સુરતથી 84 દેશોમાં યાર્ન એક્સપોર્ટ કરાવવા માટે ચેમ્બરનો પ્રયાસ

ચેમ્બર દ્વારા યાર્ન ક્ષેત્રે સંકળાયેલા વિવિધ સ્ટેક હોલ્ડર્સ સાથે મિટીંગ યોજાઇ, એક્ષ્પોર્ટ વધારવા ભાર અપાયો

યાર્ન ક્ષેત્રે સંકળાયેલા તમામ ઘટકોએ SGCCI ગ્લોબલ કનેકટ મિશન ૮૪ને સહયોગ આપવા તેમજ તેના માધ્યમથી એક્ષ્પોર્ટ વધારવા ખાતરી આપી

સુરતઃ ધી સધર્ન ગુજરાત ચેમ્બર ઓફ કોમર્સ એન્ડ ઇન્ડસ્ટ્રી દ્વારા યુનાઇટેડ ગુજરાત યાર્ન ડિલર્સ એસોસીએશનના સ્થાપક પ્રમુખ રાજેશ વેકરિયા તથા હાલના પ્રમુખ પંકેશ પટેલ સહિત યાર્ન ક્ષેત્રના વિવિધ ઘટકો સાથે રવિવાર, તા. ૬ ઓગષ્ટ, ર૦ર૩ના રોજ યાર્ન એક્ષ્પો દરમ્યાન મિટીંગ યોજાઇ હતી. જેમાં ચેમ્બરના પ્રમુખ રમેશ વઘાસિયા, માનદ્‌ મંત્રી નિખિલ મદ્રાસી, માનદ્‌ ખજાનચી કિરણ ઠુમ્મર, ગૃપ ચેરમેન ગિરધરગોપાલ મુંદડા તથા ચેમ્બરના સભ્યો પ્રવિણ દોન્ગા અને નિતિન શાહ ઉપસ્થિત રહયા હતા. આ મિટીંગમાં સુરત સહિત ગુજરાત રિજીયનમાંથી એક્ષ્પોર્ટ વધારવા માટે ચર્ચા – વિચારણા થઇ હતી. યાર્નના ડિલરોએ SGCCI ગ્લોબલ કનેકટ મિશન ૮૪ને સહયોગ આપવા તેમજ તેના માધ્યમથી એક્ષ્પોર્ટ વધારવા માટે ખાતરી આપી હતી.

ચેમ્બર ઓફ કોમર્સના પ્રમુખ રમેશ વઘાસિયાએ જણાવ્યું હતું કે, યાર્નના ડિલરોને સુરત સહિત ગુજરાત રિજીયનથી એક્ષ્પોર્ટ વધારવા માટે અનુરોધ કરવામાં આવ્યો હતો. તેઓ સમક્ષ ચેમ્બર ઓફ કોમર્સના મિશન ૮૪ પ્રોજેકટ રજૂ કરવામાં આવ્યો હતો અને તેની વિસ્તૃત જાણકારી તેઓને આપવામાં આવી હતી. ૧૬મી અને ૧૭મી સદીમાં ટેકનોલોજીના અભાવ વચ્ચે પણ ૧પ૦ પ્રકારના ફેબ્રિકસ સુરતના બંદરેથી એક્ષ્પોર્ટ થતા હતા. આજે ટેકનોલોજીની મદદથી વિશ્વભરમાં એક્ષ્પોર્ટ કરવું સહેલું બની ગયું છે, પરંતુ એના માટે સુરતમાં જ યાર્નનું ઉત્પાદન કરી ફેબ્રિકસ તેમજ રેડીમેડ ગારમેન્ટ બનાવીને વિદેશમાં એક્ષ્પોર્ટ કરવું પડશે. સુરતની પ્રોડકટની ઓળખ વિશ્વભરમાં થાય અને ૮૪ દેશોમાં તેનું એક્ષ્પોર્ટ થઇ શકે તે માટે ચેમ્બર ઓફ કોમર્સના મિશન ૮૪ સાથે જોડાવવા માટે યાર્નના ડિલરોને અનુરોધ કરવામાં આવ્યો હતો. યાર્નના ડિલરોએ ચેમ્બરના મિશન ૮૪માં જોડાવવા તેમજ આ પ્લેટફોર્મ પરથી એક્ષ્પોર્ટ વધારવા માટે સહમતિ દર્શાવી હતી.

