कपड़ा व्यापारियों करोड़ों का नुक़सान! क्या सरकार लेगी सुध?

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सूरत
लाखों लोगों को रोज़गार देने वाले और करोड़ों का टैक्स देने वाले व्यापारियों की नज़र अब सरकार पर टिकी है। कोरोना के कारण देश भर के कपड़ा व्यापारियों को करोड़ों का नुक़सान उठाना पड़ रहा है।

जीएसटी और नोटबंदी से पहले ही ठप्प था व्यापार

सूरत की बात करें तो पॉलिस्टर कपड़ों के लिए दुनिया भर में प्रख्यात सूरत का कपड़ा बाज़ार पहले से ही जीएसटी और नोट बंदी की मार खाकर ढीला हो चुका था ।ऐसे में जब कुछ बात बनने लगी तो कोरोना ने पूरे व्यापार की कमर तोड़ दी ।सूरत में कपड़ा व्यापारियों के लिए जनवरी से अप्रैल तक काफ़ी महत्वपूर्ण है ।इन दिनों में त्योहारों और लग्नसरा के कारण साडी और ड्रेस मटेरियल दोनों तक सेग्मेंट में तमाम राज्यों से अच्छा व्यापार होता है ।

व्यापार शुरू होते ही लगा कोरोना का ग्रहण

व्यापार अपनी गति पकड़ रहा था वैसे ही कोरोना ने व्यापार की कमर तोड़ दी ।भारत में 30 जनवरी को कोरोना का पहला केस दर्ज हुआ था। इसके बाद फ़रवरी के अंत तक तो देश के कई राज्यों में कोरोना ने असर दिखाना शुरू कर दिया था ।वहाँ के बाज़ार बंद होने लगे थे ,दुकानें बंद होने लगी थी वहाँ पर ऑर्डर कैंसल होने शुरू हो गए थे ।मार्च में तो सूरत का भी व्यापार बंद हो गया है, जिन लोगों ने लाखों रूपए के ऑर्डर दिए थे उन्होंने भी कोरोना के चलते ऑर्डर रद्द करा दिया ।

माल नहीं बिकने से स्टॉक हुआ, पूँजी फँसी,

सूरत के व्यापारी जिन्होंने अच्छी मात्रा में अच्छा व्यापार रहेगा यह सोचकर बड़े पैमाने पर ड्रेस और साडी के लिए स्टॉक तैयार कर रखे थे । वह नहीं बिकने के कारण स्टॉक हो गया है। यदि कोरोना ज़्यादा दिन चला तो वह स्टॉक आउटडेटेड होने का भय है। तब सीजन निकल जाने से उसकी क़ीमत भी घट सकती है, जिन व्यापारियों में करोड़ों रुपया की लागत लगाकर माल तैयार करवाया है उनकी पूँजी जाम हो गई है।

दूसरे खर्च भी बढ़ा रहे दिक़्क़त

कुल मिलाकर कपड़ा व्यापार के लिए बहुत बुरे दिन हैं।इतना ही नहीं हर सामाजिक कार्यों में आगे रहने वाले ज़्यादातर कपड़ा व्यापारियों ने उनके यहाँ काम करने वाले श्रमिकों की भी व्यवस्था कर रखी है । भले व्यापार बंद हो गया है, लेकिन श्रमिकों के लिए उन्होने पूरा इंतज़ाम कर रखा है। एक और भले ही व्यापार नहीं हो रहा है लेकिन ख़र्चे तो चल ही रहा है ,जैसे कि बिजली का ख़र्च, मेंटेनेंस खर्च, स्टाफ़ का वेतन आदि ख़र्च तो चल ही रहे हैं ।ऐसे में व्यापारी भला किस तरह अपना वाहन कर पाएंगे यह भी चिंता का विषय है। फ़िलहाल तो कपड़ा व्यापारी सहित पूरा देर कोरोना से उबरने की जद्दोजहद में लगा है ,लेकिन इससे निकलने के बाद भी आगे का रास्ता मुश्किल से भरा नज़र आ रहा है।

नौ हज़ार करोड़ रूपए का व्यापार चौपट
फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री चंपालाल बोथरा का कहना है कि जनवरी से लेकर मई में नए वर्ष, होली, लग्नसरा तथा रमज़ान ईद तक तक सूरत के कपड़ा व्यापारियों का लगभग नौ हज़ार करोड़ रूपए का व्यापार होता है। इस बार जैसे ही व्यापार होना शुरू हुआ, वैसे ही कोरोना ने दस्तक दी।इस कारण व्यापारियों ने तैयार किए अंदाज़न पाँच हज़ार करोड़ रूपए का स्टॉक उनके पास, ट्रांसपोर्ट में या रिटेल व्यापारी के पास जाम हो गया है। जब कोरोना बीतेगा तब तक सीजन जा चुका होगा तब रिटर्न गुड्स आने की आशंका बढ गई है। अभी जो माल बेचा उसका पेमेंट शायद अगली जनवरी तक आए तब तक यहाँ के व्यापारियों में जिन एम्ब्रॉयडरी या प्रोसेसर्स से जॉबवर्क करवाया है उसका पेमेंट तो करना ही होगा। ऐसे में छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए आगे की राह कठिन है। हमने सरकार से कपड़ा व्यापारियों को एमएसएमई में शामिल करने की माँग की है ताकि सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके।