श्रमिको का कोरोना रैपिड टेस्ट कराना होगा उद्यमियों को

सूरत महानगर पालिका ने कपड़ा उद्योग और हीरा उद्योग के लिए जारी किए नए निर्देश आपसे अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिकों की कोरोना का टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है।

इसके लिए उन्हें नौकरी पर रखने वाले को खर्च उठाना पड़ेगा।मिली जानकारी के अनुसार चार महीने पहले लॉकडाउन के दौरान सूरत के कपड़ा उद्योग हीरा उद्योग सहित तमाम उद्योगों में काम करने वाले अन्य राज्यों के श्रमिक बड़ी संख्या में अपने गांव लौट गए हैं जो कि अब धीरे-धीरे वापस आ रहे है।

फिलहाल सूरत क परिस्थिति फिलहाल अच्छी नहीं है।सूरत में प्रतिदिन बड़े पैमाने पर कोरोनावायरस दर्ज हो रहे हैं। सूरत महानगर पालिका की ओर से कोरोनावायरस से बचाव के लिए रोज रोज नए नए नियम शुरू किए जा रहे हैं। मनपा का मानना है कि बाहर से आने वाले लोगों के कारण भी कोरोनावायरस फैलने का भय है।

इसलिए मनपा ने अब से कपड़ा उद्योग हीरा उद्योग सहित अन्य उद्योगों में दूसरे राज्य से आने वाले श्रमिकों की कोरोनावायरस की जांच अनिवार्य कर दी है।इसके लिए खर्च उनके मालिकों को उठाना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि सूरत के कपड़ा उद्योग में काम करने वाले ज्यादातर श्रमिक यूपी बिहार छत्तीसगढ़ देश आदि राज्यों जो कि अब धीरे-धीरे लौट रहे हैं वही हीरा उद्योग में काम करने वाले श्रमिक जो कि उत्तर गुजरात से हैं वह अभी नहीं लौट रहे है।

ऐसे में मनपा ने सूरत में कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए शुरू की नई गाइडलाइन के कारण श्रमिकों का आना फिर से ना रुक जाए ऐसा भय उद्यमियों को परेशान करने लगा है।र शनिवार को सूरत मजार रुएगर पालिका की टीम ने हीरा बाजार में कार्रवाई करते हुए सोशल डिस्टेंस का उल्लंघन करने वाले 9 यूनिटों से 50 हजार का दंड वसूल किया।

छोटे और मध्यम कपड़ा कारोबारियों के लिए अब अस्तित्व का संघर्ष!


सूरत
कपड़ा उधोग के लिए आगे की डगर कांटो भरी नज़र आ रही है। ख़ासकर छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारियों के लिए व्यापार का अस्तित्व बचा पाना भी मुश्किल नज़र आ रहा है।एक ओर जहां कोरोना के बाद पूँजी की समस्या आएगी वहीं दूसरी ओर उन्हें कई पेमेंट भी करने होंगे । बड़े उधमी तो जैसे तैसे कर अपनी नाव निकाल लेंगे, लेकिन छोटे व्यापारियों के लिए अस्तित्व बचा पाना कठिन होने की आशंका है।


कपड़ा बाज़ार के सूत्रों का कहना है कि सूरत का कपड़ा व्यापार उधार पर चलता है। यहाँ के व्यापारी अन्य राज्यों के व्यापारियों को उधार माल बेचते है। इसके बाद व्यापारी अपनी अपनी शर्तों के अनुसार एक से तीन माह के बीच पेमेंट करते हैं।

जीएसटी और नोटबंदी के बाद छह महीने पहले के पेमेन्ट भी सूरत के व्यापारियों के फँस गए हैं। सूरत के व्यापारी तगड़ी पूँजी लगाते है। इसके बाद व्यापार चलाते है। उन पर प्रतिमास डाइंग यूनिट, एम्ब्रॉयडरी यूनिट, श्रमिकों का वेतन लोन का हप्ता, बिजली बिल, घर का खर्च सहित अन्य खर्च निभाने की ज़िम्मेदारी है।

