सेल्फी के शौख ने पाँच मीनिट में फिर से जेल पहुँचा दिया


सैल्फी का प्रेम लोगो को कई बार बहुत महंगा पड़ता है। सूरत में भी जेल से सजा काटकर निकले युवक ने जेल के बाहर खडे होकर मेन गेट के सामने ही सैल्फी ली और अपने दोस्तों को भेजते समय पकड़ा गया। इस पर उसे फिर से जेल के अंदर भेज दिया गया।


मिली जानकारी के अनुसार सूरत के सचिन स्थित सबजेल में भरणपोषण के आरोप में सजा काट रहे सुधाकर रघुनाथ सरदार को जमानत पर रिहा किया गया था। इसके बाद उसे कायमी मुक्ति दे दी गई। वह सब जेल से निकलने के बाद मेन गेट पर ही खड़े होकर सैल्फी खीचकर अपने दोस्तो और परिवारजनो को भेज रहा था।

इस दौरान वहां उपस्थित अधिकारियों ने उसे पकड़ लिया। जेल के प्रिमाईस में मोबाइल का उपयोग करना प्रतिबंधित है। अधिकारियों ने सुधाकर को पकड़कर उसके खिलाफ सचिन पुलस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई है। इस तरह से जेल से निकलने की खुशी सैल्फी की चक्कर में फिर से जेल में जाना पड़ा।


उल्लेखनीय है क जेल के प्रिमाइस मे या जेल के अंदर मोबाइल का उपयोग निषेधहै इसके बावजूद लोग जेल के अंदर में भी चोरी छुपे से मोबाइल रखते हैं। ऐसे लोगं के खिलाफ भी कार्रवाइ की जाती है।
सुधाकर भी जेल से निकलकर जेल के मुख्य द्वार के सामने बड़े अधिकारियो के सामने ही सैल्फी ले रह था। इसका परिणाम उसे जेल के अंदर दोबारा जाकर भोगना पड़ा।


जेल प्रशासन इन दिनों बड़ीं सख़्ती से कदम उठा रहा है। बताया जा रहा है कि देशभर में जेल प्रशासनों को नियमों का सख़्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है। इसके चलते सूरत में भी जेल प्रशासन गलती करने वाले लोगों पर सख़्ती से कदम उठा रहा है।

सारोली के कपड़ा व्यापारी से लाखों की धोखाधड़ी, शिकायत दर्ज!

कडोदरा रोड पर सारोली में स्थित राधारमण टैक्सटाइल मार्केट के व्यापारी से 3.43लाख रूपए का ग्रे ख़रीदने के बाद पेमेन्ट नहीं देने वाले व्यापारी सहित दो जनों के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है।


भटार के आशीर्वाद पैलेस में रहने वाले रूचीर राजामोहन मित्तल की सारोली में राधारमण टैक्सटाइल मार्केट में दुकान है। रूचीर से गत वर्ष 13 से 16 जुलाई के दौरान खटोदरा नवरंग इन्डस्ट्रियल में फ्लावर क्रिएशन नाम का कारखाना चलाने वाले नवीन लाखाणी ने वीआईपी रोड पर रहने वाले दलाल कौशिक पटेल के माध्यम से समय पर पैमेन्ट देने की बात कहकर 343788 रूपए का बैंग्लोरी और सना क्वॉलिटी का ग्रे कपड़ा ख़रीदा था। इसके बाद नवीन लाखाणी ने पेमेन्ट के तौर पर दिया चेक रिटर्न हो गया।

इसके बाद जब रूचीर भाई ने पेमेन्ट माँगना शुरू किया तो बार-बार-बार टाल देता था। इसके बाद रूचीर भाई ने कलेक्शन के लिए उनके यहाँ काम करने वाले इश्वर भंवरभांई को भेजा तो नवीन का कारखाना बंद था।

कारखाना मालिक नवीन और और दलाल कौशिक ने एक दूसरे के साथ मिलकर नवीन को ठगे होने की जानकारी सामने आने के बाद रूचीर भाई मे पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस की जाँच के बाद सच सामने आएगा।

उल्लेखनीय है कि कपड़ा बाज़ार में हर महीने इस तरह से माल ख़रीदने के बाद पेमेन्ट की बड़ी संख्या में शिकायतें आती हैं। कोरोना के कारण व्यापारी पहले से परेशान है ऐसे मे पैमेन्ट नहीं मिलने की घटना के कारण व्यापारी वर्ग की हालत और पतली हो गई है।

