સુરત: મંત્રા ખાતે આયોજિત ટફ કેમ્પમા પહેલા દિવસે અંદાજિત ૧૦૦ જેટલા કેસોના દાવાઓનું નિરાકરણ કરાયું

કેન્દ્ર સરકાર ટેક્ષટાઈલ મંત્રાલય ટેક્ષટાઈલ કમિશનર કચેરી દ્વારા TUFSના દાવાઓના ઝડપી નિકાલ માટેના બેદિવસીય કેમ્પને ખૂલ્લો મૂકતા કેન્દ્રીય ટેક્ષટાઈલ રાજ્યમંત્રી દર્શનાબેન જરદોશ
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વિશ્વમાં કાપડમાં મેનમેઈડ ફાયબરનો હિસ્સો ૭૫ ટકા: સુરતી ઉદ્યોગકારોને મેનમેઈડ ફાયબર પર ધ્યાન કેન્દ્રિત કરવાનો અનુરોધ કરતાં કેન્દ્રીય મંત્રી

સુરતઃસોમવાર: કેન્દ્ર સરકારના કાપડ મંત્રાલયની ટેક્ષટાઈલ કમિશનર કચેરી દ્વારા TUFS (ટેકનોલોજી અપગ્રેડેશન ફંડ સ્કીમ) ના દાવાઓના ઝડપી નિકાલ માટે મંત્રા સુરતના MANTRA (મેનમેઇડ ટેક્ષટાઈલ રિસર્ચ એસોસિએશન)ના કોન્ફરન્સ હોલ ખાતે તા.૩૦ અને ૩૧ મે દરમિયાન આયોજિત બેદિવસીય કેમ્પને કેન્દ્રીય ટેક્ષટાઈલ રાજ્યમંત્રી દર્શનાબેન જરદોશના હસ્તે ખુલ્લો મૂકવામાં આવ્યો હતો. જેમાં પ્રથમ દિવસે અંદાજિત ૧૦૦ જેટલા કેસોના દાવાઓનું નિરાકરણ કરાયું હતું.


આ પ્રસંગે મંત્રી દર્શનાબેન જરદોશે જણાવ્યું હતું કે, TUFS હેઠળના તમામ પેન્ડિંગ દાવાઓના નિકાલને ઝડપી બનાવવા માટે ટેક્ષટાઈલ વિભાગ દ્વારા કાપડ ઉદ્યોગસાહસિકો સુધી ડોર ટુ ડોર જઈને આઉટરીચ કેમ્પ યોજવાનો અને ક્લસ્ટરોને લગતા કેસો માટે જરૂરી સ્પષ્ટતાઓ/દસ્તાવેજો એકત્ર કરવાનો નિર્ણય લેવાયો છે. જેના ભાગરૂપે ટેક્ષટાઈલ કમિશનરની કચેરી દ્વારા બેંગલુરૂ, કોઈમ્બતુર, અમદાવાદ અને મુંબઈ બાદ સુરત ખાતે આઉટરીચ/ક્લિયરન્સ કેમ્પ યોજી રહ્યાં છીએ એમ જણાવી આ કેમ્પ દ્વારા ટફ યોજનાના બાકી દાવાઓનું ઝડપી નિરાકરણ આવશે એમ તેમણે ઉમેર્યું હતું.

જરદોશે વધુમાં કહ્યું કે, પી.એલ.આઈ.( પ્રોડક્શન લિંકેડ ઇન્સેન્ટીવ) સ્કીમ હેઠળ મેનમેડ ફાઈબર, રેડીમેડ ગારમેન્ટ અને ટેકનીકલ ટેક્ષટાઈલનો સમાવેશ થાય છે. ભારતમાં ૬૭ માંથી ૭ પી.એલ.આઈ. સ્કિમ ગુજરાતમાં કાર્યરત છે. તેમણે ટેક્ષટાઇલ તેમજ હેન્ડલુમ ઉદ્યોગની માહિતી અને સચોટ જ્ઞાન લોકો સુધી પોહોચે તેના ભાગરૂપે શહેરની યુનિવર્સિટીમાં ટાઈ-અપ કરી જનજાગૃતિ કાર્યક્રમો યોજવા સુચન કર્યું હતું. તેમણે કોરોનાના કપરા સમયમાં ભારતે સ્વદેશી PPE કીટનું મોટા પાયે ઉત્પાદન કરી વૈશ્વિક સ્તરે આગવી ઓળખ બનાવી હોવાનું પણ ગર્વથી ઉમેર્યું હતું.


