कपड़ा उद्योग का भविष्य टैक्निकल टैक्सटाइल में सुनहरा माना जा रहा है। पॉलिस्टर साड़ी और ड्रेस मटेरियल के लिए प्रख्यात सूरत का कपड़ा उद्योग यदि चाहे तो टेक्निकल टैक्सटाइल के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ सकता है। इस सिलसिले में चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से कोरोना में टेक्सटाइल क्षेत्र में अभिशाप में आशीर्वाद इस विषय पर विषय पर वेबिनार रखा गया था।
इसमेंरिलायंस इंडस्ट्री के जे.रघुनाथ ने बताया कि टेक्निकल टैक्सटाइल का बाजार 16 बिलियन है जो कि 2024 तक बढ़कर 50 से अधिक हो जाएगा। भविष्य में टैक्निकल टैक्सटाइल के निर्यात के लिए अच्छा मौक़ा हैं। जे. रघुनाथ ने बताया कि भारत के उत्पादकों को भी बड़ी क्षमता और गुणवत्ता के साथ वैश्विक बाजार में प्रवेश करना चाहिए। उनका कहना था कि अब मेडिकल टेक्सटाइल का महत्व बढ़ गया है। एंटीवायरस फैब्रिक में भी बहुत बड़ा क्षेत्र है। फेस मास्क, पीपीई और हाइजीन फ़ैब्रिक आदि के उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है।
वर्तमान समय में हर दिन डेढ करोड़ फ़ेस मास्क और 50 लाख पीपीई किट का निर्माण किया जा रहा है। कपड़ा मंत्रालय द्वारा भारत में 50 लाख की पीपीई किट एक्सपोर्ट को स्वीकृति दे दी गई है। उनका कहना था कि 5 वर्ष में टेक्निकल टैक्सटाइल का कारोबार बढ़कर 50 बिलियन डॉलर से अधिक हो जाएगा। इसलिए उनको पीपीई किट और मास्क के निर्यात के लिए ध्यान देना चाहिए।
इस अवसर पर मौजूद डॉ. जगत शाह ने कहा कि भारतीय उद्यमियों को स्ट्रेटेजी पर ध्यान देना चाहिए और ऑपरेशन पर काम अन्य लोगों को छोड़ देना चाहिए। उद्यमियों को व्यापार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए यदि हम वैश्विक कारोबार को नहीं जोड़ेंगे तो हम प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे।