च से 31 मार्च तक की ट्रेनों के लिए 27 मई
1 अप्रैल से 14 अप्रैल 3 जून
15 अप्रैल से 30 अप्रैल 9 जून
1 से 15 मई 16 जून
16 मई 31 मई23 जून
1 जून से 30 जून28 जून

कोरोना ने दिखाया मानवता ज़िंदा है लोगों में! पढ़ें कैसे?

सूरत कोरोना ने भले ही लोगों का जीना दुस्वार कर दिया है। कोरोना के कारण लाखो लोग बेरोजगार हो गए हैं और लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन करना पड़ रहा है। लेकिन कोरोना के कारण कहीं कहीं मानवता अभी भी जिंदा है इसका उदाहरण भी देखने को मिला। बीते 10 दिन में सूरत से यूपी और बिहार जाने वाली चार महिलाओं को चालू ट्रेन में ही प्रसव पीडा शुरू हो गई।

एक ओर चालू ट्रेन और दूसरी ओर कोई डॉक्टर या परीचित भी नहीं। ऐसे में इन चारो घटनाओं में पीडित के आसपास बैठने वाली महिलाएं ही उनके लिए तारणहार बनी और प्रसूति करवाई। चारो घटना में माता और बच्चे दोनो ही स्वस्थ्य है। ऐसे भले ही लोगो एक दूसरे की मुश्किल में मदद करना एक बार टाल दे।

लेकिन बीते दस दिनों में ट्रेन में अपरिचित होते हुए भी डिब्बे में बैठी महिलाओं ने प्रसूता की मदद की उससे मानवता जीवित है यह साबित होता है। लॉकाडाइन के कारण सूरत में रहने वाले लाखो श्रमिक आंखों में आंसू लेकर सूरत शहर को अलविदा कह रहे हैं।  पिछले दस दिनों में सूरत से यूपी-बिहार जाने वाली ट्रेन में चार महिलाओं की डिलीवरी हुई है।

घटना -1
सीतामढ़ी जिले के असलम नामक का युवक की पत्नी मैनाज खातून सूरत और बिहार के दरभंगा के लिए एक विशेष ट्रेन में जा रहा था , उस दौरान बुधवार को सुबह 6 बजे उन्हें प्रसव पीड़ा हुई थी। उनके पति असलम ने पास की बोगियों से महिलाओं को बुलाया। वहां की महिलाएं  खातुन के लिए तारणहार बन गई। मेंनाज  ने एक बच्चे को जन्म दिया। ट्रेन से उतरने के बाद दोनों को प्राथमिक उपचार केंद्र भेजा गया।

घटना -2
बुधवार को सूरत से रायबरेली के हमीरपुर के दीपक निषाद अपनी गर्भवती पत्नी रजनी के साथ यूपी जा रहे थे।  उस दौरान उनकी पत्नी को दर्द होना शुरू किया। इसे देख रही महिलाओं नें डिलिवरी करवाई । दीपक सूरत स्थित एक कंपनी के लिए काम कर रहे थे, लेकिनलॉकडाउन में अपना व्यवसाय बंद होने के बाद उन्हें घर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा। 

घटना -3
यूपी के मूल निवासी आशीष मिश्रा अपनी गर्भवती पत्नी सोनी मिश्रा के साथ लॉकडाउन में काम बंद हो जाने से गाव जा रहे थे।उस दौरान  चालू गाडी में के पास दर्द  होने लगा। शूरू में वह दर्द रोकने का प्रयास कर रही थी लेकिन दर्द असहनीय हो गया। इसे देख रही आसपास की महिलाओं ने डिलीवरी कराई।

घटना-4
काम और व्यवसाय के लिए सूरत आए यूपी के रामेश्वर सिंह 9 मई को श्रमिक ट्रेन से गर्भवती पत्नी केतकी के साथ यूपी गांव जा रहे थे, अचानक उनकी पत्नी की तबियत ख़राब हो गई। पत्नी की हालत से घबराकर, रामेश्वर सिंह ने कुछ महिलाओं को मदद के लिए गुहार लगाई और महिलाओ ने बिना देरी किए मदद कर डिलीवरी करवाई।

20000 से अधिक यूपी वासियों ने करा लिया रजिस्ट्रेशन! जानिए कहा?