ટેક્ષટાઈલ ક્ષેત્રના વિકાસ માટે કેન્દ્ર સરકારે સંખ્યાબંધ પગલાઓ ભર્યા છે, ત્યારે ટફ યોજનાની સબસિડી સંબંધિત ઉદ્યોગકારોને વહેલી તકે મળી રહે એ માટે કેન્દ્ર સરકારે સામે ચાલીને આઉટરીચ કેમ્પ થકી કાપડ ઉદ્યોગકારોને સરળતા રહે એવો અભિગમ અપનાવ્યો છે. સમગ્ર દેશના સૌથી મોટા ટેક્ષટાઈલ ઉદ્યોગના ક્લસ્ટરોમાં સમાવેશ પામતા સુરત શહેર અને આસપાસના ઔદ્યોગિક વિસ્તારમાં સૌથી વધુ માળખાગત મૂડીરોકાણ કાપડ ઉત્પાદન કરતી ફેક્ટરીઓ અને તેની મશીનરીમાં થઇ રહ્યું છે, ત્યારે વિશ્વમાં કાપડમાં મેનમેઈડ ફાયબરનો હિસ્સો ૭૫ ટકા હોવાથી સુરત પણ આ ક્ષેત્રમાં બહુમૂલ્ય પ્રદાન કરે એ હેતુથી મેનમેઈડ ફાયબર પર ધ્યાન કેન્દ્રિત કરવા ઉપસ્થિત ઉદ્યોગકારોને અનુરોધ કયો હતો.


નોંધનીય છે કે, TUFS યોજના અંતર્ગત સબસિડી મેળવવા હેતુ બેંકમાં કુલ ૬ મુખ્ય ડોક્યુમેન્ટ્સ અપલોડ કરવાના હોય છે, ત્યારે ગુજરાતમાં ૨૮૩૧ ટફના કેસો નોંધાયેલા હતા, જે પૈકી અત્યાર સુધી ૧૨૫૪ ના ડોક્યુમેન્ટ્સ અપલોડ કરવામાં આવ્યા છે.
આ પ્રસંગે મંત્રાના પ્રેસિડેન્ટશ્રી રજનીકાંત બચકાનીવાલા, વાઈસ પ્રેસિડેન્ટશ્રી જયવદન બોડાવાલા, ટેક્ષટાઈલ વિભાગના ડેપ્યુટી ડિરેક્ટર જનરલ ઉષા પોલ, એડિશનલ ટેક્ષટાઈલ કમિશનર એસ.પી.વર્મા, જેઆઈટીનું સંચાલન કરનાર ટેક્ષટાઈલ કમિટીના અધિકારીઓ અને સુરત વિભાગની ૩૨ નોડલ બેંકો અને ૧૨ પીએલઆઈ, ટેક્ષટાઈલ ઉદ્યોગકારો અને ટેક્ષટાઈલ મંત્રાલય અને મંત્રાના અધિકારીઓ ઉપસ્થિત રહ્યા હતા.

निराश हैं पीपीई किट और मास्क उत्पादक, सरकार का चाहिए साथ

घरेलू डिमांड घटने और सरकार की उदासीन नीतियों के कारण पीपीई किट और मास्क उत्पादक इन दिनों  निराश है।


कुछ दिनों पहले तक सूरत के कपड़ा उद्यमियों ने पीपीई किट और मास्क का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया देशभर में पीपीई किट  और मास्क की डिमांड अच्छी होने के कारण कपड़ा उद्यमियों ने शुरू शुरू में बड़े पैमाने पर स्टॉक किया अब घरेलू बाजार में डिमांड घट गई है। इसके अलावा विदेश में निर्यात करने के लिए कई लंबी चौड़ी प्रक्रियाओं में से गुजरना पड़ता है। इसके कारण कपड़ा उद्यमियों के पास पीपी केट और मास्क का बड़े पैमाने पर स्टॉक हो गया है।

