उद्योगों के लिए नई सम्स्या,10 लाख श्रमिकों ने सूरत को कहा अलविदा!


सूरत
लॉकडाउन डाउन ने सभी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है वहीं, श्रमिकों के जीवन में भूचाल ला दिया है। सूरत में बीते 10 दिनों में 23 लाख श्रमिक अपने गांव लौट गए हैं।


लॉकडाउन के कारण व्यापार धंधा रोज़गार बंद होने का कारण लाचार श्रमिक बीते एक महीने से अपने गाँव जाना शुरू कर दिए है।देश के सभी राज्यों में ट्रेन दौड़ाने के मामले में सूरत सबसे आगे है।


सूरत से अब तक 404 ट्रेन अन्य राज्यों के लिए गई हैं। ट्रेन से 6. 35 लाख से अधिक श्रमिक अपने गांव के लिए रवाना हो चुके हैं। इसके अलावा नीजि बस और अन्य साधनों से 3.30 लाख लोग गए है। कुल मिलकर बीते 23 दिनों में 10 लाख से अधिक श्रमिकों ने अपने गांव जा चुके है।अभी भी सूरत से 200 से अधिक ट्रेन वेटिंग में है अर्थात की सवा तीन लाख लोगों ने गांव जाने के लिए मंजूरी मांगी है। इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों के पलायन के कारण सचिन पलसाना सहित क्षेत्र खाली हो गए हैं।


मिली जानकारी के अनुसार अन्य राज्यों की श्रमिकों की ओर से बार-बार अपने गांव जाने की मांग की जा रही थी इसके चलते प्रशासन ने कई राज्यों से संपर्क कर उनके लिए ट्रेन की व्यवस्था करवाई है। सूरत से उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, तेलंगाना आदि राज्यों के लिए ट्रेन लगातार दौड़ रही है। सूरत से सबसे अधिक ट्रेन उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हुई है।

192 ट्रेनों के माध्यम से सूरत से उत्तर उत्तर प्रदेश के निवासियों को गांव ले जाया गया है। राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित कुछ अन्य राज्यों के लोग निजी बस और साधनों से अपने गांव गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों के पलायन के कारण पांडेसरा, सचिन, पलसाना के औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की भारी कमी आ गई है।

बताया जा रहा है कि अभी भी 200 से अधिक ट्रेन का शेड्यूल तैयार है। राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद यह भी रवाना कर दी जाएंगी।

सूरत की कपड़ा मंडी से लिया माल वापिस किया तो समझ लो…

सूरत
फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन ने अन्य राज्यों के व्यापारियों से बीते दिनों भेजे गए माल को बेचकर पैमेंट देने की शुरूआत करने और रिटर्न गुड्स नहीं करने की सूचना दी है।


फोस्टा की ओर से अन्य राज्यों के व्यापारियों के लिए जारी एक पत्र में कहा है किकोरोना वायरस के लोकडाउन से पिछले 2 महीने से सूरत का कपड़ा मार्केट सम्पूर्ण रूप से बंद है। इस दौरान सूरत में मजदूरी करने वाले लगभग 90% मजदूर भी पिछले दिनों में सूरत से अपने वतन की और पलायन कर चुके है।सूरत में कपड़ा मण्डी में उत्पादन लगभग फ़िलहाल संभव नहीं है।क्योकि सूरत कपड़ा उत्पाद की चेन पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।


इसलिए यहाँ कपड़ों का कुछ दिनों उत्पादन कम होगा। कोरोना वायरस में लोकडाउन से पहले रमजान, शादी-ब्याह, इत्यादि का जो भी कपड़ा दुकानदार को भेजे है वह धीरे धीरे सभी माल को बेचकर उसका रुपया अपने सप्लायर दुकानदार को भेजकर आपसी व्यव्हार के साथ साथ पेमेंट की चैन शुरू करे। ताकि सभी व्यापारी वापस अपने व्यापार को खड़ा कर सके । एवं कोई भी दुकानदार जो भी माल गया है वह रिटर्न गुड्स न भेजे। आगे 4-5 महीने तक सूरत कपड़ा मार्केट में माल की कमी रहेगी।एजेंट व आइ़तिया से भी सहयोग की अपील की गई है।

यदि किसी व्यापारी ने रिटर्न गुड्स सूरत की पार्टी को भेजा और यदि व्यापारी ने फोस्टा में शिकायत किया तो उसका नाम कपड़ा बाजार में जारी कर विपदा के समय में सहयोग न करने पर उस व्यापारी से सावधान रहने की सुचना जारी कि जाएगी।

राज्य सरकार की आत्मनिर्भर योजना के प्रति बैंक उदासीन


राज्य सरकार की ओर से कोरोना के बाद बेरोजगार हो चुके लोगों को मदद करने के लिए और छोटे व्यापारियों की आर्थिक सहायता के उद्देश्य से आत्मनिर्भर योजना शुरू की गई है। इस योजना में ₹100000 तक की लोन बिना गारंटी के देने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार की ओर से 5000 करोड रुपए के इस पैकेज में वास्तव में तो राज्य सरकार सिर्फ 6% ही देने के लिए जिम्मेदार है। मतलब कि सिर्फ 300 करोड रुपए की जिम्मेदारी राज्य सरकार ले रही है बाकी की जिम्मेदारी बैंकों की होगी इस कारण बैंकों के अधिकारियों में निराशा है। वह इस योजना में ज्यादा उत्साहित नहीं है।


बैंकिंग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैंकर्स का कहना है कि यदि लोगों को लोन दी जाए और उनसे कोई गारंटी न ली जाए तो वह रकम वापस आएगी कि नहीं? इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। इससे एनपीए बढ़ने की संभावना है।बैंकों का कहना है कि यदि वह लोन देते हैं और अकाउंट एनपीए हो जाता है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से भी उन्हें सुनना पड़ेगा। ऐसे में इस योजना की सफलता को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं उठने लगी हैं।

एक और राज्य सरकार जोर शोर से आत्मनिर्भर योजना की प्रशंसा कर रही है वहीं दूसरी और बैंक के अधिकारियों में इस योजना को लेकर निराशा देखी जा रही है। इस योजना को लेकर राजनीति भी गरम हो गई है।


कांग्रेस ने इस योजना को मात्र एक छलावा बताया है जबकि भाजपा इस योजना को गरीबों और जरूरतमंद लोगों के लिए उपयोगी बता रही है फिलहाल 1 जून तक के लिए कई बैंकों ने इस योजना के लिए फॉर्म देना बंद कर दिया है कुछ स्पष्टता के बाद ही वह फॉर्म वितरण करना शुरू करेंगे।

वैल्यु एडिशन की लाखों साड़ियां फँसी श्रमिक महिलाओं के पास, करोड़ों का नुक़सान!


सूरत
कोरोना के कारण व्यापार चौपट हो जाने से लाचार कपड़ा व्यापारी श्रमिकों के पलायन के कारण और नुकसान झेलने की परिस्थिति में आ गए हैं ।बात ऐसी है कि कपड़ा उद्यमी साड़ियों पर छोटे-छोटे वर्क कराने के लिए उन्हें कई सोसायटीओं में या स्लम क्षेत्रों में महिलाओं को देते हैं जहां की अधिकांश था अन्य राज्यों के लोग रहते हैं ।कोरोना के कारण वह लोग भी परेशान हो गए हैं और अब केंद्र सरकार से छूट मिलने के बाद जल्द से जल्द गांव निकल ने की तैयारी में है ।

लाखों साड़ियाँ वर्क के लिए दी थी, फँस गई

कपड़ा व्यापारियों ने वर्क करने के लिए उन्हें दी लाखों साड़ियां उनके पास ही फस गई है ।लॉकडाउन कारण व्यापारी अपनी साड़ियां छुड़ाने के लिए भी नहीं जा पा रहे है।फ़ोन करने पर साड़ी ठेके पर ले जाने वाले कइयों का संपर्क नही हो रहा और संपर्क होता है तो वह अपनी लाचारी बता रहे है। कपड़ा व्यापारियों को डर है कि कई लोग तो साड़ियां लॉक डाउन के बाद लौटा देंगे लेकिन कुछ तो उसे बेचकर ही निकल लेंगे ।ऐसे में व्यापारियों के लिए और नुकसान का सामना करना पड़ सकता है ।

शहर के कई क्षेत्रों में वैल्यू एडिशन का काम

व्यापारी बताते हैं कि साड़ियों को डाइंग प्रिंटिंग से निकलने के बाद उसमें एंब्रॉयडरी और चरक टिक्की बूंदी या छोटे-मोटे वैल्यू एडिशन काम के लिए लिंबायत उधना पांडेसरा ,वराछा,वेड रोड ,पूणागाम आदि क्षेत्रों में कॉन्ट्रैक्ट पर लोग ले जाते हैं ।जोकि वहां की महिलाओं को दे देते हैं ।इसके एवज में महिलाओं को प्रति साड़ी निश्चित की गई रकम मिल जाती है ।सूरत में यह कारोबार बड़े पैमाने पर फैला है इसके आधार पर भी महिलाएं प्रतिमास 5 हज़ार से ₹10000 तक की कमाई कर लेती हैं ।इन दिनों लग्नसरा की सीजन होने से बड़े पैमाने पर काम दिया गया है ।अब लॉकडाउन के कारण व्यापारी अपना माल वापस नहीं मंगा सकते है। इसलिए उन्हें साडियों की चिंता है ।इस सिलसिले में कपड़ा व्यापारियों की संस्था फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन ने प्रशासन से गुहार लगाएगा ।

प्रशासन से लगाएँगे गुहार

फोस्टा के महामंत्री चंपालाल बोथरा ने बताया कि प्रत्येक कपड़ा व्यापारी अपने साड़ी में वैल्यू एडिशन के लिए उन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर देता है जोकि ,कांट्रेक्टर अलग-अलग सोसाइटी में महिलाओं को देखकर काम करवाता है ।काम करने वालों में ज्यादातर अन्य राज्यों की महिलाएं हैं ।लॉकडाउन के कारण वह अपने परिवारजनों के साथ वतन चले जाएगी।कई तो जा भी चुकी हैं ।ऐसे में कपड़ा व्यापारियों के लाखों रुपए की साड़ियों का क्या होगा ?एक तो पहले से ही व्यापार चौपट होने के कारण व्यापारी परेशान है ।ऐसे में लाखों रुपए का नुकसान भी व्यापारियों की चिंता बन गया है इस सिलसिले में कलेक्टर को हम अनुरोध करेंगे कि व्यापारियों को उनका माल वापस लाने की इजाजत दी जाए।