सूरत: राधाकृष्ण टैक्सटाइल मार्केट के व्यापारी से दिल्ली के व्यापारियों ने की 29 लाख की धोखाधड़ी!

सूरत रिंग रोड राधाकृष्ण टेक्सटाइल मार्केट के एक व्यापारी के साथ दिल्ली के एक कपड़ा दलाल सहित तीन व्यापारियों ने माल लेने के बाद भुगतान नहीं कर 28.86 लाख रुपये की धोखाधड़ी की।इतना ही नहीं, कपड़ा दलाल द्वारा व्यापारी को जान से मारने की धमकी देने के बाद सलाबतपुरा पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

हितेश छगन माहेश्वरी (अलथान डीमार्ट के पास रामेश्वरग्रीन अपार्टमेंट) ने कहा कि वह एक कपड़ा व्यापारी है और रिंग रोड राधाकृष्ण मार्केट में श्री राम टेक्सटाइल नामक एक दुकान के मालिक हैं। दिल्ली में केएम एजेंसी के मालिक और टेक्सटाइल ब्रोकर उमेश मकीम ने हितेश माहेश्वरी की दिल्ली में हनुमंत टेक्सटाइल्स के मालिक ऋषभ जैन और आरके एंटरप्राइज के मालिक राजू वर्मा के साथ मीटिंग करवाई।


इसके बाद ऋषभ जैन और राजू वर्मा ने 28.86 लाख रुपये के टेक्सटाइल का ऑर्डर दिया था।कुछ दिनों तक वायदा के हिसाब से भुगतान जमा कर रहे दोनों व्यापारियों ने रुपया देने से मना कर दिया। इसके बाद उसने कपड़ा दलाल उमेश मुकीम ने पैसे लेने के दौरान जान से मारने की धमकी दी और बिना पैसे दिए दुकान बंद कर फरार हो गया। इसकी शिकायत सलाबतपुरा थाने में पुलिस ने अपराध की जांच की है।

सूरत के कपड़ा व्यापारी उधार माल देने से पहले इतना करें!!

textile market

कपड़ा बाजार में लॉकडाउन के बाद से पेमेन्ट की समस्या जटिल से जटिल होते जा रही है। पेमेन्ट के नाम पर सामने वाले व्यापारी फोन नहीं उठा रहे या तो माल वापिस भेजने की धमकी दे रहे हैं।

सूरत मर्कनटाइल ऐसोसिएशन की समस्या समाधान मिटिंग में प्रमुख नरेन्द्र साबू ने सभी व्यापारियों से अपील की कि किसी भी व्यापारी की पुरानी गुडविल के आधार पर विश्वास नहीं करें बल्कि आज की वर्तमान परिस्थिति की पुरी जानकारी करने के बाद ही व्यापार करना चाहिए। संभलकर व्यापार करने की जरुरत है वरना व्यापार की बर्बादी के साथ साथ पारिवारिक नुकसान की भरपाई करना मुश्किल हो जायेगा।

SMA प्रमुख नरेन्द्र साबू ने व्यापार आगे कैसे करें इसके बारे मे अपने अनुभव सेअवगत कराया है तथा कहा है कि अनजान तथा नये व्यापारी से व्यापार करने से बचना चाहिए, व्यापारियों की छटनी करें,  डी ग्रेड व्यापारी से व्यापार बंद करके अपना पुराना पेमन्ट क्लीयर करें, व्यापारियों पर उधार की लिमिट तथा पेमन्ट की समय सीमा निश्चित करें तथा अपने कम्प्यूटर में लाक लगवाए।

एजेन्ट आढती का पुरा रेफरेंस निकालने के बाद ही व्यापार करें ओर अगर हो सकें तो लोकल  एजेन्ट आढती से ही व्यापार करें साथ ही अपने पेमन्ट की जबाबदेही की गारंटी भी निश्चित करें। व्यापार में सबसे ज्यादा जो तकलीफ है वह है रिटर्न गुड्स की है। उसके लिए जो व्यापारी बहुत ज्यादा रिटर्न गुड्स भेजता है तब ऐसे व्यापारी की शिकायत आप अपने लैटर पैड पर लिखकर देते हैं तो उसका नाम सभी ग्रुप में सार्वजनिक उजागर किया जायेगा।।


आज की समस्या समाधान मिटिंग कोर कमेटी तथा वर्किंग कमेटी के पंच पैनल के सदस्य( आत्माराम बाजारी, अशोक गोयल, राजीव उमर महेश पाटोदिया राजकुमार चिरानिया, जितेन्द्र  सुराणा, अशोक बाजारी,  हेमन्त गोयल , मनोज अग्रवाल ,केवल  असीजा, मुकेश अग्रवाल, अरविंद जैन,)की उपस्थिति में शिकायतों को सुना। 45 फरियादी आए तथा 87 केस आए हैं जिसमें 15 केस का तुरंत निपटारा हो गया।


जिसमें कुछ को हाथों हाथ बात करके सलटाया तथा कुछ मामलें समय लेकर हल हो जायेंगे तथा कुछ मामलें कानुनी कार्यवाही के लिए लीगल टीम को ट्रांसफर किये गये हैं।विशेष रूप से अम्बा जी टेक्सटाइल मार्केट की पार्टी का पुराना बडे  विवाद को सलटाया गया।।

सचिन के सेज की कंपनी मे लगी बड़ी आग,

सूरत
सचिन के स्पेशल इकोनामिक जोन में गुरुवार की रात 8:30 बजे के करीब आकाश पैकेजिंग में बड़ी आग लग जाने के कारण वहां पर स्थानीय लोगों में भगदड़ मच गई। घटना की जानकारी मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई।

इस कंपनी में पैकेजिंग बॉक्स आदि बनाने का काम किया जाता है।यह कंपनी सचिन के स्पेशल इकोनामिक जोन में आई है। घटना इतनी भयानक लग रही थी कि मुख्य द्वार से घुसने में भी लोगों को मुसीबत आ रही थी। फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने घटनास्थल पर जाकर तुरंत ही आंख को नियंत्रण में लेने का काम शुरू कर दिया।

यह समाचार लिखे जाने तक इस घटना में किसी भी प्रकार की जनहानि की जानकारी नहीं आई थी। घटना के कारण फायर ब्रिगेड के बड़े अधिकारी वह स्पेशल इकोनामिक जोन के भी अधिकारी घटनास्थल पर आ गए। देर रात तक आग बुझाने की कार्रवाई चलती रही।

आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले भी सचिन जीआईडीसी में केमिकल की कंपनी में इसी तरह से बड़ी आग लग गई थी। उसे बुझाने में भी विभाग को बड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा था।

आकाश पैकेजिंग में आग लगने का कारण अभी तक पता नहीं चल सका है। हालांकि बताया जा रहा है कि आकाश पैकेजिंग में उपयोग में लिए जाने वाले केमिकल के कारण आग और बढ़ गई। फायर ब्रिगेड को और दमकल की गाड़ियों की जरूरत पड़ने पर आसपास के स्टेशनों से गाड़ियों की व्यवस्था की गई देर रात तक आंख को नियंत्रण में लेने का काम चालू रखा गया।

लॉकडाउन में बंद कंपनियों के नुक़सान का अरबों का क्लैम नहीं स्वीकार होगा!

कोरोना के कारण जहां उद्यमी पहले से ही परेशान है वहां धीरे धीरे व्यापार खोलने से उनकी समस्याएं तो हल हो रही है लेकिन, अभी भी उनको कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।


चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से मंगलवार को इंश्योरेंस इस इश्यूज विषय पर आधारित पर वेबिनार में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के चीफ रीजनल मैनेजर के.के रैना उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन डाउन के दौरान बंद कंपनियों में जो नुकसान होगा उसका कोई क्लेम नहीं मिलेगा। हालांकि बेजिक पॉलिसी के अंदर लॉस ऑफ प्रॉफिट लिया होगा तो उसके अंतर्गत फैक्ट्री में आग के दौरान जो नुकसान होता है उससे नुकसान का क्लेम मिल सकता है।

