शर्तों के साथ कपड़ा बाजार खुलने की छुट!


सूरत
सूरत के कपड़ा व्यापारियों के लिए खुशशबरी है। दो महीने से ज्यादा समय तक बंद रहने के बाद शुक्रवार को मनपा और फोस्टा के बीच मीटिंग के बाद प्रशासन कई शर्तो के साथ कपड़ा बाजार 1 जून से खोलने का फैसला किया गया है। हालाँकि जो मार्केट कन्टेनमेन्ट रेजीडेन्स ज़ोन में है वह नही खलेगी।

इस फ़ैसले से व्यापारियों में ख़ुशी छा गई है।हालाकि कपडा बाजार में काम करने वाले ज्यादातर श्रमिक गांव जा चुके हैं लेकिन फिर भी यह बाजार खुल जाने से शहर में जो श्रमिक बच गए हैं।उन्हें बड़ी राहत होगी और संभवत: पलायन कम हो जाएगा।


मिली जानकारी के अनुसार देशभर में 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू हो गया था। रिंगरोड का कपड़ा बाजार 21 मार्च से ही एहतियातन बंद कर दिया गया था।सूरत के रिंगरोड पर अंदाजन 160 से अधिक कपड़ा मार्केट में प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर से 10 लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं। मार्केट बंद हो जाने के कारण लाखों लोगो को रोजगारी से हाथ धोना पड़ा।

व्यापारियों ने लग्नसरा के लिए तैयार किए माल स्टोक में रखने से उनका सीजन बित गया। व्यापारियों ने अन्य राज्यों के लिए भेजे माल मंजिल तक नहीं पहुंचे। वह रास्ते में या ट्रांसपोर्टर के गोडाउन में ही फंस गए थे। अब जो माल पहुंच भी गया था वह भी लॉकडाउन में नहीं बिकने के कारण वापिस आने का भय व्यापारियों को परेशान कर रहा है।

इस तरह से लॉकडाउन ने व्यापारियों को बहुत नुकसान पहुंचाया है। दो दिन पहले मनपा कमिश्नर ने मार्केट का दौरा कर सेनेटाइजेशन करने तथा सोशियल डिस्टेंस बना रहे ऐसी व्यवस्था करने को कहा था। इसके बाद 29 तारीख को पुन: निरीक्षण कर माक्रेट खुलेगा या नहीं इस पर चर्चा के लिए कहा था। इस दौरान 28 मई की रात कपड़ा मार्केट और हीरा बाजार को कन्टेनमेंट ज़ोन से हटा दिया गया। तभी से बाज़ार खुलने की संभावना व्यक्त की जा रही थी।

इसके बाद शुक्रवार की दोपहर को फोस्टा पदाधिकारी और मनपा के अधिकारियों की मीटिंग में सोश्यल डिस्टैंस तथा अन्य सावधानियाँ रखने पर चर्चा हुई। कई शर्तों के साथ मार्केट खोलने की छूट दी गई।

फोस्टा के रंगनाथ शारडा ने बताया कि मनपा के साथ मीटिंग में कई शर्तों के साथ मार्केट १ जून से खोलने को कहा गया है। हालाँकि जो मार्केट कन्टनेमेंट रेज़िडेंस ज़ोन में है वह नही खुलेंगे। शाम तक जो मार्केट खुलनी है उसकी सूची मनपा जारी कर देगी।

फोस्टा की ओर से मनोज अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, रंगनाथ शारडा, देव संचेती उपस्थित रहे।
क्यां है शर्ते
(1) सोशियल डिस्टेंस का पालन करना पड़ेगा।
(2) मास्क अनिवार्य होगा
(3) रेड जॉन का कोई श्रमिक या व्यापारी नहीं आ सकेगा।
(4) मार्केट व दुकानों में सेनेटाइजर की व्यवस्था करनी होगी
(5)थर्मेोमीटर गन से सभी को चेक करना
(6) सर्दी, जुखाम और बुखार वाले लोग मार्केट नहीं आए।

श्रमिकों की कमी की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है उद्योगों को!


