अफगानिस्तान में अब होगी तालिबानी सरकार, भाग रहे विदेशी

आखिरकार जो दुनिया नहीं चाहती थी वहीं हुआ। कइ लोगों के नरसंहर और खूनखराबा के बीच तालिबान ने अफगानिस्तान को अपनी मुट्ठी में कर लिया है। सबकुछ जाता देख अफगान सेना तालिबान के साथ समझौता करने को राजी हो गई है। भारी अफरातफरी और भय के माहौल के बीच अफगानिस्तान में फंसे विदेशियों की हालत दयनीय हो गई है। लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया है। तालिबान ने अपने लड़ाकों से कहा है कि जो लोग काबुल से जाना चाहते हैं उन्हें सुरक्षित रास्ता दें। इसके बाद काबुल एयरपोर्ट की तरफ जाने वाली सड़को पर लोगों की भी़ड़ है।


तालिबान ने काबुल के चार बाहरी जिलों पर कब्जा किया है। ये हैं- सारोबी, बगराम, पगमान और काराबाग। हालांकि तालिबान ने अपने लड़ाकों से काबुल के बाहरी गेट पर रुकने के लिए कहा था। काबुल के नागरिक बता रहे हैं कि लोग काबुल में अपने घरों पर तालिबान के सफेद झंडे लगा रहे हैं।बताया जा रहा है कि तालिबान ने काबुल की बगराम जेल के बाद पुल-ए-चरखी जेल को भी तोड़ दिया है और करीब 5 हजार कैदियों को छुड़ा लिया है। पुल-ए-चरखी अफगानिस्तान की सबसे बड़ी जेल है। यहां ज्यादातर तालिबान के लड़ाके बंद थे।

अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृहमंत्री अब्दुल सत्तार मीरजकवाल ने कहा कि तालिबान इस बात पर राजी हो गया है कि वह काबुल पर हमला नहीं करेगा। तालिबानी शांति से सत्ता का ट्रांसफर चाहते हैं और ये इसी तरह होगा। नागरिक अपनी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत रहें। तालिबान ने बयान जारी करके कहा है कि वो नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी लेता है।इससे पहले रविवार तड़के तालिबान ने नंगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद पर भी अपनी हुकूमत कायम कर ली थी। न्यूज एजेंसी फ्रांस प्रेस के मुताबिक जलालाबाद के लोगों ने बताया कि रविवार सुबह जब वे जागे तो देखा कि पूरे शहर में तालिबान के झंडे लहरा रहे थे और यहां कब्जा करने के लिए उन्हें जंग भी नहीं लड़नी पड़ी।