लगभग डेढ माह से बाज़ार बंद होने के कारण सब की आय शून्य हो गई है और खर्च बने हुए है। शायद ही एकाध खर्च कम हुआ है। फ़िलहाल व्यापार कब शुरू होगा यह पता नही है लेकिन व्यापार खुलने के साथ ही वीवर, प्रोसेसर, एम्ब्रॉयडरी, जॉबवर्कर, बैंक लोन आदि मुँह फाड कर खड़े हो जाएँगे। ऐसे संजोगों में छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारियों के लिये व्यापार संभालना मुश्किल होगा।

व्यापारियों का कहना है कि जो माल अभी भेजा गया है। उसमें से आधा माल तो वापिस आना है और दूसरे कि पैमेन्ट भी कब मिलेगा यह तय नहीं है। 25 प्रतिशत राशि कम से कम डूबने की भी आशंका है।इन विपरीत परिस्थिति में व्यापारी को पूँजी जुटा कर व्यापार शुरू करना और अपने खर्च चलाने का दोनों ही भार रहेगा। आवक सिमित और खर्च अपार यह गणित व्यापारियों का समीकरण बिगाड़ने को काफ़ी है।यदि सरकार और बैंक व्यापारियों का साथ नहीं देगी तो निश्चित मानिए इस भँवर से उबर पाना मुश्किल हो जाएगा।

कपड़ा उधमी गिरधर गोपाल मूंदडा का कहना है कि कोरोना के कारण सभी देशों के सकल विकास दर में कमी आई है। इसके बावजूद दुनिया के अमरीका, जापान, कनाडा सहित कई विकसित देशों ने अपने विकास दर में से कुछ हिस्सा कम मानते हुए इन्डस्ट्री के लिए प्रोत्साहन देने की तैयारी दिखाई है। हम भी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे है। यदि सरकार इन्ड्स्ट्री की मुसीबत समझते हुए लॉकडाउन पीरियड में लोन का ब्याज माफ़ कर दे तो भी हमें राहत होगी।

फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री चंपालाल बोथरा ने बताया कि लॉकडाउन के बाद व्यापार खुलते ही व्यापारियों पर एक साथ कई खर्च आ जाएँगे। जैसे कि उन्होंने जो माल बना रखे है उसके लिए वीवर, प्रोसेसर, एम्ब्रॉयडरी आदि के पैमेन्ट की ज़िम्मेदारी आ जाएगी। इसके बाद बैंक हप्ता, स्कूल फीस, सरकारी टैक्स आदि कई चींजे व्यापारी को परेशान कर सकती है।

व्यापारियों के लिए चिंताजनक बात यह है कि उन्होंने तैयार किए करोड़ों का माल अब दिसंबर के बाद ही बिक सकता है। दूसरे राज्यों में से पैमेन्ट भी जल्दी मिलने की उम्मीद नहीं है। इसलिए आने वाले दिनों में व्यापारियों को वर्किंग कैपिटल की समस्या से जूझना पड सकता है। हमने सरकार से दो से पाँच करोड़ तका का टर्न ओवर वाले व्यापारियों को कम दर पर लोन मुहैया कराने, मुद्रा योजना के तहत लोन देने, राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के कई टैक्स से छूट देने तथा लॉकडाउन के पीरियड के बैंकों का ब्याज माफ़ करने की माँग की है। इसके अलावा जिन शहरों में लॉकडाउन खुल रहा है वहाँ माल भेजने की व्यवस्था करने की गुहार लगाई है ताकि वहाँ माल जाए और बिक्री हो सके। इससे पैमेन्ट आना शुरू हो जाएगा।

कपडा निर्यातकों के लिए चुनौती भरी डगर! अरबों के ऑर्डर रद्द हुए

सूरत
कोरोना के कारण जहां सूरत का स्थानीय व्यापार चौपट हुआ, वहीं विदेश से भी अरबों रूपए के ऑर्डर चौपट हो गए। कोरोना के बाद भी सूरत के कपड़ा निर्यातकों के लिए राहत नहीं है क्योंकि कोरोना के कारण खाड़ी के देश तथा अमरीका और यूरोप के सहित दुनिया के तमाम देश बुरी तरह से प्रभावित है। दुनिया में जहां जहां भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, सहित एशिया के लोग रहते हैं वहाँ वहाँ कम या ज़्यादा मात्रा में सूरत के कपड़ों की डिमांड रहती है इन दिनों वह ठप्प है।

