कपड़ा व्यापारियों को एमएसएमई में शामिल करने की गुहार !!!

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डेस्क
सरकार को करोड़ों रुपए का टैक्स चुकाने वाले कपड़ा व्यापारियों को सरकार की नीतियों का लाभ बहुत कम मिलता है ।इस शिकायत के साथ कपड़ा उधमियों को सूक्ष्म, लघू और मध्यम उधोग की श्रेणी में शामिल करने की माँग उठी है। कपड़ा उधमियों का कहना है कि कपड़ा व्यापारी देशभर में लाखों लोगों को रोजगार देते हैं । सरकार को करोड़ों रुपए टैक्स चुकाते हैं।किसी भी आपदा के समय में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते हैं लेकिन , उन्हें किसी योजना का लाभ नहीं मिल पाता ।

असंगठित होने से नुक़सान

देशभर में करोड़ों कपड़ा व्यापारी होने के बाद भी असंगठित है उन्हें ,जब कभी जरूरत पड़ती है तो उनका रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण सरकार बार-बार पल्ला झाड़ लेती है ।यदि वह एमएसएमई सेक्टर में शामिल हो तो उन्हें सरकार की नीतियों का लाभ मिलेगा साथ ही वह अपनी बात एक मंच से सरकार के समक्ष रख सकेंगे।

आपातकाल में भी होते हैं परेशान, जल्दी सुनवाई नहीं

फिलहाल कोरोना के कारण कपड़ा व्यापारी मुश्किल के दौर से गुजर रहे हैं 1 महीने से अधिक समय से दुकानें बंद हैं। कई व्यापारियों ने तो अपने दुकानों का मुंह भी नहीं देखा है लेकिन, उन्होंने जिन्हें माल भेजा है उनसे भी संपर्क नहीं हो पा रहा है ।बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में रिटर्न गुड्स बढ़ सकता है और पेमेंट की दिक्कत आ सकती है ।इन चिंताओं में व्यापारी का गला सूख रहा है ।लेकिन सामने मदद की कोई किरण नहीं नजर आ रही यदि कपड़ा व्यापारी मदद के लिए गुहार लगाएं तो भी किससे लगाएंगे ?

डाटा नहीं होने से लाभ से वंचित

बीते दिनों का अनुभव है कि कपड़ा व्यापारियों ने जब भी सरकार से मदद की गुहार लगाई है तब सरकार ने उनसे व्यापारियों का डाटा मांगा है और वहीं पर रुक गई है ।इसलिए सूरत के कपड़ा व्यापारियों ने कपड़ा व्यापार से जुड़े लोगों का डाटा तैयार करने का प्रयास शुरू किया है ।कैट के साथ मिलकर शुरू किए गए इस प्रयास से सूरत व देश के कपड़ा व्यापारियों का एक डाटा तैयार होगा ।यह डाटा व्यापारियों की मजबूती कहा जा सकता है ।क्योंकि इस डाटा के आधार पर का व्यापारियों को एमएसएमई सेक्टर में शामिल किया जाए व्यापारी कह सकते हैं ।

एमएसएमई सेक्टर में शामिल करने की मांग

फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री चंपालाल बोथरा ने बताया कि सरकार की योजनाओं में कपड़ा व्यापारी भी शामिल हो सके और उन्हें सरकार की योजना का लाभ मिले इसलिए हमने एमएसएमई सेक्टर में कपड़ा व्यापार को शामिल करने की गुहार लगाई है । हमने देशभर के व्यापारियों को ग्लोबल लिंक भेजकर अपना डाटा साझा करने की बात कही है। इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी तथा कॉन्फिडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रवीण खंडेलवालको मेल भेजकर कानून में संबंधित परिवर्तन कर एमएसएमई सेक्टर में कपड़ा व्यापार को शामिल करने की मांग की है।


एमएसएमई सेक्टर में शामिल होने से लाभ
1 सरकार की नीतियों के लाभ कपड़ा व्यापारियों को मिल सकेंगे ।
२ बैंक से ब्याज पर ऋण की सहायता मिल सकेगी !
3 कोरोना जैसे आपातकाल में सरकार की ओर से मिलने वाले राहत पैकेज का लाभ व्यापारियों को मिल सकेगा ।
4 बजट या अन्य घोषणाओं में सरकार की ओर से की जाने वाली छूट आदि में कपड़ा व्यापारी का भी हिस्सा रहेगा ।
5 सरकार कई बार अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एमएसएमई सेक्टर को प्राधान्यता देती है ऐसे में कपड़ा व्यापारियों को लाभ मिलने की उम्मीद है।

एमएसएमई के लिए राहत की माँग
कपड़ा उधमी कमल विजय तुलस्यान ने कहा कि कोरोना में लॉकडाउन के कारण दक्षिण गुजरात सहित देशभर के एमएसएमई सेक्टर बंद है। दक्षिण गुजरात में टैक्सटाइल, डायमंड और अन्य सेक्टर बंद होने के कारण लाखों लोग बेरोज़गार है। सरकार उनके लिए पैकेज दे या कई सब्सिडी जारी करे। साथ ही बैंकों से ब्याज रहित लोन की व्यवस्था भी कर सकती है।