આ ઉપરાંત યાર્નના તમામ ઘટકોને જે કોઇપણ સમસ્યા નડતી હોય તો ચેમ્બર ઓફ કોમર્સ દ્વારા સ્થાનિક, રાજ્ય તેમજ કેન્દ્ર સરકારને રજૂઆત કરી તેઓના પ્રશ્નોનો ઉકેલ લાવવા ચેમ્બર સંપૂર્ણ સહયોગ આપશે તેવી ખાતરી ચેમ્બરના પ્રમુખે તેઓને આપી હતી. ત્યારબાદ યાર્નના ડિલરો દ્વારા ઘણા પ્રશ્નોની મૌખિક રજૂઆત ચેમ્બર ઓફ કોમર્સને કરવામાં આવી હતી, આથી ચેમ્બરે તેઓને લેખિતમાં પ્રશ્નો આપવા માટે અનુરોધ કરી ચેમ્બરના પ્લેટફોર્મ પરથી તેના નિરાકરણ માટે બનતા તમામ પ્રયાસો કરવામાં આવશે તેમ જણાવવામાં આવ્યું હતું.

अब यार्न पर बीआईएस मार्क होगा अनिवार्य

आभूषण उद्योग पर हॉलमार्किंग अधिनियम लागू होने के बाद केंद्र सरकार कपड़ा उद्योग को बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) में शामिल करने की तैयारी कर रही है। 15 सितंबर, 2021 को इस कानून के लागू होने के बाद, उद्यमी यार्न तभी इम्पोर्ट कर पाएंगे यदि उन्होंने बीआईएस प्रमाण पत्र प्राप्त किया हो।


मैन्युफ़ैक्चरिंग क्षेत्र में भारतीय गुणवत्ता मानकों का अनुपालन करने के लिए, केंद्र के उर्वरक और रसायन विभाग ने अप्रैल 2021 में बीआईएस के तहत यार्न की 7 किस्मों सहित कुल 14 वस्तुओं को कवर करने का निर्णय लिया है। इन सात यार्न में पॉलिएस्टर कंटीन्यूअस फिलामेंट फुली ड्रोन यार्न, पॉलिएस्टर इंडस्ट्रियल यार्न, पॉलिएस्टर आंशिक रूप से ओरिएंटेड यार्न, पॉलिएस्टर स्टेपल फाइबर, लो डेंसिटी पॉलीइथाइलीन, डेंसिटी पॉलीइथाइलीन, हाई डेंसिटी पॉलीइथाइलीन और हाई डेंसिटी पॉलीइथाइलीन शामिल हैं।


उपरोक्त सात यार्न भारतीय बुनकरों द्वारा बड़ी मात्रा में आयात किए जाते हैं। अब तक इन धागों के आपूर्तिकर्ता भारतीय मानक ब्यूरो का पालन नहीं करते थे, लेकिन अब सरकार ने बीआईएस प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया है। बिना प्रमाण पत्र के इन आयातित यार्न का आयात 15 सितंबर से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया जाएगा।
गुणवत्ता बनाए रखने के उद्देश्य से सरकार द्वारा लागू किए जा रहे बीआईएस नियम के बाद स्थानीय यार्न आयातकों और बुनकरों के बीच चिंताएं बढ़ गई हैं।


कपड़ा उद्योग के सूत्रों का कहना है कि आयातित धागे के आपूर्तिकर्ता बीआईएस नियमों का पालन करने से कतरा रहे हैं। कुछ आपूर्तिकर्ता भारतीय गुणवत्ता नियमों का पालन करने के लिए तैयार नहीं हैं। इस नियम का पालन नहीं करने पर भारतीय सूत के आयातक आयातित सूत का आयात नहीं कर पाएंगे। इसलिए डर है कि उत्पाद प्रभावित होगा। इसलिए चैंबर ऑफ कॉमर्स ने केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया से बीआईएस के स्थान पर क्वार्टली यार्न की गुणवत्ता की जांच के लिए एक अलग एजेंसी शुरू करने के लिए संपर्क किया है।

कपड़ा बाजार में कमजोर मांग से यार्न उत्पादन में 50 फीसदी की कटौती!


