सूरत: वीएनएसजीयू ने रचा इतिहास, जानिए क्या है मामला

वीर नर्मद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी (VNSGU) ने शनिवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत मल्टीपल सर्टिफिकेशन (MC) लागू करने वाला गुजरात का पहला विश्वविद्यालय बनकर इतिहास रच दिया है।

वीएनएसजीयू के कुलपति डॉ. किशोरसिंह चावड़ा ने सीनेट की बैठक बुलाई थी, जहां वर्तमान शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से एनईपी के तहत एमसी के कार्यान्वयन के लिए विश्वविद्यालय के क़ानून 229 (बी) में बदलाव को मंजूरी दी गई थी।

मल्टीपल सर्टिफिकेशन पॉलिसी (एमसीपी) के तहत छात्रों को उनकी वार्षिक शिक्षा के अनुसार डिग्री सर्टिफिकेट दिया जाएगा। डिग्री प्रमाणपत्रों को न केवल विश्व स्तर पर मान्यता दी जाएगी बल्कि क्रेडिट भी स्थानांतरित हो जाएगा।

एमसीपी के तहत छात्रों को डिग्री कोर्स में प्रथम वर्ष पूरा होने पर प्रमाण पत्र, द्वितीय वर्ष में डिप्लोमा, तृतीय वर्ष में स्नातक डिग्री, चौथे वर्ष में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त होगी।

मौजूदा शैक्षणिक सत्र से एमसीपी लागू होने से एक साल बाद विभिन्न कारणों से डिग्री कोर्स छोड़ने वाले छात्रों को बड़ी राहत मिली है. अब ऐसे छात्रों को डिग्री कोर्स में प्रथम वर्ष पूरा करने के लिए वीएनएसजीयू से प्रमाण पत्र मिलेगा।

आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाने की योजना बना रहे छात्र एमसीपी के तहत क्रेडिट ट्रांसफर पॉलिसी के लिए पात्र होंगे।

वीएनएसजीयू वी-सी, डॉ. किशोरसिंह चावड़ा ने कहा, “वीएनएसजीयू गुजरात का पहला विश्वविद्यालय बन गया है जिसने मौजूदा शैक्षणिक सत्र से छात्रों के लिए एनईपी लागू किया है। एमसीपी से वीएनएसजीयू के छात्रों को फायदा होने वाला है।”

सूरत: शॉपिंग सेन्टर में चल है कॉलेज , बंद कराने की मांग

वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी से जुड़ी कुछ कॉलेजे शॉपिंग सेंटर में, पान मसाला के गल्ला नॉनवेज की लारी खाने-पीने के स्टोरों के बीच चल रही है।ऐसे कॉलेज और फर्जी स्टडी सेंटर बंद करने के लिए मांग की गई है।

सूरत और राजकोट में आग की घटनाओं के बाद प्रशासन जागृत हो गया है और हॉस्पिटल कॉलेज और स्कूलों में फायर सेफ्टी के साधनों की जांच की जा रही है।ऐसे में वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी से संलग्न कॉलेजों में कई कॉलेज शॉपिंग सेंटर में चल रही है।विद्यार्थी संगठन ने इस बारे में शिकायत की है कि कोरोना के कारण अभी कॉलेज बंद है लेकिन कुछ शॉपिंग सेंटरों में कॉलेज चल रहे हैं वहां रिस्क है।ऐसे कॉलेज बंद करा दिए जाएं।

उन्होंने बताया कि हाल में ही आग लगने की घटनाओं के चलते प्रशासन को इससे सबक लेना चाहिए।शॉपिग मॉल में तथा खाने-पीने की दुकानों के बीच और पान मसाला के दुकानों आदि के बीच चलने वाली कॉलेजों को बंद करानी चाहिए।

ऐसे वातावरण में विद्यार्थियों को पढ़ना मुश्किल हो जाता है।यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार इन कॉलेजों के समक्ष कार्यवाही करने की मांग की गई है। संगठनों ने कहा कि कुछ स्टडी सेंटर भी कई स्थानों पर चल रहे हैं। सिंडिकेट ने इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का फैसला किया है।फिर भी कोई कार्यवाही नहीं करवाई गई है बंद करना चाहिए।

अब निजी कॉलेज के प्रोफ़ेसरों को बेरोज़गारी का भय!

विद्यार्थी संगठनों के विरोध के बाद निजी स्व-निर्भर कॉलेजों की फ़ीस में कटौती तो कर दी गई लेकिन इसके बाद से निजी कॉलेजों में अध्यापकों को छँटनी का भय सताने लगा है। उन्हें लगता है कि कॉलेज के संचालक पगार में कमी करेंगे या तो नौकरी में छँटनी होगी जिसके चलते उन्होंने शुक्रवार को यूनिवर्सिटी में कुलपति के कार्यालय के बाहर प्रांगण में विरोध व्यक्त किया।


तीन दिन पहले यूनिवर्सिटी में सिंडिकेट की बैठक में निजी कॉलेज की ट्यूशन फीस में 20% कटौती कम करने का फैसला किया गया है। इसके पहले एबीवीपी और एनएसयूआई सहित अन्य विद्यार्थी संगठनों ने फीस घटाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था। जिसके चलते सिंडिकेट और सेनेट के सदस्यों की मीटिंग हुई थी और इस पर एक कमीटी बनाई गई थी।