एक तो पहले से ही लोक डाउन के कारण व्यापारियों के करोड़ों रुपए की स्टोक जमा हो जाने से बड़ा नुक़सान हुआ है ऐसेमें पीपीई और मास्क का भी स्टॉक हो जाने से उनकी परेशानी और बढ़ गई है। कपड़ा उद्यमी चाहते हैं कि विदेश में माल एक्सपोर्ट करने की नीतियां सरल बनाई जाए ताकि यहां बनने वालेपीपीई का निर्यात विदेश में किया जा सके। कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि यदि सरकार का साथ मिले तो वह विदेश में पीपीई किट का निर्यात कर अभी भी संभल सकते हैं लेकिन सरकार की ओर से देरी से लिए गए निर्णयों के कारण सूरत सहित देशभर के पीपीई किट और मास्क निर्माताओं को जितना लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिला  है। ॉ

कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि जब लॉकडाउन का समय था और दुनिया भर में बड़े पैमाने पर पीपीई किट और मास्क  की डिमांड थी उन दिनों भारत में व्यापार उद्योग सब कुछ बंद था ऐसे में जो आर्डर भारत के हिस्से में आते वह पाकिस्तान, चीनबांग्लादेश आदि कई दूसरे देशों के पास चले गए हमने बड़े पैमाने पर आर्डर तभी गंवा दिए थे।


इसके बाद जब भारत में भी पीपीई किट और मास्क का उत्पादन बड़े पैमाने पर हो रहा है तो
सरकार को एक्सपोर्ट की नीतियां सरल बनानी चाहिए ताकि यहां बनने वाले पीपी का निर्यात विदेश में किया जा सके हालांकि सरकार की नीतियों के कारण मध्यम वर्गीय उद्यमियों को अभी तक लाभ नहीं पहुंच सका है सरकार की इतनी कठिन है कि सिर्फ बड़े उद्यमी उसको पूरी कर पा रहे हैं।

सूरत की बात करें तो सूरत में भी प्रतिदिन 25000 तक पीपीई किट और लगभग दो लाख तक मास्क उद्यमी बनाने लगे थे लेकिन एक और जब कोरोनावायरस है वहीं दूसरी ओर पीपीई किट और मास्क की डिमांड घट रही है सरकार इन दिनों बड़े पैमाने पर खरीदी करें तो थोड़ी राहत हो सकती है। घरेलू बाज़ार में डिमांड चलते उद्यमियों के पास के पैकेट और मास्क का स्टॉक हो गया है अब वह ज्यादा स्टॉक नहीं करना चाहते इसलिए कई उद्यमियों ने तो उत्पादन बंद सा कर दिया है और कुछ उद्यमी बहुत कम उत्पादन कर रहे हैं।


कपड़ा उद्यमी लॉकडाउन में पहले से हीकरोड़ों रुपए नुकसान कर चुके हैं ऐसे में वह अब और ज्यादा नुकसान करना नहीं चाहते। सूरतसहित देशभर के कंपनियों की मांग है कि यदि केंद्र सरकार पीपीई किट  और मास्क का निर्यात करनेकी नीतियां सरल बनाए तो मध्यम वर्गीय उद्यमियों को भी इसका लाभ मिलेगा।

पीपीई किट के उत्पादन में भारत अग्रणी देशों मे शामिल!!


सूरत
मुसीबत को मौके में बदल लेने वाले भारत के उद्यमियों ने कोरोना के समय में भी मुसीबत को एक अवसर के रूप में बदल दिया है।भारत में कोरोना के बाद दो महीने में पीपीई किट का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा है। दुनिया में पीपीई किट के उत्पादन में भारत अग्रणी देशों में शामिल हो गया है।

मिली जानकारी के अनुसार देश के कई कोनों में कोरोना के बाद कपड़ा उद्यमियों ने पीपीई किट और मास्क का उत्पादन शुरू कर दिया है। भले ही इन दिनों साड़ी ड्रेस मटेरियल और गारमेंट का उत्पादन बंद है। लेकिन कोरोना बढ़ने से दुनिया भर में पीपीई किट की मांग को देखते हुए कई कपड़ा उद्यमियों में पीपीई किट का उत्पादन करना शुरू कर दिया है।