सूरत
यूपी की ट्रेन में टिकिट का किराया नहीं देना होगा यह खबर आने के साथ यूपी वासियों में ख़ुशी का माहौल है। यूपी जाने के लिए इच्छुक यूपी वासियों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है।पांडेसरा में मंगलवार को एक ही दिन में यूपी के 20000 से अधिक श्रमिकों ने रजिस्ट्रेशन करवाया ।

मिली जानकारी के अनुसार यूपी सरकार ने वहां के श्रमिकों को वापस लाने के लिए ट्रेन की टिकट निशुल्क करने की घोषणा की है। इसके बाद सूरत प्रशासन वहां जाने वाले लोगों की सूची तैयार कर रहा है।

इसके चलते मंगलवार को पांडेसरा क्षेत्र में यूपी के श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा था एक ही दिन में लगभग 20000 से अधिक श्रमिकों ने यूपी जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया।भीड़ इतना ज्यादा थी कि पांडेसरा पुलिस को एक ग्राउंड में इनके लिए विशेष व्यवस्था करनी पड़ी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के कारण काम धंधा बंद हो जाने से यूपी, बिहार, झारखंड तमाम राज्यों के लोग अपने गांव जाना चाहते हैं। इसके चलते कई लोग उनकी लाचारी का लाभ उठाते हुए दो से तीन गुना वसूल कर रहे हैं।


यूपी सरकार ने अन्य राज्यों में बसने वाले श्रमिकों की समस्या को समझते हुए 2 दिन पहले ही सूरत से यूपी जाने वाले श्रमिकों के लिए टिकट का रुपए नहीं देने की घोषणा की थी। इसके बाद सूरत प्रशासन ने भी यहां से भेजने के लिए व्यवस्था शुरू की है। इसके लिए श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। मंगलवार को पांडेसरा में श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन कार्य चालू था। उस दौरान बड़ी संख्या में गांव जाने के इच्छुक यूपीवासी आकर खड़े हो गए।


लोगों की भीड़ देखते हुए पुलिस को पांडेसरा जीआईडीसी ग्राउंड में व्यवस्था करनी पड़ी। यह रजिस्ट्रेशन यूपीवासियों के गाँव जाने लिए शुरू किया गया है। बताया जा रहा है कि 1 दिन में 25 हज़ार रजिस्ट्रेशन कर लिया गया।


आगामी दिनों में रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ सकती है उल्लेखनीय है कि बुधवार को जाएंगे इसमें सबसे अधिक यूपी के लिए 24 ट्रेन है।

बुधवार को 32 ट्रेन, सूरत से 50 हज़ार श्रमिक जाएँगे!


सूरत
सूरत में अन्य राज्यों के श्रमिकों की संख्या ज्यादा होने के कारण प्रशासन ने बड़ी संख्या में ट्रेन दौड़ाने का फैसला किया है।


मीडिया रिपोर्ट के आधार से बुधवार को सूरत से एक दिन मे 32 ट्रेन दौड़ेगी। इसमें से 29 ट्रेन सूरत रेलवे स्टेशन और तीन उधना रेलवे स्टेशन से दौड़ेगी। सूरत में यूपी, बिहार, राजस्थान, झारखंड, मध्य प्रदेश, बिहार आदि राज्यों के श्रमिक बड़ी संख्या में रहते हैं।

इसे देखते हुए प्रशासन ने 2 दिन पहले ही रेलवे से सूरत और उधना रेलवे स्टेशन से ट्रेन चलाने को कहा था। इसके बाद रेलवे स्टेशन पर ट्रेन पार्किंग का काम चल रहा है यह कहा था। कलेक्टर ने खुद ही रेलवे स्टेशन की विज़िट कर व्यवस्था करने को कहा। इसके बाद बुधवार को वहां से तीन ट्रेन दौड़ेगी। आपको बता दें कि जब से शुरू हुई है तब से पहली बार एक ही दिन में 32 रवाना होगी। इससे पचास हज़ार से अधिक यात्री एक ही दिन में सूरत छोड देंगे।

बुधवार को जो ट्रेन जाएगी उसमें से यूपी की 24, बिहार की सात और झारखंड की एक है। यूपी की ट्रेन फ़्री हो जाने के कारण वहां के श्रमिकों ने राहत की सांस ली है जबकि बिहार और झारखंड की ट्रेन के लिए अभी भी कालाबाजारी चल रही है सूरत में अभी भी यूपी बिहार झारखंड आदि राज्यों के लाखों श्रमिक रुके हुए हैं।


उल्लेखनीय है कि सूरत से अब तक कम से कम चार लाख लोग से अधिक यूपी और बिहार के लोग ट्रेन के माध्यम से जा चुके हैं। इसके बावजूद ट्रेन कम होने के कारण लाखों लोग फंसे हुए हैं । प्रशासन की ओर से ट्रेन की संख्या बढ़ा दिए जाने से बड़ी संख्या में लोग जल्दी गांव पहुंच जाएंगे। उड़ीसा के श्रमिक भी सूरत में फंसे हुए हैं लेकिन वहां की ट्रेन बंद हो जाने के कारण प्रशासन भी लाचार है।