कोरोना की तीसरी लहर को लेकर डर का कपड़ा उद्योग पर गंभीर असर पड़ा है. दूसरी लहर पूरी होने के बाद जुलाई में बमुश्किल चार-पांच दिनों के कारोबार के बाद कोरोना की तीसरी लहर के आने की चर्चा से कपड़ा बाज़ार में व्यापार ठप्प हो गया। इससे यार्न बनाने वाले स्पिनरों की स्थिति फिर से खराब हो गई है। त्योहारी सीजन के बावजूद ऑर्डर नहीं मिलने पर स्पिनरों की इकाइयों को उत्पादन क्षमता 50 फीसदी तक कम करने के लिए मजबूर होना पडा है।

kapda bazaar


रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दुर्गा पूजा जैसे त्योहार करीब आ रहे हैं, लेकिन देश के कपड़ा बाजारों में खरीदारी अभी शुरू नहीं हुई है। केरल में कोरोना के मामले बढ़ने के बाद देश में तीसरी लहर की चर्चा चल रही है, जिससे एक बार फिर बाजार में हड़कंप मच गया है।

जुलाई के अंत में बाजार में त्योहारी उछाल आने की उम्मीद थी, जब बाजार लगभग चार से पांच दिनों तक अच्छी स्थिति में था, लेकिन यह एक दिखावा साबित हुआ। पिछले तीन दिनों में तैयार बाजार में बमुश्किल 40 प्रतिशत व्यापार देखा गया है, बुनाई और यार्न निर्माण इकाइयाँ भी प्रभाव के हिस्से के रूप में 50 प्रतिशत क्षमता पर चल रही हैं।


साउथ गुजरात यार्न डीलर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ललित चांदके ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद से यार्न के कारोबार में 50 फीसदी की गिरावट आई है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण यार्न की कीमत में 2 रुपये प्रति किलो की वृद्धि हुई है। व्यापार कमजोर है।

कपड़ा उद्योग में एक बार फिर बदल सकता है जीएसटी का दर


कपड़ा उद्योग ने एक बार फिर जीएसटी की दर में बदलाव की मांग की है। यार्न निर्माताओं ने 5 प्रतिशत की एक समान दर लागू करने के लिए केंद्रीय कपड़ा और वाणिज्य मंत्रालय से संपर्क किया है। यार्न निर्माताओं का तर्क है कि कच्चा माल खरीदने पर 18 प्रतिशत और उत्पादित यार्न का 12 फीसदी ड्यूटी है। इसलिए उन्हें नुकशान हो रहा है। जीएसटी परिषद की आगामी बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है।

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कपड़ा उद्योग में एक देश एक कर का फॉर्मूला फिट नहीं बैठता। इस उद्योग में तीन कर दरें हैं। यार्न निर्माता पीटीए, एमईजी जैसे कच्चे माल पर 18 प्रतिशत कर का भुगतान करते हैं और फिर निर्मित यार्न को 12 प्रतिशत कर पर बेचते हैं। विवर यार्न से ग्रे बनाते हैं और इसे 5 फीसदी जीएसटी पर एक कपड़ा व्यापारी को बेचते हैं। इस पूरी श्रृंखला में, 12 प्रतिशत जीएसटी पर यार्न खरीदने वाले बुनकरों को 5 प्रतिशत जीएसटी पर 7 प्रतिशत के अंतर का रिफंड मिलता है, लेकिन 18 प्रतिशत पर कच्चा माल यार्न खरीदने वाले स्पिनरों को 6 प्रतिशत का रिफंड नहीं मिलता है।

SRTEPC (सिंथेटिक रेयन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल) ने केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के साथ इस मुद्दे को उठाया है। एसआरटीईपीसी के प्रमुख धीरू शाह के अनुसार, अनुचित प्रावधान के कारण दरों में अंतर के कारण स्पिनरों को टैक्स क्रेडिट का नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्पिनरों को रिफंड के लिए जीएसटी प्रणाली में कोई प्रावधान नहीं है। बाजार के उतार-चढ़ाव से स्पिनर भी प्रभावित होते हैं। मुश्किल समय में स्पिनरों पर उत्पादन का बोझ बढ़ जाता है। पिछले चार सालों में स्पिनरों को करोड़ों का नुकसान हुआ है।


शाह ने आगे कहा कि कपड़ा उद्योग में एक समान कर दरों को लागू करने के लिए सरकार को प्रस्ताव दिया गया है। हालांकि अमीर सूती कपड़े पहनते हैं, सूती धागे पर 5 फीसदी और सिंथेटिक यार्न पर 18 फीसदी और 12 फीसदी की कर दरें अनुचित हैं। देशभर के स्पिनरों ने इसे हटाने की मांग की है। आने वाले दिनों में सरकार इस पर फैसला ले सकती है।

क्या विस्कोस फिलामेन्ट यार्न की कीमत बढ़ेंगी? फिआस्वी सहित संगठनों का विरोध!


विदेश से आयातित यार्न महंगा होने पर उद्यमियों की दिक्कते बढेगी
सूरत: पॉलिएस्टर यार्न पर एंटि डंपिंग ड्यूटी लगाने की डीजीटीआर की सिफारिश के बावजूद केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने विवर्स के हित में पर ड्यूटी लगाने से इनकार कर दिया है। इसके बाद अब विस्कोस फिलामेंट यार्न के निर्माताओं डायरेक्टर जनरल ऑफ ट्रेड रेमिडिज में विस्कोस फिलामेन्ट यार्न पर  काउंटरवेलिंग ड्यूटी लगाने की मांग की है।

इस मांग को डीजीटीआर में विवर्स संगठनो ने चुनौती दी है। वीवर्स संगठनों का कहना है कि विस्कोस फिलामेंट यार्न पर आयात शुल्क होने  के कारण अभी भी घरेलू उत्पादकों की तुलना में आयातित यार्न अधिक महंगा है। इसके बावजूद काउन्टर वेलिंग ड्यूटी लगाई गई तो यार्न अधिक महंगा होगा। यार्न उत्पादक कहते हैं कि  16,000 टन विस्कोस फिलामेंट यार्न चीन सहित अन्य देशों से आयात किया जाता है। जबकि घरेलू उत्पादक 55,000 टन यार्न का उत्पादन करते हैं।

वीवर्स बताते हैं कि सूरत में मांग की अपेक्षा यार्न का उत्पादन कम है, इसलिएविदेशी यार्न पर निर्भर रहना पड़ता है। आयातित यार्न  पर 7 से 8 प्रतिशत ड्यूटी लगता है। डीजीटीआर में फियास्वी, पांडेसरा और वेदरोड वीवर्स एसोसिएशन, आयातकों और उपयोगकर्ताओं ने स्पिनरों की मांग के खिलाफ अपना पक्ष रखा है।

पांडेसरा वीवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष गुजराती ने कहा कि अगर आयातित यार्न पर काउंटर-वेलिंग ड्यूटी लगाया जाता है तो यार्न और अधिक महंगा हो सकता है। अभी भी, चीन से डंप किया गया विस्कोस फिलामेंट यार्न घरेलू निर्माताओं की तुलना में अधिक महंगा है, लेकिन इसकी गुणवत्ता देश में सालाना 55,000 टन की खपत होती है।  हर साल 12 हजार टन यार्न का आयात होता है। यदि इस पर शुल्क लगाया गया तो एक्सपोर्टर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में टिके रहना मुश्किल होगा।

कपड़ा मार्केट खुलने के साथ ही यार्न उत्पादको ने बढा दिए दाम, विवर की परेशानी बढी


पीओवाय और एफडीवाय की कीमत में दस दिन में चार रुपए बढे
कपड़ा मार्केट खुलने के साथ ही विवर्स ने यार्न की कीमत बढा दी है। बीते दस दिनो में पॉलिएस्टर पीओवाय और एफडीवाय की कीमत में चार रूपए की बढोतरी हुई है। वहीं कॉटन यार्न में भी तेजी आने के कारण आने वाले दिनों में ग्रे की कीमत में बढोतरी की संभावना व्यक्त की जा रही है।