इसी तरह मशीनरी के लिए पॉलिसी हो ती है मशीनरी को फिजिकल डैमेज अथवा आग के कारण प्लांट बंद हो जाए तब रिकंस्ट्रक्ट होने में 6 महीने लग जाए उस समय दौरान यदि कोई सेल ना हो तब पिछले वर्ष की तुलना कर फैक्ट्री मालिक को बिजनेस इन्टरेप्शन क्लेम मिलता है।स्टॉक की कीमत मार्केट वैल्यू के अनुसार गिनी जाती हैं।तब बिल्डिंग और मशीनरी की कीमत अलग होती है।

अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदा, लॉकडाउन, सप्लाई चैन का डिसपप्शन हो तो इस चीजें बिज़नेस इन्टरेपशन में नहीं आती। बड़ी कंपनियां जोकि अलग-अलग देशों में व्यापार करती हैं यह कंपनियां सप्लाई चैन डिसरप्शन हो तो इन मामलों में इंश्योरेंस पॉलिसी में स्पेशल डिजाइन कवर में लेती हैं। हालांकि, इंश्योरेंस के एसडीएफआई में स्टार्म, टायकून और साइक्लोन कवर किया जाता है।

रैना ने कहा कि दक्षिण गुजरात में बड़े पैमाने पर उद्योग हैं यहां के उद्यमियों को एंप्लाइज कंपनसेशन एक्ट के अंतर्गत कर्मचारियों के लिए मेडिकल पॉलिसी लेनी चाहिए। इस एक्ट के अंतर्गत फैक्ट्री में यदि कोई दुर्घटना होती है तो कर्मचारी यदि मर जाए अथवा अपंग हो जाए तो उसके परिवारजनों को आर्थिक मदद मिलती है।इसके अलावा प्रोडक्ट लायबिलिटी और कस्टमर लायबिलिटी के लिये भी पॉलिसी ले सकते है।

गाड़ी के लाइसेंस की एक्सपायरी बीत चुकी? 4 जून खुल रहे आरटीओ!

सूरत जिन लोगों के कच्चे या पक्के ड्राइविंग लाइसेंस की डेट खत्म हो चुकी है। उनके लिए खुशखबरी है। लॉकडाउन के कारण बंद हो चुका आरटीओ कार्यालय आगामी 4 जून से फिर से खुल जाएगा।अब पहले जैसी परिस्थिति नहीं रहेगी। लोगों को वहां सोशल डिस्टेंस का पालन करना पड़ेगा। और अपॉइंटमेंट लेकर जाना पड़ेगा। अब पहले जैसी अव्यवस्था नहीं देखने को मिलेगी।

मिली जानकारी के अनुसार आरटीओ 4 जून से शुरू हो रहा है। वहां पर बिनजरूरी आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिन लोगों का लाइसेंस लॉकडाउन शुरू होने से 31 मई के बीच समाप्त हो चुका है। 31 जुलाई तक उन्हें रिन्यू कर दिया जाएगा।

हालाकि उन्हें इसके लिए पहले से अपॉइंटमेंट लेकर आना पड़ेगा। साथ में मास्क पहनना पड़ेगा। लाइन में एक दूसरे से 1 मीटर की दूरी बनाकर रखनी होगी। इस तरह के कई नियम का पालन करना पड़ेगा।

दरअसल कोरोना के कारण राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार आरटीओ में काम होगा। इसके चलते लोगों को पहले से ही तैयार रहना होगा बताया जा रहा है कि कंटेंट वालों के लिए अपाइंटमेंट नहीं लिया जाएगा। एचएसआरपी नंबर के लिए 3:00 बजे के बाद आना है।

बिजली के बिल पर लोगों ने मचाया बवाल!


