एमएसएमई व्यापारियों के लिए लोन पाना दूर की कौड़ी

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केंद्र सरकार की ओर से छोटे और मध्यम वर्गीय उद्यमियों के लिए कई योजनाएं शुरू की गई है लेकिन कई कारणो से छोटे उद्योगों को बैंक से लोन लेने में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। बैंक की ओर से कई कारणों से छोटे उद्यमियों को टाल दिया जाता है। इस बारे में चेंबर ऑफ कॉमर्स ने रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की अहमदाबाद में आयोजित मीटिंग में गुहार लगाई है।

नई गाइडलाइन रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जानकी रमन की अध्यक्षता में सोमवार को अहमदाबाद में स्टैंडिंग एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग हुई।‌इसमे एमएसएमई मंत्रालय के अधिकारी, वित्त मंत्रालय के अधिकारी बैंकों के अध्यक्ष मैनेजिंग डायरेक्टर तथा सहित अलग-अलग औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। इस मीटिंग में चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। चेंबर के प्रतिनिधियों ने कहा कि बैंकों की ओर से छोटे उद्योगों को लोन देने के लिए प्रोविजनल बैलेन्सशिट सीए सर्टिफाइड कराने को कहा जाता है। परंतु सीए के पास ऐसी कोई अधिकार ही नहीं है।इसलिए इस तरह के डॉक्यूमेंट व्यापारी पेश नहीं कर पाते। इस समस्या को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया को नई गाइडलाइन जारी करना चाहिए।

कई बैंक के जीएसटी कंपोनेंट को भी फाइनेंस नहीं करती।इस बारे में भी नियम बनाने चाहिए। सूरत में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के कारण यहां माल खरीदने वाले को 25% मार्जिन और 18% जीएसटी इस तरह 43 प्रतिशत चुकाना पड़ता है। खरीदने वाले को यह लाभ भी नहीं मिलता। जीएसटी कंपोनेंट को भी फाइनेंस किया जाना चाहिए। छोटे उद्योगों को टैक्स क्रेडिट फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइज के अंतर्गत लोन लेने जाते हैं तब बैंक लोन देने से इनकार कर देते हैं। प्राइवेट बैंक भी लोन नहीं देते। यह जानकारी भी चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से दी गई।यदि कोई उद्यमी प्राइवेट बैंक में से पीएसयू बैंक अथवा पीएसयू बैंक में से प्राइवेट बैंक में लोन टेकओवर किया जाता है तो गारंटी फॉरमैट के कारण काउंटर गारंटी देने में भी खूब विलंब किया जाता है। 6- 7 महीने तक गारंटी टेकओवर की प्रक्रिया चलते रहती है।इसलिए काउंटर गारंटी के लिए एक फॉर्मेट जारी करना चाहिए जो की सभी बैंकों को स्वीकार्य हो।

क्लस्टर की व्याख्या के अनुसार सूरत टेक्सटाइल क्लस्टर है। सूरत में टेक्सटाइल के अंदर पांच अलग-अलग सब क्लस्टर भी है। जिसमें की वीविंग,स्पिनिंग,डाईग और तथा प्रिंटिंग के साथ टेक्सचराइजिंग भी शामिल है। साथ ही सूरत में डायमंड और ज्वेलरी भी क्लस्टर भी है। यहां पर केमिकल का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता है। इसलिए केंद्र सरकार की क्लस्टर डेवलपमेंट स्कीम का लाभ टेक्सटाइल के अलावा अन्य क्षेत्रों को भी मिलना चाहिए। वर्तमान समय में मंदी का दौर है। लगातार 5-6 साल तक बैंकों का लोन देने के बाद भी बैंक 1 वर्ष के लिए भी हैंड होल्डिंग की व्यवस्था नहीं देते बल्कि बैंकों की ओर से नों कंप्लायंस की पेनल्टी भी लगाई जाती है जिससे कि मंदी के दौर से गुजर रहे व्यापारी का अकाउंट एनपीए में चल जाता है।इसलिए आरबीआई को पॉलिसी में परिवर्तन करना चाहिए इस साल बजट में मुद्रा योजना की सीमा 10 लाख से बढ़कर 20 लाख कर दी गई है लेकिन बैंक इसे फॉलो नहीं कर रहे।इस बारे में भी चेंबर ऑफ कॉमर्स ने रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के डिप्टी गवर्नर का ध्यान दिलाया ।