अमरीका और यूरोप की बात करें तो वहाँ हालात बदतर
अमेरिका में अब तक कोरोनाके कारण 50000 के क़रीब लोगों की जान जा चुकी है वही यूरोप के देशों में भी कोरोना ने कोहराम मचा रखा है अमरीका यूरोप में बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं। कई शहरों में लॉकडाउन होने से वहाँ परिस्थिति वहां भी लचर हो गई है ऐसे में वहां का बाजार भी व्यापार के लिए कच्चा हो गया है व्यापारियों का कहना है कि पहले लोग अपनी आवश्यक वस्तुएं खरीदेंगे उसके बाद कपड़े पर ध्यान देंगे ।

अन्य देशों से भी समस्या
गल्फ देशों में जहां कि भारत के कपड़ों की मांग रहती है । वहाँ भी ज़्यादातर देशों में लंबे समय के लॉकडाउन के कारण वहाँ के कई देशों का व्यापाार प्रभावित होता दिख रहा है। कई व्यापारियों ने तो ऑर्डर भी रदद करवा दिए ।

निर्यातकों क लिए स्थानीय स्तर पर बड़ी चुनौती
दूसरी ओर कपड़ा उद्यमियों की हालत भी ज्यादा अच्छी नहीं है क्योंकि लोगों के कारण कपड़ा उद्योग 1 महीने से अधिक समय से बंद है दूसरी ओर जिन्होंने बैंक से बड़े रकम का लोन ले रखा है उसका ही हफ्ता तो भरना ही पड़ेगा साथ ही प्याज भी चल रहा है श्रमिकों का वेतन भी चुका रहे हैं दूसरी ओर आमदनी कुछ भी नहीं है इस कारण कपड़ा उद्यमी अपने आप को लाचार पा रहे हैं।

सरकार पर टिकी नज़र

कपड़ा निर्यातकों का कहना है कि सरकार हमसे हर प्रकार का उम्मीद रखी है ।लेकिन कोरोना के कारण जब व्यापार मुश्किल में फंसा है तब सरकार को आगे आना चाहिए और निर्यात को के लिए कोई पूछता है कि योजना बनानी चाहिए ।बिना ब्याज के लोन मिल सके ऐसी योजना लानी चाहिए जिनकी लोन चल रही है उनका ब्याज माफ कर देना चाहिए ।फिलहाल जो ईएमआई है वह कुछ दिनों के लिए स्थगित कर देना चाहिए।

ऑर्डर हुए रद्द, बढ़ी समस्या
कपड़ा निर्यातक विरल भाई ने बताया कि कोरोना दुनिया में सभी देशों में फैला है। कोरोना के कारण कई देशों में इन दिनों लॉकडाउन होने से सब कुछ बंद है। इसलिए वहाँ के व्यापारियों ने जो ऑर्डर दिए थे, वह रद्द कर दिए है। जहां जहां एशिया के लोग रहते हैं वहाँ भारत के कपड़ों की डिमांड रहती है, लेकिन बीते दिनों बड़े पैमाने पर ऑर्डर रद्द हो गए। आगे भी परिस्थिति को लेकर चिंता है।

कैट और फोस्टा ने लगाई है गुहार
फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री चंपालाल बोथरा ने बताया कि हमने कॉन्फिडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन के साथ मिलकर गुहार लगाई है कि व्यापारी या कपड़ा निर्यातक किसी को भी जब तक व्यापार बंद है तब तक बैंक ब्याज नहीं लिया जाए। इसके अलावा अन्य चार्ज या पैनल्टी नहीं ली जाए।
फोस्टा ने लॉकडाउन के दौरान डेमरेज नही वसूलने की माँग की है। साथ ही लॉकडाउन के दौरान यदि व्यापारी को बैंक लोन का हप्ता या ब्याज के सिलसिले में बैंक से शिकायत हो तो वित्तमंत्री को शिकायत करें।

अन्य संस्थाओं ने भी लगाई गुहार
देशभर की अलग अलग व्यापारिक संस्था और चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने निर्यातकों को हो रही समस्या को बताते हुए निर्यातकों के लिए प्रोत्साहक योजना बनाने की माँग की है।