सूरत
सूरत से अब तक 12 लाख से ज्यादा श्रमिक अपने गांव लौट चुके हैं और दो-चार दिन में बड़ी संख्या में श्रमिक वापस लौट जाएंगे। ऐसे में प्रशासन की ओर से औद्योगिक इकाइयों और बाजार को शर्तों के साथ खोले जाने की छूट भी बिना किसी मायने की साबित होगी।


सूरत के लूम्स, प्रोसेसिंग मिल, एम्ब्रॉयडरी व इनसे जुड़े घटकों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से 10 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं इसी तरह रिंग रोड के कपड़ा बाजार में भी 700000 से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से रोजगार पाते हैं। दो महीने से लॉकडाउन के कारण व्यापार धंधा बंद होने से बेरोजगार श्रमिकों के पास फूटी कौड़ी नहीं बची थी। ऐसे में वह अपना जीवन यापन करने के लिए गांव जाने को मजबूर थे।

अब तक सूरत से अन्य राज्यों के लिए लगभग 400 ट्रेन जा चुकी है। जिसमें की सबसे ज्यादा ट्रेन यूपी की है। इसके बाद बिहार और उड़ीसा के श्रमिकों का नंबर आता है। कुल मिलाकर सूरत में काम करने वाले ज्यादातर श्रमिक उत्तर प्रदेश, बिहार,उड़ीसा आदि राज्यों के हैं जो कि अब तक 60 फ़ीसदी तक अपने गांव चले गए हैं। इन श्रमिकों के बिना उद्योगों को चल पाना एक कल्पना करने के बराबर है।

सरकार की ओर से लोग गांव में कुछ शर्तों के साथ कंटेंटमेंट जोन के बाहर व्यापार उद्योग खोलने की छूट दी गई है। संभवत 1 तारीख के बाद कपड़ा बाजार भी खुलने की संभावना है। यदि ऐसा ही कुछ रास्ता पहले भी हो जाता तो इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों को पलायन करने का नौबत नहीं आती। जो श्रमिक गांव जा रहे हैं।

एक अंदाज के अनुसार इसमें से पांच से 10 प्रतिशत श्रमिक सूरत ही छोड़ देंगे। अन्य श्रमिकों की बात करें तो कुछ श्रमिक तो दिवाली तक सूरत में दर्शन नहीं देंगे। इसके बाद शादी ब्याह का सीजन शुरू हो जाएगा। तब भी वह सूरत आएंगे कि नहीं कोई भरोसा नहीं। हालांकि जिन लोगों के सामने शहरों के अलावा और कोई रास्ता नहीं है उन्हें तो आना ही पड़ेगा।


यह मान के चलिए की सूरत के व्यापार उद्योग को फिर से पहले जैसा होने में समय लग जाएगा। कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि उन्होंने श्रमिकों को रोकने का प्रयास तो किया लेकिन श्रमिक इस कदर व्याकुल थे कि उन्हें सिर्फ अपने गांव जाने की ही सूझ रहा थी। ऐसे में उद्यमियों ने की व्यवस्थाएं भी नाकाफी साबित हो रही थी।
सूरत के लूम्स , एंब्रॉयडरी प्रोसेसिंग यूनिट सहित कपड़ा उद्योग के तमाम घटकों में अन्य राज्यों के श्रमिकों का महत्वपूर्ण योगदान है। अब इनकी चमक तभी लौटेगी एक बार दोबारा फिर से सूरत की ओर रुख करेंगे।

फिलहाल सूरत में पच्चीस प्रतिशत श्रमिक ही बचे होंगे। इतने श्रमिकों से पर्याप्त उत्पादन कर पाना मुश्किल है। कोरोना का चाहे जो हो लेकिन ऐसे हालात मे यदि अन्य राज्यों में बाज़ार खुल भी जाए तो सूरत के उधमी उनके ऑर्डर पूरा करनें में दिक़्क़त महसूस करेंगे।