इसकी सिफारिश के आधार पर सिंडिकेट में यह फैसला लिया गया था कि निजी कॉलेजों की फीस में कमी कर दी जाएगी। अब इसके चलते अध्यापकों में नाराजगी देखी जा रही है। 2 दिन पहले कार्यकारी कुलपति डॉ हेमाली देसाई और कार्यकारी कुलसचिव डॉ अरविंद ऑनलाइन शिकायत के बाद गत रोज दोपहर 2:30 बजे निजी कॉलेज के अध्यापक बिल्डिंग के बाहर इकट्ठा हो गए। इनमें से पांच प्रोफेसर पहले कार्यकारी कुलपति डॉ हेमाली देसाई को मिले थे।

इसके बाद कार्यकारी कुलपति ने मुख्य बिल्डिंग प्रांगण में आकर अध्यापकों की बात सुनी थी।कोरोना के कारण लॉकडाउन से अब तक स्कूल में भी नहीं खोली है और अभिभावक स्कूल फीस में छूट की माँग कर रहे हैं।

इसके चलते स्कूल संचालकों और अभिभावकों के बीच भी विवाद चल रहा है। स्कूलों में भी कुछ इसी तरह से परिस्थिति बनी है कि कई निजी स्कूलों में शिक्षकों का वेतन नहीं दिया है और कई स्कूलों ने छँटनी कर दी है।

वीर नर्मद द.गु.यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर ने फाँसी लगाकर जान दी

सूरत शहर में इन दिनों आत्महत्या की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। गत रोज़ राजा अडाजण क्षेत्र की महिला तथा अन्य एक युवक ने फाँसी लगाकर जान दे दी थी।घटना की शिकायत दर्ज करके पुलिस ने प्रोफ़ेसर की मौत का सही कारण जानने का प्रयास शुरू किया है।


इसके बाद मंगलवार को दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी में केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में पढ़ाने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर पूर्णचंद्र राव ने स्टाफ़ क्वार्टर मेंफाँसी लगाकर जान देने की घटना सामने आ रही है। आज सवेरे क्वार्टर में से उनका मृतदेह पाया गया।

मिली जानकारी के अनुसार 32 वर्षीय आसिस्टेन्ट प्रोफेसर पूर्णचंद्र राव ने एक साल पहले ही वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के तार पार से जुड़े थे। आज देर तक जब घर से बाहर नहीं निकले तो लोगों को आतंक का होने पर दरवाज़ा खटखटाया गया तब भी दरवाज़ा नहीं खोलने पर दरवाज़ा तोड़कर कुछ लोग अंदर गए।

जहाँ के पूर्णचंद्र राव का मृतदेह फाँसी लगा हुआ पाया गया। बताया जा रहा है कि एक साल पहले ही उनकी शादी हुई थी। वह मूलतः तेलंगाना के निवासी थे फ़िलहाल मौत के कारण का पता नहीं लगाया जा सका है। उनकी मौत को लेकर सभी लोग अलग अलग प्रकार के तार कोई तर्क कर रहे हैं।

पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर लाकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। घटना की शिकायत दर्ज करके पुलिस ने प्रोफ़ेसर की मौत का सही कारण जानने का प्रयास शुरू किया है।

सूरत: यूनिवर्सिटी की परीक्षा रोकने के लिए 24 घंटे का अल्टिमेटम!


एक और पूरा देश कोरोनावायरस से परेशान है दूसरी ओर वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी में 25 तारीख से कॉलेज की परीक्षाएं शुरू होनी है। ऐसे में कोरोना का संक्रमण और बढ़ सकता है यह बात रखते हुए एबीवीपी ने कुलपति को ज्ञापन देकर इस परीक्षा को रद्द करने की मांग की है।


इसके लिए एबीवीपी ने कुलपति को 24 घंटे का समय दिया है नहीं तो उग्र आंदोलन करने की धमकी भी दी है।


मिली जानकारी के अनुसार सूरत सहित गुजरात और पूरे देश में कोरोनावायरस बुरा हाल है। सूरत में प्रतिदिन 70 से 80 कोरोना के मरीज आ रहे हैं। ऐसे में सूरत में परीक्षा ले पाना खतरे से खाली नहीं है। सूरत के कई क्षेत्र क्लस्टर घोषित किए गए हैं।

वहां से यदि विद्यार्थी आते हैं तो कोरोना का खतरा और बढ़ जाएगांजहां एक और सूरत में खतरा मंडरा रहा है। वहीं दूसरी ओर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 25 तारीख से बच्चों की परीक्षा लेने क्या ऐलान किया है।!इसका विरोध शुरू से ही किया जा रहा है।


एबीवीपी, एनएसयूआई और सीनेट के सदस्यों ने भी इसका विरोध दर्ज कराया है। लेकिन अभी तक परीक्षा को लेकर कोई परिवर्तन नहीं घोषित किया गया। इसलिए मंगलवार को एबीवीपी ने कुलपति को ज्ञापन देकर परीक्षा को रद्द करने के लिए 24 घंटे का समय दिया है।साथ ही यदि कोई फैसला नहीं आया तो उग्र आंदोलन की भी धमकी दी हैं।