देश में सूरत मुंबई दिल्ली सहित कई स्थानों पर पीपीई किट का उत्पादन होने लगा है। बताया जा रहा है कि देश में प्रतिदिन साढे चार लाख पीपीई किट का उत्पादन होने लगा है। भारत के उद्यमियों ने कोरोना के बाद पीपीई किट का उत्पादन शुरू किया और अब पीपीई किट और मास्क के उत्पादन में अग्रणी हो गए है। बीते दिनों केन्द्र सरकार ने पीपीई किट बनाने वाले तमाम उद्यमियों की जानकारी भी माँगी थी।

सूरत भी पीपीई और मास्क उत्पादन का बड़ा केन्द्र है। एक अंदाज के अनुसार यहाँ प्रतिदिन एक लाख पीपीई किट और और 200000 मास्क का उत्पादन होता है।पीपीई का उत्पादन करने के पहले संबंधित विभाग से सर्टिफिकेट लेना होता है मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अभी तक भारत से आगे सिर्फ चीन ही है।


कपड़ा उद्यमियों का मानना है कि आनेवाले दिनों में पीपीई किट की डिमांड और बढ़ेगी। भारत के उद्यमियों को बड़े पैमाने पर ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।बताया जा रहा है कि भारत में अब 600 से अधिक कंपनियों में प्रतिदिन साढ़े चार लाख किट का उत्पादन होता है।


उल्लेखनीय है कि सूरत में भी पाँच कंपनियों में पीपीई किट का उत्पादन शुरू हो गया है और कई कंपनियों में पीपीई किट उत्पादन के लिए प्रोसेस शुरू की है।
वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी में 18 मई को अपने ट्विटर पर बताया कि भारत में प्रतिदिन साढ़े चार लाख पीपीई किट का उत्पादन होने लगा है।

कोरोना के कारण उद्यमियों को प्रतिदिन 1000 करोड़ का नुक़सान

सूरत में कपड़ा और हीरा का करोड़ों का कारोबार आज से बंद
सूरत
कोरोना वायरस ने सूरत के कारोबार की कमर तोड दी है ।सूरत में कपड़ा बाजार और हीरा उद्योग दो व्यापार के मुख्य केंद्र हैं ,लेकिन कोरोना वायरस के चलते कपड़ा मार्केट आर हीरा बाज़ार आज से बंद रहने की घोषणा की गई है ।
कपड़ा मार्केट में 65 हज़ार से अधिक दुकान आज दोपहर २ बजे से बंद रहेंगे।यहाँ अंदाजन १०० लाख करोड़ रुपये व्यापार प्रतिदिन होता है। हीरा बाज़ार में चार सौ करोड़ रुपया तक का कारोबार होता है। वह शनिवार से ठप्प हो जाएगा । मिली जानकारी के अनुसार कपड़ा व्यापारियों के संगठन ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर शनिवार दोपहर 2 बजे के बाद टैक्सटाइल मार्केट के ६५ हज़ार से अधिक दुकानें बंद कराने के घोषणा की थी, वहीं सूरत डायमंड डायमंड एसोसिएशन ने भी शुक्रवार को मीटिंग कर कारखाने के बंद करने का फ़ैसला लिया था । आपको बता दें कि सूरत के कपड़ा बाज़ार में प्रतिदिन 10 लाख लॉग से अधिक श्रमिक काम करते हैं हीरा उद्योग में भी 5,लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं । कपड़ा उद्योग और हीरा उधोग बंद हो जाने के कारण लाखो लोगों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ा है । एक ओर जहाँ कोरोना के कारण लोगों के रोज़गार ये ख़तरे में है वहीं दूसरी ओर एक हज़ार करोड़ का नुक़सान सूरत के उद्यमी कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि पिछले दिनो में सूरत के कपड़ा कारोबारी 3, हज़ार करोड़ से अधिक रुपये का नुक़सान कर चुके हैं फ़िलहाल करोना इस तरह से फैल रहा है कि, प्रशासन भी यह कह पाने में असमर्थ है कि दुकानें कब खुलेंगी आर व्यापार कब कर सकेंगे।