कपड़ा उद्यमी गिरधर गोपाल मूंदडा ने बताया कि फ़िलहाल चालीस प्रतिशत श्रमिकों के साथ उद्योग खुल रहे है। हमें उम्मीद है कि यहाँ से जाने वाले श्रमिक दो तीन महीने बाद लौट आएँगे। सूरत के उद्यमियों को फ़िलहाल इंतज़ार करना पड़ सकता है।

सूरत की कपड़ा मंडी से लिया माल वापिस किया तो समझ लो…

सूरत
फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन ने अन्य राज्यों के व्यापारियों से बीते दिनों भेजे गए माल को बेचकर पैमेंट देने की शुरूआत करने और रिटर्न गुड्स नहीं करने की सूचना दी है।


फोस्टा की ओर से अन्य राज्यों के व्यापारियों के लिए जारी एक पत्र में कहा है किकोरोना वायरस के लोकडाउन से पिछले 2 महीने से सूरत का कपड़ा मार्केट सम्पूर्ण रूप से बंद है। इस दौरान सूरत में मजदूरी करने वाले लगभग 90% मजदूर भी पिछले दिनों में सूरत से अपने वतन की और पलायन कर चुके है।सूरत में कपड़ा मण्डी में उत्पादन लगभग फ़िलहाल संभव नहीं है।क्योकि सूरत कपड़ा उत्पाद की चेन पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।


इसलिए यहाँ कपड़ों का कुछ दिनों उत्पादन कम होगा। कोरोना वायरस में लोकडाउन से पहले रमजान, शादी-ब्याह, इत्यादि का जो भी कपड़ा दुकानदार को भेजे है वह धीरे धीरे सभी माल को बेचकर उसका रुपया अपने सप्लायर दुकानदार को भेजकर आपसी व्यव्हार के साथ साथ पेमेंट की चैन शुरू करे। ताकि सभी व्यापारी वापस अपने व्यापार को खड़ा कर सके । एवं कोई भी दुकानदार जो भी माल गया है वह रिटर्न गुड्स न भेजे। आगे 4-5 महीने तक सूरत कपड़ा मार्केट में माल की कमी रहेगी।एजेंट व आइ़तिया से भी सहयोग की अपील की गई है।

यदि किसी व्यापारी ने रिटर्न गुड्स सूरत की पार्टी को भेजा और यदि व्यापारी ने फोस्टा में शिकायत किया तो उसका नाम कपड़ा बाजार में जारी कर विपदा के समय में सहयोग न करने पर उस व्यापारी से सावधान रहने की सुचना जारी कि जाएगी।

राज्य सरकार की आत्मनिर्भर योजना के प्रति बैंक उदासीन


राज्य सरकार की ओर से कोरोना के बाद बेरोजगार हो चुके लोगों को मदद करने के लिए और छोटे व्यापारियों की आर्थिक सहायता के उद्देश्य से आत्मनिर्भर योजना शुरू की गई है। इस योजना में ₹100000 तक की लोन बिना गारंटी के देने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार की ओर से 5000 करोड रुपए के इस पैकेज में वास्तव में तो राज्य सरकार सिर्फ 6% ही देने के लिए जिम्मेदार है। मतलब कि सिर्फ 300 करोड रुपए की जिम्मेदारी राज्य सरकार ले रही है बाकी की जिम्मेदारी बैंकों की होगी इस कारण बैंकों के अधिकारियों में निराशा है। वह इस योजना में ज्यादा उत्साहित नहीं है।


बैंकिंग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैंकर्स का कहना है कि यदि लोगों को लोन दी जाए और उनसे कोई गारंटी न ली जाए तो वह रकम वापस आएगी कि नहीं? इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। इससे एनपीए बढ़ने की संभावना है।बैंकों का कहना है कि यदि वह लोन देते हैं और अकाउंट एनपीए हो जाता है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से भी उन्हें सुनना पड़ेगा। ऐसे में इस योजना की सफलता को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं उठने लगी हैं।

