गंभीर हालत में गर्भवती महिला को 40 दिन तक वेन्टिलेटर पर रखने के बाद कराई डिलिवरी

स्मीमेर होस्पिटल के डॉक्टर्स ने 40 दिन तक गर्भवती महिला को वेन्टिलेटर पर उपचार देकर मौत के मुंह से उगार लिया। मिली जानकारी के अनुसार लिंबायत क्षेत्र की गर्भवती माधुरीबेन दिलीप कुंभारे को सात महीने का गर्भ था। बीते दिनों सास लेने में तकलीफ और निमोनिया के कारण उनकी तबियत खराब होने के कारण उन्हें स्मीमेर होस्पिटल में दाखिल किया गया था।

उपचार के बाद भी वह ठीक नही हो पा रही थी। परिस्थिति को देखते हुए डॉक्टर्स ने उन्हें वेन्टिलेटर पर रख दिया। डेढ महीने तक वेन्टिलेटर पर रखने के बाद टैक्योस्टोमी मतलब की गले में छेंद कर महिला का उपचार किया गया। इसके बाद सिजेरियन डिलिवरी करा कर स्मीमेर के डॉक्टर्स ने डिलिवरी करवाई। फिलहाल माता और पुत्र दोनो ही स्वस्थ्य है।

उनका उपचार करनेवाली डॉक्टर तनु श्री अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि माधुरी कुंभारे को 17 जुलाई को श्वास में तकलीफ होने के कारण होस्पिटल में दाखिल किया गया। जांच में उनकी शरीर में निमोनिया की असर दिखी। उनका कोरोना का एन्टिजेन टेस्ट कराया गया, जो कि नेगेटिव आया।

इसके अलावा शरीर में ऑक्सीजन भी कम था। इसके बाद तुरंत ही उन्हें गायनेक वॉर्ड में रखकर उपचार शुरू किया गया। वहां पर उनकी तबियत गंभीर होने के कारण वेन्टिलेटर पर रखा गया। 26 जून को ट्रैक्योस्टोमी ऑपरेशन किया गया। इस दौरान गर्भस्थ शिशु के पास पानी भी कम हो जाने से डॉक्टर्स की टीम सतत बच्चे की तबियत पर मोनिटरिंग कर रही थी।

माधुरीबेन को जिस पध्दति से उपचार दिया गया उस पध्दति के बारे में बताते हुए गायनेक विभाग के हेड डॉ अश्विन वाछाणी ने बताया कि कोरोना के मरीजो को उपचार के दौरान श्वास लेने पर तकलीफ होती है तब वेन्टिलेटर पर रखा जाता है।

इसके पहले मरीज को एनेस्थेसिया दिया जाता है। इसके बाद गले में एक छेंद कर पाइप डालकर ऑक्सीजन दिया जाता है। इस पध्दति में मरीज को खुद श्वास नहीं लेना होता। माधुरीबेन की हालत गंभीर होने से उन्हें भी इस पध्दति से उपचार दिया गया।