सूरत में आज कोरोना के 195 मरीज! सरकार ने मास्क पहनने को लेकर दिया यह फ़रमान


सूरत में कोरोना के मरीजों के बढ़ने का सिलसिला तेजी से जारी है। शनिवार को सूरत शहर और जिले में कोरोना के 195 नए मरीज दर्ज हुए। इनमें सूरत शहर में 174 और जिले में 21 मरीज दर्ज हुए।

अब तक कुल पॉजिटिव केसों की संख्या 4473 पर पहुंच चुकी है। सूरत में आज पांच लोगों की मौत के साथ मृतक का कुल आंकड़ा 166 पर पहुंच गया है। जिसमें की सीटी में 155 और डिस्ट्रिक्ट में 11 मृतक हैं। शनिवार को 80 लोगों को डिस्चार्ज किया गया।

इसमें से 5 जिले में है। अब तक कुल 2820 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। जिसमें कि 246 सूरत जिले में से हैं। आपको बता दें कि शनिवार को गुजरात के गृह मंत्रालय की ओर से मास्क पहनने को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है।

जिसमें कि बताया गया है कि यदि कोई फोर व्हीलर में यात्रा कर रहा हो और यदि वह अकेला हो तो उसे मास्क पहनने की जरूरत नहीं है लेकिन, यदि मुसाफिर ही के दौरान उससे कोई अधिकारी कुछ पूछताछ करे तो उसे मास्क पहन लेना पड़ेगा यदि यदि फोर व्हीलर वाहन में एक के अलावा अधिक लोग मौजूद हैं तो सबको मास्क पहनना पड़ेगा।


उल्लेखनीय है कि आज भी कोरोना के कारण कतारगाम क्षेत्र में मरीजों की संख्या अधिक रही प्रशासन की ओर से बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद कई क्षेत्रों में सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं करने और मस्त नहीं पहनने के कारण कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सूरत में कतारगाम क्षेत्र में कोरोना से मरीजों की संख्या 1000 के पार पहुंच चुकी है। यदि परिस्थिति ऐसे ही रहे तो इस क्षेत्र में कोरोना के और मरीज तेजी से बढ़ने की आशंका विभाग व्यक्त कर रहा है।

चेंबर के चुनाव पर रोक 31 जुलाई तक रोक लगाने की मांग


शहर के व्यापारियों के संगठन चेंबर ऑफ कॉमर्स में आगामी दिनों में मैनेजिंग कमेटी के चुनाव होने हैं।ऐसे में मैनेजिंग कमेटी के सदस्य नितिन भरुचा ने कोरोना वायरस के भय को देखते हुए चेंबर ऑफ कमेटी कॉमर्स के प्रमुख और मैनेजिंग कमेटी के सदस्यों से फिलहाल चुनाव 31 जुलाई तक टाल देने की मांग की है।

उन्होंने इस बारे में चैंबर को पत्र लिखा है।भरुचा ने लिखे पत्र में बताया है कि चैम्बर में मैनेजिंग कमेटी का चुनाव 21 जून को करने का एजेण्डा जारी किया है।!कोरोना के कारण इन दिनों शहर परिस्थिति ठीक नहीं है। शहर में बड़ी संख्यामें कोरोना के मरीज आ रहे है।

कोरोना के चलते वृद्धों को संक्रमण लगने का भय सबसे अधिक होता है। चेंबर की मैनेजिंग कमेटी के मतदाताओं में 40% मतदाता हैं। ऐसे में मतदान के समय कोरोना का भय बढ़ जाता है। इस परिस्थिति को देखते हुए चेंबर को मैनेजिंग कमेटी की का चुनाव फिलहाल 31 जुलाई तक टाल देना चाहिए।

उन्होंने यह भी बताया कि यदि राज्यसभा के चुनाव की बात करें तो वहाँ के चुनाव में सिर्फ गिनती के मतदाता होते हैं जबकि चेंबर ऑफ कॉमर्स कमेटी की मीटिंग में हजारों की संख्या में मतदाता आएंगे। इसलिए चैंबर इस मतदान को राज्यसभा के मतदान के साथ नहीं गिने। उन्होंने इस बारे में चेंबर के आर्बिट्रेशन कमेटी का भी ध्यान खींचा है। कमेटी ने 9 जून को उनका पक्ष रखने के लिए बुलाया है।

