सूरत
व्यापारियों को चिंता एक और जहां कपड़ा बाजार खुलने की सुगबुगाहट के कारण व्यापारियों में उत्साह का माहौल है वहीं दूसरी ओर पेमेंट की चिंता ने उनकी खुशी को ग्रहण लगा दिया है। 2 महीने से अधिक समय से लॉकडाउन होने के कारण व्यापार चौपट है।
व्यापारियों को अन्य राज्यों से पेमेंट के तौर पर एक रुपए भी नहीं मिला दूसरी ओर बीते दिनों जो माल भेजा था। वह भी लग्न सरा के दिनों में लॉकडाउन से बाज़ार बंद होने से बिके बिना वापस आने की आशंका लगी हुई है।
कुल मिलाकर व्यापारियों के सामने नए-नए ग्रह खड़े हैं। ऐसे में व्यापारियों ने दुकान खोलने की बात पर उसका तो दिखा दिया लेकिन पेमेंट का क्या होगा पेमेंट कहां से मिलेगा और कैसे चुकाया जाएगा? इसकी गहरी सोच व्यापारियों को अभी से परेशान करने लगी है। व्यापारियो का कहना है कि अन्य राज्यों में जिन्हें माल भेजा है। वह तो सीधे माल बिकेगा तब पैमेन्ट देंगे ऐसी बात कह देते हैं। और यदि कड़क होकर बात करो तो माल ही भेज देते हैं। ऐसे में सूरत के व्यापारियों के लिए आगे मुश्किल हो रहाी है।
क्योंकि 2 महीने से व्यापार बंद होने के कारण उनके पास जो पूंजी थी वह तो श्रमिकों का वेतन, बैंक का लोन, बिजली खर्च, घर खर्च और अन्य जगह इस्तेमाल हो गया। व्यापारियों को नई पूंजी का इंतजाम करना पड़ेगा। बड़े व्यापारी तो जैसे तैसे पूंजी का इंतजाम कर लेंगे लेकिन छोटे व्यापारी कहां से पूंजी लाएंगे, कैसे धंधा आगे बढ़ाएंगे उसकी चिंता उन्हें लगी है। कई व्यापारियों का तो कहना है कि व्यापार तो खुल जाएगा। लेकिन जैसे ही व्यापार खुलेगा वैसे ही वीवर, एंब्रॉयडरी खाते वाले, डाइंग प्रिंटिंग यूनिट वाले और जॉब वर्क करने वाले अपने पेमेंट के लिए खड़े हो जाएंगें।
जबकि हकीकत तो यह है कि हमारे पास ही पेमेंट नहीं मिल रहा ऐसे में हम व्यापार खोलने के बाद कैसे खड़े होंगे यह अग्निपरीक्षा होगी। कपड़ा व्यापारी अनुप जालान ने बताया कि लॉकडाउन के कारण दो महीने से दुकानें बंद है। सूरत के व्यापारियों ने जिनको माल बेचा है उनकी दुकानें भी बंद होने से वह पेमेंट नहीं कर रहे। यदि अभी दुकानें खुलती भी है तो तुरंत पेमेंट नही मिल सकता। वहाँ के व्यापारी माल बिकने के बाद पेमेंट की बात करते है। यदि सूरत के व्यापारी ज़बरदस्ती करें तो माल वापिस आ सकता है।
दूसरी ओर जैसे ही दुकान खुलेगी वैसे ही व्यापारी को एम्ब्रॉयडरी, वीवर, चरक. प्रोसेसर सब पेमेंट माँगने लगेंगे। हो सकता है कुछ लोग नाराज़ भी हो जाए। ऐसी चिंता व्यापारियों को सता रही है। इस दिशा में कपड़ा संगठनों को आगे बढ़ना चाहिए और कपड़ा उद्योग के सभी घटकों से मिलकर पेमेंट के लिये कोई व्यवस्था बनानी चाहिए।