सूरत
एक ओर कामधंधां बंद होने के कारण लोग पहले से ही परेशान हैं ऐसे में बिजली कंपनी की ओर से दिए गए बिल में मनमानी ढंग से लाइट बिल दिए जाने के आरोप के साथ लोगों का गुस्सा फूटा और उधना क्षेत्र में लोगों ने बिजली कंपनी का कार्यालय घेर लिया।


मिली जानकारी के अनुसार दक्षिण गुजरात बिजली कंपनी इन दिनों लोगों को अप्रेल-मई का बिल दे रही हैष शहरे के उधना, पाल और रांदेर क्षेत्र में बीते सप्ताह से यही सिलसिला जारी है। लोगों का आरोप है कि बिजली कंपनी के बिल गिनने का गणित उनकी समझ से परे हैं। बताया जा रहा है कि बीते तीन बिलों का औसत निकाल कर बिजली कंपनी औसत बिल दे रही है।

ग्राहकों ने इस ढंग से भी बिल निकाल कर देख लिया, लेकिन कुछ समझ नही आया। पाल क्षेत्र के लोगों का कहना था कि उन्होंने फरवरी और मार्च का बिल चुका दिया है, तब भी उन्हें वर्तमान बिल में पिछली बाकी रकम के साथ बिल दिया है।

उधना क्षेत्र में लोगों ने बिजली कंपनी के मुख्य कार्यालय को ही घेर लिया। लोगों का कहना था कि लॉकडाउन में पहले से ही व्यापार-धंधा बंद होने के कारण पैसों की किल्लत है। ऐसें में बिजली कंपनी ने मनमानी बिल देकर हमारे लिए मुसीबत बढा दी है।

https://businesspatra.com/textile-trader-must-read-this-rules-before-open-market/

ऑनलाइन भोजन का ऑर्डर रद्द कराना पड़ा महंगा


सूरत
 अडाजण के एक होटल में ऑनलाइन भोजन के लिए ऑनलाइन ऑर्डर करने के बाद इसे रद्द करने वाले व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड से चीटर ने 51,800 रुपये ऑनलाइन निकाल लिए। एके रोड पर सरस्वती नगर के रहने वाले विजय ढोला ने अपने दोस्त जगरुत मवानी को इस्तेमाल के लिए एचडीएफसी बैंक का क्रेडिट कार्ड दिया। 28 अप्रैल 2020 को, जागृत ने उस कार्ड के साथ अडाजण के होटल में ऑनलाइन भोजन का ऑर्डर दिया, लेकिन उसे कुछ फ्रोड लगने पर उसने उसे रद्द करवा दिया।

इसके बाद विजय को तब एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। सामने वाले ने कहा कि  “मैं ऑर्डर  को रद्द करने के लिए एक लिंक भेज रहा हूं। इस पर क्लिक कर ऑर्डर रद्द करवा दो ” इसके बाद विजय ने लिंक खोलने के बाद, 20,000 रुपये ऑनलाइन रुपए उसके अकाउंट से उड़ गए। फिर 4 हजार रुपये और फिर 27800 रुपये निकाले गए। विजय अदजान में होटल में गया और पता चला कि होटल के अन्य ग्राहकों के साथ उसी तरह से धोखा किया गया था। विजय ने वराछा पुलिस स्टेशन में आवेदन दिया था। इसके आधार पर वराछा पुलिस ने मंगलवार शाम को इस संबंध में शिकायत दर्ज की है।

कोरोना में मृतकों में ज्यादातर अन्य बिमारी से भी पीडित
कोरोना के कारण सूरत में अब तक 65 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से 50 लोगो की उम्र 50 वर्ष से अधिक है। साथ ही 80 प्रतिशत पहले से ही किसी बिमारी के कारण पीडित थे। इसिलए जिन लोगों को पहले से ही कोई बिमारी है उन्हें सा‌वधानी बरतनी चाहिए। पालिका कमिश्नर पहले भी बता चुके हैं कि जिन लोगो को डायबिटिज, हाइपरटेंशन अथवा कीडनी आदि अन्य बिमारी भी हो उन्हें अपना ज्यादा ख्याल रखना चाहिए।

