सूरत: बुधवार को कोरोना से ठीक होने के बाद घर पर पहुुंचे गोडादरा इलाके में रहने वाले एक 38 वर्षीय व्यक्ति की आंखों में इस बात की खुशी थी कि उसने अपने माता-पिता और समाज के लोगों को अपनी जागरूकता से बचा लिया है।
गोडादरा के रामकृष्ण सोसाइटी के निवासी अजय भगवान सिंह खत्री एक हीरा कंपनी में काम करते हैं। 23 तारीख को, उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आइ थी इस कारण उन्हेंसमरस हॉस्टल में भर्ती कराया गया था और ठीक होने के बाद बुधवार को उन्हें छोड़ दिया गया।
अजयभाई ने कहा कि उन्होंने कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे और उन्हें कोई शारीरिक समस्या भी नहीं थी। 20 मार्च को, वे घरेलू सामान खरीदने के लिए अपने घर के पास एक दुकान पर गए,वहां पर बहुत भीड़ थी। इस कारण सामान खरीदने के बाद कहीं मुझे कोरोना का संक्रमण तो नहीं लग गया यह भय सताने लगा।
अजय ने कहा कि मैने सुना था कि ऐसी जगह नहीं जाना चाहिए जहां भीड़ हो क्योंकि स्पर्श से भी कोरोना फैल सकता है, ऐसी कई चीजें उनके दिमाग में चल रही थीं। इस बीच 23 तारीख को वह अपने पहले से चल रहे इलाज के लिए दवा लेने सिविल अस्पताल गए ।
वहां कोरोना पर जांच करने के लिए वहां आने वाले लोगों को देखा और सिर्फ अपनी मानसिक संतुष्टि के लिए परीक्षण करने का फैसला किया और साथ ही घर पर बुजुर्ग माता-पिता हैं उन्हें संक्रमित होने से बचाने के लिए भी कोरोना की जांच कराने का फैसला किया। उन्होने डॉक्टरों से कहा कि वे एक सामान्य सर्दी के लिए रक्त परीक्षण कराना चाहते हैं।
दो दिन बाद उन्हें मनपा से फोन आया और उन्होंने अजय से कहा कि मुझे 14 दिनों के लिए क्वारन्टाइन में रहना होगा। मुझे समरस अस्पताल में भी कोई समस्या नहीं थी। एक दिन मुझे केवल एक गोली लेनी थी और कुछ दिन केवल दो गोलियां। मुझे कल छुट्टी दे दी गई। मुझे पहले और आज तक कोई समस्या नहीं है लेकिन मुझे खुशी है कि मेरे माता-पिता और समाज के लोग मेरी जागरूकता के कारण सुरक्षित हैं।