चीन के खिलाफ 8 देशों ने बनाया संगठन
चीन की मुसीबत लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती जा रही है।कोरोना वायरस, साउथ चाइना और हांगकांग तथा भारत के साथ चल रहे विवाद को लेकर चीन चारों ओर से घिरता नजर आ रहा है।ऐसे हालात में अमेरिका सहित यूरोप के 8 देशों ने चीन को वैश्विक व्यापार सुरक्षा और मानव अधिकारों के लिए खतरा बताते हुए एक संगठन बनाया हैं।

यह संगठन अमेरिका, जर्मन, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन नॉर्वे, और यूरोप की संसद के सदस्यो का बना है।शुक्रवार को इस संगठन यानि आईपीएसी की घोषणा हुई।इस संगठन के अनुसार चीन से जुड़े हुए मुद्दों पर सक्रियता से रणनीति बनाकर एक दूसरे का साथ देकर उचित प्रतिक्रिया देने की योजना है।

अमरीका के रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मार्को रूबियो आईपीएसी के सहायक देशो में से एक हैं। रूबियों ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के राज में चीन वैश्विक चुनौती पेश कर रहा है। अलायंस का यह भी कहना था कि चीन के खिलाफ खड़े होने वाले देशों को अक्सर ऐसा अकेले रहना पड़ता है। और बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है।

कोरोनना वायरस के फैलने के बाद से चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इसका असर उद्योगों पर भी दिखने लगा है। दूसरी ओर चीन का कहना है कि वह अब 19 के दशक का चीन नहीं है वह अपने हितों की सुरक्षा करना जानता है।

30 दिन के बाद पेमेन्ट पर डाइंग प्रोसेसर्स को डेढ प्रतिशत देना होगा ब्याज कपड़ा व्यापारी को!

लॉकडाउन के बाद व्यापार अभी अच्छे से शुरू भी नहीं हो पाया कि,कपड़ा उद्योग के अलग-अलग घटकों में पेमेंट को लेकर नए-नए विवाद सामने आ रहे हैं। कल सचिन जीआईडीसी के कपड़ा उद्यमियों ने यार्न और जरी वालों के 60 दिन पुराने पेमेंट पर ब्याज नहीं चुकाने का फैसला किया था।

इसके बाद मंगलवार को साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर एसोसिएशन की कारोबारी समिति की बैठक में सभी प्रोसेसर ने प्रिंट और प्रोसेस हुए माल पर नया व्यापार धारा शुरू किया है। नए नियमों के अनुसार अब से बिल का पेमेंट 30 दिनों के अंदर बिना किसी डिस्काउंट के व्यापारियों को चुका देना होगा। 30 दिन के बाद यदि कोई व्यापारी बिल चुकाता है तो उसे डेढा प्रतिशत ब्याज चुकाना होगा और 60 दिन तक ब्याज गिना जाएगा।

व्यापारी यदि 60 दिन तक पेमेंट नहीं देता है तो इसके बाद कोई समय नहीं बढ़ाया जाएगा। साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर एसोसिएशन की बैठक में उपस्थित जीतू खारिया ने कहा कि लॉकडाउन के पहले प्रोसेसर व्यापारियों को 90 से 120 दिन की क्रेडिट पर जॉबवर्क कर देते थे। अब तक कोई मिला कर प्रोसेसर का ₹2000 का बकाया है।पेमेंट की व्यवस्था बिगड़ने के कारण प्रोसेसर्र्स को सीसी लिमिट बढ़ानी पड़ी है।

प्रोसेसर्स ने 21 मार्च के पहले की रिकवरी शुरू की है। सभी बड़े प्रोसेसर को लगभग व्यापारियों के पास 7 से 8 करोड रुपए लेने है। दूसरी ओर कपड़ा व्यापारियों का कहना है कि अभी तक व्यापार क्षेत्र शुरू भी नहीं हुआ है कि सब ने पेमेंट के लिए वसूली शुरू कर दी है। कपड़ा व्यापारियों को अन्य राज्यों के व्यापारियों ने तो सीधे कह दिया है कि जब माल बिकेगा तब पेमेंट करेंगे।

ऐसे में व्यापारी कहां से पेमेंट ला सकते हैं। सभी उद्यमियों को इसका ख्याल करना चाहिए। फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के मनोज अग्रवाल ने कहा कि अन्य राज्यों के व्यापारियों ने अभी पेमेंट नहीं किया है। ऐसे में कोई नई नीति नहीं चलेगी। व्यापारियों और प्रोसेसर के बीच वर्षों पुराना संबंध है वह परस्पर एक-दूसरे को समझकर व्यापार व्यापार कर लेंगे।

दो महीने के बाद खुले कपड़ा मार्केट, व्यापारी हुए भावुक!