पालिका कमिश्नर ने बताया बड़ी उम्र वाले लोगों को घरों के बाहर नहीं निकलना चाहिए। यदि कोई जरूरत हो तो घर के जवान लोगों या सोसायटी के प्रमुखों की मदद लेनी चाहिए। यदि किसी कारण से बाहर निकलना प़ड़े तो सेनेटाइजर साथ में रखना चाहिए। पालिका कमिश्नर ने बताया कि जो लोग बुजुर्ग हैं और पहले से अन्य बिमारी से पीडित हैं उन्हें संक्रमण जल्दी असर करता है।

onlineशहर में ऐसे लोगों की संख्या जानने के लिए सूरत मनपा ने शहर के तमाम जोन में एपीएक्स सर्वे शुरू किया है। इस सर्वे में जो लोग बुजुर्ग हैं और पहले से ही किसी बिमारी से पीडित है उनकी सूची बनाई जा रही है। पालिका कमिश्नर ने बताया कि जो लोग बुजुर्ग है और उन्हें पहले से कोई बिमारी से पी़डित हैं हम उन पर फोकस कर रहे है जल्दी ही ऐसे लोगों की सूची तैयार कर मनपा की वेबसाइट पर रखी जाएगी। कमिश्नर ने बुजुर्गो से बेवजह बाहर नहीं निकलने की अपील की। 

उद्योगों के लिए नई सम्स्या,10 लाख श्रमिकों ने सूरत को कहा अलविदा!


सूरत
लॉकडाउन डाउन ने सभी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है वहीं, श्रमिकों के जीवन में भूचाल ला दिया है। सूरत में बीते 10 दिनों में 23 लाख श्रमिक अपने गांव लौट गए हैं।


लॉकडाउन के कारण व्यापार धंधा रोज़गार बंद होने का कारण लाचार श्रमिक बीते एक महीने से अपने गाँव जाना शुरू कर दिए है।देश के सभी राज्यों में ट्रेन दौड़ाने के मामले में सूरत सबसे आगे है।


सूरत से अब तक 404 ट्रेन अन्य राज्यों के लिए गई हैं। ट्रेन से 6. 35 लाख से अधिक श्रमिक अपने गांव के लिए रवाना हो चुके हैं। इसके अलावा नीजि बस और अन्य साधनों से 3.30 लाख लोग गए है। कुल मिलकर बीते 23 दिनों में 10 लाख से अधिक श्रमिकों ने अपने गांव जा चुके है।अभी भी सूरत से 200 से अधिक ट्रेन वेटिंग में है अर्थात की सवा तीन लाख लोगों ने गांव जाने के लिए मंजूरी मांगी है। इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों के पलायन के कारण सचिन पलसाना सहित क्षेत्र खाली हो गए हैं।


मिली जानकारी के अनुसार अन्य राज्यों की श्रमिकों की ओर से बार-बार अपने गांव जाने की मांग की जा रही थी इसके चलते प्रशासन ने कई राज्यों से संपर्क कर उनके लिए ट्रेन की व्यवस्था करवाई है। सूरत से उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, तेलंगाना आदि राज्यों के लिए ट्रेन लगातार दौड़ रही है। सूरत से सबसे अधिक ट्रेन उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हुई है।

192 ट्रेनों के माध्यम से सूरत से उत्तर उत्तर प्रदेश के निवासियों को गांव ले जाया गया है। राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित कुछ अन्य राज्यों के लोग निजी बस और साधनों से अपने गांव गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों के पलायन के कारण पांडेसरा, सचिन, पलसाना के औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की भारी कमी आ गई है।

बताया जा रहा है कि अभी भी 200 से अधिक ट्रेन का शेड्यूल तैयार है। राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद यह भी रवाना कर दी जाएंगी।

आर्थिक संकट से जूझ रही माता ने दो बच्चों को कुवें में फेंका


सूरत
हालोल तहसील के रायणवडिया गाँव में पति पत्नी के बीच हुए झगड़े में माता ने दो बच्चों को कुंवे में फेंक दिया।दोनों बच्चों की मौत हो गई।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हालोल तहसील के रायणवडिया गांव में रहने वाले प्रताप खीमजी राठवा मजदूरी काम करके अपने परिवार का गुजरात चलाते है।