यार्न बाजार के सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार कपड़ा बाजार 28 अप्रेल से बंद होने के कारण लूम्स कारखाने भी बंद थे और बाजार पूरा ठप्प था। इस दौरान मार्केट में डिमान्ड नहीं होने के कारण यार्न उत्पादन ठंडे थे। लेकिन इसके बाद बाजार खुलने पर कपड़ो की डिमान्ड रहेगी। इस उम्मीद पर यार्न उत्पादकों ने दाम बढाना शुरू कर दिया है। कई राज्यो में कोरोना के संक्रमितों की संख्या घटने के कारण आगामी दिनों में लग्नसरा और रक्षाबंधन पर साड़ी और ड्रेस मटीरियल्स की डिमान्ड होगी।

इस गिनती के साथ यार्न उद्यमियों ने दाम बढाना शुरू कर दिया है। यार्न कारोबारी फोरम घीवाला ने बताया कि बीते दस दिनों में यार्न बाजार में पॉलिएस्टर पीओवाय और एफडीवाय की कीमत में चार रूपए का उछाल आया है। आगामी दिनों में  बाजार में डिमान्ड की उम्मीद होने के कारण दाम बढाए जा रहे है। बाजार में तेजी की उम्मीद होने से दाम बढ रहे हैं।

अन्य एक कारोबारी बकुलेश पंडया ने बताया कि पिछले दिनों बाजार बंद रहने से विवर्स ने यार्न नहीं खरीदे इसलिए आगामी दिनों में यार्न की डिमान्ड रहने के उम्मीद से यार्न उत्पादक दाम बढा रहे है। पिछले 20 दिनों में रोटो में प्रति किलो 12 रुपए, डुपियन में 15 रूपए और साइज बीम में 15 रूपए का ईजाफा हुआ है।

इसके अलावा कॉटन यार्न में भी भारी तेजी के कारण भिवंडी से आने वाले ग्रे कीमत में उछाल आया है।भिवंडी ग्रे बाजार से जुडे गिरधारी साबु ने बताया कि लॉकडाउन के दिनों में दक्षिण भारत की कॉटन यार्न मिल बंद रहने से प्रोडक्शन नहीं हो सका। इन दिनो माल की कमी के कारण यार्न की कीमतो में प्रति किलो 25 से 50 रूपए बढे है। इसके चलते कॉटन ग्रे की कीमत में दो से तीन रुपए बढे है। भिवंडी में ग्रे का उत्पादन भी कम हो रहा है। इसका असर भी पड़ा है। अन्य एक कारोबारी राकेश अग्रवाल ने बताया कि भिवंडी में श्रमिकों की कमी के कारण ग्रे का उत्पादन कम हो रहै है। कॉटन यार्न की कीमत बढने के कारण ग्रे की कीमत बढी है। माइक्रो तथा 96-64 दोनो के ही यार्न की कीमत में 10 रुपए बढने से ग्रे की कीमत भी प्रति मीटर 1 रूपए तक बढी है।

कोरोना इफेक्ट: पन्द्रह दिन में यार्न की कीमत 7 रुपए घटी


सूरत में कोरोना के मामले एक बार फिर से बढने के कारण कपड़ा व्यापार की गाड़ी पटरी पर से उतरते नजर आ रही है। जैसे ही रमजान ईद और लग्नसरा की खरीद के लिए अन्य राज्यों के व्यापारियों का आवागमन बाजार में शुरू हुआ वैसे ही कोरोना की नई गाइडलाइन के कारण बाजारस ठप्प हो गया। मनपा की ओर से जारी नई गाइडलाइन में अन्य राज्यों से आनेवालों के लिए सात दिन क्वोरंटाइन का नियम है। इसलिए व्यापारी आना बंद हो गए हैं। इसका असर फिनिश्ड फेब्रिक्स के कारोबार पर पड़ा है। लगभग पचास प्रतिशत व्यापार कम हो गया है।