कोरोना के कारण सूरत के कपड़ा उद्योग को तीन हजार करोड़ की खोट

300 ट्रक पार्सल के स्थान पर बीते 20 दिन से जा रहे सिर्फ 100 ट्र्क

सूरत
कोरोना वायरस ने सूरत के कपड़ा उद्योग को अंदाजऩ तीन हज़ार करोड़ रुपये का नुक सान पहुँचाया है। बीते दिनों में मंदी के कारण परेशान कपड़ा उद्यमियों को लग्नसरा से अच्छे व्यापार की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कह सकता है कि लगभग तरह का पूरा व्यापार कोरोना की भेंट चढ़ गया। कपड़ा व्यापारियों को जितने व्यापार की उम्मीद थी। उसका 25 प्रतिशत व्यापार भी नहीं हो पाया है । कपड़ा बाजार के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सामान्य तौर पर सूरत के कपड़ा बाज़ार में फरवरी से लेके मार्च तक साड़ी और ड्रेस दोनों में ही तगड़ा व्यापार होता है , लेकिन इस बार ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है । भारत में कोरोना के एंट्री फरवरी के अंत में हुई थी। इसके बाद देखते देखते ही यह रोग देश भर में कई राज्यों में फैल गया। । 7 मार्च के बाद से ही कपड़ा बाज़ार का व्यापार प्रभावित होने लगा था। डऱ के मारे लोगों ने आयोजन रद्द कर दिए और खरीद कम कर दी। इसका असर पडऩे लगा। कपडा व्यापारी बताते हैं कि जिन राज्यों में साड़ी और ड्रेस के लिए अच्छा व्यापार रहता था , वहाँ भी इन दिनों 25 प्रतिशत से भी कम आर्डर बुक कराए हैं ।
लग्नसरा के साथ रमजान और रक्षाबंधन की खरीद पर भी संशय
कपड़ा व्यापारी रंगनाथ शारड़ा ने बताया कि कपड़ा बाज़ार में सामान्य तौर पर 100 ट्र्क पार्सल अन्य राज्यों के लिए रवाना होते हैं, और लग्नसरा के दिनों में लगभग ढाई सौ से तीन पार्सल अन्य राज्यों के लिए रवाना होते हैं। कोरोना के कारण देश के कई हिस्सों मे शट-डाउन के परिस्थिति होने और बाज़ार बंद होने के कारण वहाँ व्यापार बिलकुल घट गया है । परिस्थिति यह है कि लग्नसरा होने के बावजूद इन दिनों अन्य राज्यों के लिए 100 ट्रक पार्सल ही निकल रहें हैं। कई व्यापारियों ने जिन्होने की चीन में कोरोना के कारण वहाँ का कपड़ा नही आएगा और यहां व्यापार बढ़ेगा यह सोचकर बड़े पैमाने पर उत्पादन कर राखा था उनका माल तो बिका नहीं साथ में पूँजी भी फँस गई। इसके अलावा लग्नसरा के के बाद रमज़ान रक्षाबंधन आदि की तैयारी भी शुरू कर दिए थे ।अब उन्हें ऐसा लग रहा है कि कोरोना के कारण आने वाले वह सब फ्लॉप हो जाएगा।
प्रतिदिन होता था दो करोड़ मीटर का व्यापार
लक्ष्मीपति ग्रुप के मैनेजिग डायरेक्टर संजय सरावगी ने बताया कि सूरत से प्रतिदिन दो करोड़ मीटर कपड़ों का कारोबार होता था, जो कि गत एक महीने से नहीं के बराबर हो गया है। एक महीने से यही हाल है। रिटेल मार्केट में व्यापार नहीं होने से आर्डर नहीं मिल रहा। सूरत के व्यापारियों की पूँजी फँस गई है। अन्य राज्यों से पैमेन्ट नहीं आ रहा। कोरोना के कारण व्यापारियों को बड़े पैमाने पर माल का स्टॉक करना पड रहा है। कई स्थानों पर उत्पादन बंद है।
व्यापारियों का मानना है कि कोरोना के कारण छ महीने का व्यापार चौपट हो गया है। एक अंदाज के अनुसार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष मिलाकर यह खोट तीन हज़ार करोड़ के आसपास होने का अनुमान कारोबारी लगा रहे हैं।