सूरत
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को पेश किए केंद्रीय बजट में कपड़ा उद्योग के लिए कई घोषणाएं की। इसमे सूरत के कपड़ा उद्योग के लिए भी कुछ घोषणाएं सकारात्मक साबित हो सकती हैं। वित्तमंत्री ने नीटेड फैब्रिक पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 10 प्रतिशत बढ़ाकर 20% कर दी अथवा प्रति किलो की कीमत कम से कम 115 रुपए ड्युटी मानी जाएगी। इस घोषणा के बाद सूरत के कई कपड़ा उद्यमियों में कुछ राहत है।बीते 5-7 सालों में सूरत में नीटेड फैब्रिक बनाने वाले उद्यमियों की संख्या बढी है। फिलहाल शहर में 1000 से अधिक उद्यमी नीटेड फैब्रिक का उत्पादन कर रहे हैं। वीकेंड फैब्रिक पर टी-शर्ट,लेगिज, स्पोर्ट के कपड़े आदि बनते हैं।
कपड़ा उद्यमियों ने नीटेड फैब्रिक पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने की मांग की थी।सूरत में बड़े पैमाने पर चीन से नीटेड फैब्रिक आयात किया जाता है। आयातित फैब्रिक के कारण यहां के उद्यमियों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था। इस बारे में देशभर में से कपड़ा संगठनों की ओर से गुहार लगाई जा रही थी। इसे ध्यान में रखते हुए बजट में नीटेड फैब्रिक पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 20% कर दी गई है या तो प्रति किलो की कीमत 115 रुपए ड्यूटी मानी जाएगी।इससे विदेश से आयाती फैब्रिक महंगा होगा। इस कारण घरेलू उद्यमियों को प्रतिस्पर्धा में टिकने का मौका मिलेगा। सूरत के कपड़ा कारोबारी इसे सकारात्मक मान रहे हैं।वहीं दूसरी ओर टेक्निकल टैक्सटाइल के लिए भी बड़ी घोषणा की गई है सरकार कई दिनों से देश भर में टेक्निकल टैक्सटाइल का विकास हो इस प्रयास में जुटी हुई है। कई बार इस बारे में दुनिया से आगे बढ़ाने के लिए भी कहा गया है लेकिन कई कारण से उद्यमी अभी तक आगे नहीं बढ़ पा रहे थे।
टेक्निकल टैक्सटाइल को प्रोत्साहन मिले इसलिए सरकार ने विदेश से आयातित टेक्निकल टैक्सटाइल की मशीनरींयों पर कस्टम ड्यूटी मुक्त कर दी है।उद्यमियों का मानना है कि इससे मशीनरी में निवेश बढ़ेगा और साथ ही भारत में टेक्निकल टैक्सटाइल का उत्पादन भी बढ़ेगा। दूसरी ओर रेपीयर,वाटर जेट और एयर जेट जैसी मशीनों पर पांच प्रतिशत बेसिक कस्टम ड्यूटी से छूट दी गई थी इस छूट को आगामी दिनों में भी बरकरार रखा जाएगा।
कपड़ा उद्यमी मयूर गोलवाला ने बताया कि सरकार के बजट से उद्योगों को राहत मिलेगी। खासकर नीटेड कपड़ा के व्यापारियों के लिए सराहनीय बजट है।हालांकि कपड़ा उद्यमियों ने अन्य कई मांगे भी की थी ताकि मंदिर से जूझ रहे उद्योग को राहत मिल सके लेकिन उन पर विचार नहीं किया गया।