व्यापारी अब आवश्यकता के अनुसार ही सोशल मीडिया के माध्यम से डिजाइन भेजकर ऑर्डर दे रहे हैं। इसके चलते ग्रे का कारोबार भी घटा है। व्यापारियों को भय है कि यदि फिर से लॉकडाउन लग गया तो पिछले साल की तरह उन्हे माल का स्टोक करना पडेगा और पूंजी फस सकती है। इसलिए वह ग्रे की खरीद करने से कतरा रहे हैं। इन परिस्थितियों के बीच यार्न का कारोबार धीमा हुआ है। बीते 15 दिन में ही पॉलिएस्टर यार्न की रोटो तथा एयरटेक्स क्वालिटी में पांच से सात रुपए की गिरावट और नायलॉन यार्न में आठ रुपए की कमी दर्ज हुई है।


यार्न कारोबारियों का कहना है कि कोरोना के कारण व्यापारी माल नहीं खरीद रहे। इसलिए विवर्स भी कम खरीद कर रहे हैं। इसके अलावा बीते एक महीने से व्यापारी और विवर्स के बीच ट्रान्सपोर्टेशन चार्ज और 6 प्रतिशत डिस्काउन्ट की मांग का विवाद होने के कारण भी यार्न कारोबार नरम है। इसके चलते दाम में गिरावट आई है। यार्न कारोबारी बकुलेश पंड्या ने बताया कि कोरोना के कारण अन्य राज्यों के व्यापारी नहीं आ रहे। इससे यार्न बाजार में कारोबार प्रभावित हुआ है।

पॉलिएस्टर यार्न में रोटो तथा एयरटेक्स सहित कुछ क्वालिटी की कीमत में पांच से सात रूपए की गिरावट आई है। हालाँकि एफडीवाय में दाम स्थिर है। अन्य एक व्यवसायी फोरम घीवाला ने बताया कि बीते दिनों जिस तरह से कोरोना के कारण व्यापार प्रभावित है और व्यापारी तथा विवर्स के बीच विवाद चल रहा है। इसका असर यार्न की खरीद पर पड़ी है। विवर्स आवश्यकतानुसार खरीद कर रहे हैं। बीते तीन सप्ताह में रोटो तथा एयरटेक्स आदि क्वालिटी में पांच रुपए दाम टूटे हैं।

यार्न की कीमत कब घट सकती है, जानिए


यार्न की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से परेशान विवर्स को फरवरी में राहत मिल सकती है। यार्न के डीलर विदेशों से 1,000 से 1,500 कंटेनरों का ऑर्डर दे रहे हैं। जो कि जल्दी पहुंचने की उम्मीद है। संभावना है कि फरवरी महीने की शुरूआत से यार्न की कीमत घट सकती है।


यार्न बाजार के सूत्रों के अनुसार, पिछले तीन महीनों में यार्न की कीमतों में लगातार वृद्धि से विवर्स चिंतित हैं। विवर्स का आरोप है कि यार्न निर्माता कार्टेल्स बना रहे हैं और मनमानी ढंग से कीमतें बढ़ा रहे हैं। दूसरी ओर, यार्न निर्माताओं का कहना है कि यार्न के कच्चे माल के साथ-साथ विदेशों से भी यार्न आयात करने में समस्या है।

शिपिंग कंपनियों द्वारा कंटेनरों की कमी दिखाते हुए कीमतें बढ़ाई जा रही हैं। यार्न की कीमतें इन कारणों से बढ़ रही हैं। इन सभी विवादों के बीच, पॉलिएस्टर और नायलॉन यार्न की कीमतें पिछले छह महीनों से लगातार बढ़ रही हैं। कई क्वॉलिटी में 40 रुपये से 100 रुपये तक बढ़ गए हैं।

बुनकरों ने यार्न निर्माताओं के साथ इस मुद्दे को कई बार उठाया और यार्न की खरीद का बहिष्कार करने की धमकी दी, लेकिन अभी तक यार्न की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि, आने वाले दिनों में यार्न की कीमतें गिरने की संभावना है।

