सूरत के किसानों की सूझबूझ से करोड़ों रुपया का धान बरसात के पानी में भीगने से बच गया। मौसम विभाग की पूर्व जानकारी को गंभीरता से लेते हुए किसानों ने और उनसे धान ख़रीदने वाले सरकारी मंडली के संचालकों ने पहले से ही ताडपत्री खरीदकर धान की बोरियों पर डाल दी जिससे की बारिश पर भी उन्हें असर नहीं पड़ा।
मिली जानकारी के अनुसार बीते 3 दिन से बारिश हो रहा है ऐसे में पहले से मिली सूचना के आधार पर सूचना के आधार पर सूरत की सहकारी मंडली के संचालकों ने सतर्कता दिखाते हुए तीन लाख बोरी धान को बरसात में भीगने से बचा ली। हवामान विभाग की आगाही पर अब धीरे-धीरे लोगों उनके अनुरूप ही काम करने लगे हैं। सूरत में बीते 3 दिन से कमौसमी बरसात हो रही है। इस बरसात के चलते किसानों के खेतों में उगी फसल को नुकसान हो रही है।
बरसात ने दक्षिण गुजरात के किसानों को चिंता में डाल दिया है। हालांकि जो फसल पहले ही कट चुकी थी। उसे बचाने के लिए किसानों ने सावधानी दिखाई और बचाने में सफल भी रहे हैं। हवामान विभाग ने कुछ दिनों पहले ही बरसात की आगाही कर दी थी। जिसमें बताया था कि 10 दिसंबर के बाद से दक्षिण गुजरात में बरसात हो सकती है।
इतना ही नहीं हवामान विभाग ने यह भी बताया था कि यह बरसात कुछ दिनों तक जारी रहेगी। विभाग की इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए किसान और धान की फसल खरीदने वाले मिल मालिक भी सचेत हो गए थे। उन्होंने ताडपत्री मंगाकर गोडाउन में पड़े हुए धान के बोरियों को सुरक्षित कर लिया था।
एक अंदाज के अनुसार लगभग तीन लाख से अधिक धान की बोरी को पानी में भीगने से बचा लिया गया था। बताया जा रहा है कि शुक्रवार को ही कई किसानों ने ताडपत्री मंगाकर खेतों में पड़ी धान और उनके गोडाउन आदि में पड़े धान को सुरक्षित कर लिया था।
अब तक कई बारअब तक कई बार ऐसा हुआ है कि मौसम विभाग आगाही करते रहता है लेकिन लापरवाही के चलते किसानों को और सहकारी मंडली को बहुत नुक़सान हुआ है। लेकिन एक बार किसानों वार्ताकारों मंडली ने आवा मार विवाद पर भरोसा रखा था जिसका उन्हें अच्छा लाभ मिला है।