कोरोना के कारण सभी लोगों ने अपने किसी ने किसी को खोया है। किसी ने अपने दोस्त तो, किसी ने अपने माता पिता, किसी ने बेटा तो किसी ने बेटी से हाथ धो लिया। कई मामले तो ऐसे भी सामने आए हैं कि जिन बच्चों को ठीक से बोलना भी नहीं आता उन बच्चों से भी कोरोना ने माता-पिता का साया छीन लिया। ऐसे में कोई परिवारजन भी ऐसे बच्चों की देखरेख के लिए आगे नहीं आए। सिर्फ सूरत ही नहीं बल्कि पूरे गुजरात और देशभर में ऐसे कई मामले सामने आए है।
ऐसे मामलों की गंभीरता को समझते हुए गुजरात में राज्य सरकार ने बालसुरक्षा विभाग को 1 से 18 साल के बच्चों की जिम्मेदारी दी है। बच्चों को भोजन से लेकर खेलकूद तक की व्यवस्था निशुल्क दी जाएगी।राज्य सरकार ने कोरोना के कारण माता-पिता में से किसी की मृत्यु हो गई हो या दोनों की मृत्यु हो गई हो अथवा माता-पिता दोनों ही कोरोनावायरस उपचाराधीन हो ऐसे समय में बच्चों की देखरेख के लिए कोई नहीं हो तो बाल सुरक्षा विभाग को बच्चों की जिम्मेदारी दी गई है। कोरोना दूसरी की सेकंड लहर बहुत ही घातक है जिसमें कि कई परिवारों में सभी संक्रमित हो गए हैं।
ऐसे समय में कई मासूम बच्चों ने तो अपनी माता या पिता में से किसी को गवां दिया है। कुछ तो ऐसे हैं जिन्होंने की दोनों की छाया गवा दी है। इसके अलावा कई मामलों में माता-पिता दोनो दाखिल होने से बच्चों की देखरेख का सवाल उठता है। इस समस्या को देखते हुए सरकार ने ऐसे बच्चों की देखरेख करने का जिम्मा उठाया है।
माता-पिता दोनों में से किसी एक की मृत्यु हुई हो और उनकी देखरेख के लिए कोई उपलब्ध ना हो उन्हें बाल सुरक्षा विभाग की निगरानी में रखा जाएगा। बच्चों को बाल गृह में भेजते समय यह सावधानियां बरतनी होगी कि उनका कोरोना की जांच का रिपोर्ट होना चाहिए, उन्हें वहां रखने के पहले चाइल्ड वेलफेयर कमिटी की स्वीकृति लेनी होगी। 1 दिन से 6 वर्ष तक के बच्चों को कतारगाम पोपावाला चिल्ड्रन होम में रखा जाएगा जबकि 6 से 18 वर्ष के बच्चों को कतारगाम में रखा जाएगा। बच्चियों को रामनगर के चिल्ड्रन होम में रखा जाएगा।