यार्न व्यापारी बकुल पंड्या ने कहा कि बाजार फिलहाल ठंडा है और बुनकर आवश्यकतानुसार खरीद रहे हैं। एक अन्य यार्न डीलर राकेश कंसल ने कहा कि चीन सहित देशों से 1,000 से 1,500 यार्न कंटेनर आयात किए गए हैं। यार्न की कीमतें 1 फरवरी से घटने की संभावना है।

उल्लेखनीय है कि यार्न की बढती कीमतों के कारण विवर्स का लाभ घट गया है। विवर्स का कहना है कि बाजार में ज्यादा डिमान्ड भी नहीं है लेकिन इसके बावजूद बीते दिनों मे यार्न उत्पादकों ने अपने मनमानी ढंग से यार्न की कीमते बढाई थी।

घट सकती हैं पॉलिएस्टर यार्न की कीमत, जानिए कैसे!

पॉलिएस्टर यार्न बढ़ती क़ीमतों के बीच विवर्स के लिए एक अच्छे समाचार हैं। पॉलिएस्टर यान विक्रेताओं ने चीन और वियतनाम सहित अन्य देशों से पॉलिएस्टर यार्नआयात करने के लिए ऑर्डर दे दिए हैं। जैसे ही विदेश से यार्न आने लगेंगे वैसे ही यार्न की क़ीमत में गिरावट आना शुरू हो जाएगी। विवर्स का आरोप है कि यार्न उद्यमियों की ओर से मनमाने ढंग से यार्न के क़ीमत लगातार बढ़ायी जा रही है।

बाज़ार में तेज़ी नहीं होने के बावजूद यार्न उत्पादक संगठन बनाकर अपनी मर्ज़ी से लगातार क़ीमतें बढ़ाएं जा रहे है।  3 महीने में पॉलिस्टर यार्न की क़ीमत में 60 रुपये तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके बावजूद यार्न  की क़ीमत कम होने का नाम नहीं ले रही है। जिसके चलते विवर्स का लाभ ख़त्म हो चला है। इस बारे में विवर्स ने बार बार गुहार लगायी है लेकिन अभी तक इसका कोई फ़ैसला नहीं हो सका है।

विवर्स  चाहते है कि विदेश से आयात होने वाले पॉलिएस्टर यार्न पर एंटी डंपिंग ड्यूटी नहीं लगनी चाहिए। लेकिन इसके बावजूद DGTR ने एक बार फिर से विदेश में आयातित यार्न पर ड्यूटी लगाने की बात कही है। फिलहाल दिसंबर में एन्टि डम्पिंग ड्यूटी का समय समाप्त होने से यार्न विक्रेताओं ने बड़े पैमाने पर यार्न आयात के ऑर्डर दिए है। 

कपड़ा उद्योग से मिली जानकारी के अनुसार अब तक पॉलिएस्टर यार्न पर एन्टि डम्पिंग ड्यूर टी लागू थी। चीन और थाईलैंड से आयातित यार्न पर ड्यूटी लागू होने के कारण आयात कम थी। घरेलू बाजार में 31 दिसंबर 2020 को एंटि डंपिंग ड्यूटी की समय सीमा समाप्त हो गई।

इसके बाद यार्न उत्पादक फिर से एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की गुहार कर रहे हैं। डीजीटीआर ने भी इस बारे में वित्त मंत्रालय से गुहार की है। दूसरी ओर विवर नहीं चाहते कि आयातित यार्न पर किसी भी प्रकार की एंटी डंपिंग ड्यूटी लगे। हालांकि अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं हो पाया है। 

इस दौरान पर स्थिति स्पष्ट हो इसके पहले ही यार्न विक्रेताओं ने विदेश से बड़े पैमाने पर एफडीवाय इंपोर्ट करने का फैसला लिया है और बड़े आर्डर भी बुक करवा दिए हैं। आगामी दिनों में चीन और थाईलैंड से बड़े पैमाने पर यार्न के कंटेनर इंपोर्ट होंगे।बताया जा रहा है कि विदेश से आयातित पॉलिस्टर एफडीआई पर ड्यूटी लगेगी या नहीं अभी विचाराधीन है। 