एक और राज्य सरकार जोर शोर से आत्मनिर्भर योजना की प्रशंसा कर रही है वहीं दूसरी और बैंक के अधिकारियों में इस योजना को लेकर निराशा देखी जा रही है। इस योजना को लेकर राजनीति भी गरम हो गई है।


कांग्रेस ने इस योजना को मात्र एक छलावा बताया है जबकि भाजपा इस योजना को गरीबों और जरूरतमंद लोगों के लिए उपयोगी बता रही है फिलहाल 1 जून तक के लिए कई बैंकों ने इस योजना के लिए फॉर्म देना बंद कर दिया है कुछ स्पष्टता के बाद ही वह फॉर्म वितरण करना शुरू करेंगे।

रिटेल और होलसेल दुकानें खुलने के बाद ही कपड़ा बाज़ार खोलने की मांग

सूरत
साउथ गुजरात टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर गुहार लगाई है कि जब तक भारत के सभी राज्यों के रिटेल और होलसेल टेक्सटाइल मार्केट और दुकानें खुलनी शुरू ना हो जाए तब तक सूरत के टेक्सटाइल मार्केट को खोलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
सूरत के वीवर एसोसिएशन, डाइंग हाउस, एमब्रोडियरी खाते वालों ने पहले ही घोषित कर दिया है कि जब तक सूरत के टेक्सटाइल मार्केट चालू नहीं होंगे तब तक ये लोग अपनी अपनी यूनिट चालू नहीं करेंगे।
सूरत मार्केट में कपड़े की करीब 30% सेल मार्च अप्रैल के महीने की बिक्री से आती है जो कि इस वर्ष मार्च के पहले दूसरे हफ्ते होली और बाद में कोरोना संकट के कारण बहुत ही कम हो पाया है. ईद की बिक्री भी कोरोना के मुँह में समा गई।
सभी व्यापरियों के पास उनकी कुल सेल का 25%से 30% तक स्टॉक पड़ा हुआ है। सूरत के व्यापारी वर्ग काफी चिंतित हैं।
साउथ गुजरात टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष साँवर प्रसाद बुधिया एवं सचिव सुनील कुमार जैन ने बताया कि उपरोक्त विषय के साथ अन्य व्यापारिक समस्याओं और चिंताओं पर जूम मीटिंग के द्वारा सूरत के टेक्सटाइल मार्केट के काफी व्यापरियों के साथ कई बार मीटिंग की है। सभी व्यापरियों ने एकमत से प्रधानमंत्री से निवेदन की अपील की है.
सांसद सी . आर. पाटिल को भी इस बाबत से अवगत कराया गया है।

उल्लेखनीय है कि कपड़ा बाज़ार में पहले से ही जीएसटी और नोटबंदी के कारण व्यापारी पीड़ित थे ऐसे में लग्नसरा के दिनों में ही कोरोना के कारण पूरा व्यापार चौपट हो गया है। अब इस सीजन में बेचा गया माल रिटर्न आने की आशंका बढ गई है।

लॉकडाउन खुलने से पहले कपड़ा मार्केट को करो सैनेटाइज नही तो…..


सूरत 
फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन ने लॉकडाउन के पहले सूरत के 180 कपड़ा मार्केट को संक्रमण मुक्त कराने के  लिए मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर व्यवस्था करने की मांग की है।

मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
फोस्टा ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया है कि मार्केट क्षेत्र के आसपास के क्षेत्रों में पॉजिटिव मामले सामने आने के कारण कपड़ा मार्केट के करीबी क्षेत्र कोरोना प्रभावित है। मार्केट के आसपास के कुछ क्षेत्रों को रेडजॉन घोषित किया गा है। इसलिए मार्केट क्षेत्र में व्यापारियों को कई आशंकाए हो रही है। इसे देखते हुए सावधानी के तौर पर प्रशासन को 180 मार्केट की सफाई और सेनेटाइज करना चाहिए।

बड़ी संख्या में आते है लोग इसलिये खतरा…..