लॉकडाउन में काम धंधा बंद हो जाने से घर खर्च चलाना मुश्किल हो गया था।इस सिलसिले में रविवार को प्रताप राठवा और उसकी पत्नी चंपाबेन के बीच झगड़ा हुआ झगड़े में उग्र होने के कारण चंपा बेन नाराज हो गई।कई दिनों से काम धंधा नहीं मिलने के कारण उनके यहां भोजन की समस्या भी होने लगी थी।इन कई कारणों से चंपा मैंने अपने दोनों बच्चों को कुवें में डाल दिया। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और सत्य का पता लगा रही है।चंपाबेन के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई है।


उल्लेखनीय है कि कोरोना में लॉकडाउन के कारण देशभर में व्यापार धंधा बंद होने से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं।श्रमिक वतन पलायन कर रहे हैं ।ऐसे में देहाडी मजदूरी करके गुजरान चलाने वालों की हालत भी पतली हो चुकी है। अब तक सामाजिक संस्थाएं और राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली मदद पर सभी लोग आश्रित थे ।

अब सामाजिक संस्थाओं की ओर से मिलने वाली मदद लगभग बंद हो जाने के कारण कई लोगों को जीवन का निर्वाह चलाने में मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किया जा रहा है लेकिन फिर भी कहीं से छिटपुट घटनाएं सामने आ रही है।

कपडा उद्यमियों में क्यों लगाई मुख्यमंत्री की चौखट पर गुहार?


सूरत
फेडरेशन ऑफ इंडियन आर्ट सिल्क वीवर एसोसिएशन ने राज्य सरकार को ज्ञापन देकर बिजली बिल के फिक्स चार्ज को दिसंबर महीने तक नहीं वसूल करने की मांग की है। साथ ही मार्च, अप्रेल, मई जून का बिल भरने की तारीख़ जुलाई तक बढ़ाने की माँग की है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन आर्ट सिल्क विविन इंडस्ट्री के चेयरमैन भरत गांधी ने मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल को पत्र लिखकर मांग की है कि, ऊर्जा पेट्रोलियम विभाग की ओर से 11 मई को छोटे और मध्यम उद्योगों को राहत देने के लिए अप्रैल महीने के बिजली बिल में एल टी कनेक्शन धारकों को मिनिमम चार्ज देने से छूट दी गई थी। उन्हें सिर्फ जितना बिजली यूज़ की हो उसकी रकम देनी थी। उसी तरह एचटी बिजली कनेक्शन वाले ग्राहकों को अप्रैल महीने में लोग डाउन के पहले के 3 महीने में इस्तेमाल की गई यदि औसतन 50% से कम हो तो मिनिमम चार्ज की भरपाई करने से छूट दी गई थी। अब उधमी यह छूट बढ़ाने की माँग कर रहे है।


उद्यमियों का कहना है कि, लॉकडाउन डाउन बढ़ा दिया गया है। जबकि दूसरी ओर व्यापार धंधे बंद है । अन्य राज्यों के श्रमिक वतन पलायन कर जाने के कारण उत्पादन नहीं हो रहा है। व्यापार धंधे में नुकसान हो रहा है। कपड़ा उद्यमियों की हालत पतली हो गई है। इसलिए एसटी और एचटी बिजली कनेक्शन वाले ग्राहकों को 31 दिसंबर तक बिजली के न्यूनतम चार्ज से छूट दे दी जाए। इससे कपड़ा उद्योग को करोड़ों रुपए का लाभ होगा। व्यापार उद्योग चलाने में राहत होगी।


उल्लेखनीय है कि सूरत का कपड़ा उद्योग इन दिनों मुश्किल के दौर से गुजर रहा है। उनके कारण व्यापार धंधा बंद है। अब अन्य राज्यों के श्रमिक चले जाने के कारण आगामी 3 महीने तक भी व्यापार की कोई संभावना नहीं दिख रही।