इस दौरान जो माल आ जाएगा उस पर ड्यूटी नहीं लगेगी लेकिन, यदि एक बार ड्यूटी लग गई तो उसके बाद ड्यूटी जोड़कर वसूली जाएगी। इसलिए कई उद्यमी अभी यार्न मंगा ले रहे हैं। यार्न आने के बाद क़ीमत कम हो सकती है।

उल्ल्लेखनीय है कि एक और यान की क़ीमत बढ़ रही है और दूसरी ओर प्रोसेसिंग के लिए आवश्यक अन्य चीज़ों वस्तुओं की क़ीमत में बढ़ोतरी हो रही है जिसके चलते प्रोसेसर ने को मीटिंग कार जॉब जाँच बढ़ाने का फ़ैसला किया था।ऐसे में आगामी दिनों में तैयार कपड़ों की क़ीमत में भारी उछाल का सामना करना पड़ सकता है।

यार्न की कीमत फिर पांच रूपए बढी, बाजार में यार्न की शोर्टेज


भले ही कपडा विवर्स यार्न की बढ़ती कीमतो का विरोध कर रहे हैं और इस बारे में विवर्स ने केंद्र सरकार से गुहार भी लगाई है, लेकिन यार्न उत्पादक विवर्स की बात मानने के मूड में नहीं हैं। इस बीच अग्रणी यार्न निर्माताओं ने रविवार पीओवाई की कीमतों में पांच रुपये तक की बढ़ोतरी की है।


यार्न बाजार के सूत्रों के अनुसार, रविवार शाम को सभी डीलरों को यार्न निर्माता द्वारा यार्न की नई कीमते जारी की। इसमे पीओवाई की तमाम क्वॉलिटी में पांच रुपये तक बढाने की जानकारी दी। नई कीमतें सोमवार 11 तारीख से लागू होंगी। एक ओर, पिछले दो हफ्तों विवर्स यार्न कंपनियों पर लगातार कार्टेल बनाकर कीमतों में वृद्धि का आरोप लगा रहे हैं इस बारे में सरकार से भी गुहार लगाई है, लेकिन यार्न उत्पादक कंपनियां बुनकरों की मांग को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।

यार्न बाजार के करीबी सूत्रों का कहना है कि यार्न कंपनियां बाजार में यार्न की मांग के कारण कीमतें बढ़ा रही हैं। हालाँकि कुछ यार्न डीलरों ने चीन से 10,000 टन यार्न आयात करने के ऑर्डर भी दिए हैं। यह माल आने के बाद 10 दिनों के भीतर यार्न की गिरने की संभावना है।


यार्न डीलर बकुलेश पंड्या ने कहा कि पॉलिएस्टर यार्न की कीमत दिवाली के बाद अनुमानित 30 रुपये बढे हैं। यार्न की कीमत बढने के कारण विवर्स ज्यादा यार्न की खरीदने से बच रहे हैं। यार्न डीलर राकेश कंसल ने कहा कि बाजार में यार्न की कमी के कारण यार्न की कीमतें बढ़ रही थीं। 10-15 दिनों में कीमतें रिवर्स हो सकती हैं। आगामी दिनों में कारोबार ठीक रहेगा।


पॉलिएस्टर यार्न की कीमत बढने का असर नायलॉन यार्न पर भी हो सकता है। यार्न उत्पादक विनय अग्रवाल ने बताया कि नायलॉन यार्न में कारोबार अच्छा है। पॉलिएस्टर यार्न में दाम बढे हैं। आगामी दिनों में नायलॉन यार्न की कीमत भी बढ़ सकती हैं।

उल्लेखनीय है कि 5 जनवरी को फोगवा तथा कई विवर्स संगठनो और प्रमुख स्पिनरों और डीलरों के साथ एक बैठक आयोजित की जिसमें मुख्य मुद्दा यार्न की कीमत को नियंत्रित करना था। लेकिन इस मीटिंग के बाद भी एक बार फिर से अग्रणी यार्न उत्पादक कंपनी ने दाम बढा दिए।