एक ओर जहां लोग कोरोना में व्यापार उद्योग अच्छे से नहीं चलने और रोजगारी छूट जाने के कारण परेशान है। वहीं बढती महंगाई ने भी लोगों को परेशान कर रखा है। गुजरात और नजदीक के राज्यों में बीते दिनों में ज्यादा बारिश के कारण महिलाओं को बजट बिगड गया है। सब्जियों की कीमत ने आसमान छू लिया है। सब्डियों की बढती कीमतों के कारण कई लोगों सब्जी खाने बंद कर दिया है।
गुजरात, महाराष्ट्र मध्य प्रदेश और कर्नाटक में बीते दिनों भारी बारिश के कारणसूरत में छूटक बाजार में सूखे लहसुन की कीमत 210 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। जबकि टमाटर की कीमत 80 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। इसी तरह, महाराष्ट्र के सतना, पिपलगाँव, मालेगाँव क्षेत्रों में, भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भरा जाने के कारण प्याज और टमाटर की फसलों को नुकसान हो रहा है।
इससे टमाटर और प्याज की कीमतों को धक्का लगा है। खुदरा बाजार में टमाटर 50 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है क्योंकि केंद्र सरकार ने टमाटर के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। नहीं तो कीमत 100 रुपये तक पहुंच जाती। मध्य प्रदेश के सूखे लहसुन की कीमतें भी बढ़ रही हैं, जबकि देसा, पालनपुर और दाहगाम से आलू की कीमत भी 40-50 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा रही है।
पूरे देश में टमाटर महाराष्ट्र के सतना, मालेगांव, पीपलीनेर और संगमनेर से आते हैं। यहां भारी बारिश के कारण 50 फीसदी तक फसल खराब हो गई है, जिसका असर कीमतों पर पड़ रहा है।
सूरत एपीएमसी में थोक में टमाटर 40-45 रुपये में बेचा जा रहा है। परिवहन की लागत में भी वृद्धि हुई है। वर्तमान में 20 किलोग्राम लहसुन 1,600 से 2,000 रुपये के थोक मूल्य पर बेचा जा रहा है। जहां टमाटर 700 रुपये से 800 रुपये और आलू 500 रुपये से 600 तक चल रहा है। पापड़ी और ग्वार की कीमत भी 1,000 रुपये से 1,300 रुपये के बीच मँडरा रही है, जिससे बजट में गृहिणियों को मुश्किल हो रही है। सर्दियों की सब्जी की आय की शुरुआत के साथ, कीमतें भी कम हो जाएंगी। आमतौर पर जुलाई, अगस्त और सितंबर में बारिश के कारण कीमतें अधिक होती हैं।
उल्लेखनीय है कि बारिश के कारण गुजरात में भी फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है। इसे लेकर गुजरात के किसानों ने सरकार से मुवाअजे की गुहार लगाई है। इस बारे में सरकार की ओर से सर्वे किया जा रहा है।