सूरत

देशभर में फैले कोरोना के कारण लोक डाउन के चलते बंद कपड़ा बाजार आज दो महीने के बाद फिर से खुल गया। आज कई दिनों के बाद पहुंचे कपड़ा व्यापारी अपनी दुकानों का ताला खोलने के साथ ही भावुक हो गए।

व्यापारियों के लिए आज का दिन उत्सव के समान है।कपड़ा बाजार में सवेरे 10:00 बजे से ही व्यापारी पहुंचना शुरू हो गए थे। लॉकडाउन के कारण कपड़ा व्यापारियों को कई शर्तों के साथ दुकानें खोलने की इजाजत दी गई है।जिसके चलते दुकान खोलने का समय भी बदल दिया गया है।

अब से दुकान सवेरे 8:00 बजे से 4:00 बजे तक खुली रख सकते हैं।फिलहाल मनपा प्रशासन ने लिंबायत जोन और सेंट्रल जोन दोनों मिलाकर कुल 164कपड़ा मार्केट खोलने की अनुमति कपड़ा व्यापारियों को दी है। 10 से 12 मार्केट को लेकर अभी भी प्रशासन ने मंजूरी नहीं दी है।इसके चलते वह मार्केट बंद रहे। कपड़ा व्यापारियों ने आज पहले दिन अपने दुकानों की साफ सफाई की और कुछ बिल संबंधित काम काज किए।

कपड़ा मार्केट में काम करने वाले ज्यादातर श्रमिक यूपी,बिहार,महाराष्ट्र आदि राज्यों के हैं जो कि अपने गांव जा चुके हैं। इसलिए वह नहीं आने के कारण व्यापारियों को खुद ही छोटे-मोटे काम कर लेना। कपड़ा मार्केट का टाइम बदल जाने के कारण व्यापारियों को भी अपना शिड्यूल बदलना पड़ा। सामान्य तौर पर पहले व्यापारी 12:00 से 1:00 के बीच अपनी दुकानों पर पहुंचते थे लेकिन, आज व्यापारियों को अपना समय बदलना पड़ा और 10:00 बजे के करीब व्यापारी अपने दुकानों पर पहुंच गए।

व्यापारियों को अब अपने भोजन का समय भी बदलना पड़ सकता है। कपड़ा व्यापारी रिंकेश लालवानी ने बताया कि 2 महीने के बाद दुकान खोलने से उत्साह का माहौल है। अब व्यापार रोजगार फिर से शुरू हो सकेगा।दुकानें बंद होने के कारण व्यापार थम सा गया था। कोरोना से बचने के उपायों के साथ मार्केट खुल रही हैं।तब सबको इसका ख्याल रखना अनिवार्य होगा।


उल्लेखनीय है कि कपड़ा बाजार तो खुल गया लेकिन इसके साथ ही व्यापारियों के सामने कुछ दिनों तक नवीन समस्या आते रहेंगी जैसे कि बीवर का पेमेंट प्रोसेसर का पेमेंट श्रमिकों का पगार इसके अलावा आने वाले दिनों में रिटर्न गुड्स के लिए भी व्यापारियों को तैयार रहना पड़ेगा।

करोड़ो का टैक्स चुकाते हैं कपड़ा व्यापारी फिर भी नहीं होती सुनवाई! क्यो?

सूरत

सूरत के कपड़ा व्यापारी अलग-अलग कर हर साल करोड़ों रूपए सरकार को टैक्स के तौर पर जमा करते हैं, लेकिन इसके बाद भी सरकार की चौखट पर सुनवाई कम होती है, लेकिन यह होने के बाद शायद सूरत के कपड़ा व्यापारियों की आवाज़ सरकार के कान तक पहुँच जाए!
कॉन्फिडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स और फेडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर एसोसिएशन ने मिलकर सूरत के कपड़ा व्यापारियों का डाटा बनाना शुरू किया है ।इसके लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की गई है ।इसके लिए व्यापारियों को ऑनलाइन फ़ॉर्म भेजे गए है।

