सूरत के कपड़ा बाज़ार में लॉकडाउन से दिवाली के दौरान प्रिंटेड कपड़ों की अच्छी डिमांड रहने के बाद आगामी दिनों में लग्नसरा के चलते वर्क वाले कपड़ों की अच्छी डिमांड रहने की उम्मीद व्यापारी कर रहे हैं। ऐसे तो देश भर में वर्कवाली साड़ियों की माँग रहेगी लेकिन उत्तर प्रदेश बिहार और उत्तराखंड आदि राज्यों में माध्यम से लेकर महँगी क़ीमत तक कि बार पाली साड़ियों की डिमांड उम्मीद व्यापारी व्यक्त कर रहे है।
कपड़ा उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लॉकडाउन के बाद कपड़ा उद्योग और हीरा उद्योग धीरे-धीरे व्यापार जम रह रहा है। इस दौरान श्रमिकों की कमी होने के कारण कपड़ों का उत्पादन भी कम रहा जिसके चलते भी आगामी दिनों में कपड़ों की शॉर्टेज की परिस्थिति बन गई थी। श्रमिक गांव से नहीं लौटने के कारण कई कारखाने सिर्फ एक ही शिफ्ट में चले थे। लॉकडाउन के बाद से अब तक ज्यादातर प्रिंटेड कपड़ों की ही डिमांड रही थी। लेकिन अब आगामी दिनों में लग्सनरा होने के कारण फैंसी फैब्रिक की भी डिमांड हो रही है।
सरकार की ओर से अब सामाजिक कार्यक्रम और लग्न समारोह में 200 लोगों को इकट्ठे होने की छूट मिलने के कारण भी फैन्सी कपड़ों की अच्छी डिमांड निकलने की उम्मीद व्यक्त कर रहे हैं। सूरत में फैन्सी फैब्रिक का उत्पादन लगभग एक करोड़ मीटर प्रतिदिन होता है। फैन्सी कपड़ों का व्यापार करने वालों के पास अन्य राज्यों के व्यापारी बड़े पैमाने पर ऑर्डर बुक हो चुके हैं।
व्यापारियों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद सिर्फ प्लैन और प्रिन्टेड कपड़ों की डिमांड होने से एम्ब्रॉयडरी उद्यमी परेशान हो गए थे लेकिन, आगामी दिनों में फैन्सी कपड़ों की अच्छी डिमांड रहेगी।कपड़ा व्यापारी अशोक लालवाणी ने बताया कि बीते दिनों लॉकडाउन के कारण महिलाओं का कही आना जाना नहीं हो पा रहा था।
कोरोना के चलते लोग ख़ुद ही बाहर निकलना टाल रहे थे। शादी ब्याह जैसे प्रसंगों में भी लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई थी। ऐसे में हैवी साड़ियों का प्रचलन कम था। अब सरकार की ओर से शादी ब्याह में भी छूट दे दी गई है और आगामी दिनों लग्नसरा का सीज़न होने के कारण प्रिंट वाले साडियों की डिमांड अच्छी रहेगी।(प्रतीकात्मक फोटो)