लॉकडाउन खुलने के बाद बडी संख्या में अन्य राज्यों के व्यापारी आएंगे। वीवर्स, एम्ब्रॉयडरीतथा वेल्युएडिशन आदि के लिए बड़ी संख्या में लोग एक साथ आएंगे। ऐसे में लॉक़डाउन के दौरान यदि मार्केट में सफाइ और सेनेटाइजेशन का काम हो जाए तो अच्छा होगा।  इसके लिए मार्केट एसोसिएशन से क्या अपेक्षा है वह भी बताने को कहा है। 

—-कोरोना दोबारा भी हो सकता है
कोरोना संक्रमण को लेकर डबल्यूएचओ ने ऐसी बात कह दी है कि जो सच में किसी का भी दिमाग खराब करने के िलए काफी है। दरअसल बात ऐसी है कि डबल्यूएचओ ने यह कहा है कि कोरोना से ठीक होने वालों के लिए इस बात कि कोई गारंटी नहीं है कि कोरोना उन्हें वापिस नहीं होगा।
संयुक्त राष्ट्र ने जो लोगो कोरोना से ठीक हो जा रहे हैं ‌उन्हें कोरोना से ठीक होने का प्रमाणपत्र दिए जाने पर चेतावनी देते हुए कहा है कि यह रोग दोबारा लौट सकता है। डबल्यूएचओ ने इश बारे में सरकारों को भी चेता दिया है।
डबल्यूएचओ का कहना है कि जो लोग कोरोना से ठीक हो जाते हैं उनमें वायरस एन्टिबॉ़डिज होते हैं। इसके बावजूद उनके रक्त में कोरोना का मुकाबला करने की क्षमता कम होती है। दक्षिण अफ्रीका में हाल में ही चिली में कोरोना से ठीक हुए लोगों को कोरोना सर्टिफिकेट दिए जाने की बात है इससे संबंधित व्यक्ति ठीक है और उसकी रोग प्रतिकारक शकित ठीक है यह साबित होगा। डबल्यूएचओ ने कहा कि एन्टबॉडी के बारे में उनका अभ्यास जारी है। अभी तक दुनिया में कोरोना के वायरस से लगभग 28,31, 590 लोगों को संक्रमण लग चुका है। इसमें 197000 लोगों की मौत हो चुकी है और आठ लाख से अधिक लोग ठीक हो चुके हैं।

15 लाख लोग बेरोज़गार है साहेब, नियम क़ानून के साथ खोलने दो मार्केट!!

सूरत
कपड़ा व्यापारियों की संस्था व्यापार प्रगति संघ ने बुधवार को कलेक्टर को ऑनलाइन ज्ञापन देकर सारोली क्षेत्र के कपड़ा मार्केट खोलने के लिए माँग की ।
ज्ञापन में बताया गया है कि कपड़ा मार्केट से लगभग 15 लाख में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से जुड़े हुए हैं ।कपड़ा मार्केट बंद हो जाने के कारण वह बेरोज़गार हो गए हैं ।इसके अलावा डाइंग प्राइसिंग मिलों में जॉबवर्क कपड़ा व्यापारी ही देते है। यदि वह जॉबवर्क नहीं भेजे तो डाइंग मिल भी नहीं चल पाएंगे । साथ ही कपड़ा व्यापारियों का बहत पेमेंट अन्य राज्यों में फंसा है ।
कपड़ा मार्केट खोलने के बाद ही स्थानीय पेमेंट और अन्य राज्यों से मिलने वाला पेमेंट मिल पाएगा। बाज़ार में धीमी गति से रोटेशन शुरू हो जाएगा। इसलिए सारोली क्षेत्र के मार्केट में सैनेटाइज कर और सोशल डिस्टैंस का पालन करते मार्केट खोलने की अनुमति देने चाहिए।
व्यापार प्रगति संघ के संयोजक सीए संजय जगनानी ने बताया कि राज्य सरकार और केन्द्र सरकार आगामी दिनों में पूरी सावधानी के साथ कुछ व्यापार- उधोगो को आंशिक तौर पर खोलने देने की छूट देने को सोच रहे है, लेकिन इसके साथ आवश्यक यह है कि जिन उधोगो को वह खुलने की छूट देना चाह रहे हैं उनके साथ जुड़े पूरक उधोग जो कि उन्हें कच्चा माल प्रोवाइड करते हैं उन्हें भी नियम क़ानून का पालन करते हुए आंशिक तौर पर खोलने की छूट देनी चाहिए।

  • कोरोना मरीज़ों के मामले में गुजरात नंबर दो पर
    गुजरात के लोगों सोशल डिस्टैंस का पालन और मास्क का उपयोग ज़रूर करना चाहिए। क्योंकि कोरोना मरीज़ों के मामले में गुजरात दूसरे स्थान पर पहुँच चुका है।गुजरात में अब तक ९० लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें कि अहमदाबाद मे से 53 है।
    मंगलवार को सबसे अधिक संक्रमण और कोरोना से मौत के मामले में दूसरे स्थान पर पहुँच गया । मिली जानकारी के अनुसार कोरोना पॉज़िटिव के मामले में महाराष्ट्र 5 हजार से अधिक आंकड़ों के साथ पहले स्थान पर है ।जबकि गुजरात में भी अब २१०० के क़रीब मामले आ चुके हैं ।इसके बाद दिल्ली का स्थान तीसरे नंबर पर आता है।

टैक्सटाइल मार्केट में काम करने वाले श्रमिक आज ले सकते हैं वेतन, सिर्फ़ दो घंटे तक

सूरत
फैडरेशन ऑफ़ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन और कलक्टर के बीच सोमवार को हुई मीटिंग के अनुसार कपड़ा मार्केट एसोसिएशन उनके यहाँ काम करने वाले श्रमिकों को दो घंटे तक मार्केट खोलकर वेतन दे पाएंगे ।इस सूचना के बाद मंगलवार को 21 मार्केट एसोसिएशन ने घोषणा से ऊपर माँगे थे इन इक्कीस मार्केट को फोस्टाने कूपन दे दिया है।

बुधवार से उनके यहाँ काम करने वाले श्रमिकों को दो घंटे तक मार्केट खोलकर वेतन चुका सकेंगे।इनमें मार्केट में अशोका-2 मार्केट आर के एल पी मार्केट, अजन्ता शॉपिंग सेंटर,न्यू अंबाजी मार्केट,तिरूपति मार्केट, रघुकुल मार्केट,कोहिनूर मार्केट, इंडियाटैक्सटाइल मार्केट ए,साईं आसाराम मार्केट,ग्लोबल मार्केट , हरी ओम मार्केट,अभिषेक मार्केट,आर आर T M मार्केट ,451 टैक्सटाइल मार्केट . गोलवाला मार्केट,रिजेंट मार्केट, शुभम मार्केट, हरी ओम मार्केट, श्री महावीर मार्केट सारोलीऔर अनमोल मार्केट के पदाधिकारियों ने कूपन माँगे थे। यहाँ काम करने वाले श्रमिक बुधवार को मार्केट बहुत वेतन की ओर से बताए गए ये गए समय में दो घंटे तक जाकर अपना वेतन ले सकेंगे

उल्लेखनीय है कि कपड़ा मार्केट में लाखों श्रमिक काम करते हैं ।लॉकडाउन के कारण इन सब की रोज़ी रोटी पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है कई तरह में तो ऐसे हैं जो कि रोज़ कमाते हैं और रोज़ी खाते हैं लोग गाँव के कारण उनकी रोज़ी रोटी छिन गई है हालाँकि सरकार ने सभी से यह आग्रह किया है कि लोग गाँव के दौरान श्रमिकों का वेतन नहीं काटा जाए इसके बावजूद कितने श्रमिकों को वेतन मिलता है