मज़बूत होगी सूरत के कपड़ा व्यापारियों को दावेदारी

कैट और फोस्टा ने संयुक्त तौर पर शुरू की इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य सरकार के समक्ष किसी भी माँग में अपनी दावेदारी मजबूत करना है ।फोस्टा के महामंत्री चंपालाल बोथरा का कहना है कि सूरत के कपड़ा व्यापारी मैन्युफ़ैक्चरर ट्रेडर है। किसी भी विपरीत समय में ज़्यादा नुक़सान उन्हें ही होता है। लेकिन किसी भी मुसीबत के समय केंद्र सरकार से कपड़ा व्यापारियों के लिए मदद की गुहार लगाई जाती है तो सरकार यह कहकर पल्ला झाड़ लेती है कि कपड़ा व्यापारियों का कोई डाटा उनके पास उपलब्ध नहीं है ।इसलिए पिछले कड़वे अनुभव को देखते हुए कपड़ा बाजार के तमाम व्यापारियों और उससे जुड़े लोगों का डाटा तैयार किया जा रहा है ।

कपड़ा बाज़ार से जुड़ें लोग होंगे शामिल

गुजरात चैप्टर के प्रमुख प्रमोद भगत ने बताया कि फिलहाल यह प्राथमिक चरण में है डाटा में व्यापार से जुड़े हुए सभी व्यापारियों को रजिस्टर्ड किया जाएगा और कपड़ा व्यापार में उनसे जुड़े तमाम व्यवसायियों को भी शामिल किया जाएगा ।इससे सूरत का कपड़ा बाजार कितना बड़ा है इस पर कितने लोग निर्भर हैं ,और कितना व्यापार होता है आदि की जानकारी सरकार के समक्ष पेश करने में तरलता होगी उल्लेखनीय है कि शहर का कपड़ा बाजार बंद है सूरत में कपड़ा मार्केट है इसमें 100000 तक व्यापारी होंगे , और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर 10 लाख से अधिक नौकरी करते हैं ।

करोड़ों का टर्नओवर लेकिन नहीं होती

सूरत के कपड़ा बाज़ार का टर्न ओवर प्रतिदिन 100 करोड़ रूपए से अधिक हैं। सूरत के कपड़ा व्यापारी हर साल आयकर, जीएसटी और स्थानीय टैक्स के तौर पर करोड़ों रूपए चुका देते हैं, लेकिन इसके बावजूद जब सरकार से व्यापारी कोई माँग करते हैं तब सरकार डाटा नहीं होने का कारण बता पल्ला झाड़ लेती है। खुद व्यापारी संगठनों के पास व्यवस्थित डाटा नहीं होने से कपड़ा व्यापार सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रह गया है ।कोरोना के कारण सभी उद्योग हैं ऐसे में यदि डाटा तैयार हो जाता है तो सरकार के समक्ष अपनी बात रखने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी।

कोरोना के कारण उद्यमियों को प्रतिदिन 1000 करोड़ का नुक़सान

सूरत में कपड़ा और हीरा का करोड़ों का कारोबार आज से बंद
सूरत
कोरोना वायरस ने सूरत के कारोबार की कमर तोड दी है ।सूरत में कपड़ा बाजार और हीरा उद्योग दो व्यापार के मुख्य केंद्र हैं ,लेकिन कोरोना वायरस के चलते कपड़ा मार्केट आर हीरा बाज़ार आज से बंद रहने की घोषणा की गई है ।
कपड़ा मार्केट में 65 हज़ार से अधिक दुकान आज दोपहर २ बजे से बंद रहेंगे।यहाँ अंदाजन १०० लाख करोड़ रुपये व्यापार प्रतिदिन होता है। हीरा बाज़ार में चार सौ करोड़ रुपया तक का कारोबार होता है। वह शनिवार से ठप्प हो जाएगा । मिली जानकारी के अनुसार कपड़ा व्यापारियों के संगठन ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर शनिवार दोपहर 2 बजे के बाद टैक्सटाइल मार्केट के ६५ हज़ार से अधिक दुकानें बंद कराने के घोषणा की थी, वहीं सूरत डायमंड डायमंड एसोसिएशन ने भी शुक्रवार को मीटिंग कर कारखाने के बंद करने का फ़ैसला लिया था । आपको बता दें कि सूरत के कपड़ा बाज़ार में प्रतिदिन 10 लाख लॉग से अधिक श्रमिक काम करते हैं हीरा उद्योग में भी 5,लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं । कपड़ा उद्योग और हीरा उधोग बंद हो जाने के कारण लाखो लोगों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ा है । एक ओर जहाँ कोरोना के कारण लोगों के रोज़गार ये ख़तरे में है वहीं दूसरी ओर एक हज़ार करोड़ का नुक़सान सूरत के उद्यमी कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि पिछले दिनो में सूरत के कपड़ा कारोबारी 3, हज़ार करोड़ से अधिक रुपये का नुक़सान कर चुके हैं फ़िलहाल करोना इस तरह से फैल रहा है कि, प्रशासन भी यह कह पाने में असमर्थ है कि दुकानें कब खुलेंगी आर व्यापार कब कर सकेंगे।

कोरोना के कारण सूरत के कपड़ा उद्योग को तीन हजार करोड़ की खोट

300 ट्रक पार्सल के स्थान पर बीते 20 दिन से जा रहे सिर्फ 100 ट्र्क

सूरत
कोरोना वायरस ने सूरत के कपड़ा उद्योग को अंदाजऩ तीन हज़ार करोड़ रुपये का नुक सान पहुँचाया है। बीते दिनों में मंदी के कारण परेशान कपड़ा उद्यमियों को लग्नसरा से अच्छे व्यापार की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कह सकता है कि लगभग तरह का पूरा व्यापार कोरोना की भेंट चढ़ गया। कपड़ा व्यापारियों को जितने व्यापार की उम्मीद थी। उसका 25 प्रतिशत व्यापार भी नहीं हो पाया है । कपड़ा बाजार के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सामान्य तौर पर सूरत के कपड़ा बाज़ार में फरवरी से लेके मार्च तक साड़ी और ड्रेस दोनों में ही तगड़ा व्यापार होता है , लेकिन इस बार ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है । भारत में कोरोना के एंट्री फरवरी के अंत में हुई थी। इसके बाद देखते देखते ही यह रोग देश भर में कई राज्यों में फैल गया। । 7 मार्च के बाद से ही कपड़ा बाज़ार का व्यापार प्रभावित होने लगा था। डऱ के मारे लोगों ने आयोजन रद्द कर दिए और खरीद कम कर दी। इसका असर पडऩे लगा। कपडा व्यापारी बताते हैं कि जिन राज्यों में साड़ी और ड्रेस के लिए अच्छा व्यापार रहता था , वहाँ भी इन दिनों 25 प्रतिशत से भी कम आर्डर बुक कराए हैं ।
लग्नसरा के साथ रमजान और रक्षाबंधन की खरीद पर भी संशय
कपड़ा व्यापारी रंगनाथ शारड़ा ने बताया कि कपड़ा बाज़ार में सामान्य तौर पर 100 ट्र्क पार्सल अन्य राज्यों के लिए रवाना होते हैं, और लग्नसरा के दिनों में लगभग ढाई सौ से तीन पार्सल अन्य राज्यों के लिए रवाना होते हैं। कोरोना के कारण देश के कई हिस्सों मे शट-डाउन के परिस्थिति होने और बाज़ार बंद होने के कारण वहाँ व्यापार बिलकुल घट गया है । परिस्थिति यह है कि लग्नसरा होने के बावजूद इन दिनों अन्य राज्यों के लिए 100 ट्रक पार्सल ही निकल रहें हैं। कई व्यापारियों ने जिन्होने की चीन में कोरोना के कारण वहाँ का कपड़ा नही आएगा और यहां व्यापार बढ़ेगा यह सोचकर बड़े पैमाने पर उत्पादन कर राखा था उनका माल तो बिका नहीं साथ में पूँजी भी फँस गई। इसके अलावा लग्नसरा के के बाद रमज़ान रक्षाबंधन आदि की तैयारी भी शुरू कर दिए थे ।अब उन्हें ऐसा लग रहा है कि कोरोना के कारण आने वाले वह सब फ्लॉप हो जाएगा।
प्रतिदिन होता था दो करोड़ मीटर का व्यापार
लक्ष्मीपति ग्रुप के मैनेजिग डायरेक्टर संजय सरावगी ने बताया कि सूरत से प्रतिदिन दो करोड़ मीटर कपड़ों का कारोबार होता था, जो कि गत एक महीने से नहीं के बराबर हो गया है। एक महीने से यही हाल है। रिटेल मार्केट में व्यापार नहीं होने से आर्डर नहीं मिल रहा। सूरत के व्यापारियों की पूँजी फँस गई है। अन्य राज्यों से पैमेन्ट नहीं आ रहा। कोरोना के कारण व्यापारियों को बड़े पैमाने पर माल का स्टॉक करना पड रहा है। कई स्थानों पर उत्पादन बंद है।
व्यापारियों का मानना है कि कोरोना के कारण छ महीने का व्यापार चौपट हो गया है। एक अंदाज के अनुसार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष मिलाकर यह खोट तीन हज़ार करोड़ के आसपास होने का अनुमान कारोबारी लगा रहे हैं।